RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
रात को डिनर के बाद आरती अपने कमरे में चली गयी।
लेकिन सोनल वही टीवी देखती रही। जब रामू काका आये तो उनको बोल दिया कि वो सोने जा सकते है, जब रवि आएंगे तो उनको खाना वो खुद दे देगी।
रामू बहुत हैरान हुआ कि आज पहली बार सोनल कैसे अपने पापा के लिए जगी है। लकीन कुछ कह नही सकता था तो वापिश चला गया अपने क्वाटर पर।
क्वाटर पर जया और मोनिका दोनो अपने आपने बिस्तर पर सोने जा चुकी थी।
रामु जब क्वाटर का डोर खोलता है तो दोनों उठ बैठती है, रामु सीधा जया के पास जाकर बिस्तर पर बैठ जाता है।
जया--- क्या हुआ जी आज कुछ परेशान से लग रहे हो।
रामू--- नही कुछ नही हुआ, तुम सो जाओ।
जया---- क्या बात है आजकल हमसे सीधे मुह बात भी नही करते हो जी।
रामू-- सो जाओ फालतू की बात में क्यो माथा पची करती हो।
रामु अपने बिस्तर पर लेट जाता है और सोचता है कि इन तीन चार दिनों में क्या क्या हो गया, कही सोनल का बदला रूप इसलिए तो नही उस दिन दिन में डोर पर सोनल ही थी। और अपनी मम्मी की चुदाई देख कर उसने अपना नेचर चेंज किया हो।
कही सोनल में भी चुदाई की आग लग गयी हो जैसे बहु रानी में लगी है मोनिका की चुदाई देख कर , क्या सोनल भी मुझसे चुद सकति है?
कहते है ना बंदर के हाथ अगर अदरक लग जाये तो वो पंसारी बन जाता है,
वही हाल रामू का हो रहा था। अब उसकी नजर सोनल पर थी।
रामु अपनी उदेडबुन में था कि जया काकी उनके लण्ड को मसलने लगती है, रामु झुंझला जाता है और उसका हाथ झटक देता है और काकी को डपट देता है, ऐसा नही था कि रामू काका शक्तिमान थे जो एक साथ तीन ओरतो को संतुष्ट कर सके। वो तो पहली बार उसको एक बड़े घर की महिला मिली थी तो बुढ़ापे में जवान हो गया था लेकिन दिन में आरति के साथ करने के बाद रात को जया या मोनिका को चोदने की इच्छा नही होती थी लेकिन मोनिका कोसिस जरूर करती थी अपनी माँ के सोने के बाद।
उसे डाउट होने लगा था कि जहाँ पहले उस्का बापू उसको मौका मिलते ही चोद देता था अब हाथ भी नही लगा रहा है।
रात को जया के सोते ही मोनिका अपने बापू पर टूट पड़ी। रामू न चाहते हुए भी मोनिका की चुदाई करता है।
उधर फिर रात के 10 बजे रवि ने घंटी बजाई तो सोनल दौड़ती हुई गयी और दरवाजा खोला. फिर रवि उसे देखकर थोड़े चकित हुए और सोनल को गले लगाकर उसके गालों पर किस करते हुए बोले कि बेटा आज तो बहुत स्मार्ट लग रही हो. अब सोनल को इतनी खुशी हुई थी कि वो पापा को फंसाने में धीरे-धीरे सफल होती जा रही थी.
अंदर आकर रवि ने कहा कि रामू काका को बोलो की एक कप चाय बना कर लाये तो सोनल खुद किचन में जाकर चाय बनाने लगी.
पहले अभी तक आरती जगी रहती थी लेकिन अब दिन में रामू से चुदने के बाद खाना खा कर जल्दी सो जाती थी, अब भी बेफिक्र सो रही थी इस बात से अनजान की एक नॉकर कि चुदाई के चक्कर मे जिस पति को वो भूल बैठी है अब उस पति को उसकी अपनी बेटी उससे बहुत दूर ले जाएगी। रवि कमरे में पहुचता है और आरति को सोते हुए पाता है। फिर रवि भी फ्रेश होकर नीचे आ गये। नीचे सोनल को किचन में च्याय बनाते देखता है तो रामु काका का पूछता हैं।
सोनल--- मैने उन्हें सोने भेज दिया है, अबसे मैं अपने पापा का ख्याल रखूंगी
और दोनो इधर उधर की बातें करने लगे थे, किचन में खड़े होकर। रवि को सुबह की बात याद आने लगती है,
और उसकी नजर सोनल पर पड़ती है, उसको सोनल की गोरी गोरी न्नगी टांगे दिखती है, थोड़ी देर में रवि सोनल की गोरी जांघो देखकर गर्म हो गये और सोनल के पीछे खड़े होकर अपना लंड उसकी गांड से सटाने की कोशिश करने लगे थे. तब सोनल भी अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी. अब सोनल को तो ऐसा लग रहा था कि जैसे वो जन्नत में है और बस ऐसे ही खड़ी रहै।
ख़ैर अब चाय बन चुकी थी और फिर उसने रवि से डाइनिंग रूम में जाकर बैठने को कहा और चाय वहाँ सर्व करके बाथरूम में जाकर फिर से उंगली करने लगी थी. फिर में झड़ने के बाद बाहर आई, तो तब तक आरती भी नीचे आ चुकी थी.
उसे मम्मी पर बहुत गुस्सा आया, क्योंकि सोनल को अपने पापा से अभी और मज़ा लेना था और मम्मी के सामने में कुछ नहीं कर सकती थी. अब रवि भी आरती के आने से थोड़े दुखी हो गये थे, क्योंकि आरती वैसे भी अब उससे दूर जा चुकी थी. अब रवि सोनल को देखकर बार-बार अपना लंड पजामे के ऊपर से ही सहला रहे थे और सोनल को भी उन्हें सताने में बहुत मज़ा मिल रहा था.
आरती---- सोनल बेटा, तुम क्यो जग रही हो, रामू काका है ना वो च्याय बना देते।
सोनल को गुस्सा आ रहा था, पहले तो आरती नीचे आकर उसके मंसूबो पर पानी फेर चुकी थी,और अब रामू काका का जिक्र कर रही थी।
सोनल(तंजिया अंदाज में)------ मम्मी, रामू काका बेचारे अब बुड्ढे हो गए है और अब वैसे भी ज्यादा काम नही कर सकते, और आप वैसे भी दिन भर उनसे काफी काम लेती है तो मैंने सोचा कि थक जाते होंगे इसलिए मैंने उन्हें आराम के लिए भेज दिया। वैसे भी पापा की नोकरो के भरोशे नही रहने दूँगी मैं, अब उनकी बेटी बड़ी हो गयी है क्यो पापा।
रवि-- हा क्यो नही बेटा
आरति सोनल की बात सुनकर झेप जाती है,जिस अंदाज में देखते हुए सोनल ने आरति को ये बात कही वो अंदर से कांप जाती है, उसको यही लग रहा कि जैसे सोनल कह रही है कि वो बुड्ढे को चुदाई करवाके थका देती है।
रवि फिर खाना खाता है और फिर तीनो सोने चले जाते है।
अगले दिन सब अपने अपने रूटीन से उठते है और सोनल स्कूल और रवि आफिस चले जाते है।
सोनल स्कूल में पहुचकर कुछ कमजोरी महसूस करती है और वापिश घर आ जाती है, स्कूल peon उसके लिए एक ओटो कर देते है। जब वो घर पहुचती है तो घर का डोर खुला मिलता है, वो अंदर जाकर रामू काका को आवाज देती है पानी के लिए।
लेकिन रामु नही आता है, वो उठकर किचन में देखती है लेकिन रामु नही मिलता वो दौड़कर आरती के रूम की तरफ जाती है लेकिन ये क्या आरती भी कमरे में नही थी वो पूरा घर देखती है दोनो कहि नही मिलते। वो दौड़कर गार्डन में क्वाटर की तरफ जाती है लेकिन वहा सिरफ़ जया काकी और मोनिका दिखती है, वो मयूश हो कर वापिश आ रही है तो उसको थर्ड फूलोर पर कुछ मूवमेंट दिखती है, थर्ड फ़्लोर पर भी एक सर्वेंट र्रोम था, वो फुर्ती से घर मे घुसती है और उप्पेर दौड़ती है, उप्पेर फ्लोर पर अपनी रफ्तार कम करती है और सर्वेंट रूम के पास पहुचती है, रूम का दरवाजा सिरफ़ दलका हुआ था क्लोज नही था, सोनल ने अंदर झांकर देखा तो आंखों के सामने रामू काका आरती को चूमते हुए जैसे ही ऊपर उठे तो फिर से आरती के होंठों को अपने होंठों से दबाकर चूमते रहे, और अपने कपड़ों से अपने को आजाद कर लिया वो आरती को कसकर पकड़े हुए उसके होंठों का रस पान करते जा रहे थे और अपने हाथों का दबाब भी उसके कंधे पर बढ़ाते जा रहे थे ताकि आरती नीचे की ओर बैठ जाए
आरती भी उनके इशारे को समझ कर धीरे से अपने घुटनों को पकड़ कर बैठी जा रही थी और अपने होंठों को रामू काका के होंठों से आजाद करते ही उसके गालों और गर्दन से होते हुए नीचे उनके सीना से होते हुए और भी नीचे ले गई और उनकी कमर के आते ही वो बैठने लगी पर रामू काका की तो कुछ और ही इच्छा थी उन्होंने कस कर आरती के सिर को अपने एक हाथ से पकड़ा और नीचे अपने लण्ड की ओर ले जाने लगा उसके हाथों में इतना जोर था कि आरती अपने सिर को नहीं छुड़ा पाई और दोनों हाथों से रामू काका की जाँघो का सहारा लेके ऊपर काका की ओर बड़ी ही दयनीय तरीके से एक बार देखा
पर रामू काका की आँखों में जो जंगली पन था उसे देखकर वो सिहर उठी, साथ ही उसकी दयनीय हालत को देखकर सोनल भी हैरान थी कि उसकी मम्मी एक नोकर के सामने इतनी मजबूर दिख रही थी।
आरती- नही प्लीज नहीं
रामू - चूस और अपने लण्ड को आरती के चेहरे पर घिसने लगे और अपनी पकड़ को और भी ज्यादा मजबूत कर लिया था
आरती को उबकाई आ रही थी, और सोनल को घिन। रामू काका के लण्ड के आस-पास बहुत गंद थी और बालों का अंबार लगा था पर वो अपने आप को छुड़ा नहीं पा रही थी अब तो रामू अपने लण्ड को उसके चेहरे पर भी घिसने लगे थे और वो इतना गरम था कि उसका सारा शरीर फिर से एक बार काम अग्नि में जलने लगा था तभी उसके कानों में रामू काका की आवाज टकराई और वो सुन्न हो गई
रामू- चूस इसे चूस (उनकी आवाज में एक गुस्सा था
और सोनल भी गुस्से से काँपने लगी
आरती- प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज नहीं
और अपना हाथ लेजाकर धीरे से उनके लण्ड को अपने कोमल हाथों से पकड़ लिया ताकि वो अपने लण्ड को उसके मुख में डालने से रुक जाए
आरती की हथेली में जैसे ही रामू का लण्ड आया वो थोड़ा सा रुके और अपनी कमर को आरती के हाथों में ही आगे पीछे करने लगे। आरती भी खुश और बहुत ही सलीके से उसने रामू के लण्ड को सहलाते हुए अपने चेहरे पर मलने लगी थी
रामू- चूस इसे अभी आआआआअह्ह
आरती- प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज काका आआआआअह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्शह ऐसे ही कर देती हूँ प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
अपनी मम्मी को ऐसे गिड़गिड़ाते देख सोनल को बहुत ही गुस्सा आ रहा था लेकिन अभी वो आगे नही बढी थी,वो देखना चाह रही थी उसकी मम्मी कितना गिरती हैं। तभी फिर रामू की आवाज आई।
रामु- चूस ले थोड़ा बड़ा मजा आएगा कर्दे रण्डी,
आरती के कानों पर जैसे ही यह बात टकराई वो सुन्न हो गई थी तो क्या अब काका उसे रण्डी समझने लगे हैं।
आरती- उूुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममम आआआआआआआअह्ह
धीरे से रामु ने अपने लण्ड को उसके होंठों पर रख दिया था और उसके नरम नरम होंठों के अंदर धकेलने लगता
रामू- चूस ले तुझे भी तो मजा आता है उसका तो बहुत मजे में चूसा था मेरा क्यों नहीं
और धीरे धीरे वो अपने लण्ड को आरती के मुख में आगे पीछे करने लगा था
आरती के जेहन में बहुत सी बातें चल रही थी पर उसका पूरा ध्यान अपने मुख में लिए हुए रामू काका के लण्ड पर था वो थोड़ा सा भी इधर-उधर ध्यान देती थी तो, रामू काका के धक्के से लण्ड उसके गले तक चला जाता था इसलिए वो बाकी चीजो को ध्यान हटाकर बस रामू काका के लण्ड पर ही अपना ध्यान देने लगी थी अब उसे वो इतना बुरा नहीं लग रहा था
उनका लण्ड थोड़ा मोटा था और बहुत ही गरम था आरती रामु काका के लण्ड को अपने गले तक जाने से रोकने के लिए कभी-कभी अपने जीब से भी उसे रोकती पर रामू काका उसपर और भी जोर लगाते।
अब आरती की बाँहे रामू काका के कमर के चारो ओर थी और सिर पर काका के हाथ थे जो कि आरती के सिर को आगे पीछे कर रहे थे पर जैसे ही रामू ने देखा कि अब उन्हें जोर नहीं लगाना पड़ रहा है तो वो थोड़ा सा अपने हाथ को ढीला छोड़ दिया और आरती के गालों से खेलने लगे थे ।
सोनल भी अब देख कर हैरान थी कि इतनी आसानी से उस्की मम्मी उस गनदे लण्ड को मुह में लेकर चूसने लगी है।
आरती को भी थोड़ी सी राहत मिली जैसे ही उसके सिर पर से काका का हाथ हटा वो भी थोड़ा सा रुकी
रामु- रुक मत बहू करती जा देख कितना मजा आरहा है
आरती भी फिर से अपने मुख को उनके लण्ड पर चलाने लगी और अब तो उसे भी मजा आने लगा था इतनी गरम और नाजुक सी चीज को वो अपने मुख के साथ-साथ अपने जीब से भी प्यार करने लगी थी और अब तो वो खुद ही अपने चेहरे को आगे पीछे करके ऊपर की ओर देखने लगी थी ताकि जो वो कर रही है उससे काका को मजा आ रहा है कि नहीं
पर काका तो बस आखें बंद किए मज़े में सिसकारियाँ ले रहे थे
रामू- आआह्ह बहू तेरे मुँह का जबाब नहीं कितनी अच्छी है तू
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