Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:26 PM,
#25
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
आरती अब भी वही खड़ी हुई उसे जाते हुए देखती रही पर पीछे की ओर जाते हुए वो थोड़ा सा अंधेरे में ठिटका और पीछे मुड़कर एक बार फिर से आरती की ओर देखा और अंधेरे में गुम हो गया आरती अपने जगह पर खड़ी हुई उस अंधेरे में देखती रही और उस नजर वाले को तौलती रही वो अपने चारो ओर एक नजर दौड़ाई और धीरे से उस ओर चल दी जहां वो इंसान गायब हुआ था उसके शरीर में एक अजीब सी उमंग उठ रही थी

वो चलते-चलते अपने पीछे और आस-पास का जायजा भी लेती जा रही थी पर सब अपने में ही मस्त थे सभी का ध्यान अपनी अपनी शॉपिंग की ओर ही था और जल्दी से अपनी जगह लेने की कोशिश में थे कामया बहुत ही संतुलित कदमो से उस ओर जा रही थी

वो अब कॉरिडोर के साइड में आ गई थी पर उसे वो इंसान कही भी नहीं दिख रहा था वो थोड़ा और आगे की ओर चली पर वो नहीं दिखा वो अब बिल्कुल अंधेरे में थी और उसकी नजर उस नजर का पीछा कर रही थी जिसके लिए वो यहां तक आ गई थी पर वहां कोई नहीं था वो थोड़ा और आगे की ओर बढ़ी पर अंधेरा ही हाथ लगा वो कुछ और आगे बढ़ी तो उसे एक हल्की सी लाइट दिखी जो की शायद किसी के शॉप कम आफिस के अंदर से आ रही थी वो जिग्याशा बश थोड़ा और आगे की ओर हुई तो उसे वही इंसान एक दरवाजा खोलकर अंदर जाते हुए दिखा वो थोड़ी सी ठिटकि पर जाने क्यों वो पीछे की ओर देखते हुए आगे की ओर बढ़ती ही गई वो उस दरवाजे पर पहुँची ही थी कि अंदर से लाइट आफ हो गई और घुप अंधेरा छा गया

वो वही खड़ी रही और बहुत ही सधे हुए कदमो से आफिस डोर की चौखट को अपने हाथों से टटोल कर पकड़ा और थोड़ा सा आगे बढ़ी अंदर उसे वही आकृति अंधेरे में खड़ी दिखाई दी आरति ने एक बार फिर से अपने चारो ओर देखा कोई नहीं था वहां पर वो वही खड़ी रही शायद अंदर जाने की हिम्मत नहीं थी तभी वो आकृति अंधेरे से बाहर की ओर आती दिखाई दी वो धीरे-धीरे आरती की ओर बढ़ा रही थी और आरती की सांसें बहुत तेज चलने लगी थी वो अपनी जगह पर ही खड़ी-खड़ी अपनी सांसों को तेज होते और अपने शरीर को कपड़ों के अंदर टाइट होते महसुसू करती रही


अचानक ही वो आकृति उसके पास आ गई और उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर खींचने लगी धीमे से बहुत ही धीमे से आरती उस हाथ के खिन्चाव के साथ अंदर चली गई और वही अंदर उस इंसान के बहुत ही नजदीक खड़ी हो गई वो इंसान उसके बहुत की करीब खड़ा था और अपने घर में आए मेहमान की उपस्थित को नजर अंदाज नहीं कर रहा था वो खड़े-खड़े आरती की नंगी बाहों को अपने हाथों से सहला रहा था और उसके शरीर की गंध को अपने जेहन में बसा रहा था वो थोड़ी देर तो वैसे ही खड़ा-खड़ा आरती को सहलाता रहा और उसकी नजदीकिया महसूस करता रहा


आरती भी बिल्कुल निश्चल सी उस आकृति के पास खड़ी रही और उसकी हर हरकत को अपने में समेटने की कोशिश करती रही कि वो आकृति उसे छोड़ कर आरती के पीछे चली गई और डोर को अंदर से बंद कर दिया कमरे में एकदम से घुप अंधेरा हो गया हाथों हाथ नहीं सूझ रहा था पर आरती वही खड़ी रही और उस इंसान का इंतजार करती रही उसकी नाक में एक अजीब तरह की गंध ने जगह ले ली थी कुछ सिडन की जैसे की कोई पुराना ओफिस में होती है पानी और साफ सफाई की अनदेखी होने से पर आरती को वो गंध भी अभी अच्छी लग रही थी वो खड़ी-खड़ी काप रही थी ठंड के मारे नहीं सेक्स की आग में उस इंसान के हाथों के स्पर्श के साथ ही उसने अपने सोचने की शक्ति को खो दिया था

और वो सेक्स की आग में जल उठी थी कि तभी उस इंसान ने उसे पीछे से आके जकड़ लिया और ताबड तोड उसके गले और पीठ पर अपने होंठों के छाप छोड़ने लगा था वो बहुत ही उतावला था और जल्दी से अपने हाथों में आई चीज का इश्तेमाल कर लेना चाहता था उसे इस बात की कोई फिकर नहीं थी कि साड़ी कहाँ बँधी है या पेटिकोट कहाँ लगा था वो तो बस एक कामुक इंसान था और अपने हाथों में आए उस सुंदर शरीर को जल्दी से जल्दी भोगना चाहता था वो जल्दी में था और उसके हाथ और होंठ इस बात का प्रमाण दे रहे थे उसने आरती के शरीर से एक ही झटके में साड़ी और पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उन्हे उतार दिया और जल्दी में उसके शरीर से ब्लाउज के बटनो को भी खोलने लगा था आरती जो की उसके हर हरकत को अपने अंदर उठ रही उत्तेजना की लहर के साथ ही अपने काम अग्नि को
जनम दे रही थी वो भी उस इंसान का हर संभव साथ देने की कोशिश करती जा रही थी उसे कोई चिंता नहीं थी और वो भी उस इंसान का हर तरीके से साथ देती जा रही थी वो भी घूमकर, उस इंसान के गले लग गई थी अंधेरे में उसे कोई चिंता नहीं थी कि कोई उसे देखेगा या फिर क्या सोचेगा वो तो अपने आप में ही
नहीं थी वो तो सेक्स की भेट चढ़ चुकी थी और उस
इंसान का पूरा साथ दे रही थी उसके कपड़े उसके शरीर से अलग हो चके थे और वो पूरी तरह से नग्न अवस्था में उस इंसान की बाहों में थी और वो इंसान उसे अपनी बाहों में लेके जोर-जोर से किस कर रहा था और अपने हाथों को उसके पूरे शरीर में घुमा रहा था पर थोड़ी देर में ही उसकी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी और उसके एक ही झटके में आरती को अपनी गोद में उठा लिया और साइड में पड़ी हुई जमीन में रखी हुई चटाइ पर पटक दिया और अपने कपड़ों से जूझने लगा
वो भी अपने कपड़ों से आजाद हुआ और फिर आरती के होंठों को अंधेरे में ढूँढ़ कर उन्हें चूमने लगा था और आरती की चुचियों को अपने हाथों से जोर-जोर से दबाने लगा था आरती नीचे पड़ी हुई कसमसा रही थी और उसकी हर हरकत को सहने की कोशिश कर रही थी पर उसके दबाब के कारण उसके शरीर का हर हिस्सा आग में घी डाल रहा था आरती ने किसी तरह से अपने को उससे अलग करने की कोशिश की पर कहाँ वो तो जैसे जानवर बन गया था और आरती को निचोड़ता जा रहा था आरती की टांगों को भी एक ही झटके से उसने अपने पैरों से खोला और अपने लण्ड को उसकी चुत के द्वार पर रखकर एक जोरदार धक्का लगा दिया

आरती का पूरा शरीर ही उस धक्के से हिल गया और वो सिहर उठी पर जैसे ही उसने थोड़ी सांस लेने की कोशिश की कि एक ओर झटका और फिर एक ओर धीरे-धीरे झटके पर झटके और आरती भी अब तैयार हो गई थी उसे हर धक्के में नया आनंद मिलता जा रहा था और वो अपने सफर को चलने लगी थी ऊपर पड़े हुए इंसान ने तो जैसे गति पकड़ी थी उससे लगता था कि जल्दी में था और जल्दी-जल्दी अपने मुकाम पर पहुँचना चाहता था आरती भी अपनी दोनों जाँघो को खोलकर उस इंसान का पूरा साथ दे रही थी और अपने शरीर को उससे जोड़े रखा था वो बहुत ही नजदीक पहुँच चुकी थी अपने चरम सीमा को लगने ही वाली थी उस इंसान के हर धक्के में वो बात थी कि वो कब झड जाए उसे पता ही नहीं चलता वो धक्के के साथ ही अपने होंठों को उसके साथ जोड़े रखी थी पर जैसे ही धक्का पड़ता उसका मुख खुल जाता और एक लंबी सी सिसकारी उसके मुख से निकल जाती वो नीचे पड़ी हुई हर धक्के का जबाब अपनी कमर उठाकर देती जा रही थी


पर जैसे ही वो अपने चरम सीमा की ओर जाने लगी थी उसका पूरा शरीर अकड़ने लगा था और वो उस इंसान से और भी सटने लगी थी और अपने मुख से निकलने वाली सिसकारी और भी तेज और उत्तेजना से भरी हुई होती जा रही थी
कि तभी उस इंसान का बहुत सा वीर्य उसके चुत में छूटा और वो दो 4 जबरदस्त धक्कों के बाद वो उसके ऊपर गिर गया और नीचे जब आरती ने देखा कि वो इंसान उसके अंदर छूट चुका है तो वो उससे और भी चिपक गई और अपनी कमर को उठा कर हर एक धक्के पर अपनी चुत के अंदर एक धार सी निकलते महसूस करने लगी उसके होंठों को उसने भिच कर, उस इंसान के कंधो पर नाख़ून गढ़ा दिए थे और अपने हाथों को कस कर जकड़कर उस इंसान को अपने अंदर और अंदर ले जाना चाहती थी उसके मुख से के लंबी सी आहह निकली और
- कल से आप रोज आना प्लीज
- जी
आरती नीचे पड़े हुए अपनी सांसों को नियंत्रित करती हुई बोली
आरती- आज क्यों नहीं आए थे
- जी वो कुछ जवाब नही आगे।
कल से रोज आना मुझे ड्राइविंग सिखाने

वो इंसान और कोई नहीं मनोज अंकल ही थे वो मॉल में भी उसका आफिस था और आज वो जानबूझ कर नहीं गया था क्योंकी उसे डर था कि कही आरती ने शिकायत कर दी तो पर जैसे ही उसने आरती को मॉल में देखा तो वो अपनी सारी गलती भूल गया और आरती को अपने बंध आफिस के अंदर ले आया और आगे तो अपने ऊपर पढ़ ही लिया होगा

तो खेर दोनो अपने आपको शांत करके अब बिल्कुल निश्चल से पड़े हुए थे की मनोज ने अपने आपको उठाया और अंधेरे में ही टटोलते हुए अपने कपड़े और आरति के कपड़ों को उठा लिया और दोनों ही अंधेरे में तैयारी करने लगे जब वो कपड़े पहनकर तैयार हुए तो उसे अपनी परिस्थिति का ध्यान आया वो कहाँ है और कैसी स्थिति में है उसके मन में एक डर घर कर गया था आरती ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए और अंधेरे में ही बाहर की ओर जाने लगी थी


पर मनोज ने उसे रोक लिया वो पहले बाहर की ओर बढ़ा और दरवाजा खोलकर बाहर एक नजर डाली वहां किसी को ना देखकर वो संतुष्ट हो गया पर जिसको जो देखना था देख कर जा चुकी थी और इशारे से आरती को बुलाया और बाहर को जाने को इशारा किया। आरती भी नजर झुकाए तुरंत बाहर निकल गई और जल्दी से गार्डेन की ओर दौड़ पड़ी जब वो
गार्डेन तक आई तो वहां सबकुछ नार्मल था किसी को भी उसका ध्यान नहीं था वो वही खड़ी हुई अपने बाल और चेहरे को ठीक करने लगी थी कि उसने सोनल को पार्क की सीढ़ियाँ उतरते देखा वो भी थोड़ा सा आगे होकर सोनल के पास चली गई। सोनल टक्सी के अंदर बैठ गई और आरति भी और टक्सी उनके घर की ओर चल दी
पर आरती का
ध्यान अपने आज के अनुभव की ओर ज्यादा था वो बहुत खुश थी और अपने सुख की चिंता अब वो करने लगी थी उसके तन की आग बुझ चुकी थी।
अब उसके पास दो ऐसे लोग थे जो की सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके तन के लिए कुछ भी कर सकते थे उसकी सुंदरता की पूजाकरने वाले और उसके रूप के दीवाने

अब उसे कोई फरक नहीं पड़ता कि उसका पति उसे इंपार्टेन्स देता है कि नहीं उसे इंपार्टेन्स देने वाला उसे मिल गया था सोचते सोचते वो कब घर पहुँच गई पताही नहीं चला पर घर पहुँचकर वो अब एक बिंदास टाइप की हो गई थी

उसके चाल में एक लचक थी और बेफिक्री भी वो जल्दी से अपने कमरे में गई और बाथरूम में घुस गई

चेंज करते-करते उसके पति भी आ गये थे सभी अपने अपने काम से लगे हुए खाने की टेबल पर भी पहुँच गये और फिर अपने कमरे में भी

रवि का कोई इंटेरेस्ट नहीं था सेक्स के लिए और वो कुछ पेपर्स लिए हुए उन्हें पढ़ रहा था आरती भी रवि के पास आकर लेट गई थोड़ा सा मुस्कुराता हुआ
रवि- सो जाओ थोड़ी देर मैं में सोता हूँ

आरती- हाँ…
और पलटकर वो सो गई उसे कोई फरक नहीं पड़ा कि रवि उससे प्यार करता है कि नहीं या फिर उसके लिए उसके पास टाइम है कि नहीं

सुबह भी वैसे ही टाइम टेबल रहा पर हाँ… आरती में चेंज आया था वो सिर्फ़ आरती ही जानती थी आरती अब बेफिक्र थी अपने पति की ओर से वो जानती थी कि उसका पति सिर्फ़ और सिर्फ़ पैसे के पीछे भागने वाला है और उसके जीवन में कुछ और नहीं है तो वो भी अपने सुख को अपने तरीके से ढूँढ कर अपने जीवन में लाने की कोशिश करने लगी थी

रवि के जाने के बाद सोनल को लेने आज बस आयी। अब वो खुश थी कि शाम को अंकल के साथ वो ड्राइविंग करने जा सकती है और अभी भी वो रामू को अपने कमरे में बुला सकती है वो अब सेक्स की चिता में बैठ चुकी थी उसे अब उस आग में जलने से कोई नहीं रोक सकता था और वो अपने को तैयार भी कर चूकी थी। लेकिन उसे नही मालूम था कि घर मे एक और इंसान में चेंज आ चुका था । वो थी सोनल।
उसने फैसला किया कि जैसे उसकी मम्मी पापा को धोखा दे रही है वैसे वो भी अब मम्मी को धोखा देकर अपने पापा से नजदीकियां बढ़ाई गी। और सोनल अपने पापा के साथ ही यह मज़ा लेने की सोचने लगी और सोचने लगी कि कैसे पापा के साथ मज़ा लिया जाए?

आज जैसे तैसे करके में स्कूल जाने के लिए तैयार हुई और ड्रेस पहनकर बाहर आई तो नाश्ते की टेबल पर पापा से सामना हुआ, सोनल रोज सुबह पापा को गुड मॉर्निंग किस करके विश करती थी. तो तब उस दिन भी पापा को किस करके ही विश किया, लेकिन इस बार सोनल ने कुछ ज़्यादा ही गहरा किस किया और थोड़ा अपनी जीभ से उनके गाल को थोड़ा चाट लिया, जिससे उसके पापा पर कुछ असर तो हुआ, लेकिन उन्होंने आरति सामने ज़ाहिर नहीं किया था.

अब सोनल उनके ठीक सामने जाकर कुर्सी पर बैठकर नाश्ता करने लगी थी और फिर नाश्ता करने के बाद सोनल स्कूल की बस पकड़ने के लिए बाहर जाने लगी, लेकिन उसका मन पापा को छोड़कर जाने का नहीं हो रहा था, तो तब सोनल बाहर तो गयी, लेकिन कुछ देर के बाद वापस आकर सोनल ने बहाना बनाया की मेरी बस निकल चुकी है.

अब ऐसी स्थिति में रवि स्कूल छोड़कर आया करते थे, तो तब आरती बोली कि जा पापा से कह दे, वो तुझे स्कूल छोड़ आएँगे. फिर सोनल खुशी-खुशी पापा के कमरे में गयी. अब पापा सिर्फ़ अपने पजामे में थे. फिर सोनल ने पापा से कहा तो रवि सोनल को स्कूल छोड़ने के लिए राज़ी हो गये. अब रवि अपनी पेंट पहनने लगे थे. फिर सोनल ने उनके हाथ से पेंट लेते हुए कहा कि पापा पजामा ही रहने दीजिए, में लेट हो रही हूँ. तो तब रवि बोले कि ठीक है, में टी-शर्ट तो पहन लूँ, तू मेरा बाहर इन्तजार कर, तो सोनल बाहर आकर इन्तजार करने लगी.

रवि सोनल को स्कूल कार में ही छोड़ते थे,

सोनल का स्कूल घर से लगभग 10 किलोमीटर दूर था, रास्ता लंबा था और सुबह का वक़्त था, तो रोड सुनसान थी. फिर जब दोनो घर से 2 किलोमीटर दूर आ गये, तो तब सोनल ने रवि से कहा कि गाड़ी में चलाऊँगी. तो तब रवि बोले कि बेटी तुझसे गाड़ी नहीं चलेगी, तो सोनल तो ज़िद्द करने लगी. तो तब रवि परेशान होकर बोले कि ठीक है, लेकिन स्टेरिंग में ही पकडूँगा. अब सोनल को अपना प्लान कामयाब होता दिख रहा था.

फिर तब सोनल ने कहा कि ठीक है और रवि ने गाड़ी साईड में रोककर सोनल को अपने आगे बैठाया और सोनल की बगल में से अपने दोनों हाथ डालकर स्टेरिंग पकड़ा और धीरे-धीरे चलाने लगे. लेकिन अब गाड़ी चलाने में किसका ध्यान था? अब सोनल का ध्यान तो रवि के पजामे में लटके उनके लंड पर था. तो तभी गाड़ी जैसे ही खड्डे में गयी, तो सोनल ने हिलने का बहाना करके उनका लंड ठीक अपनी गांड के नीचे दबा लिया.

अब रवि कुछ अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे. अब सोनल अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी थी. अब गर्मी पाकर उनका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था, जिससे सोनल को भी मस्ती आने लगी थी. अब रवि को भी मज़ा आ रहा था और फिर इस तरह मस्ती करते हुए सोनल स्कूल पहुँच गयी.

रवि को जाते वक़्त सोनल ने एक बार फिर से किस किया. अब रवि शायद सोनल को लेकर कुछ परेशान हो गये थे और सोनल की तो पूछो मत, उसकी हालत तो इतना करने में ही बहुत खराब हो गयी थी और उसकी पेंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि उसे लग रहा था उसकी स्कर्ट खराब ना हो जाए.उसने पहले स्कूल के टॉइलेट में जाकर अपनी चुत साफ की फिर क्लास में गयी।
फिर पूरे दिन स्कूल में उसके दिमाग में अपने पापा का लंड ही घूमता रहा और अब उसका दिल कर रहा था कि वो पापा के लंड पर ही बैठी रहै. अब पता नहीं उसे क्या हो गया था? ऐसा कौन सा वासना का तूफान मेरे अंदर था कि सोनल अपने पापा से चुदने के लिए ही सोचने लगी थी. तभी क्लास में पियून आता है और सोनल को कहता है कि प्रिंसीपल सर ने बुलाया है।
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