Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:23 PM,
#10
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
और उधर आरती का तो सारा शरीर ही आग में जल रहा था जैसे ही रामु काका का हाथ उसके कंधे पर टकराया उसके अंदर तक सेक्स की लहर दौड़ गई उसके पूरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गये और शरीर काँपने लगा था उसे ऐसे लग रहा था कि वो बहुत ही ठंडी में बैठी है, वो किसी तरह से ठीक से बैठी थी पर उसका शरीर उसका साथ नहीं दे रहा था वो ना चाहते हुए भी थोड़ा सा तनकर बैठ गई उसकी दोनों चूचियां अब सामने की ओर बिल्कुल कोई माउंटन पीक की तरह से खड़ी थी और सांसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी उसकी सांसों की गति भी बढ़ गई थी रामू के सिर्फ़ दोनों हाथ उसके कंधे पर छूने जैसा ही एहसास उसके शरीर में वो आग भर गया था जो कि आज तक आरती ने अपने पूरे शादीशुदा जिंदगी में महसूस नहीं किया था

आरती अपने आपको संभालने की पूरी कोशिश कर रही थी पर नहीं संभाल पा रही थी वो ना चाहते हुए भी रामू काका से टिकने की कोशिश कर रही थी वो पीछे की ओर होने लगी थी ताकि रामु काका से टिक सके
उसके इस तरह से पीछे आने से रामु भी थोड़ा आगे की ओर हो गया अब रामू का पेट से लेकर जाँघो तक आरति टिकी हुई थी उसका कोमल और नाजुक बदन रामु के आधे शरीर से टीके हुए उसके जीवन काल का वो सुख दे रहे थे जिसकी कि कल्पना रामु ने नहीं सोची थी रमु के हाथ अब पूरी आ जादी से आरती के कंधे पर घूम रहे थे वो उसके बालों को हटा कर उसकी गर्दन को अपने बूढ़े और मजबूत हाथों से स्पर्श कर आरती के शरीर का ठीक से अवलोकन कर रहा था वो अब तक आरती के शरीर से उठ रही खुशबू में ही डूबा हुआ था और उसके कोमल शरीर को अपने हाथों में पाकर नहीं सोच पा रहा था कि आगे वो क्या करे पर हाँ… उसके हाथ आरती के कंधे और बालों से खेल रहे थे आरती का सर उसके पेट पर था और वो और भी पीछे की ओर होती जा रही थी आगर रामू उसे पीछे से सहारा ना दे तो वो धम्म से जमीन पर गिर जाए वो लगभग नशे की हालत में थी और उसके मुख से धीमी धीमी सांसें चलने की आवाज आ रही थी उसके नथुने फूल रहे थे और उसके साथ ही उसकी छाती भी अब कुछ ज्यादा ही आगे की ओर हो रही थी

रामु खड़ा-खड़ा इस नज़ारे को देख भी रहा था और अपनी जिंदगी के हँसीन पल को याद करके खुश भी हो रहा था वो अपने हाथों को आरती की गर्दन पर फेरने से नहीं रोक पा रहा था अब तो उसके हाथ उसके गर्दन को छोड़ उसके गले को भी स्पर्श कर रहे थे आरती जो कि नशे की हालत में थी कुछ भी सोचने और करने की स्थिति में नहीं थी वो बस आखें बंद किए रामू के हाथों को अपने कंधे और गले में घूमते हुए महसूस भरकर रही थी और अपने अंदर उठ रहे ज्वार को किसी तरह नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रही थी उसके छाती आगे और आगे की ओर हो रहे थे सिर रामु के पेट पर टच हो रहा था कमर नितंबों के साथ पीछे की ओर हो रही थी

बस रामू इसी तरह उसे सहलाता जाए या फिर प्यार करता जाए यही आरती चाहती थी बस रुके नहीं उसके अंदर की ज्वाला जो कि अब किसी तरह से रामु को ही शांत करना था वो अपना सब कुछ भूलकर रामू का साथ देने को तैयार थी और रामू जो कि पीछे खड़े-खड़े आरती की स्थिति का अवलोकन कर रहा था और जन्नत की किसी अप्सरा के हुश्न को अपने हाथों में पाकर किस तरह से आगे बढ़े ये सोच रहा था वो अपने आप में नहीं था वो भी एक नशे की हालत में ही था नहीं तो आरती जो कि उसकी मालकिन थी उसके साथ उसके कमरे मे आज इस तरह खड़े होने की कल्पना तो दूर की बात सोच से भी परे थी उसके पर आज वो आरती के कमरे में आरती के साथ जो कि सिर्फ़ एक ब्लाउस और पेटीकोट डाले उसके शरीर से टिकी हुई बैठी थी और वो उसके कंधे और गले को आराम से सहला रहा था अब तो वो उसके गाल तक पहुँच चुका था कितने नरम और चिकने गाल थे आरती के और कितने नरम होंठ थे अपने अंगूठे से उसके होंठों को छूकर देखा था रामू ने । रामू थोड़ा सा और आगे की ओर हो गया ताकि वो आरती के होंठों को अच्छे से देख और छू सके रामू के हाथ अब आरती की गर्दन को छू कर आरती के गालों को सहला रहे थे। आरती भी नशे में थी सेक्स के नशे में और कामुकता तो उसपर हावी थी ही रामू अब तक अपने आपको आरती के हुश्न की गिरफ़्त में पा रहा था वो अपने को रोकने में असमर्थ था वो अपने सामने इतनी सुंदर स्त्री को को पाकर अपना सूदबुद खो चुका था उसके शरीर से आवाजें उठ रही थी वो आरती को छूना चाहता था और चूमना चाहता था सबकुछ छूना चाहता था रामू ने अपने हाथों को आरती की चिन के नीचे रखकर उसकी चिन को थोड़ा सा ऊपर की ओर किया ताकि वह उसके होंठों को ठीक से देख सके आरती भी ना नुकर ना करते हुए अपने सिर को उँचा कर दिया ताकि रामू जो चाहे कर सके बस उसके शरीरी को ठंडा करे

उसके शरीर की सेक्स की भूख को ठंडा कर दे उसकी कामाग्नी को ठंडा करे बस रामू उसको इस तरह से अपना साथ देता देखकर और भी गरमा गया था उसके धोती के अंदर उसका पुरुष की निशानी अब बिल्कुल
तैयार था अपने पुरुषार्थ को दिखाने के लिए रामू अब सबकुछ भूल चुका था उसके हाथ अब आरती के गालों को छूते हुए होंठों तक बिना किसी झिझक के पहुँच जाते थे वो अपने हाथों के सपर्श से आरती की स्किन का अच्छे से छूकर देख रहा था उसकी जिंदगी का पहला एहसास था वो थोड़ा सा झुका हुआ था ताकि वो आरती को ठीक से देख सके। आरती भी चेहरा उठाए चुपचाप रामु को पूरी आजादी दे रही थी कि जो मन में आए करो और जोर-जोर से सांस ले रही थी । रामू की कुछ और हिम्मत बढ़ी तो उसने आरती के कंधों से उसकी चुन्नी को उतार फैका और फिर अपने हाथों को उसके कंधों पर घुमाने लगा उसकी नजर अब आरती के ब्लाउज के अंदर की ओर थी पर हिम्मत नहीं हो रही थी एक हाथ एक कंधे पर और दूसरा उसके गालों और होंठों पर घूम रहा था
रामु की उंगलियां जब भी आरती के होंठों को छूती तो आरती के मुख से एक सिसकारी निकल जाति थी उसके होंठ गीले हो जाते थे रामू की उंगलियां उसके थूक से गीले हो जाती थी । रामू भी अब थोड़ा सा पास होकर अपनी उंगली को आरती के होंठों पर ही घिस रहा था और थोड़ा सा होंठों के अंदर कर देता था

रामु की सांसें जोर की चल रही थी उसका लण्ड भी अब पूरी तरह से आरती की पीठ पर घिस रहा था किसी खंबे की तरह था वो इधर-उधर हो जाता था एक चोट सी पड़ती थी आरती की पीठ पर जब वो थोड़ा सा उसकी पीठ से दायां या लेफ्ट में होता था तो उसकी पीठ पर जो हलचल हो रही थी वो सिर्फ़ आरती ही जानती थी पर वो रामु को पूरा समय देना चाहती थी रामू की उंगली अब आरती के होंठों के अंदर तक चली जाती थी उसकी जीब को छूती थी आरती भी उत्तेजित तो थी ही झट से उसकी उंगली को अपने होंठों के अंदर दबा लिया और चूसने लगी थी आरती का पूरा ध्यान रामू की हरकतों पर था वो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था वो अब नहीं रुकेगा हाँ… आज वो रामु के साथ अपने शरीर की आग को ठंडा कर सकती है वो और भी सिसकारी भरकर थोड़ा और उँचा उठ गई रामू के हाथ जो की कंधे पर थे अब धीरे-धीरे नीचे की ओर उसकी बाहों की ओर सरक रहे थे वो और भी उत्तेजित होकर रामु की उंगली को चूसने लगी रामू भी अब खड़े रहने की स्थिति में नहीं था


वो झुक कर अपने हाथों को आरती की बाहों पर घिस रहा था और साथ ही साथ उंगलियों से उसकी चुचियों को छूने की कोशिश भी कर रहा था पर आरती के उत्तेजित होने के कारण वो कुछ ज्यादा ही इधर-उधर हो रही थी तो रामू ने वापस अपना हाथ उसके कंधे पर पहुँचा दिया और वही से धीरे से अपने हाथों को उसके गले से होते हुए उसकी चुचियों पहुँचने की कोशिश में लग गया उसका पूरा ध्यान आरती पर भी था उसकी एक ना उसके सारी कोशिश को धूमिल कर सकती थी इसलिए वो बहुत ही धीरे धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था आरती का शरीर अब पूरी तरह से रामू की हरकतों का साथ दे रहे थे वो अपनी सांसों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी तेज और बहुत ही तेज सांसें चल रही थी उसकी उसे रामु के हाथों का अंदाजा था कि अब वो उसकी चूची की ओर बढ़ रहे है उसके ब्लाउज के अंदर एक ज्वार आया हुआ था उसके सांस लेने से उसके ब्लाउज के अंदर उसकी चूचियां और भी सख़्त हो गई थी निपल्स तो जैसे तनकर पत्थर की तरह ठोस से हो गये थे वो बस इंतजार में थी कि कब रामु उसकी चूचियां छुए और तभी रामू की हथेली उसकी चुचियों के उपर थी बड़ी बड़ी और कठोर हथेली उसके ब्लाउज के उपर से उसके अंदर तक उसके हाथों की गर्मी को पहुँचा चुकी थी आरती थोड़ा सा चिहुक कर और भी तन गई थी रामू जो कि अब आरती की गोलाईयों को हल्के हाथों से टटोल रहा था ब्लाउज के उपर से और उपर से उनको देख भी रहा था और अपने आप पर यकीन नहीं कर पा रहा था कि वो क्या कर रहा था सपना था कि हकीकत था वो नहीं जानता था पर हाँ… उसकी हथेलियों में आरती की गोल गोल ठोस और कोमल और नाजुक सी रूई के गोले के समान चुचियाँ थी जरूर वो एक हाथ से आरती की चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही टटोल रहा था या कहिए सहला रहा था और दूसरे हाथ से आरती के होंठों में अपनी उंगलियों को डाले हुए उसके गालों को सहला रहा था वो खड़ा हुआ अपने लण्ड को आरती की पीठ पर रगड़ रहा था और आरती भी उसका पूरा साथ दे रही थी कोई ना नुकर नहीं था उसकी तरफ से आरती का शरीर अब उसका साथ छोड़ चुका था अब वो रामु के हाथ में थी उसके इशारे पर थी अब वो हर उस हरकत का इंतजार कर रही थी जो रामू करने वाला था।
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