RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
एक पल के लिए बिंदया के हाथ-पाँव मानो जैसे सुन्न पड़ गए हों।
उसे ऐसा लग रहा था, मानो जैसे उसके पैरों में खड़े रहने की जान ही ना बची हो।
दूसरे कमरे के अन्दर ठीक उसकी आँखों के सामने नीलम का बेटी-बेटा बिस्तर पर एक किनारे पर सो रहे थे और दूसरी तरफ रघु बिस्तर पर नीचे पैर लटका कर बैठा हुआ था।
उसके तन से उसकी धोती गायब थी और उसका 7 इंच लम्बा काले रंग का लण्ड हवा में झटके खा रहा था, पर नीलम उसे दिखाई नहीं दे रही थी।
रघु कमरे के उस कोने की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए.. लगातार अपने लण्ड को मुठिया रहा था, जिससे उसके काले रंग के लण्ड की चमड़ी जब पीछे होती और उसका गुलाबी रंग का सुपारा बिंदया की आँखों के सामने आ जाता।
बिंदया ने उस छेद से उस तरफ देखने की कोशिश की जिस तरफ देखते हुए रघु मुठ्ठ मार रहा था, पर उसे छोटे से छेद से कमरे के उस कोने के तरफ की कोई भी चीज नज़र नहीं आ रही थी।
बिंदया अपनी साँसें थामे हुए.. उस शख्स को देखने का इंतजार कर रही थी, जो उस समय वहाँ मौजूद था और ऊपर से लालटेन की रोशनी भी कम थी।
तभी बिंदया को वो शख्स दिखाई दिया, जिसके बारे में उसके मन में आशंका थी।
नीलम रघु की काकी बड़ी ही मस्तानी चाल के साथ रघु की तरफ बिस्तर की ओर बढ़ रही थी।
उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था।
नीलम के ब्लाउज के हुक खुले हुए थे और उसकी साड़ी उसके बदन पर नहीं थी, नीचे सिर्फ़ पेटीकोट ही था।
नीलम की 40 साइज़ की बड़ी-बड़ी चूचियाँ ब्लाउज के पल्लों को हटाए हुए बाहर की तरफ हिल रही थीं।
जैसे ही नीलम बिस्तर के पास पहुँची.. वो अपने पैरों पर मूतने वाले अंदाज़ में रघु के सामने नीचे बैठ गई और उसके हाथ को उसके लण्ड से हटा कर खुद उसके लण्ड को पकड़ लिया और उसकी और देखते हुए बोली- आज तो सच में सुबह से मेरी चूत में खुजली और बढ़ गई है.. ये सोच कर कि जिस लण्ड को मैं इतने बरसों से अपनी चूत में ले रही हूँ, वो अब मेरी उस सौत की चूत को चोदेगा.. जिससे तुम ब्याह कर लिया है मेरे लाला..
रघु- क्या काकी.. मैं तो सुहागरात भी तुम्हारे साथ ही मनाऊँगा.. वो साली तो ऐसे चिल्लाने लगी.. जैसे अभी चीख-चीख कर गाँव को इकठ्ठा कर लेगी।
नीलम ने रघु के लण्ड के गुलाबी सुपारे पर अपनी ऊँगलियाँ घुमाते हुए कहा- मैंने तो पहले ही तुझसे कहा था.. वो साली रांड तुझे वो सुख कभी नहीं दे पायगी… जो इतने सालों से मैं तुझे अपनी चूत में तेरा लण्ड डलवा कर देती आई हूँ।
रघु- हाँ काकी.. मैं तो शुरू से ही तुम्हारा गुलाम रहा हूँ, वो तो मेरा दिमाग़ खराब हो गया था, जो उससे शादी कर ली.. देख ना काकी तेरी मस्त चूचियों को देख कर मेरा लौड़ा कैसे तन गया है।
नीलम- हाँ देख रही हूँ मेरे लाला.. मेरी चूत भी तो तेरे लण्ड को देखते ही पानी छोड़ने लगती है। मैं कैसे बर्दाश्त करती.. इस लण्ड को किसी और की चूत में घुसता देख कर… जिससे मैंने रोज मालिश करके इतना तगड़ा बनाया है.. याद है जब तूने मुझे पहली बार चोदा था.. तब तू इतना छोटा था कि सारा दिन तेरी नाक बहती रहती थी।
रघु ने धीमे स्वर में हँसते हुए कहा- हाँ काकी.. खूब याद है, तुमने ही तो मुझे चोदना सिखाया था।
नीलम ने नखरे से मुसकराते हुए कहा- चल हट बदमाश.. तूने ही तो उस उम्र में भी मेरी चूत की आग बढ़ा दी थी।
रघु- वो काकी.. तब तो मैं नादान था। वो तो मुझे पता भी नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूँ।
नीलम- अच्छा छोड़ ये सब.. आज कितने दिनों बाद मेरी चूत और जीभ तेरे लण्ड का स्वाद चखने वाली है… खाली गप्पें लगा कर वक्त बर्बाद ना कर मेरे लाल.. मेरे भोसड़ी में आग लगी हुई है, अब तो मुझे ये तेरा लौड़ा अपनी चूत में लेने दे।
यह कहते हुए नीलम ने झुक कर रघु के लण्ड के सुपारे पर अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी ओर देखते हुए.. चारों तरफ से चाटने लगी।
रघु ने पलक झपकते ही.. नीलम के बालों को कस कर पकड़ लिया।
‘आह चूस साली रांड.. ओह बहुत अच्छा चूसती है तू.. ओह साली दिल करता है… दिन-रात तेरी चूत और मुँह में लौड़ा पेजया रहूँ।’
नीलम ने रघु की ओर बनावटी गुस्से से देखते हुए कहा- धीरे.. बच्चे सो रहे हैं.. कहीं देख लिया तो?
रघु ने नीलम के सर को पकड़ कर अपने लण्ड पर झुकाते हुए कहा- तू चूस ना साली… मुझे पता है, जब तक तू मेरे साथ है, कोई बहन का लौड़ा मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
नीलम ने एक बार रघु की ओर देखा फिर अपने बच्चों की तरफ देखा और फिर अपने होंठों को खोल कर रघु के लण्ड के सुपारे को मुँह में ले लिया।
रघु की आँखें मस्ती में बंद हो गईं।
ये नज़ारा देख कर बिंदया एकदम से हैरान रह गई।
उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि आख़िर उसके साथ हो क्या रहा है।
उसकी आँखों से आँसू सूखने का नाम नहीं ले रहे थे, पर अब उसे भी अपनी चूत की बीच नमी महसूस होने लगी थी।
उधर नीलम रघु के लण्ड को मुँह के अन्दर-बाहर करते हुए चूस रही थी और रघु अपने एक हाथ से उसकी चूचियों को मसल रहा था। बीच-बीच में नीलम अपनी जीभ की नोक से उसके लण्ड के पेशाब वाले छेद को कुरेद देती और रघु एकदम से मचल उठता।
तभी उसने नीलम को उसके कंधों से पकड़ कर ऊपर उठा लिया।
जैसे ही नीलम सीधी खड़ी हुई.. रघु ने उसके पेटीकोट के नाड़े को पकड़ कर खींच दिया।
इससे पहले के नीलम का पेटीकोट सरक कर नीचे गिरता.. नीलम ने उससे लपक कर थाम लिया।
‘आह्ह.. क्या कर रहे हो..? इसे क्यों खोल रहे हो, अगर बच्चे उठ गए और मुझे इस हालत में देख लिया तो..?’ नीलम ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा।
रघु ने नीलम के हाथों से उसके पेटीकोट को छुड़ाते हुए कहा- काकी जब तक तुझे नंगा करके नहीं चोद लेता.. मेरा लण्ड नहीं झड़ता.. तुम्हें तो मालूम है।
ये कहते ही, रघु ने अपनी काकी नीलम का पेटीकोट को पकड़ कर नीचे सरका दिया..
अब नीलम के बदन सिर्फ़ एक ब्लाउज रह गया था, वो भी आगे से पूरा खुला हुआ था।
जैसे ही नीलम के बदन से पेटीकोट अलग हुआ.. रघु ने अपने हाथों को पीछे ले जाकर नीलम की मांसल गाण्ड को अपने हाथों में भर कर मसलना चालू कर दिया।
नीलम की आँखें मस्ती में बंद हो गईं, उसके पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई। रघु दोनों पैरों को लटका कर बिस्तर के किनारे बैठा हुआ था।
नीलम रघु से लिपटे हुए.. अपने दोनों पैरों को रघु के दोनों तरफ बिस्तर के किनारों पर रख कर उकड़ू होकर बैठ गई।
उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर रघु के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अपनी चूत को रघु के लण्ड के सुपारे पर दबाने लगी।
रघु का लण्ड फिसजया हुआ नीलम की चूत की गहराईयों में घुसने लगा। जैसे ही रघु का पूरा लण्ड नीलम की चूत की गहराईयों में समाया, नीलम ने अपनी बाँहों को रघु की पीठ पर कस लिया और अपनी गाण्ड को ऊपर-नीचे उछाल कर रघु के लण्ड से चुदवाने लगी।
नीलम ने पूरी रफ़्तार से अपनी चूत को रघु के लण्ड पर पटकते हुए सीत्कार भरी, ‘आह ह.. हाँ बेटा.. मसल मेरी गाण्ड को.. ओह तेरे लण्ड के बिना नहीं रह सकती.. ओह ओह्ह और ज़ोर से चोद अपनी काकी को.. ओह्ह माआआ मर गई ओह्ह आह्ह.. आह्ह..’
रघु के दोनों हाथ नीलम के मांसल चूतड़ों को ज़ोर-ज़ोर से मसल रहे थे। उधर दूसरे कमरे में खड़ी बिंदया की हालत ये नज़ारा देख कर खराब हुई जा रही थी और दूसरे कमरे में चुदाई का खेल अपने जोरों पर था।
आख़िर बिंदया कब तक ये सब सहन करती.. उसका पति उसके सामने ही अपनी काकी को चोद रहा है।
वो भी अपनी शादी की सुहागरात को अपनी नई ब्याही पत्नी को छोड़ कर….
अब बिंदया से बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेज से नीचे उतरी और गुस्से से बौखलाई हुई.. अपने कमरे से बाहर आई और नीलम के कमरे के सामने पहुँच कर दरवाजे पर दस्तक दी, पर तब तक दोनों झड़ चुके थे।
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