RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
रमेश अब रुका नही और उसने ज़ोर ज़ोर से रिया को पेलना जारी रखा
हाई हाई हा आह आह आह उम्म्म्ममममम ओह ओह
रिया दर्द भरी सिसकियाँ फिर से लेने लगी और खचाखच रमेश का लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था.
दर्द भरी सिसकियाँ मस्ती में बदलने लगी रिया की चूत ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया
और कमरे में फॅक फॅक फॅक का संगीत गूंजने लगा
यस यस हार्डर हार्डर, फास्टर --------चोदो चोदो और ज़ोर से चोदो
अब तक इतना क्यूँ तडपाया – ये मज़ा पहले क्यूँ नही दिया
जो मुँह में आ रहा था रिया बोले जा रही थी और ज़ोर ज़ोर से अपनी गान्ड उछाल रही थी.
कमरे में तूफान आ चुका था जो जिस्म बिजली की गति से टकरा रहे थे.
आआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
एक ज़ोर की चीख के साथ रिया झाड़ गई और बुरी तरहा रमेश से चिपक गई.
रिया को उसके ओर्गसम का मज़ा देने के लिए रमेश थोड़ी देर रुक गया और उसके निपल चूसने लग गया.
रिया की चूत में एक सैलाब सा आ गया था जो रमेश के लंड को नहला रहा था.
रिया थोड़ी ढीली पड़ी और रमेश के धक्के फिर चालू हो गये. फिर से रिया को मस्ती चढ़ने लगी और सिसकियाँ भरते हुए रमेश का साथ देने लगी.
दोनो के होंठ फिर जुड़ गये और रमेश के धक्के बहुत तेज हो गये रिया भी उसी स्पीड के साथ रमेश का साथ देने लगी और थोड़ी देर बाद
दोनो ही एक चीख के साथ साथ साथ झड़ने लगे. रिया की चूत ने रमेश के लंड को जाकड़ लिया जो उसके अंदर अपने वीर्य की बौछार कर रहा था.
दोनो बुरी तरह एक दूसरे से चिपक के हाँफने लगे.
मस्ती का आलम जब शांत हुआ तो रमेश रिया के उपर से हट के उसकी बगल में लेट गया.
दोनो को इतना सकुन पहुँचा था कि दोनो की आँखें उस आनंद को समेटते हुए बंद हो गई और दोनो ही नींद के आगोश में चले गये.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उधर ऋतु रवि की गोद में बैठी हुई थी और रवि उसके होंठ चूस रहा था.
ऋतु के हाथ उसके सर को सहला रहे थे . धीरे धीरे दोनो गरम होने लगे और ऋतु ने उठ कर रवि के कपड़े उतार डाले.
अब दोनो नंगे एक दूसरे के सामने थे, दोनो की आँखों में एक दूसरे का नंगा जवान जिस्म लहरा रहा था.
पता ही नही चला दोनो फिर एक दूसरे से चिपक गये.
दोनो के होंठ फिर आपस में जुड़ गये और रवि का लंड ऋतु की चूत पे दस्तक देने लगा. ऋतु अपना हाथ नीचे ले जाकर रवि के लंड को अपनी चूत पे रगड़ने लगी और रवि उसकी गान्ड को मसल्ने लगा.
साँसे उखाड़ने लगी तो दोनो के होंठ मजबूरन अलग हो गये.
‘मुझ से कितना प्यार करता है हाई’
‘मेरी जान माँग ले ना नही करूँगा’
‘जान ले लूँगी तो मैं कैसे जीउन्गि पगले’
ऋतु रवि के लंड को मसलती जा रही थी.
‘मेरी एक फॅंटेसी पूरी करेगा?’
‘फॅंटेसी ….?’
‘हां मेरा बहुत दिल करता है एक रंडी की तरहा दो लंड एक साथ लेने के लिए’
‘ऋितुउुुुुुउउ!’ रवि लगभग चिल्ला पड़ा
‘ठीक है तुझे अच्छा नही लगता तो कोई बात नही मैने तो अपने दिल बात करी थी’
‘ऋतु ये कैसे…..’
‘हो सकता है भाई – बस तू हां कर दे’
‘लेकिन दूसरा कौन?’
‘सब बता दूँगी – पहले तू हां तो कर’
‘मैं हमेशा तुझे खुश देखना चाहता हूँ- जो तुम चाहेगी वो होगा बस मुझे कभी माँ के साथ….’
‘नही कहूँगी और ये भी सिर्फ़ एक बार ही करेंगे…. अगर तुझे मज़ा आ गया तो तेरी खातिर मैं ना नही करूँगी’
‘ठीक है जैसा तेरे दिल करे’
‘ओह रवि मेरी जान’ ऋतु चिल्लाते हुए रवि से चिपक गई और उसके चेहरे को चुंबनो से भर दिया.
‘जानू आ तुझे एक तोहफा दूँगी – जो हर मर्द चाहता है’
‘क्या?’
‘अपनी कुँवारी गान्ड – मैं चाहती हूँ मेरे हर छेद में तू ही पहले घुसे’
‘ओह ऋतु मेरी रानी – मेरी जान – सच में तू मुझ से अपनी गान्ड मरवाएगी’
‘हां मेरे यार – मेरे हर छेद पे पहले तेरा ही हक़ है – तुमने ही मेरी चूत की सील तोड़ी थी आज गान्ड की भी तोड़ दे’
और दोनो भाई बहन पागलों की तरहा एक दूसरे को चूमने लग गये
|