Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-21-2019, 08:10 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
विमल धीरे धीरे झुकता है और अपने होंठ बिल्कुल कामया के होंठों के पास ले आता है. दोनो की गरम साँसे एक दूसरे में घुलने लगती हैं और कामया अपनी आँखें बंद कर लेती है. विमल के होंठों की तपिश अपने होंठों के करीब पा कर कामया की साँसे तेज होने लगी और वो अपनी बाहों का हार विमल के गले में डाल कर उसे अपनी ओर खींचने लगी.

विमल ने भी ज़्यादा देर नही करी और कामया के होंठों से अपने होंठ सटा दिए.

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उधर रिया रमेश की छाती पे मुक्के बरसाती बरसाती रो पड़ती है और रमेश की छाती को चूमने लग जाती है.

हिचकति हुई आवाज़ में बोल पड़ती है

‘ क्यूँ करते हो ऐसा? क्यूँ दूसरी औरतों के पीछे भागते हो? मैं नही दिखाई देती क्या’

रमेश के कानो में बम सा फुट जाता है, उसने कभी सपने में नही सोचा था कि रिया के दिल में ये सब है. उसे जैसे होश आता है, खुद को रिया से छुड़ाता है और अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में घुस जाता है.

रिया बस उसे देखती रह जाती है और उसकी रुलाई और तेज हो जाती है.
रमेश बाथरूम से बाहर आता है और कमरे से बाहर निकलने लगता है.
रिया लपक के उसके सामने आ आती है और उसके सीने से चिपक जाती है.

रमेश : रिया बेटा, खुद को सम्भालो.

रिया चोंक कर उसकी तरफ देखती है.

रमेश : हां बेटा मुझ से बहुत बड़ी ग़लती हो गई थी, अंधविश्वास में पड़के तुम्हारा और राम्या का नाम बदल दिया था. अब और नही. तुम रिया थी और रिया ही रहोगी.

रिया ज़ोर से रमेश के साथ चिपक जाती है.

रमेश उससे छूटने की कोशिश करता है पर रिया जोंक की तरहा उसके साथ चिपकती है जा रही थी. ना चाहते हुए भी रमेश की बाँहें उसके नितंबों पे चली जाती हैं और उसे अपने साथ कस के चिपका लेती हैं.

रिया अपनी आँखें बंद कर अपना चेहरा उपर उठाती है, उसके अधखुले होंठ रमेश को दावत दे रहे थे. रमेश उसकी आँखों से बहते हुए आँसू चाटने लगता है और रिया रमेश की पीठ पे बाँहों के घेरा डाल कर अपने उरोज उसकी छाती में गढ़ा देती है.

रिया की मदहोश जवानी रमेश को बहकाने लगती है और उसके आँसुओं को चाट ते चाट ते उसके होंठ रिया के होंठों की दावत को कबूल कर लेते हैं, और बाप बेटी एक गहरे चुंबन में खो जाते हैं.
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रात भर रवि से 2 बार चुदवाने के बाद भी ऋतु की प्यास भुजी नही थी.
रवि के साथ जब वो घर के लिए वापस आ रही थी, तो सारे रास्ते रमण के बारे में सोच रही थी. किस तरहा उसने रमण की मर्दानगी को चेलेंज कर उसकी बेइज़्ज़ती करी थी.

माना उस दिन रमण का हाथ सुनीता पे उठ गया था, ये पति पत्नी के बीच की बात थी, ऋतु को क्या हक़ बनता था कि रमण को यूँ प्रताड़ित करे. उसने सोच लिया था कि वो रमण की मनोस्तिति वही रहने देगी, पर उसे चूत से दूर नही रखे गी उसे अभी रवि को भी तयार करना था अपना मक़सद पूरा करने के लिए.

वो घर की रंडी बनना चाहती थी, एक साथ दोनो के लंड लेने चाहती थी, एक चूत में और एक गान्ड में.

घर की रंडी – ये सोचते ही ऋतु के चेहरे पे एक मुस्कान दौड़ गई.

जब दोनो घर पहुँचे तो रवि बाहर से ही उसे ड्रॉप कर के अपने कॉलेज चला गया. आज उसे बहुत काम थे कॉलेज में.

ऋतु घर में घुसी तो रमण बैठक में बैठा टीवी देख रहा था, उसके चेहरे पे एक उदासी छाई हुई थी.

ऋतु अपना मन बना के आई थी कि वो रमण को आज पूरा मज़ा देगी और उसे इस बात के लिए तयार कर देगी कि वो रवि के साथ मिलकर उसे चोदे.

एक बार रमण तयार हो गया तो रवि को अपनी कसम दे कर तयार कर लेगी और फिर उसका सपना पूरा हो जाएगा – घर की रंडी बनने का.

रमण को विश कर के ऋतु बाथरूम में घुस गई और नहा कर उसने खुद को सजना शुरू कर दिया, थोड़ी ही देर में वो एक अप्सरा के रूप में आ गई थी, अपने बदन पे उसने सिर्फ़ एक छोटी नाइटी ही डाली थी, ब्रा और पैंटी तो पहनी ही नही.

अपने आप को शीशे में अच्छी तरहा निहार ने के बाद वो रमण के रूम में घुसी और उसकी अलमारी से एक वोडका की बॉटल निकाल ली फिर फ्रिड्ज में से ऑरेंज जूस निकाल कर उसने दो तगड़े पटियाला पेग तयार किए – स्क्रू ड्राइवर के ( कॉकटेल ऑफ वोड्का & ऑरेंज जूस)

इठलाती हुई वो रमण के पास जा कर उसके साथ चिपक के बैठ गई.

रमण फिर से जलील नही होना चाहता था, ऋतु के शब्द बार बार पिघले लोहे की तरहा उसके कानो में गूँज रहे थे, जैसे ही ऋतु उसके साथ बैठी, वो उठ के खड़ा हो गया.

ऋतु के चेहरे पे कटीली मुस्कान फैल गई और उसने रमण का हाथ पकड़ उसे अपने उपर खींच लिया

ऋतु : क्या हुआ रमण डार्लिंग, अपनी रंडी ऋतु से नाराज़ हो
कह कर ऋतु ने अपने होंठ रमण के होंठ से सटा दिए और अपनी ज़ुबान उसके होंठों पे फेरने लगी.

रमण के चेहरे पे घबराहट फैल गई और उसने खुद को छुड़ाने की कोशिश करी.

रमण का ये बर्ताव देख ऋतु मुस्कुराने लगी और उसकी आँखों में आँखें डाल कर बिल्कुल एक रंडी की तरहा बोल पड़ी.

ऋतु : क्या हुआ मेरी जान आज लंड खड़ा नही हो रहा क्या? चलो मूड अच्छा करो, इस तरहा तो बच्चे नाराज़ होते हैं.


और कॉकटेल के ग्लास को उठा कर एक सीप लेती है और उसे रमण के होंठों से लगा देती है. रमण बस उसे देखता हुआ कॉकटेल पीने लगता है
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