RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
राम्या कामया की आँखों में उतरती हुई जलन को समझ जाती है और उसका ध्यान बाँटने के लिए उसे अपनी तरफ खींचती है और उसे अपने साथ डॅन्स के लिए मजबूर कर, उसके साथ चिपक जाती है और कामया के होंठों पे अपने होंठों का कब्जा बना लेती है.
विमल और सुनीता बस एक दूसरे में खो जाते हैं. दोनो को कोई होश नही रहता कि पास में दो लोग और हैं. कामया का जलन के मारे बुरा हाल हो जाता है. उसकी आँखों में एक दर्द समा जाता है. उसके होंठ चूस्ते हुए राम्या उसकी आँखों में ही देख रही थी. राम्या उसके होंठ छोड़ देती है और उसके कान पे अपना मुँह ले जा कर फुसफुसती है – ‘ प्यार बाँटने से कम नही होता – रात को तो भाई आपके पास ही होगा – जी भर के प्यार कर लेना’
कामया की नज़रें जो सुनीता और विमल पे ही टिकी हुई थी वो वापस राम्या के उपर आ जाती हैं और उसके होंठों पे एक फीकी मुस्कान आ जाती है.
राम्या उस से अलग होती है और खाली ग्लास में बियर डालती है.
‘अरे ओ लैला मजनू बस ब्रेक टाइम, बियर गरम हो रही है’
राम्या की बात से दोनो को झटका लगता है और वो अलग हो जाते हैं. सुनीता का चेहरा शर्म से ऐसा लाल पड़ता है जैसे सुहागरात मनाते हुए किसी ने उसे देख लिया हो और वो सर झुकाए बैठ जाती है.
राम्या चारों को बियर के ग्लास पकड़ाती है और विमल को इशारे से कामया के पास बैठने को बोलती है, विमल अपना ग्लास ले कर कामया के साथ चिपक के बैठ जाता है.
कामया का चेहरा खिलखिला उठता है.
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उधर रिया जब गमला उठा के शीसा तोड़ती है तो रानी और रमेश तो की जान सुख जाती है. रानी तो किसी तरहा अपने कपड़े उठा कर वहाँ से भागती है पर रमेश तो जैसे अधमरा हो गया था, उसे ये भी ध्यान नही रहता कि वो रिया के सामने नंगा है और से खुद को ढक लेना चाहिए.
रिया उसी दरवाजे से अंदर आती है जिसे खोल के रानी भागी थी. उसकी आँखें रमेश के चौड़े, सख़्त जिस्म का जैसे मुआईना कर रही थी.
वो रमेश को ज़ोर का चाँटा मारती है और उसके सीने पे मुक्कों की बरसात शुरू कर देती है.
रमेश चुप चाप मार ख़ाता चला जाता है
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सुनीता अपना चेहरा शर्म के मारे झुका लेती है, उसके दिल में कसक सी रह जाती है, विमल से अलग होना उसे अच्छा नही लग रहा था, पर वो जानती थी, कि सुबह कामया ने उसे मोका दे दिया है और रात तो कामया की ही होगी.
विमल का हाल भी कुछ ऐसा ही था, ना जाने क्यूँ उसे सुनीता का साथ ज़्यादा अच्छा लगता था, वो हर दम सुनीता के करीब रहना चाहता था, उसे भी मालूम था कि रात को कामया ही उसके पास रहेगी. ऐसा नही था कि कामया उसे पसंद नही थी या फिर वो कामया के जिस्म का भी दीवाना नही था, पर कुछ था जो उसे बार बार सुनीता की तरफ खींच रहा था.
जो खेल राम्या ने सिर्फ़ जिस्म की प्यास भुजाने के लिए शुरू किया था वो दूसरा ही रूप इकतियार करने लगा था. कामया के अंदर विमल वो जगह ले चुका था जो रमेश कभी नही ले पाया. जो आनंद , जो सुख उसे विमल के साथ मिला था, ऐसा आनंद उसे रमेश ने कभी नही दिया था. उसके दिल में हज़ारों सवाल थे आगे क्या होगा? कैसे होगा? कैसे वो विमल को सिर्फ़ अपना बना के रख पाएगी
और बियर के घूँट भारती हुई राम्या कुछ और सोच रही थी. विमल को तो तीन चूत मिल गई अपने लंड की प्यास भुजाने के लिए, अब विमल सिर्फ़ उसका नही रह गया था, अगर विमल घर की सब औरतों को चोद सकता है तो वो क्यूँ ना रमेश से चुदवाये – यही तो वो चाहती थी- एक और लंड का मज़ा लेना.
सुनीता तो कल अपने घर चली जाएगी फिर कामया को विमल के लिए अगर मुक्त छोड़ना है तो रमेश को बिज़ी रखना पड़ेगा यही वो अंदर ही अंदर चाहती थी , वो विमल से बहुत प्यार भी करती थी लेकिन वो बँध के नही रहना चाहती थी, अगर उस दिन रात को वो फोन नही आता तो रमेश से चुद जाती, खैर ये सब तो बाद में भी हो जाएगा अभी तो छुट्टी का मज़ा लो सोच कर उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है और गतगत अपना बियर का ग्लास ख़तम कर लेती है.
कामया : कल सुबह जल्दी निकलना है घूमने के लिए, आखरी दिन है हमारा नैनीताल में तो चलो सोते हैं, वैसे भी बहुत देर हो चुकी है.
विमल : हां में भी अपने कमरे में चलता हूँ ( और उठते वक़्त 2 बियर की बोतले उठा लेता है)
कामया ने ये तो सोचा ही नही था कि विमल ही उठके निकल लेगा.
विमल के निकलते ही राम्या खिलखिला के हँस पड़ती है.
राम्या : मोम डार्लिंग तुम्ही जा के भाई को सुला दो, वरना पता नही कितनी देर पीता रहेगा.
सुनीता भी मज़े लेने से पीछे नही हटती
सुनीता : दी तुम कहो में जा के उसे सुला दूं.
कामया : आई है बढ़ी उसे सुलाने वाली, ये मेरा काम है, मैं जाती हूँ.
सुनीता आंड राम्या दोनो ही हँस पड़ती हैं.
राम्या : हां मोम बेचारा खड़ा खड़ा थक गया होगा, अब जा के सुला ही दो उसे.
कामया एक चपत मारती है राम्या के सर पे और कमरे से बाहर निकल जाती है विमल के पास जाने के लिए.
कामया के जाते ही, राम्या सुनीता को दबोच लेती है,
राम्या : मासी, वो दोनो अपना खेल खेलेंगे, हम अपना खेलते हैं.
और दोनो के होंठ जुड़ जाते हैं और एक दूसरे के होंठ चूसने लगती हैं.
उधर कामया जैसे ही विमल के कमरे में घुसती है तो देखती है विमल बाल्कनी में खड़ा बियर पी रहा था, कामया दरवाजा अंदर से बंद कर लेती है, अपनी सारी उतार कर ब्लाउस और पेटिकोट में जा कर विमल के साथ पीछे से सट जाती है.
कामया : क्यूँ रे बहुत चिपक रहा था मासी के साथ, वो भी मेरे सामने.
विमल बियर की बॉटल साइड में रख, कामया को अपने सामने कर लेता है.
विमल : क्यूँ जलन होने लगी है क्या मोम डार्लिंग? ( और कामया के चेहरे को अपने हाथों में थाम कर उसकी आँखों में झाँकने लगता है)
कामया के होंठ थरथराने लगते हैं, जैसे कह रहे हों, आओ चूम लो, चूस लो, सारा रस निचोड़ कर पी लो.
कामया कोई जवाब नही देती और अपनी नज़रें झुका लेती है.
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