RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
दोनो धीरे धीरे उस चर्म पे पहुँचने लगे जहाँ आत्माएँ एक दूसरे से मिलने को तत्पर हो जाती हैं और यका यक विमल अपनी गति बहुत तेज कर देता है कामया भी उसी तरहा उसका साथ देती है. दोनो के जिस्म पसीने से लथपथ थे और विमल का लंड बढ़ी तेज़ी से ड्रिल मशीन की तरहा कामया की चूत में सतसट अंदर बाहर हो रहा था.
दोनो का जिस्म एक साथ अकड़ने लगा और कमरे में एक भुंचाल आ गया, बिस्तर के चरमराने की आवाज़ बढ़ गई और दोनो सख्ती से एक दूसरे के साथ चिपक गये. विमल के लन्ड़ ने अपनी पिचकारियाँ छोड़नी शुरू कर दी और कामया की चूत तो जैसे सागर मंथन के बाद उफ्फनती हुई लहरों की तरहा अपने सारे बाँध एक साथ छोड़ बैठी.
विमल के वीर्य का अहसास उसे अपनी कोख में घुसता हुआ महसूस हो रहा था और दोनो एक साथ शीतल हो कर अपनी साँसे संभालने लगते हैं.
उधर खिड़की से आती हुई सूरज की पहली किरण जैसे दोनो का स्वागत कर रही थी. सारी रात की रति क्रीड़ा के बाद दोनो एक दूसरे की बगल में गिर कर निढाल हो जाते हैं, पर दोनो के चेहरे पे एक अद्भुत सकुन था और दोनो की आँखें बंद हो जाती हैं.
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उधर.............................................
सोनी बिस्तर पे लेटी रमेश का इंतेज़ार कर रही थी. काफ़ी देर जब हो गई, तो एक पल के लिए से लगा कि कहीं वो सुनीता के कमरे में तो नही घुस गया.
फिर दिमाग़ से ये ख़याल निकल फेंका, क्यूंकी सुनीता तो उसे हाथ भी नही लगाने दे रही है और सुबह से जिस तरहा वो सोनी के लिए पागल हुआ जा रहा है, वो कहीं और नही जा सकता. बात कुछ और ही है.
कुछ पल सोचती रही फिर वॉर्डरोब खोल के कामया का स्विम्मिंग कॉस्ट्यूम निकाल कर पहन लिया और उसके उपर गाउन डाल लिया. फिर अपने स्लीपर्स पहन कर वो नीचे बार में चली गई.
उसका दिल धड़क रहा था कि ऐसे हालत में देख कहीं कोई और ही उसपे टूट ना पड़े.
रमेश बार में बैठा एक के बाद एक पेग चढ़ाए जा रहा था.
उसके दिल और दिमाग़ में जंग चल रही थी. दिमाग़ कह रहा था वो तेरी बेटी है. शरम कर. दिल कह रहा था जवान लड़की है उसे भी लंड चाहिए, जा के ठोक दे.
वो फ़ैसला नही कर पा रहा था. उसकी दूसरी बेटी पहले से ही बहुत नाराज़ थी उससे , अब वो सोनी को नाराज़ नही करना चाहता था अपनी किसी हरकत से.
पर आज दो बार जो किस हुआ था, उसमे सोनी ने उसका पूरा साथ दिया था. सोनी के बारे में सोच सोच कर उसका लंड बैठने को तयार ही नही था. रात के 11 बजनेवाले थे और बार भी बंद होने जा रहा था. तभी उसकी आँखें फटी रह जाती हैं जब सोनी को वो बाथ रोब में बार काउंटर पे आते हुए देखता है, सोनी बार काउंटर से दो ग्लास और एक वाइन की बॉटल लेती है और बारमेन को बिल के लिए रमेश की तरफ इशारा करती है. कुछ पल खड़ी हो कर रमेश को देखती है और एक मुस्कुराहट के साथ बार से बाहर निकल कर स्विम्मिंग पूल की तरफ बढ़ जाती है.
सोनी पूल पे पहुच कर अपना गाउन उतारती है और शवर ले कर वही पूल में अपनी टाँगे लटका कर बैठ जाती है, फिर दोनो ग्लास में वाइन डालती है और दोनो से ही एक एक सीप लेकर अपने लिपस्टिक के निशान छोड़ देती है. उसे मालूम था रमेश पीछे ज़रूर आएगा.
रमेश भी जब उसे पूल की तरफ जाते देखता है तो पीछे पीछे चला आता है. जब उसकी नज़र सोनी पे पड़ती है तो स्विम्मिंग सूट में उसे देख कर उसकी आँखें बस वहीं उसपे जम के रह जाती हैं.
सोनी गर्दन घुमा कर उसे देखती है तो दोनो ग्लास थम कर फिर एक सीप दोनो से लेती है और अपना चेहरा पूल की तरफ कर लेती है. सोनी की नज़रों में जो प्यास थी उसे देख कर रमेश सर से पाव तक हिल के रह जाता है और सोनी की तरफ लपकता है. जैसे ही वो सोनी के कंधे पे हाथ रखनेवाला होता है, सोनी एक दम जैसे फिसलती हुई पूल में छलाँग लगा देती है और तैरती हुई दूसरे किनारे तक पहुँच जाती है.
‘ अरे ये कोई टाइम है पूल में कूदने का’
‘मस्ती का कोई टाइम नही होता, मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है – आ जाओ ना’
रमेश फटाफट अपने कपड़े उतारता है और अंडरवेर में ही पूल में छलाँग लगा कर सोनी की तरफ तैरता हुआ बढ़ता है , जैसे ही वो सोनी के करीब पहुँचता है, सोनी गोता लगा जाती है. रमेश को लगता है कि वो वाइन ग्लास की तरफ जा रही है वो फिर वापस तैरने लगता है , लेकिन सोनी गोता लगा कर उसके पीछे आ गई थी. इस से पहले की रमेश तैरना शुरू करता सोनी उसे पीछे से पकड़ लेती है और उसकी पीठ पे अपने उरोज़ रगड़ कर एक दम अलग हो कर तैरने लग जाती है. रमेश उसके पीछे लपकता है और जैसे ही उसे पकड़ने पे आता वो फिर गोता लगाती है और पूल में नीचे बैठ जाती है.
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