RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
विमल अपनी थोड़ी स्पीड बढ़ाता है और फिर एक झटका मार देता है, इस बार उसका पूरा लंड अंदर घुस जाता है.
और सुनीता की तो जैसे आँखें फटी रह जाती है., दर्द की अधिकता से वो बेहोश सी हो जाती है.
विमल उसके निपल चूसने लगता है और कोई हरकत नही करता.
करीब 5 मिनट बाद सुनीता होश में आती है और कराह उठती है.
‘हाई रे तूने तो मार ही डाला’
‘बस मासी अब चला गया अंदर, अब दर्द नही होगा’
‘शर्म नही आती कितना दर्द दिया मुझे, ऐसे भी करते हैं क्या, आराम से नही कर सकता था.’
‘मासी डार्लिंग आराम से तुम्हें बार बार दर्द होता’ और विमल अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगता है.
आह आह आह अफ फ उम्म्म्म ओह
सुनीता दर्द से सिसकती रहती है. थोड़ी देर में सुनीता की चूत अपना रस छोड़ देती है और विमल का लंड अंदर फिसलने लगता है, अब सुनीता को मज़ा आने लगता है और वो अपनी गान्ड उछालने लगती है और विमल के साथ ताल से ताल मिलाने लगती है.
विमल धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ाता रहता है और सुनीता भी उसी स्पीड के साथ अपनी गान्ड उपर करती रहती है.
कमरे में फॅक फॅक की आवाज़ें गूंजने लगती है.
आह चोद मुझे ज़ोर से चोद, और अंदर डाल, फाड़ दे मेरी चूत
सुनीता के मुँह में जो आता वो बड़बड़ाती रहती और विमल से चिपकती रहती है,
चोद डाल अपनी माँ को, मैं ही तेरी असली माँ हूँ.
सुनीता मज़े की इंतिहा में सच बोल जाती है और विमल को एक झटका लगता है. वो रुक जाता है. फिर सोच कर कि मासी भी तो माँ जैसी होती है, सुनीता को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगता है.
सुनीता दो बार झाड़ जाती है, पर विमल का स्टॅमिना बहुत था, वो बस मशीन की तरहा सुनीता को चोदने में लगा रहता है.
जब सुनीता 4 बार झाड़ जाती है तब विमल अपने चर्म पर पहुँचता है उसका लंड अंदर फूलने लगता है और सुनीता समझ जाती है वो झड़ने वाला है.
आअहह म्म्मासआआसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईई
विमल चीखता हुआ अपना रस उसकी चूत में छोड़ने लगता है और सुनीता की चूत उसके लंड को कस कर दबा लेती है, जैसे एक एक बूँद निचोड़ने के बाद ही छोड़ेगी.
दोनो के जिस्म पसीने से लथपथ थे और दोनो ही हाँफ रहे थे. रमण तो 5 मिनट में ही ढह जाता था पर विमल आधे घंटे से उसकी छूट की कुटाई कर रहा था. इतना मज़ा उसे कभी नही आया था.
उसकी चूत भी विमल के लंड के साइज़ के हिसाब से फैल जाती है. अब तो सुनीता को रमण के लंड का अपनी चूत में पता भी नही चलेगा.
कितनी ही देर विमल सुनीता के उपर ही गिर कर हांफता रहता है, और फिर उसकी बगल में लेट जाता है.
सुनीता अपनी आँखें बंद रख अपनी चुदाई के आनंद से खुद को सराबोर करती रहती है.
जब दोनो की साँसे संभलती हैं तो सुनीता विमल को चूमने लगती है.
‘ आइ लव यू बेटा, थॅंक्स, ……….आज तूने मुझे पूरी औरत बना दिया’
दोनो फिर गहरे चुंबन में खो जाते हैं.
रमेश, कामया और सोनी काफ़ी देर गुज़ार चुके थे टिफिन टॉप पे अब वापस जाने का समय था.
वापसी के लिए सोनी ने नया नखरा सामने रख दिया, कि वो पैदल ही उतरेगी, नज़रों का मज़ा लेते हुए.
कामया हरगिज़ पैदल उतरने के लिए तैयार नही हुई.
तो आख़िर में तय ये हुआ कि कामया घोड़े से जाएगी, और रमेश , सोनी के साथ पैदल आएगा. आधे रास्ते जा कर घोड़ा इनका इंतेज़ार करेगा. क्यूंकी रमेश जानता था कि सोनी पूरा रास्ता पैदल नही तय कर पाएगी.
कामया तो घोड़े पे नीचे उतरने लगती है और सोनी मस्ती मारते हुए रमेश के साथ नीचे उतरती है पैदल, जगह जगह रुक कर वो सेक्सी पोज़ में अपनी फोटो खिचवाती रहती है. उसकी अदाएँ देख कर रमेश की हालत खराब होने लगती है, उसकी पॅंट में तंबू बन जाता है, जिसे छुपाने के लिए वो अपनी शर्ट बाहर निकाल लेता है.
50 मीटर भी नही उतरे होंगे कि सोनी ने कम से कम 10 बार रुक कर अपनी फोटो खिचवाई और रमेश को घायल करती रही.
अब रमेश की किस्मत कहो कि रास्ता एक दम खाली था, और कोई टूरिस्ट ना उतर रहा था और ना ही चढ़ रहा था.
थोड़ा रास्ता उतरने के बाद सोनी जान भुज कर लड़खड़ाती है और उसे संभालने के चक्कर में रमेश अपने से लिपटा लेता है.
सोनी रमेश के गले में अपनी बाँहें डाल देती है और उसके गालों पे किस करती है.
‘थॅंक्स पा, नही तो मैं गिर जाती’
रमेश और भी कस के उसे अपने से चिपकता है और सोनी को रमेश के खड़े लंड का आभास अपनी चूत पे होने लगता है.
रमेश के हाथ उसकी पीठ पे घूमने लगते हैं, और सोनी जान भुज कर अपनी चूत रमेश के लंड पे दबा देती है, इतना इशारा रमेश के लिए काफ़ी था, वो सोनी के चेहरे को अपने हाथों में थाम कर अपने होंठ उसके होंठ पे रख देता है. दोनो के जिस्म में बिजली की लहरें उत्पात मचाने लगती है और सोनी अपने होंठ खोल देती है. रमेश की ज़ुबान उसके मुँह में घुस जाती है और डन गहरे स्मूच में खो जाते हैं.
तभी................................................
conti............................
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