RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
आ कर देखता है कि बिस्तर पे खून के धब्बे पड़े हे हैं. वो फटाफट चद्दर बदलता है और उस चद्दर को अपने वॉर्डरोब में रख देता है.
फिर वो हाल में जा कर दो पेन किल्लर लाता है और बाथरूम में घुस कर ऋतु को खिलाता है. रवि उसका ऐसे ध्यान रख रहा था जैसे अपनी बीवी का रख रहा हो. ऋतु की नज़रें शर्म से झुकी रहती हैं.
थोड़ी देर गरम पानी में सिकाई करने के बाद ऋतु को चैन मिलता है दर्द से. उसके दिल में रवि के लिए और भी प्यार बढ़ जाता है जो अहसास सिर्फ़ जिस्म की प्यास भुजने से शुरू हुआ था वहाँ प्यार की कोपलें उगने लगती थी. अब उसे रमण का अपने करीब आना अच्छा नही लग रहा था. लेकिन रमण की आँखों में जो चाहत और प्यास उसने देखी थी, वो उसे बहुत परेशान कर रही थी. उसने सोच लिया था कि वो रवि से इस बारे में खुल के बात करेगी.
ऋतु बाथटब से बाहर निकल खुद को सुखाती है और हल्के कदमो से बाहर निकल बिस्तर पे बैठे रवि को उसके होंठ पे छोटा सा किस करती है और गुड नाइट बोल कर अपने रूम में चली जाती है.
रवि तकिये को अपने सीने से लगा कर लेट जाता है. उस तकिये में ऋतु की सुगंध समा गई थी. आज पता नही कितने साल बाद वो चैन से सोया था क्यूंकी आज उसे ऋतु मिल गई थी पूरी तरह से.
धीरे धीरे ऋतु के बारे में सोचते हुए वो भी नींद के आगोश में चला जाता है.
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ये रात वोही रात है जहाँ एक तरफ ऋतु रवि से चुद गई और दूसरी तरफ चलती हुई इंनोवा में विमल सुनीता की गोद में सर रख के लेटा हुआ था.
सोए सोए विमल अपना चेहरा घुमा लेता है और अब उसकी नाक बिल्कुल सुनीता की चूत के करीब थी. उसकी चूत से आती हुई खुश्बू से विमल की नींद उड़ जाती है. विमल अपनी नाक सुनीता की चूत के उप्परवाले हिस्से पे रगड़ने लगता है. ऐसा लग रहा था जैसे हिलती हुई कार की वजह से विमल हिल रहा हो. अपनी चूत के पास कुछ रगड़ता हुआ महसूस कर सुनीता की आँख भी खुल जाती है उसे विमल की नाक रगड़ने से मज़ा आने लगता है और उसकी टाँगे अपने आप थोड़ी खुल जाती हैं. उसने पाजामा सूट पहना हुआ था और उसकी पाजामा बिल्कुल जिस्म के साथ चिपकी हुई थी. जैसे सुनीता अपनी टाँगे खोलती है विमल का चेहरा थोड़ा अंदर हो जाता है और विमल की नाक एक दम उसकी चूत पे आ जाती है. विमल गहरी गहरी साँस लेता हुआ उसकी चूत की सुगंध को अपने अंदर समा रहा था. सुनीता के हाथ उसके सर को अपनी चूत पे दबा लेते हैं.
बेध्यानी में सुनीता क्या करती जा रही थी, उसे पता ही नही था. अपने बेटे के सर को अपनी चूत पे दबा कर जैसे उसे बहुत शांति मिल रही थी. सुनीता के जिस्म में इस अहसास से उत्तेजना बढ़ जाती है. उसकी टाँगें और खुल जाती हैं और विमल के होंठ पाजामी समेत उसकी चूत को अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगते हैं.
जैसे ही विमल के होंठ सुनीता की चूत को निगलने की कोशिश करते हैं, सुनीता से ये सुखद अनुभूती बर्दास्त नही होती और अपने मुँह से निकलने वाली जोरदार सिसकी को दबा कर वो झड़ने लगती है. उसकी चूत से फव्वारा सा छूटने लगता है जो पाजामी से रिस्ता हुआ विमल के मुँह में समाने लगता है. विमल वो सारा रस पी जाता है, पर अपना चेहरा वहाँ से नही हटाता.
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