Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
08-18-2019, 01:42 PM,
#43
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
मेरा ये कहना था कि उस लड़के की फॅट के हाथ मे आ गयी वो मुँह फाडे बाल्कनी की तरफ हम तीनो को देख रहा था...

"डर मत,मज़ाक था...इन दोनो ने मुझे ऐसा कहने के लिए कहा...अब तू चाहे तो नीचे पड़ा पत्थर उठा कर इन दोनो का सर फोड़ दे...."

मैने हेल्मेट लगा ली और उसके तुरंत बाद वो लड़का गुस्से से हमारी तरफ देखा और माँ-बहन की गाली देकर पत्थर से भी मारा...जो सीधे जाकर वरुण के छाती मे लगा....

"रुक भोसड़ी के भागता कहाँ है..."उस लड़के को भागते हुए देख वरुण चिल्लाया....
"अब आया बेटा यकीन..."
"याहह..."अपनी छाती सहलाते हुए वरुण बोला"हां...अब डाइरेक्ट रिज़ल्ट वाले मोमेंट पर पहुच..."

"रिज़ल्ट..."ये सुनकर मेरी हालत ठीक वैसी हो गयी,जैसे चार साल पहले हुई था...कितना खौफनाक पल था,जब मेरे कान मे किसी ने कहा कि "रिज़ल्ट आ गया है और तू..."उसके बाद मैने उसका मुँह पकड़ कर दूसरी तरफ फेर दिया था और सॉफ कहा था कि मैं खुद केफे मे जाकर अपना रिज़ल्ट देखूँगा.....
.
जो हालत उस वक़्त मेरी थी वो हालत अरुण की भी थी...हम दोनो का गला सूख गया था..जब हमे पता चला कि रिज़ल्ट आ गया है...भू की गान्ड हम दोनो से ज़्यादा फटी पड़ी थी, उसकी तो बात करने तक की हिम्मत नही हो रही थी,जबकि वो एग्ज़ॅम ड्यूरेशन मे दिन भर किताबो से चिपका रहता था....मैं और अरुण किसी तरह से एक दूसरे का धीरज बाँधते हुए केफे की तरफ बढ़े...एक बार फिर मेरी हालत वही थी जो एग्ज़ॅम के समय मे हुई थी...कभी पांडे जी याद आते तो कभी पांडे जी की बेटी...तो कभी घर का महॉल....

"यार ,अरमान...मेरा बाप जैल मे डाल कर डंडे से मारेगा मुझे..."

"मेरा भी कुछ यही हाल होगा..."

उस वक़्त मुझे खुद के रिज़ल्ट से ज़्यादा परवाह पांडे जी की बेटी के रिज़ल्ट की थी..मैं उपरवाले से प्रार्थना कर रहा था कि पांडे जी की बेटी या तो फैल हो जाए या फिर मेरे से कम नंबर लाए...

कितनी अजीब बात है कि जिसे मैने आज तक देखा नही ,उसके बारे मे मैं इतना बुरा सोच रहा हूँ...और ऐसा सोचने वाला शायद मैं अकेला नही था...हमारे घरवाले अक्सर किसी ना किसी लड़का/लड़की को हमारे ऑपोसिट खड़ा कर देते है और ऐसे रिएक्ट करते है जैसे कि प्राइम मिनिस्टर का एलेक्षन हो,और हमे हार हाल मे सामने वाले को हराना है....मैं पांडे जी की बेटी के बारे मे पहली बार बुरा नही सोच रहा था, पिछले 2-3 सालो से मैं जब भी भगवान का नाम लेता तो एक दुआ हमेशा माँगता कि पांडे जी की बेटी मुझसे कम नंबर लाए...वो फैल हो जाए...या फिर उसके साथ कुछ ऐसा हो जाए जिसकी वजह से वो एग्ज़ॅम ही ना देने पाए....
.
आज से पहले मैं एग्ज़ॅम देने के बाद हमेशा इसी इंतज़ार मे रहा कि रिज़ल्ट कब आएगा...लेकिन अबकी बार मैं चाह रहा था कि रिज़ल्ट कभी आए ही ना....जहाँ कॉपीस चेक होने गयी है,वहाँ डाका पड़ जाए,आग लग जाए...या कुछ भी ऐसा हो जाए,जिससे रिज़ल्ट रुक जाए....लेकिन ये मुमकिन नही था....और आज वो दिन था जब रिज़ल्ट मेरे आँखो के सामने अपना प्रचंड रूप दिखाने वाला था.....

आज से पहले ,जब मेरे घरवाले मेरे मार्क्स देखते तो तुरंत सारी दुनिया मे कॉल करके पुछ्ते की आपके बेटी का कितना नंबर आया, आपके बेटे के रिज़ल्ट का क्या हुआ....और उसके बाद बड़े शान से कहते थे कि "अरमान के तो इतने % आए है,इसने स्कूल मे टॉप मारा है....प्रिन्सिपल सर ने कॉल करके खुद बधाई दी है..."

"यार अरुण...."

"क्या है..."

"गला सूख रहा है भाई...आजा थोड़ा पानी वानी पी लेते है..."

इस वक़्त हम दोनो हाइवे पर पहुच चुके थे और वही पास एक अच्छा-ख़ासा होटेल बना हुआ था...मैने दो कप चाय लाने के लिए कहा और अरुण के साथ चुप चाप वही टेबल पर बैठ गया....
.
मुझे उस वक़्त चाय भी नीम के रस से ज़्यादा कड़वा लग रहा था, चाय का हर एक घूट ऐसे लगता जैसे कि दुनिया की सबसे कड़वी चीज़ उस चाय मे मिला दी गयी हो...तीन चार घूट के बाद जब मुझसे चाय नही पिया गया तो मैं अरुण के साथ वहाँ से उठा...और केफे की तरफ चल पड़ा, जो हमसे बमुश्किल 5 मिनिट्स की दूरी पर था...

"अरमान,इस बार रिज़ल्ट अच्छा आ जाए तो कल से ही पढ़ाई शुरू कर दूँगा..."

"तू और मत फाड़ बे, ऐसा लग रहा है कि कोई लगातार सीने मे हथौड़ा पीट रहा हो...साला कही हार्ट अटॅक ना आ जाए..."
केफे तक पहुचते पहुचते मैं हल्का-हल्का काँपने लगा था , वहाँ पहले से ही बहुत भीड़ थी, 10 मिनिट्स तक खड़े रहने के बाद एक सिस्टम खाली हुआ तो हम दोनो उसपर बैठे और यूनिवर्सिटी की साइट खोली...जहाँ "बी.टेक फर्स्ट सेमेस्टर रिज़ल्ट" के आगे लाल रंग का टॅग चमक रहा था....

"अरुण आगे तू देख..."

"ना तू देख...यदि तू फैल हुआ तो तसल्ली तो होगी मुझे "

गाली देने का मन तो बहुत किया लेकिन मैने गाली देने की बजाय सीधे अपना रोल नंबर टाइप किया और जैसे ही रिज़ल्ट खुला...मैं एक दम नीचे पहुच गया,जहाँ पास ऑर फैल लिखा रहता है...और उसके बाद मैं खुशी से ऐसे कुदा जैसे वर्ल्ड कप जीत लिया हो और फाइनल मॅच का मॅन ऑफ थे मॅच मैं ही हूँ.....मैने एक बार फिर कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़र डाली, वहाँ सच मे पास लिखा हुआ था...और अब बारी थी अरुण और भू की.....


मुझे इस वक़्त कुछ भी नही सूझ रहा था कि मैं क्या करूँ, खुश होकर नाचू या फिर चुप चाप वही बैठा रहूं...केफे मे मेरे आलवा भी बहुत लोग थे और मेरी इस हरकत पर वो मुझे पागल बोलकर बाहर भी फेक सकते थे,इसलिए मैं शांति से अरुण के साइड वाली चेयर पर शांति से बैठ गया...मेरे इस तरह शांति से बैठने का एक रीज़न ये भी था कि अरुण का मॅतमॅटिक्स मे बॅक लगा था, यानी कि फैल !!!

"होता है बे, टेन्षन नही लेने का..."उसका दिल रखने के लिए मैने उससे कहा"मर्द बन और अंकल जी को बिंदास फोन करके बता कि एक मे बॅक लगी है..."

"वही करना पड़ेगा अब...."

अरुण को देखकर मुझे नही लगा कि फैल होने से उसे कुछ ज़्यादा एफेक्ट पड़ा है, जहाँ वो रिज़ल्ट देखने के कुछ देर पहले तक लगभग कांप रहा था अब वही वो हल्का सा उदास था बस.....उसने उसी वक़्त अपने इनस्पेक्टर बाप को कॉल करके सब कुछ बता दिया और अब मेरी बारी थी घर मे कॉल करने की....
.
मैं पास तो हो गया था लेकिन बहुत ही बुरी तरीके से फँसा था, कयि सब्जेक्ट्स मे तो मैं पास और फैल की बाउंड्री लाइन पर था...मैने एक बार एसपीआइ पर नज़र मारी....

"6,9...धत्त तेरी की अब तो चुदे ढंग से, कहाँ घर वाले 9 पॉइंट + की उम्मीद लगाए बैठे है और इधर एसपीआइ 7 ही क्रॉस नही हुआ...बीसी ,मुझे शुरू से ही ध्यान देना चाहिए था...उपर से वो कुत्ति पांडे की लौंडिया....अपनी चूत मरवा-मरवा कर अधिक नंबर लाई होगी,साली छिनार..."
.
मैं घर फोन करने की सोच ही रहा था कि घर से ही कॉल आ गया, मैं कुछ देर तक मोबाइल को हाथ मे पकड़ कर देखता रहा और सोचता रहा कि कॉल पिक अप करूँ या रहने दूँ.....

"हटा, बाद मे मैं खुद ही कॉल करके रिज़ल्ट बता दूँगा...और वैसे भी कौन सा अच्छा रिज़ल्ट आया है ,जो मैं तुरंत बताऊ..."

"अबे मेरी बॅक लगी है फिर भी मैने अपने घर मे बता दिया और तू पास होकर भी डर रहा है,साले डरपोक...बी आ मर्द ! उठा फोन एक झटके मे बता दे "
"उठा लूँ..."
"बिल्कुल..."
"सच मे उठा लूँ..."
"अब तुझे टाइप करके दूं क्या..."
"अच्छा ठीक है..."
मैने जब अपना रिज़ल्ट घर मे बताया तो मेरे पापा जोरो से मुझ पर चीखे ,ईवन कयि तरह की धमकिया भी दी....उसके बाद जब भाई ने फोन थामा तो डीटेक्टिव बनकर बात करने लगा....मेरा बड़ा भाई मेरी इस बर्बादी के पीछे की वजह की तहक़ीक़त करने के लिए जल्द ही मेरे कॉलेज आएगा ....ऐसा उसने फोन पर बताया....आधे घंटे बाद फोन मेरी माँ के हाथ मे पहुचा और हमेशा की तरह उनका एक ही डाइलॉग था...
"पांडे जी की बेटी का 9.3 बना है,अब क्या बोलेंगे उसको..."

"ओके,अब फोन रखता हूँ...बॅलेन्स ख़त्म हो रहा है..."बोलते हुए मैने कॉल कट कर दी और तब मुझे ध्यान आया कि कॉल तो उधर से आया था...फिर मेरा बॅलेन्स कैसे कम होगा...
.
भू ने 7.5 एसपीआइ मारा था और नवीन ने 7.7...इन दोनो को बुक्स से चिपके रहने का फ़ायदा मिल चुका था...लेकिन इधर मेरी और अरुण...दोनो की हालत खराब थी, अरुण के 7.2 बने थे...लेकिन मॅतमॅटिक्स मे उसका बॅक था ,मेरे ऑल सब्जेक्ट क्लियर थे...लेकिन एसपीआइ 7 पॉइंट भी नही था , और उस वक़्त अपुन ने प्रतिग्या ली की कुछ भी हो जाए अब पढ़ाई करना ही है....जबकि मैं उस वक़्त जानता था कि ऐसा अब हारक़िज़ नही हो सकता...क्यूंकी मुझमे जो चेंजस फर्स्ट सेमेस्टर मे आए थे वो सभी इरिवर्सिबल थे , मतलब कि अब मैं जो हूँ,आने वाले सालो मे भी ऐसा ही रहने वाला था....कोई मुझे किसी भी रिक्टेंट्स की मदद से पहले जैसा नही बना सकता था...एक बार बदहाली की आदत लग जाए तो उसे फिर खुद से दूर करना बहुत मुश्किल है....मैं ये बखूबी जानता था कि मैं किस राह पर चल रहा हूँ, मैं ये भी जानता था कि ये राह मुझे किस मंज़िल तक ले जाएगा...लेकिन फिर भी मैने वो राह नही बदली....
.
मुझे पूरा यकीन है कि यदि मैने खुद को बदलने की थोड़ी सी भी कोशिश की होती तो आज मायने कुछ और होते,मैं कही और होता और मेरे अरमान भी कही और होते....मेरे पापा को अब भी यकीन नही हो रहा था कि मेरे इतने कम मार्क्स कैसे आ गये, और मुझे यकीन नही हो रहा था कि मैं पास कैसे हो गया एग्ज़ॅम तो काला अक्षर भैंस बराबर गया था, यानी कि एग्ज़ॅम मे जो क्वेस्चन नही पुछा गया था ,मैने उसका भी आन्सर लिख दिया था या फिर ये कहे कि मुझे जिस यूनिट से जो बाँटा था मैं क्वेस्चन नंबर डालकर वही छाप मारा....मतलब सॉफ था कि कॉपी की चेकिंग एक दम ईज़ी हुई थी


बाकी सब्जेक्ट्स मे तो मैने फिर भी बहुत कुछ लिखा था,लेकिन ड्रॉयिंग के पेपर मे तो मैने सामने वाले लड़के की ड्रॉयिंग शीट देखकर उल्टी-सीधी,आडी-टेढ़ी लाइन्स खींचकर सिर्फ़ ड्रॉयिंग बनाई थी, हम दोनो के बीच डिस्टेन्स इतना था कि मुझे ये तक मालूम नही चल पा रहा था कि वो किस क्वेस्चन की ड्रॉयिंग बना रहा है...आंड अट दा एंड ,मैने अपने मन से क्वेस्चन नंबर दे डाला....लेकिन फिर भी साला मैं पास हो गया

मेरे घरवाले भले ही मेरे रिज़ल्ट को लेकर नाराज़ हो लेकिन मैं बहुत खुश था,क्यूंकी मुझे मालूम था की मैने इस पूरे सेमेस्टर मे सिवाय बक्चोदि कुछ भी नही किया था....जिस दिन रिज़ल्ट निकला उस दिन मैं बहुत खुश था,इतना खुश कि यदि उस वक़्त कोई मुझसे मेरी जान भी माँग ले तो मैं उस वक़्त उसे हां कर दूँ,बाद मे भले ही पिछवाड़े मे चार लात मारकर भगा दूँ....
.
दूसरे दिन कॉलेज पहुँचे तो सभी टीचर पढ़ाने की बजाय हर एक को खड़ा करके उसका रिज़ल्ट पुछ रहे थे, जिनका बॅक नही था ,जैसे कि मेरा ,वो शान से खड़े होते और सीना तानकर बोलते "एसी"
और जिनका बॅक लगा था वो यही चाह रहे थे कि उनका नंबर ही ना आए ,लेकिन ऐसा हो नही सकता था और हुआ भी नही....इस वक़्त क्लास दमयंती की थी और उसने मेरे बाद अरुण को खड़ा किया....
"जी मॅम..."
"जी मॅम, क्या...एसी या अब..."
"अब मतलब..."
"ऑल बॅक...आज तक मालूम नही था क्या "दंमो रानी अपनी नज़र से फाइयर करते हुए बोली..
"एक मे लुढ़क गया मॅम.."
"बैठो...पढ़ोगे-लिखोगे नही तो इससे भी बुरा हाल होगा...अभी ये हाल है तो बाद मे क्या होगा..."
.
और उसके बाद अरुण जैसे बैठा मैने उसके मज़े लेने शुरू कर दिए....

"बेटा देख ,मैं बिना पढ़े एसी हूँ और तू दिन रात रट्ता मारने के बाद भी चुद गया..."

"एसपीआइ ज़्यादा है तेरे से..."अरुण बोला..

"इस सेमेस्टर मे ,वो भी क्रॉस कर दूँगा...लेकिन बात यहाँ बॅक की है...वो देख नवीन भी एसी, अपना भोपु भी एसी....बस तू ही एक चोदु फँसा है हमारे फ्रेंड सर्कल मे जो फैल हो गया....पहले मुझसे बात मत करना तू..."

"देख एक काम कर...चुप चाप काल्टी हो जा...वरना वो बम्बू पूरा का पूरा अंदर डाल दूँगा,एक इंच भी बाहर नही रहेगा...और यदि तू फिर भी नही माना तो तेरे शर्त के 2000 भूल जाना..."

"अरे नही यार...भाई है तू अपना...यही तो प्यार है पगले "

"चल नाश्ता करा फिर..."

"चल आजा, वैसे भी कॅंटीन गये बहुत दिन हो गये...आज लड़कियो को ताडते है "

दंमो रानी का पीरियड कब का ख़त्म हो चुका था और उसके बाद वाली क्लास खाली चल रही थी,किसी ने हमे ये भी बताया कि ये पीरियड खाली ही जाने वाला है तो मैं और अरुण वहाँ से उठे और क्लास से बाहर की तरफ निकले...

"कहाँ जा रहे हो बे..."नवीन बोला, आज वो नये-नये कपड़ों मे चमक कर आया था...

"माल चोदने,चलेगा क्या..."ये पंच अरुण ने सबके सामने मारा....और उसके बाद सभी लड़के-लड़किया अरुण का मुँह ताकने लगे...

Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 08-18-2019, 01:42 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,480,158 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,136 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,223,694 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 925,287 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,642,155 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,070,833 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,934,355 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,001,532 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,011,024 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,893 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)