Parivaar Mai Chudai घर के रसीले आम मेरे नाम
08-16-2019, 12:09 PM,
#7
RE: Parivaar Mai Chudai घर के रसीले आम मेरे नाम
रश्मि एक ही रात में राज की नज़रो मे उतर जाती है और राज उसके लाजवाब हुस्न को पीने के लिए तड़पने लगता है. उसे समझ नही आता है कि इतनी खूबसूरत और मस्तानी लड़की पर आज तक उसकी ऐसी नज़रे पहले कभी पड़ी क्यों नही. तभी दूसरी ओर से रजनी चाइ लेकर आती है और राज और रश्मि को चाइ देकर वह भी वही बैठ कर चाइ पीने लग जाती है. राज एक नज़र अपनी मम्मी की गदराई जवानी पर मारता है और फिर धीरे-धीरे चाइ की चुस्किया लेने लगता है.

कुच्छ देर बाद राज अपने ऑफीस की ओर चला जाता है और रश्मि बाथरूम में जाकर नहाने लगती है. रजनी राज के रूम में जाकर उसके रूम की सफाई करने लगती है. और जैसे ही राज के बेड के गद्दे को उठती है उसकी नज़र उसी आल्बम पर पड़ जाती है और वह उसी बेड पर बैठ कर जैसे ही उस आल्बम का पहला पेज पलटती है उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है.

रजनी अपने मन में.. बाप रे राज ऐसी आल्बम देखता है मुझे तो यकीन नही होता वह इतना सेक्सी है. दिखता तो कितना भोला है और ओफ्फ कितना बड़ा लंड उस लड़की की चूत में घुसा हुआ है. रजनी उन पिक्स को देख कर पागल हो जाती है और बार-बार एक-एक सीन को पलट-पलट कर देखने लगती है. उसकी फूली हुई चूत एक दम गीली हो जाती है. वह जल्दी से उस आल्बम को पूरी देख कर फिर से वही रख देती है और चुपचाप बाहर आ जाती है. और कुछ देर के लिए बाहर आकर बैठ कर गहरी साँसे लेती हुई… मुझे तो पता ही नही था कि राज चूत मारने के लिए इतना तड़प रहा है. ज़रूर उन फोटो को देख-देख के अपना लंड हिलाता होगा. उसका लंड भी तो कितना मोटा और बड़ा है जिसकी चूत में घुसेगा वह तो मस्त हो जाएगी. ऐसे मोटे लंड से चुदने के लिए तो में भी तड़प रही हूँ. काश राज जैसा मोटा लंड मेरी चूत को भी फाड़ देता तो कितना मज़ा आता. हे क्या करूँ मेरी चूत तो बहुत खुजलाने लगी है. जब से राज के लंड को अपने हाथो से दबोचा है उसकी मोटाई के अहसास ने मेरी चूत की खुजली और भी बढ़ा दी है. राज भी चूत के लिए कितना प्यासा है तभी तो ऐसी आल्बम देखता है. कुच्छ ऐसा नही हो सकता कि राज का लंड मुझे अच्छे से देखने को मिल जाए.

तभी एक दम से रजनी चौक जाती है और रश्मि बाथरूम से नहा कर केवेल पेंटी पहने हुए बाहर आ जाती है, और अपनी मम्मी को देख कर मुस्कुराते हुए अपनी मोटी गान्ड मटकाते हुए अपने रूम की ओर चल देती है. रजनी रश्मि की मोटी गान्ड को देख कर अपने मन में… इस कामिनी की मोटी गान्ड भी खूब मटकने लगी है. इस पर ध्यान नही दिया तो यह जल्दी ही किसी मोटे लंड को अपनी चूत में भर लेगी इसके लक्षण ठीक नही दिखते हैं. घोड़ी इतनी बड़ी हो गई है फिर भी शरम नही आती है कैसे अपनी मोटी-मोटी गान्ड को मटका कर इतरा-इतरा कर चल रही है. बहुत ही चुदासी निकलेगी यह.

दोपहर को रजनी अपने रूम में जाकर सो जाती है और रश्मि अपने भैया के रूम को अंदर से बंद करके उस आल्बम को खोल कर देखने लगती है और उसकी फूली हुई चूत पानी छोड़ने लगती है. वह उस फोटो आल्बम को देख कर बहुत गरम हो जाती है और अपनी फूली हुई चूत के खड़े दाने को अपने हाथो की उंगलियो से सहलाते हुए गहरी-गहरी सिसकिया लेती हुई उस फोटो को देखने लगती है. जब उससे रहा नही जाता है तब वह अपनी पेंटी को उतार कर स्कर्ट उपर करके नंगी हो जाती है और उस आल्बम के मोटे-मोटे लंड को देख-देख कर अपनी चूत में अपनी एक उंगली डालकर मूतने वाली पोज़िशन में बैठ कर चूत में उंगली करने लगती है. वह बहुत देर तक अपनी चूत में लगातार उंगली करती है और उसकी चूत दर्द करने लगती है लेकिन उसका पानी नही निकल पाता है और जब वह थक जाती है तो गहरी-गहरी साँसे लेती हुई बाथरूम में जाकर अपनी चूत को ठंडे पानी से धो लेती है और वापस आकर सीधे कोमल को फोन लगाती है.)

कोमल- हेलो!

रश्मि- कमिनि कहीं की! ऐसी आल्बम दी है उसके साथ एक डिल्डो भी दे देती.

कोमल- (हँसते हुए) क्या हुआ मेरी रानी? क्यों इतना नाराज़ हो रही है?

रश्मि- अरे यार कोमल मुझसे तो नही हो रहा है मेरी तो चूत हाथ से रगड़ने पर दुखने लगी है.

कोमल- अरे पगली अब तेरे लिए डिल्डो कहाँ से लाऊँ?

रश्मि- कोमल कुछ तो आइडिया बता. नही तो में तड़प कर ही मर जाउन्गी.

कोमल- (मुस्कुराकर) एक आइडिया है?

रश्मि- क्या?

कोमल- तेरे भैया का मोटा लंड!

रश्मि- (गुस्से से कोमल को चिल्ला कर) कोमल बंद कर अपनी बकवास! में यहाँ दर्द से तड़प रही हूँ! और तुझे मज़ाक सूझ रहा है.

कोमल- माइ स्वीट हार्ट! में मज़ाक नही कर रही हूँ. में तेरे लिए सीरियस हूँ.

रश्मि- अब बस भी कर! बड़ी आई! मज़ाक नही कर रही है, मज़ाक नही तो और क्या है यह, जो चीज़ पोज़िबल ही नही है उसके बारे में तू मुझे सलाह देकर मज़ाक नही तो और क्या कर रही है?

कोमल- (कुच्छ सोच कर) अच्छा बाबा! नाराज़ मत हो में एक काम करती हूँ. में तेरे लिए किसी बॉय फ्रेंड का इंतज़ाम कर दूं तो चलेगा?

रश्मि- नही-नही मुझे डर लगता है.

कोमल- उफफफफ्फ़ हो ना घर में चुदना चाहती हो और ना बाहर ही किसी का लंड लेना चाहती हो तो क्या करूँ तेरे लिए? आसमान से लंड उतर कर आएगा क्या?

रश्मि- अच्छा तू मेरी किसी से दोस्ती तो करा दे फिर मुझे अगर ठीक लगेगा तो में सोचूँगी पर किसी भी ऐरे गैरे से मेरे बारे में कुछ कह मत देना नही तो में तेरी जान ले लूँगी.

कोमल- अरे पागल है क्या? क्या में इतना नही समझती, तू फिकर मत कर एक लड़का है वह मुझ पर लाइन मारता है हम कल उससे मिलते है और टाइम पास करते हैं. अगर तुझे पसंद आया तो तू अपनी लाइन जमा लेना. वैसे मुझे तो वह पसंद नही है. अब तू मिल कर देख लेना.

रश्मि- चल ठीक है. कल एग्ज़ॅम के बाद मिलते हैं.

कोमल- ओके बाइ डार्लिंग!

रश्मि- बाइ रश्मि!

(उस दिन उस आल्बम को अपने बॅग में वापस रख लेती है. और उस रात दोनो माँ बेटी साथ में सोती है और राज अपने रूम में सोता है. और जब वह बेड के नीचे देखता है तो उसे कुछ नही मिलता है और वह अपनी मम्मी और बहन के बारे में सोचता हुआ सो जाता है.)

रजनी- (रश्मि के सर पर हाथ फेरते हुए..) कल के पेपर की पढ़ाई हो गई..?

रश्मि- मम्मी अब मेरा पढ़ने लिखने में मन नही लगता है.

रजनी- तो फिर क्या करने का मन है तेरा?

रश्मि- (मुस्कुराकर अपने मन में..) अब तो मेरा चूत मराने का मन होता है.

रजनी- क्यों दाँत दिखा रही है?

रश्मि- (मुस्कुराकर) कुछ नही.

रजनी- बेटी अब बचपाना छोड़ दे! अब तू बड़ी हो गई है.

रश्मि- अच्छा, तो में कौन सा बचपाना दिखाती हूँ?

रजनी- देख बेटी अब अपनी चाल ढाल और रहन सहन का अंदाज थोड़ा चेंज कर. अब तू एक जवान लड़की हो गई है.

रश्मि- (अपने मन में... मम्मी एक बार जब में किसी मोटे लंड से अपनी चूत मरा लूँगी तो तुम्हे मेरी चाल भी बदली हुई नज़र आने लगेगी. एक बार मेरी चूत फटने तो दो..) मम्मी एग्ज़ॅम के बाद में कही घूमने जाउन्गी.

रजनी- कहाँ?

रश्मि- भैया से कहती हूँ कि मुझे कहीं घुमाने ले जाए!

रजनी- तेरे भैया को फ़ुर्सत ही कहाँ है, वह बेचारा अपनी ड्यूटी बजाए या तुझ आवारा को घुमाता फिरे.

रश्मि- अरे देखना में भैया से एक बार कहूँगी, और वह मुझे कहीं ना कहीं ज़रूर घुमाने ले जाएँगे.

रजनी- ठीक है, ठीक है अब जाकर लाइट बंद कर्दे फिर सुबह एग्ज़ॅम के लिए भी जाना है ना. पता चला वहाँ एग्ज़ॅम हो गई और यहाँ घोड़ी घोड़े बेच कर सो रही है. और रश्मि को ढकते हुए अब जा भी.

रश्मि- मम्मी उस जनम में तुम ज़रूर मेरी सास रही होगी और में तुम्हारी बहू..!

रजनी- (मुस्कुराकर) जितना दिमाग़ तेरा इन बातों में चलता है उतना अगर पढ़ाई में चला लेती तो पूरे स्कूल में टॉप आती.

रश्मि- (मुस्कुराकर) चलो तुम्हे यह तो लगा कि मेरा दिमाग़ कितना तेज चलता है और फिर रश्मि कमरे की बत्ती बुझा कर अपनी मम्मी के पास लेट जाती है.

(सुबह राज रश्मि को एग्ज़ॅम सेंटर पर छोड़ कर निकल जाता है और रश्मि अपनी एग्ज़ॅम के बाद सीधे कोमल से मिलती है और कोमल फिर एक लड़के से उसे मिलाती है. कोमल रश्मि को आँख मार… यार में अभी 10 मिनट में आती हूँ तब तक तुम दोनो बाते करो और कोमल वहाँ से चली जाती है. रश्मि उस लड़के के पास खड़ी हुई बस एक ही सवाल पूछती है कि… क्या नाम है तेरा तभी दूसरी ओर से एक बाइक आकर उसके पास रुकती है और रश्मि जब पलट कर देखती है तो राज उसको देख रहा था. राज को देख कर वह लड़का वहाँ से चल देता है और रश्मि राज के पास जाकर…)

रश्मि- अरे भैया आ गये आप.

राज- कौन था वह लड़का?

रश्मि- पता नही!

राज- तो फिर उसके पास क्यों खड़ी थी?

रश्मि- वो क्या है ना…

राज- देख रश्मि मुझे तेरा लड़को से दोस्ती करना बिल्कुल पसंद नही है, स्कूल आती हो अपनी पढ़ाई करो और सीधे अपने घर की ओर बढ़ जाओ. बेकार में किसी से ज़्यादा दोस्ती यारी करने की कोई ज़रूरत नही है. समझी!

रश्मि- जी भैया!

राज- चलो बैठो बाइक पर!

(और रश्मि अपने मोटे चूतड़ उचका कर बैठ जाती है. और राज अपनी बाइक चला देता है. रश्मि पीछे बैठी-बैठी अपने मन में… बड़े आए लड़को से दोस्ती ना किया करो. अरे मेरी चूत फड़कती है तो तुम्हारा क्या जाता है? कितना सीधा लग रहा था वह लड़का दो मिनट में सारा खेल खराब कर दिया अब ऐसा तो है नही कि तुम्हारी बहन मोटे लंड के लिए मर रही है और तुम अपने लंड से उसकी चूत को फाड़ सकते हो. राज उसी आइस क्रीम के ठेले के पास अपनी बाइक रोक देता है और रश्मि उतर जाती है.)

राज- आइस क्रीम खाएगी?

रश्मि- (अपना मूह फूला कर) नही.

राज- (मुस्कुराकर उसके गाल पर अपना हाथ फेरते हुए…) नाराज़ हो गई मुझसे!

(रश्मि अपने मूह को फुलाए हुए इधर उधर देखने लगती है राज उसके गुस्से से लाल खूबसूरत चेहरे को देख कर मस्त हो जाता है और उसका दिल करता है कि रश्मि का गुस्से से लाल चेहरा चूम कर उसे मना ले पर कुछ सोच कर, अपने कान पकड़ कर अच्छा बाबा आइ आम सॉरी!)

रश्मि- (मुस्कुराकर उसके हाथ को उसके कान से हटाते हुए..) भैया आप माफी माँगते हुवे अच्छे नही लगते.

राज- (मुस्कुराकर) अरे भैया! दो आइस क्रीम देना.

(और फिर रश्मि और राज आइस क्रीम खाते हुए एक दूसरे को मुस्कुराकर
देखने लगते है.)

राज- देखो रश्मि आज कल के लड़को से दोस्ती अच्छी नही होती है. बहुत कम लड़के ऐसे होते है जो लड़की को सम्मान की नज़र से देखते है बाकी सब आवारा गर्दि के अलावा कुछ नही करते इसलिए में तुम्हे उनसे दूर रहने के लिए कहता हूँ.

रश्मि- (मस्कुरा कर राज को देखती हुई अपने मन में..) भैया आप कहते तो ठीक हो लेकिन तुम्हारी बहन क्या करे उसको तो एक मोटे लंड से चुदने की चाहत है और अगर आपको अपनी बहन का इतना ही ख्याल है तो अपने मोटे डंडे को मेरी चूत में भर कर मेरी चूत फाड़ क्यो नही देते? एक बार मुझे अपने मोटे लंड से चोद दो तो फिर में किसी लड़के को क्या दुनिया के किसी भी मर्द को ही देखना बंद कर दूँगी.

राज- क्या सोच रही हो?

रश्मि- कुछ नही!

राज- देखो रश्मि अब तुम बड़ी हो गई हो इसलिए में तुम्हे ज़्यादा फोर्स नही करूँगा क्योंकि तुम अपना अच्छा बुरा खुद समझ सकती हो, मेरा फर्ज़ था तुम्हे आगाह करने का इसलिए मेने तुम्हे टोंक दिया. अब अगर तुम्हे मेरी बात बुरी लगती है तो फिर में तुम्हे हाथ पकड़ के तो रोक नही सकता. आगे जो भी करना सोच समझ के करना.

रश्मि- (मुस्कुराकर अपने मन में… भैया तुम्हे में बड़ी लगने लगी हूँ तो फिर मेरे गदराए बदन को एक बार अपनी निगाहो से देखो तब तुम्हे पता चल जाएगा कि इस लड़की को अब किस चीज़ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत पड़ रही है. और मुझे तुम्हारा भाषण नही बल्कि तुम्हारा मोटा लंड चाहिए बोलो दे सकते हो? और फिर अचानक रश्मि के मूह से दुबारा ज़ोर से निकल जाता है...) बोलो भैया दे सकते हो?

राज- (उसको देख कर) क्या?

(रश्मि को एक दम अपनी ग़लती का अहसास होता है और वह मुस्कुराकर एक आइस क्रीम और क्या?)

राज- (मुस्कुराते हुए..) अरे भैया एक आइस क्रीम और दे दो.

रश्मि- भैया एक बात कहूँ..

राज- हां बोल!

रश्मि- भैया मेरी एग्ज़ॅम के बाद हम कहीं घूमने चले!

राज- कहाँ जाना है तुझे?

रश्मि- जहाँ आप ले चलो.

राज- ठीक है में आज ही लीव अप्लिकेशन दे देता हूँ तेरी एग्ज़ॅम जब तक ख्तम होगी मेरी छुट्टी भी सेक्षन हो जाएगी.

(रश्मि खुश होकर राज का मूह अपने होंठो से चूम लेती है और राज एक दम से रश्मि को देखता रह जाता है और फिर रश्मि को इतना खुश देख कर वह भी मुस्कुरा देता है, राज अपनी बाइक स्टार्ट करता है और रश्मि अपने भारी चुतड़ों को उचका कर सीट पर टिका देती है और फिर दोनो अपने घर आ जाते है. राज रश्मि को ड्रॉप करके वापस अपने ऑफीस निकल जाता है. रश्मि जैसे ही घर के अंदर जाती है कोमल का कॉल आ जाता है और रश्मि.)

रश्मि- हां! बोल.

कोमल- क्यों जान कहाँ गायब हो गई उस लोंडे को लेकर?

रश्मि- अरे आज तो तूने मुझे मरवा ही दिया था.

कोमल- क्यो क्या हुआ? (रश्मि उसे अपने भैया वाली बात बता देती है और कोमल सुन कर..)

कोमल- लगता है जान तेरे भैया तुझे दूसरे लड़के के साथ देख कर जल भुंज गये थे.

रश्मि- पता नही यार पर में तो एक दम से डर गई थी.

कोमल- एक बात कहूँ!

रश्मि- हां बोल!

कोमल- थोड़ा सा अपने भैया पर ध्यान दे के देख, तुझे तेरे भैया से अच्छा कोई नही चोद सकता है.

रश्मि- क्या बकवास कर रही है.

कोमल- देख में तो तेरी बात का ही जवाब दे रही हूँ. कभी अपने भैया के चेहरे को पढ़ने की कोशिश तो कर. मुझे तो लगता है वह तुझे ज़रूरत से ज़्यादा चाहता है.

रश्मि- (अंदर ही अंदर खुश होती हुई..) तू यह कैसे अंदाज़ा लगा रही है?

कोमल- अच्छा तेरे भैया ने तुझे डाटने के बाद बाद में यह भी कहा होगा कि तू उनकी बात से नाराज़ तो नही है.

रश्मि- (कोमल की बात सुन कर चौक जाती है) हां-हां. कहा था.

कोमल- तो फिर ऐसा लगता है मेरी रानी कि तेरे भैया भी तुझ पर मरते हैं.

रश्मि- तू भी ना कोमल कुछ भी बोलती रहती है चल अब फोन रख हम बाद में बात करेंगे.

कोमल- चल ठीक है ओके बाइ!

(रश्मि फोन काटने के बाद एक पल के लिए कोमल की बात को सोचने लगती है और फिर मुस्कुराती हुई जैसे ही मुड़ती है सामने रजनी खड़ी रहती है.)

रजनी- क्या गुपचुप बाते हो रही थी कोमल और तुझ में?

रश्मि- (मुस्कुराकर) कुछ नही मम्मी वो तो यह कह रही थी कि रश्मि आजकल तेरी मम्मी कुछ ज़्यादा मोटी दिखने लगी है.

रजनी- (मुस्कुराकर) बेटी जब में तेरी उमर में थी तब में भी ऐसे ही बाते बनाने में माहिर थी. तू अपनी मम्मी को बेवकूफ़ समझती है क्या.

रश्मि- ओफफफ्फ़ हो मम्मी अब हम बच्चो की बातों से आप को क्या लेना है?

रजनी- इतनी बड़ी घोड़ी है और अपने आप को बच्चा कहती है.

रश्मि- (मुस्कुराकर) अच्छा में आपको एक बात बताना तो भूल ही गई भैया और हम मेरी एग्ज़ॅम के बाद घूमने जा रहे हैं.

रजनी- अच्छा! कहाँ जाने का इरादा है तुम लोगो का?

रश्मि- यह तो मुझे नही पता भैया ही जाने कहाँ ले जाएगे मुझे.

(उसके बाद रश्मि बाथरूम में जाकर हाथ मूह धोकर आती है और जाकर शीशे के सामने अपने चेहरे को देखने लगती है, और अपने मन में सोचती हुई… क्या में खूबसूरत दिखती हूँ या नही, भैया को में कैसी लगती हूँ पता नही, पर कोमल सही कह रही थी मुझे भैया के चेहरे को पढ़ना होगा कि उनके मन में क्या चल रहा है.
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RE: Parivaar Mai Chudai घर के रसीले आम मेरे नाम - by sexstories - 08-16-2019, 12:09 PM

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