RE: Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली
मैने बेडरूम मे आ कर अपने सभी कपड़े उतार कर नंगी हो कर अटॅच्ड बाथरूम मे आ गई. मैने शवर चालू किया और शवर के ठंडे पानी के नीचे खड़ी हो कर अपने सेक्सी नंगे बदन पर हाथ फिराना चालू किया. मेरा मन हो रहा था कि काश मेरे चाचा या मेरा प्रेमी मेरे साथ इस समय होता तो मैं जम कर चुद्वाती. लेकिन क्या करती, दोनो ही नही थे, दोनो ही गोआ के बाहर थे. मैने अपना एक हाथ अपनी रसीली चूत पर रखा और दूसरे हाथ से अपनी चुचियों को मसल्ने लगी. मेरी सफाचत चूत बाहर और अंदर के पानी से पूरी तरह गीली थी. मेरा बदन ठंडे पानी के नीचे भी गरम हो रहा था और फिर मैं अपने आप को ज़्यादा देर तक रोक नही पाई. मैने अपनी चूत मे अपनी उंगली डाली और जल्दी जल्दी अपनी चूत को अपनी ही उंगली से चोद्ने लगी. मेरी उंगली मेरी चिकनी और रसीली चूत मे अंदर बाहर होने लगी. क्यों कि मैं पहले से ही काफ़ी गरम थी जब से मैने उस आदमी को बकरी की चूत चोद्ते हुए देखा था, मैं जल्दी ही झार गई, पर मुझे ज़्यादा मज़ा नही आया. मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत के अंदर ही थी और मैने अपने दोनो पैर भींच रखे थे. थोड़ी देर बाद मैने अपनी चूत से अपनी गीली उंगली निकाली और शवर बंद कर दिया.
फिर मैने नल खोला और अपने दोनो पैर चौड़े करके, नल की धार के नीचे अपनी चूत को अड्जस्ट कर के बैठी. अब नल की तेज धार सीधी मेरी चूत पर आ रही थी. चूत पर गिरता नल का पानी मुझे बहुत मज़ा दे रहा था. ये एक अनोखा तरीका है खुद को चोद्ने का. नल की बहती हुई तेज धार जो सीधी मेरी खुली हुई चूत के बीच मे गिर रही थी और जल्दी ही मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं एक झटका खा कर बहुत ज़ोर से झर गई. मैं तो जैसे स्वर्ग की सैर कर रही थी इतनी ज़ोर से झार के.
अपने जलते हुए बदन की गर्मी मिटा कर मैं बाथरूम से बाहर आई तो करीब 5.30 हो चुके थे.
मुझे रात की ड्यूटी करने वाले वॉचमन को कुछ ज़रूरी इन्स्ट्रक्षन देने थे इस लिए मैं कपड़े पहन कर बाहर आई. दिन की ड्यूटी करने वाला वॉचमन गेट पर अपने कॅबिन मे था. मैने उस से रात के वॉचमन ( मदन ) के बारे मे पूछा तो उसने बताया कि वो अपने रूम मे है जो कि हमारे कॉटेज के पीछे बना हुआ था. दोनो वॉचमन के रहने के लिए रूम कॉटेज के पीछे बने थे. मैने उसको बुलाने के बजाय खुद ही उस के रूम की तरफ जाने की सोची.
मैं जब उसके रूम के पास पहुँची तो पाया कि उसका रूम अंदर से बंद है. अचानक मैने कुछ आवाज़ें सुनी ऊ..... .आ ..... ऊऊओह .......... आआहह.
मैं जानती थी कि मदन अकेला रहता था. फिर ये आवाज़ें कैसी? ज़रूर वो किसी औरत को अपने रूम मे बुला कर चोद रहा था, पर मैने कोई जानना आवाज़ नही सुनी. मैं उसके रूम की खुली खिड़की की तरफ बढ़ी. उस दिन का दूसरा अनोखा ड्रामा देख कर मैं दंग रह गई.
मदन पूरी तरह नंगा था और उस के साथ एक 16 / 17 बरस का लड़का था, वो भी पूरा नंगा था. मदन उस लड़के की गंद मार रहा था. लड़का घोड़ी बना हुआ था और उस लड़के को पीछे से कुत्ते की तरह चोद रहा था. मदन का लंड पूरा उस भोले भाले दिखने वाले लड़के की गंद मे था और वो लड़का दर्द के मारे ऊऊहह.....आआहह आआहह कर रहा था. जब भी मदन अपने लॅंड का धक्का उसकी गंद मे लगता, लड़का दर्द के मारे धीरे धीरे चिल्लाता था. वो बहुत ही प्यारा सा और सुंदर लड़का था. उसकी गंद छ्होटी सी थी पर बहुत ही प्यारी लग रही थी गोल गोल. उस लड़के का लंड गुलाबी रंग का था. लड़के का लंड मोटा नही था पर लंबा था. मैने देखा की मदन का लंड भी कोई मोटा नही था पर फिर भी उस लड़के को गंद मरवाने मे दर्द हो रहा था. उस लड़के का लंड मुझे पूरा दिख रहा था क्यों कि वो घोड़ी बना हुआ था और मदन पीछे से उसकी गंद मार रहा था. मिने गंद मारने और मरवाने की कई मूवी देखी थी पर पहली बार अपनी आँखों के सामने किसी को गंद मारते और मरवाते हुए देख रही थी. उस लड़के की गंद मारते हुए मदन ने अपना हाथ नीचे करके उस लड़के के पतले, गुलाबी लंड को पकड़ा और उस को हिलाने लगा. वो उस लड़के की गंद मार रहा था और उसके लंड को पकड़ कर मूठ मार रहा था. थोड़ी देर बाद उस ने उस लड़के की गंद से अपना लंड निकाल कर सॉफ किया तो मैने देखा की मदन का लंड साधारण लंबाई का था और मोटा भी नही था लेकिन मज़बूत लग रहा था उस का काला लंड. अब वो दोनो नंगे एक दूसरे के आमने सामने बैठे थे. मदन ने उस लड़के के हाथ मे अपना लंड दिया और उस को मूठ मारने को कहा. लड़के ने वो ही किया जो मदन ने कहा था. उसने मदन का लंड अपनी हथेली मे पकड़ा और उपर नीचे.... उपर नीचे करते हुए मूठ मारने लगा. मदन पहले ही उस की गंद मार कर गरम हो चुका था इस लिए जल्दी ही उस के लंड ने पानी निकाल दिया. फिर मदन ने उस लड़के के प्यारे से, गुलाबी लंड को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से हिलाते हुए मूठ मारने लगा. अब लगता था की लड़के को भी मूठ मरवाने मे मज़ा आने लगा था और उसकी आँखें बंद होने लगी थी. जिस तरह उसने मदन के लंड पर मूठ मारी थी, उस से लगता था की उस लड़के को चुदाई के बारे मे ज़्यादा मालूम नही था. मदन ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी मूठ मार रहा था लेकिन काफ़ी समय तक लड़के का पानी नही निकला था. लगता था बड़ा हो कर वो चुदाई का उस्ताद बनेगा और किसी भी औरत या लड़की को बहुत देर तक चोदेगा. मदन ने तक कर अपना हाथ बदली किया और अपने दूसरे हाथ से फिर से ज़ोर ज़ोर से उस लड़के के लंड को हिलाते हुए आगे पीछे...... उपर नीचे करने लगा. थोड़ी देर बाद लड़के की गंद उपर होने लगी और उसके लंड ने ज़ोर से हवा मे पानी छ्चोड़ा.
मैं वहाँ से हट गई और वापस मैन गेट पर आ कर दिन के वॉचमन को मदन को मेरे पास कॉटेज के ऑफीस मे भेजने को कहा.मैने बेडरूम मे आ कर अपने सभी कपड़े उतार कर नंगी हो कर अटॅच्ड बाथरूम मे आ गई. मैने शवर चालू किया और शवर के ठंडे पानी के नीचे खड़ी हो कर अपने सेक्सी नंगे बदन पर हाथ फिराना चालू किया. मेरा मन हो रहा था कि काश मेरे चाचा या मेरा प्रेमी मेरे साथ इस समय होता तो मैं जम कर चुद्वाती. लेकिन क्या करती, दोनो ही नही थे, दोनो ही गोआ के बाहर थे. मैने अपना एक हाथ अपनी रसीली चूत पर रखा और दूसरे हाथ से अपनी चुचियों को मसल्ने लगी. मेरी सफाचत चूत बाहर और अंदर के पानी से पूरी तरह गीली थी. मेरा बदन ठंडे पानी के नीचे भी गरम हो रहा था और फिर मैं अपने आप को ज़्यादा देर तक रोक नही पाई. मैने अपनी चूत मे अपनी उंगली डाली और जल्दी जल्दी अपनी चूत को अपनी ही उंगली से चोद्ने लगी. मेरी उंगली मेरी चिकनी और रसीली चूत मे अंदर बाहर होने लगी. क्यों कि मैं पहले से ही काफ़ी गरम थी जब से मैने उस आदमी को बकरी की चूत चोद्ते हुए देखा था, मैं जल्दी ही झार गई, पर मुझे ज़्यादा मज़ा नही आया. मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत के अंदर ही थी और मैने अपने दोनो पैर भींच रखे थे. थोड़ी देर बाद मैने अपनी चूत से अपनी गीली उंगली निकाली और शवर बंद कर दिया.
फिर मैने नल खोला और अपने दोनो पैर चौड़े करके, नल की धार के नीचे अपनी चूत को अड्जस्ट कर के बैठी. अब नल की तेज धार सीधी मेरी चूत पर आ रही थी. चूत पर गिरता नल का पानी मुझे बहुत मज़ा दे रहा था. ये एक अनोखा तरीका है खुद को चोद्ने का. नल की बहती हुई तेज धार जो सीधी मेरी खुली हुई चूत के बीच मे गिर रही थी और जल्दी ही मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं एक झटका खा कर बहुत ज़ोर से झर गई. मैं तो जैसे स्वर्ग की सैर कर रही थी इतनी ज़ोर से झार के.
अपने जलते हुए बदन की गर्मी मिटा कर मैं बाथरूम से बाहर आई तो करीब 5.30 हो चुके थे.
मुझे रात की ड्यूटी करने वाले वॉचमन को कुछ ज़रूरी इन्स्ट्रक्षन देने थे इस लिए मैं कपड़े पहन कर बाहर आई. दिन की ड्यूटी करने वाला वॉचमन गेट पर अपने कॅबिन मे था. मैने उस से रात के वॉचमन ( मदन ) के बारे मे पूछा तो उसने बताया कि वो अपने रूम मे है जो कि हमारे कॉटेज के पीछे बना हुआ था. दोनो वॉचमन के रहने के लिए रूम कॉटेज के पीछे बने थे. मैने उसको बुलाने के बजाय खुद ही उस के रूम की तरफ जाने की सोची.
मैं जब उसके रूम के पास पहुँची तो पाया कि उसका रूम अंदर से बंद है. अचानक मैने कुछ आवाज़ें सुनी ऊ..... .आ ..... ऊऊओह .......... आआहह.
मैं जानती थी कि मदन अकेला रहता था. फिर ये आवाज़ें कैसी? ज़रूर वो किसी औरत को अपने रूम मे बुला कर चोद रहा था, पर मैने कोई जानना आवाज़ नही सुनी. मैं उसके रूम की खुली खिड़की की तरफ बढ़ी. उस दिन का दूसरा अनोखा ड्रामा देख कर मैं दंग रह गई.
मदन पूरी तरह नंगा था और उस के साथ एक 16 / 17 बरस का लड़का था, वो भी पूरा नंगा था. मदन उस लड़के की गंद मार रहा था. लड़का घोड़ी बना हुआ था और उस लड़के को पीछे से कुत्ते की तरह चोद रहा था. मदन का लंड पूरा उस भोले भाले दिखने वाले लड़के की गंद मे था और वो लड़का दर्द के मारे ऊऊहह.....आआहह आआहह कर रहा था. जब भी मदन अपने लॅंड का धक्का उसकी गंद मे लगता, लड़का दर्द के मारे धीरे धीरे चिल्लाता था. वो बहुत ही प्यारा सा और सुंदर लड़का था. उसकी गंद छ्होटी सी थी पर बहुत ही प्यारी लग रही थी गोल गोल. उस लड़के का लंड गुलाबी रंग का था. लड़के का लंड मोटा नही था पर लंबा था. मैने देखा की मदन का लंड भी कोई मोटा नही था पर फिर भी उस लड़के को गंद मरवाने मे दर्द हो रहा था. उस लड़के का लंड मुझे पूरा दिख रहा था क्यों कि वो घोड़ी बना हुआ था और मदन पीछे से उसकी गंद मार रहा था. मिने गंद मारने और मरवाने की कई मूवी देखी थी पर पहली बार अपनी आँखों के सामने किसी को गंद मारते और मरवाते हुए देख रही थी. उस लड़के की गंद मारते हुए मदन ने अपना हाथ नीचे करके उस लड़के के पतले, गुलाबी लंड को पकड़ा और उस को हिलाने लगा. वो उस लड़के की गंद मार रहा था और उसके लंड को पकड़ कर मूठ मार रहा था. थोड़ी देर बाद उस ने उस लड़के की गंद से अपना लंड निकाल कर सॉफ किया तो मैने देखा की मदन का लंड साधारण लंबाई का था और मोटा भी नही था लेकिन मज़बूत लग रहा था उस का काला लंड. अब वो दोनो नंगे एक दूसरे के आमने सामने बैठे थे. मदन ने उस लड़के के हाथ मे अपना लंड दिया और उस को मूठ मारने को कहा. लड़के ने वो ही किया जो मदन ने कहा था. उसने मदन का लंड अपनी हथेली मे पकड़ा और उपर नीचे.... उपर नीचे करते हुए मूठ मारने लगा. मदन पहले ही उस की गंद मार कर गरम हो चुका था इस लिए जल्दी ही उस के लंड ने पानी निकाल दिया. फिर मदन ने उस लड़के के प्यारे से, गुलाबी लंड को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से हिलाते हुए मूठ मारने लगा. अब लगता था की लड़के को भी मूठ मरवाने मे मज़ा आने लगा था और उसकी आँखें बंद होने लगी थी. जिस तरह उसने मदन के लंड पर मूठ मारी थी, उस से लगता था की उस लड़के को चुदाई के बारे मे ज़्यादा मालूम नही था. मदन ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी मूठ मार रहा था लेकिन काफ़ी समय तक लड़के का पानी नही निकला था. लगता था बड़ा हो कर वो चुदाई का उस्ताद बनेगा और किसी भी औरत या लड़की को बहुत देर तक चोदेगा. मदन ने तक कर अपना हाथ बदली किया और अपने दूसरे हाथ से फिर से ज़ोर ज़ोर से उस लड़के के लंड को हिलाते हुए आगे पीछे...... उपर नीचे करने लगा. थोड़ी देर बाद लड़के की गंद उपर होने लगी और उसके लंड ने ज़ोर से हवा मे पानी छ्चोड़ा.
मैं वहाँ से हट गई और वापस मैन गेट पर आ कर दिन के वॉचमन को मदन को मेरे पास कॉटेज के ऑफीस मे भेजने को कहा.
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