RE: Maa Bete ki Vasna मेरा बेटा मेरा यार
“ तुम्हारा निर्णय अब मुझे पता चल गया है ” में बुदबुदायी और फिर एक झटके से उठी और अपनी प्लेट लेकर किचन में चली गयी ।
मेरा दुःख देखकर राज का दिल भर आया । मेरे उदास और लटके हुए चेहरे को देखकर उसने उसी क्षण फैसला ले लिया , भाड़ में जाये , समाज के नियम - कानून । मेरी माँ मुझे इतना चाहती है और मैं उसे चाहता हूँ , तो हमें औरों से क्या लेना देना ।
राज अपनी कुर्सी से उठा और मेरी ओर बढ़ा । मेरे को अपनी तरफ घुमाकर उसने मजबूत बाँहों के घेरे में भरके मुझे अपनी ओर खींचा । मेने अपनी आँसुओं से भरी आँखें उठाकर राज की आँखों में देखा , वहां अब असमंजस के भाव नहीं थे , राज निर्णय ले चुका था ।मेने अपनी बाहें उसके गले में डालकर उसकी छाती में अपना सर रख दिया ।
हम दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही खड़े रहे । राज ने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरे चूतड़ों को पकड़कर मुझे प्यार से थोड़ा और अपनी तरफ खींचा । मै मानो इन्ही पलों का इंतज़ार कर रही थी मै खुद ही राज से चिपट गयी । राज की बांहों में जो ख़ुशी मेरे को मिली उससे मुझे ऐसा महसूस हुआ मानो मेरा दिल ही उछल कर बाहर आ जायेगा ।
राज ने फिर से अपनी माँ के नरम जिस्म और उसकी मादक गंध को महसूस किया । लेकिन वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था । उसके दिल से बोझ उतर चुका था और वो अब बहुत हल्का महसूस कर रहा था । राज ने अपना सर झुकाकर मेरे को देखा , पहली बार एक लड़के की नज़र से , मै खूबसूरत थी और अब तो राज का दिल भी पिघल चुका था । अब उनके बीच कोई दीवार नहीं थी । राज ने मेरे माथे का धीरे से चुम्बन लिया और फिर मेरे सर के ऊपर अपना चेहरा रख दिया । मेने राज का चुम्बन अपने माथे पर महसूस किया , मेरे पूरे बदन में एक लहर सी दौड़ गयी और तभी मुझे राज का चेहरा अपने बालों में महसूस हुआ । मेने अपने सर को थोड़ा हटाया और राज की तरफ देखा । दोनों की नज़रें मिली ।
" तुम ये मेरी खुशी के लिए कर रहे हो ? " मै फुसफुसाई ।
"हमारी ख़ुशी के लिए मॉम " राज मुस्कुराया ।
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