RE: Incest Kahani माँ बेटी की मज़बूरी
अब दोनों मुर्गी मेरी मुट्ठी में थी … एक चुप और दूसरी फड़फड़ाती हुई। लेकिन उसके पर काटने में भी मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगेगा, यह मैं जानता था.
मैंने सुशीला को छोड़ दिया, वो मुंह लटकाये हुए बेड पर बैठ गयी.
मैं- मानसी … अब देर किस बात की? चलो खेल शुरु करते हैं।
मेरा अब उसकी माँ के सामने उसे चोदने का अब प्रोग्राम था.
मानसी मेरे पास आयी और हम दोनों के प्यासे होंठ मिल गये। मानसी को तो लाइसेंस मिल गया था। अभी अभी वो नहा के आई थी। सुशीला हमें देखते ही रह गयी, वो गुस्से से दोनों को देख रही थी मगर कुछ बोल नहीं पा रही थी.
और मानसी ने मेरी धोती खींच दी … मेरा लंड फन लहराते हुए धोती से आजाद था … सुशीला की नजर एक बार उस पर पड़ी तो वो देखती ही रह गई.
मैं- क्या देख रही हो भाभी? लगता है कि पसंद आ गया?
सुशीला ने लाज से सर को दूसरी तरफ घुमा दिया।
मैं मन में- चिंता मत कर साली … तुझे भी चोदूँगा … मगर तड़पा तड़पा कर!
अब मैंने उसकी बेटी को उसके सामने बेड पर पटक दिया और चढ़ गया उसके उपर और उसके कपड़े उतार दिए.
मैंने अपना कुर्ता भी उतार कर फेंक दिया.
मानसी- क्या कर रहे हो मुनीम जी? आहिस्ता से … आपने तो मेरा ड्रेस फाड़ दिया?
मैं- चिंता मत करो … और दस खरीद लाएँगे.
मानसी- ठीक है … मगर आहिस्ते!
मैं पूरा जानवर बन गया था, मैंने मानसी को पलट दिया और उसकी गाण्ड में कस के लंड पेल दिया.
मानसी- मर गई … आहह आह!
सुशीला की भी आँखें फट के रह गयी. मैंने सुशीला की ओर देख कर और एक जोर का धक्का मारा और मानसी की गाण्ड से खून निकल आया। सुशीला देखती ही रह गयी … उसकी आँखें फट चुकी थी जैसे!
मेरे लंड पर मुझे मानसी की कसी गाण्ड का दबाव महसूस हो रहा था, मानसी की जवान गांड ने मेरे विशाल लंड को जकड़ लिया था.
मानसी- मुनीम जी, क्या कर रहे हो … मेरी तो गांड फट गई … इतना बड़ा लंड … मुझ पर दया करो मुनीम जी। इसे निकालो मेरी नाजुक गाण्ड से!
मैं- चुप कर यार … थोड़ी देर की बात है, तेरी गांड ढीली हो जायेगी तो मजा आयेगा.
उसने अपनी माँ के सामने ऐसे बात सुनकर बात बढ़ाना ठीक नहीं समझा।
मैं- और ले मेरी रानी!
और उसके चूतड़ को दोनों हाथ से दबा कर एक जोर का धक्का मारा … अब मेरा पूरा लंड अब मानसी की गांड के अंदर था। उसके मुँह से चीख निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
लेकिन मैंने उस पर थोड़ा भी रहम नहीं किया और लंड को थोड़ा बाहर निकाल के फिर से धक्का लगाया. वो सिर्फ चिल्लाती रह गयी … क्या मजा था … उसकी चीख में!
अब मैं उसकी चूचियों को जोर जोर से दबा रहा था और गांड में धक्का भी मार रहा था और सुशीला के चेहरे को देख के मुस्कुरा रहा था.
कुछ देर के बाद मानसी साथ देने लगी और चिल्लाना छोड कर सिसकारी भरने लगी. अब मैं भी जोश में आकर और स्पीड बढ़ाता गया- ले साली और ले … मेरी नयी नवेली रंडी!
सुशीला आंखें फाड़ कर वैसे ही देखे जा रही थी कि उसकी बेटी क्या कर रही है! उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे!
थोड़ी देर बाद मैंने मानसी की गाण्ड में अपना पानी छोड दिया और उसके नंगे बदन के ऊपर लुढ़क गया.
हम दोनों हांफ रहे थे.
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