RE: Incest Kahani माँ बेटी की मज़बूरी
अब मैं झड़ने वाला था- मजा आ रहा है!
मानसी- बहुत …
मैं- अब हाथ हटाओ मेरे लंड से … नहीं तो मैं झड़ जाऊँगा.
उसने मेरी बात मानकर लंड के ऊपर से हाथ हटा लिया.
मैं- अब तुम आनन्द लो …
यह बोल कर उसके काँधे से हाथ हटा कर उसकी जांघ के बीच रख दिया।
मानसी- कोई देख लेगा।
मैं- देखने दो … कौन पहचानता है यहाँ हमें!
और दो उंगली उसकी चूत पर भिड़ा दी. झूले के साथ ही उसकी चूत के दाने से मेरी उंगलियां टकराने लगी … अब उसे आनन्द आने लगा था, वो सिसकारी निकाल रही थी ‘आह स्सस …’ आंखें बंद करके!
जब नीचे झूला आया तो सुशीला को सब मालूम पड़ गया. मैंने उसे देख कर एक कुटिल मुस्कान दी और जोर से उसकी बेटी की चूत में उंगली दबा दी. कपड़ों के ऊपर से.
मानसी की जोर से सिसकारी किलकारी निकली … सब समझे कि मानसी झूले के कारण चिल्ला रही है और सिसकारी मार रही है.
मगर सुशीला को पता था कि वो किसलिये सिसकारी मार रही है।
मानसी- मैं झड़ने वाली हूँ!
मैं- अब हाथ मेरे लंड पे रख के सहलाओ, दोनों साथ में झड़ेंगे.
उसने ऐसा ही किया और मेरे लंड को जोर जोर से हिलाने लगी. और मैं उंगली जोर जोर से उसकी चूत में घुसाने लगा उसके कपड़ों के ऊपर से.
वो चिल्लाने लगी थी अब … मेरी भी अन्तिम आनन्द में आंखें बंद थी और सिसकारी निकल रही थी. हम दोनों का पानी बहने लगा था … मेरा लंड दो- तीन पिचकरी छोड़ कर शांत हो गया और हम दोनों हांफने लगे थे.
कुछ और देर घूमने के बाद झूला रुका … हम दोनों थक गये थे। हांफते हुए हम दोनों उस बक्से से उतरे और सुशीला के पास गए।
सुशीला की नजर हम दोनों को घूरती जा रही थी पर हम दोनों शांत थे, हमने सुशीला की ओर कोई ध्यान नहीं दिया और चलने लगे जैसे सुशीला अकेली आयी हो।
मैं चलता जा रहा था साथ में मानसी और पीछे सुशीला।
कुछ देर के बाद मैं बोला- चलो कुछ खरीदते हैं मानसी मेले से!
सुशीला गुस्से से- नहीं हम कमरे में चलेंगे.
मैं- इतनी भी क्या जल्दी है? क्यूं मानसी?
सुशीला- नहीं, हमें कुछ नहीं खरीदना है. मानसी, जो बोला वो करो।
मानसी थोड़ा सहम गयी और चुपचाप खड़ी रही.
मैं- भाभी, तुम भी न … बच्ची को बेकार में डांट देती हो।
सुशीला- अब वो बच्ची नहीं रही … और तुम दोनों जो कर रहे हो … वो ठीक नहीं है.
मैं- लो भाभी जी, हमने क्या किया?
सुशीला- देखो मुनीम जी, तुम जो हमारे साथ कर रहे हो, वो ठीक नहीं है।
वो गुस्से से चिल्लाई.
मैं- मैंने ऐसा क्या किया? थोड़ा सा मानसी बिटिया से प्यार किया.
सुशीला- हमें मत समझाओ … तुम इस का गलत फायदा उठा रहे हो … हम गाँव में जाकर सब बता देंगे।
वो फिर गुस्से से चिल्ला कर बोली।
मैं गुस्से में- बोलिये क्या बोलोगी? जानती हो हम यहीं पर तुम दोनों को अगर रंडीखाने में छोड़ के चले जायेंगे … तो कोई पूछने वाला नहीं होगा। गाँव में बोल देंगे कि मेले में दोनों माँ बेटी खो गई.
सुशीला और मानसी थोड़ा सहम गई मेरी भाषा सुन के!
मैं- चलो चलते हैं कमरे में!
हम सब चुपचाप कमरे में चले आये.
|