Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
08-12-2019, 12:46 PM,
#14
RE: Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते
कुछ देर ज़ाहिद ने ऊपर से कोई हरकत ना की मगर नीचे से जमशेद हल्के हल्के झटके मारता हुआ अपनी बेहन की चूत को चोदने में मसरूफ़ रहा.

नीलोफर ने अब अपनी गान्ड को थोड़ा ढीला छोड़ दिया. जिस की वजह उस की गान्ड में दर्द की शिद्दत कम होने लगी और अब उसे अपनी गान्ड में फँसा हुआ ज़ाहिद का लंड अच्छा लगने लगा.

जब ज़ाहिद ने महसूस किया कि नीलोफर की गान्ड की दीवारे उस के लंड के इर्द गिर्द थोड़ी ढीली पड़ने लगी हैं. तो वो भी समझ गया कि अब नीलोफर की गान्ड ने उस के लंड को अपनी आगोश में “काबूलियत” का “शरफ” बख्स दिया है.

इस बात को जानते ही ज़ाहिद ने आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को आगे पीछे कर के नीलोफर की गान्ड की चुदाई दुबारा से शुरू कर दी.

ज़ाहिद ने अपना पूरा दबाव नीलोफर की पुष्ट पर डाला हुआ था. जिस की वजह से नीलोफर बुरी तरहा अपनी भाई के सीने से चिपटी हुई थी. और ज़ाहिद के झटकों की वजह से नीलोफर के बड़े बड़े मम्मे के निपल्स उस के भाई की सख़्त छाती से रगड़ खा रहे थे. इस वजह से नीलोफर को अपनी चुदाई का और भी मज़ा आ आने लगा.


नीलोफर की चूत और गान्ड के दरमियानी हिस्से में जो उस के बदन का पतला सा गोश्त था.उस गोश्त के अंदर से जमशेद को नीलोफर की गान्ड में जाता हुआ ज़ाहिद का लंड अपने लंड से टकराता हुआ महसूस हो रहा था.

जब कि नीचे से ज़ाहिद के लटकते हुए टटटे जमशेद के टट्टो के साथ टकरा रहे थे.

अब नीलोफर अपने भाई और एएसआइ ज़ाहिद के दरमियाँ में एक स्वन्डविच बनी हुई थी. और वो दोनो नीलोफर की चूत और गान्ड को मज़े ले ले कर चोद रहे थे.

नीलोफर ने इस से पहले कभी दो मर्दो से एक साथ नही चुदवाया था. इस लिए चुदाई के इस अंदाज़ ने उस को जिन्सी लज़्ज़त की उन मंज़िलो तक पहुँचा दिया कि जिस का उस ने कभी तसव्वुर भी नही किया था.

वो अब तक कितनी बार झड चुकी थी. इस का खुद उसे भी नही पता था.झड झड कर नीलोफर की चूत पूरी सूख चुकी थी.

नीलोफर को अपनी इस तरह की चुदवाइ का बहुत मज़ा आ रहा था और वो मज़े के आलम में चीखने लगी.

जमशेद और ज़ाहिद को नीलोफर की चूत और गान्ड की चुदाई करते हुए 10 मिनिट्स से ज़्यादा का टाइम हो गाया था.और इस ज़ोरदार चुदाई की वजह से वो तीनो पसीने पसीने हो गये थे.

कुछ लम्हे बाद जमशेद बोला: ओह्ह्ह्ह नीलोफर मेरी जान में अब छूटने वाला हूँ.

ज़ाहिद ने ज्यों ही यह सुना तो वो नीलोफर के पीछे से फॉरन बोला: यार थोड़ा सबर कर में भी छूटने लगा हूँ दोनो साथ छूटेंगे.

फिर दोनो ने एक साथ पूरे जोश में आ कर नीलोफर की चूत और गान्ड में झटके मारे.

दोनो के लंड ने एक साथ झटका खाया और दोनो के लंड से एक साथ वीर्य की पिचकारी निकली. जो नीलोफर की चूत और गान्ड को एक साथ भरती चली गई.

दो लंड के गरमा गरम वीर्य को एक साथ अपनी चूत और गान्ड के अंदर छूटता हुआ महसूस कर के नीलोफर को जो मज़ा मिला वो उस के लिए ना क़ाबले बयान था.

मज़े की शिद्दत से महज़ूज़ होते हुए नीलोफर के जिस्म ने एक झटका खाया और उस की अपनी चूत ने भी एक बार फिर अपना पानी छोड़ दिया.

अपनी चूत का पानी छूटा हुआ महसूस करते ही नीलोफर को ऐसा स्वाद आया कि उस ने मज़े में आते हुए अपनी आँखे बंद कर लीं.

नीलोफर की ऐसी चुदाई आज तक किसी ने नही की थी.वो अपने हाल से बे हाल हो गई थी. और वो इस भरपूर चुदाई के हाथो बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी.

अब वो तीनो बिस्तर पर एक दूसरे के ऊपर उसी तरह पड़े लंबी लंबी साँसे ले रहे थे.

जमशेद और ज़ाहिद के लंड अभी तक नीलोफर की गान्ड और चूत में धन्से हुए थे. और उन के लंड का रस आहिस्ता आहिस्ता बहता हुआ नीलोफर की चूत और गान्ड से बाहर निकल कर बिस्तर की चादर में जज़्ब हो रहा था.

कुछ देर बाद जब अपने जिस्म के ऊपर बेसूध पड़े एएसआइ ज़ाहिद के जिस्म का बोझ नीलोफर के लिए ना क़ाबले बर्दास्त हो गया तो उस ने ज़ाहिद को अपने जिस्म से अलग होने को कहा.

ज्यों ही ज़ाहिद नीलोफर से अलहदा हो कर बिस्तर पर ढेर हुआ. तो नीलोफर की जान में जान आई.

थोड़ी देर अपनी बिखरी सांसो को बहाल करने के बाद नीलोफर अपनी भाई के लंड से उठी और अपने कपड़े ले कर बाथरूम की तरफ चल पड़ी.

आज दो मर्दो के हाथो अपनी चुदाई और ख़ास्स तौर पर पहली दफ़ा गान्ड मरवाई के बाद नीलोफर के लिए इस वक्त बाथरूम तक चल कर जाना भी मुश्किल हो रहा था.

उस की चूत और गान्ड चुदाई की शिद्दत की वजह से सूज कर फूल गईं थीं. और उस की चूत और गान्ड में बुरी तरह से एक जलन सी हो रही थी.जिस की वजह से उस के लिए चलना भी मुहाल हो रहा था.

जैसे तैसे कर के वो बाथरूम पहुँची और अपने मुँह और जिस्म को सॉफ कर के उस ने बड़ी मुश्किल से अपने कपड़े पहने और फिर बाथरूम से बाहर निकल आई.

नीलोफर के बाथरूम से बाहर आने तक जमशेद और ज़ाहिद भी अपने अपने कपड़े पहन चुके थे.

ज्यों ही नीलोफर बाथरूम से वापिस लॉटी तो एएसआइ ज़ाहिद ने दोनो बेहन भाई को अपनी क़ैद से रिहाई की सज़ा सुनाई.

जमशेद और नीलोफर को यकीन ना हुआ कि ज़ाहिद उन को यूँ पैसे लिए बगैर जाने दे गा.

मगर फिर ज्यों ही उन्हो ने ज़ाहिद के मुँह से चले जाने के इलफ़ाज़ सुने. तो जमशेद और नीलोफर ने फॉरन कमरे से बाहर निकल जाने में ही अपनी ख़ैरियत समझी.

वो दोनो बेहन भाई जैसे ही कमरे से बाहर निकलने लगे तो ज़ाहिद ने उन को पीछे से आ कर फिर रोक लिया.

ज़ाहिद: में तुम दोनो को एक शर्त पर जाने की इजाज़त दे रहा हूँ.

जमशेद: वो क्या?.

ज़ाहिद: बात यह है कि आज नीलोफर को चोद कर मुझे बहुत मज़ा आया है और में चाहता हूँ कि तुम कभी कभार उसे मुझ से चुदवाने के लिए इधर ले आया करो.

यह कह कर ज़ाहिद ने जमशेद को अपने मकान की चाभी देते हुए कहा” इसे अपने पास रख लो और जब दिल चाहे तुम लोग बिना किसी खोफ़ के इधर आ कर एक दूसरे के साथ चुदाई कर सकते हो.

जमशेद दिली तौर पर ज़ाहिद की किसी शर्त या ऑफर को कबूल करने पर तैयार ना हुआ. मगर मोके की नज़ाकत को समझते हुए उस ने खामोशी इक्तियार कर के ज़ाहिद से चाभी ले कर अपनी पॉकेट में रख ली और अपनी बेहन को ले कर तेज़ी से बाहर निकल गया.

उस शाम जब ज़ाहिद अपने घर वापिस आया तो उस की नज़र घर के सहन में काम करती अपनी बेहन शाज़िया पर पड़ी. जो उस वक्त एक टब में पानी ले कर सब घर वालो कपड़े धोने में मसरूफ़ थी.



ज़ाहिद को घर के अंदर आते देख कर शाज़िया ने अपने भाई को सलाम किया और भाई का हाल चाल पूछ कर दुबारा अपने काम में मसरूफ़ हो गई.

शाज़िया को देखते ही ज़ाहिद को दिन में नीलोफर की कही हुई बात याद आ गई. कि जवान जिस्म की आग बहुत ज़ालिम होती है. और जवानी की यह आग रात की तन्हाई में एक अकेली औरत को उस के बिस्तर पर बहुत तंग करती है.

ज़ाहिद यह बात याद कर के सोच में पड़ गया. कि अगर शादी शुदा होने के बावजूद नीलोफर को उस की जिस्म की आग इतना तंग कर सकती है.के वो अपने शोहर के होते हुए भी अपने ही सगे भाई से चुदवाने पर मजबोर हो जाय.

जब कि उस की बेहन शाज़िया तो एक तलाक़ याफ़्ता औरत है. वो अभी जवान है और नीलोफर की तरह यक़ीनन शाज़िया की जवानी के भी जज़्बात होंगे . तो वो कैसे अपने इन जज़्बात को ठंडा करती होगी.

आज दिन को पेश आने वाले वाकये का खुमार अभी तक ज़ाहिद के होशो-हवास पर छाया हुआ था. जिस ने ज़ाहिद को अपनी बेहन के बड़े में पहली बार ऐसा कुछ सोचने पर मजबूर ज़रूर कर दिया था. जब के आम हालत में ज़ाहिद के दिमाग़ में इस किस्म की सोच आना एक नामुमकिन सी बात होती.

लेकिन इस के साथ साथ हर भाई की तरह ज़ाहिद के लिए भी उस की बेहन एक शरीफ और पाक बाज़ औरत थी.और अपनी बेहन के मुतलक ज़ाहिद ज़ेहनी तौर पर यह बात कबूल करने को तैयार नही हो पा रहा था. कि नीलोफर की तरह उस की बेहन शाज़िया भी गरम होती हो गी.

इस लिए वो अपने दिमाग़ में आने वाले इन ख्यालात को झटकता हुआ अपनी अम्मी के पास टीवी लाउन्ज में जा बैठा.
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