RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
रति- फिर भी राज तुझे क्या अच्छा लगता है तू बता दे मैं वही पहन लेती हू,
राज- ओके मम्मी आप साडी और ब्लौज पहन कर चलो
रति- ओके यह ठीक रहेगा,
चूँकि संगीता रात को मम्मी के साथ ही सोती थी इसलिए उसे रात मे भी चोदना मुश्किल रहता था रात जैसे तैसे
कटी और सुबह मैं जल्दी से तैयार हो गया और उधर मम्मी तो बिल्कुल लाल साडी और ब्लौज मे दुल्हन की तरह नज़र
आ रही थी, मम्मी ने संगीता को घर मे ही रहने की हिदायत देते हुए मेरी बाइक पर बैठ कर मेरे साथ चल
दी,
सीट पर बिल्कुल जगह नही थी मम्मी के भारी चूतादो ने पूरी गाड़ी की सीट को कवर कर लिया था, मम्मी जब
बैठी थी तो आधी मेरे उपर ही टिकी हुई थी और उनके जिस्म से एक बड़ी चुदास वाली गंध आ रही थी और उनके
मुलायम बदन के स्पर्श से मैं काफ़ी अच्छा महसूस कर रहा था,
हम मज़े मे चलते हुए आ रहे थे जब मैं रोड से नीचे गाँव का कच्चा रास्ता चालू हुआ तो वह आम के
बड़े से बगीचे जहाँ संगीता चुदी थी उसी बगीचे मे काफ़ी सन्नाटा था और मैं अपनी बाइक बड़े धीरे चलाते
हुए चला जा रहा था मा भी सामने देख रही थी इतने मे सामने के पेड़ से दो आदमी हमारे सामने कूदे और
मैने बाइक रोक दी और मम्मी एक दम से नीचे उतर गई, सामने हरिया और रामू डाकू वाला भेष बना कर
बंदूक लिए खड़े थे हरिया तो शकल से ही डकैत नज़र आ रहा था,
हरिया ने मेरे गले पर बंदूक की नली अड़ा दी और कहने लगा,
हरिया- क्यो बे लोंडे इस मस्त लोंड़िया को ले कर कहाँ जंगल मे चला जा रहा है,
राज- इज़्ज़त से बोलो वह मेरी मा है
हरिया- बहुत खराब मूह बना कर, अबे साले हमे चोदना सिखाता है ज़रा सी उंगली दबा दी तो दो मिनिट मे
तोहरी गर्दनिया मे होल बन जाएगा, और फिर हरिया ने रामू की ओर देख कर, क्यो करिया मोड़ दे अपनी उंगली,
रामू- ज़्यादा टे टे करे सरदार तो मोड़ दो, साले यही ढेर हो जाएगे,
रति- कौन हो तुम लोग और क्या चाहते हो,
मम्मी काफ़ी डर रही थी और मुझसे बिल्कुल सॅट कर मुझे पकड़ कर खड़ी थी,
हरिया- ठहाका लगा कर हस्ते हुए रामू की ओर देख कर उसकी पीठ मे मारते हुए, अरे करिया देख ये मस्तानी
लोंड़िया कैसे हमसे मज़ाक कर रही है, साली के सामने डाकू खड़ा है और यह पुच्छ रही है कौन हो तुम हा हा
हा हा हा .........हा ....
राज- देखो सरदार हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है हमारे पास तो धन दोलत भी नही है हमे जाने दो,
हरिया- देख लोंडे हम डाकू ज़रा अलग किसम के है, हमे तुझे लूटना होता तो अब तक धाय से गोली दाग कर लूट
कर चले जाते बट का है ना हम आदमी ज़रा दूजे किसम के है, हमे तुम यह बता दो कि इस गदराए माल को लेकर
कहाँ जा रहे हो,
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