RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
गन्ने की मिठास--33
गतान्क से आगे......................
संगीता- मुझे यकीन नही होता कि मेरे भैया इतने चुड़क्कड़ है, क्या वह सचमुच मुझे चोदने के लिए यहाँ लाए है,
चंदा- कसम से दीदी आज बड़ा अच्छा मौका है उस बगीचे मे जाकर खूब अपने भैया से अपनी चूत मरवा लो सच वह तुम्हे इतनी तबीयत से चोदेगे कि तुम मस्त हो जाओगी, और फिर चंदा ने संगीता के बोबे को कस कर मसल्ते हुए कहा तब तक दीदी अपना पेशाब रोक के रखना जब तुमसे सहा ना जाए और मूत की बूंदे तुम्हारी चूत के दाने से रिस रिस कर बाहर आने लगे तब अपने भैया को अपनी चूत खड़ी खड़ी ऐसे चटाना जैसे सुधिया चाची चटा रही थी और धीरे धीरे रुक रुक कर अपने भैया के मूह मे मुतती जाना ताकि तुम्हारे भैया तुम्हारा मूत तुम्हारी चूत से चाट चाट कर पीते जाए,
संगीता- आह बस कर चंदा नही तो मेरी चूत की नशे फट जाएगी, कितनी चुदासी बाते करती है तू 2 घंटे मे तूने मेरा क्या हाल कर दिया है,
चंदा- हस्ते हुए अरे दीदी मैने तो सिर्फ़ कढ़ाई मे पानी और शक्कर डाल कर बस गरम आँच दी है अभी असली चासनी तो तुम्हारे भैया बनाएगे तब देखना तुम्हे कितनी मस्ती चढ़ती है, आज जब तुम रात को घर पहुचोगी तो तुम्हारा रोम रोम मीठे मीठे दर्द के मारे तुम्हारे सारे बदन को तडपाएगा, जब मर्द लोग औरत को पूरी नंगी करके तबीयत से ठोकते है तब औरत बिल्कुल मस्त हो जाती है,
चंदा और संगीता बाते कर रही थी तब हरिया भी वहाँ आ गया और फिर चंदा ने पुछा बाबा बाबूजी कब तक आएगे, संगीता दीदी बोर हो रही है,
हरिया- अच्छा हम अभी उन्हे बुला कर लाते है और फिर हरिया वहाँ से तालाब की ओर चल दिया, इन सबके बीच चंदा ने संगीता को पूरे गाँव मे कौन किससे अपनी चूत मराता है कौन किसकी बहन चोद्ता है और कौन अपनी मा को रात भर नंगी करके चोद्ता है वह सारे किस्से संगीता को सुना सुना कर उसकी चूत से इतना पानी बहाया कि उसकी पॅंटी के बाद उसकी जीन्स का भी वह हिस्सा गीला हो गया जहाँ संगीता की मस्त फूली हुई चूत दबी हुई थी,
संगीता चुदाई की बातो से ही बहुत गरम हो चुकी थी उपर से चंदा ने उसे रिश्ते मे होने वाली चुदाई के बारे मे जब सारी बाते बताई तो संगीता से सहन करना मुश्किल हो गया और वह अपने भैया के लंड से खूब ज़ोर ज़ोर से चुदने के लिए तड़पने लगी,
उधर हरिया मेरे पास आकर कहने लगा बाबूजी चलिए संगीता आपको याद कर रही है
राज- क्या हुआ हरिया कुच्छ बात बनी कि नही
हरिया- अरे बाबूजी आपकी बहना तो बस अब लंड के सिवाय कुच्छ सोच ही नही रही है उसकी चूत खूब पनिया गई है और वह आपके लंड को लेने के लिए तड़प रही है,
राज- अच्छा लगता है तुम बाप बेटी ने मिल कर उसे खूब गरम कर दिया है, लेकिन हरिया अब उसे कहाँ ले जाकर चोदुगा,
हरिया- बाबूजी सामने वाले आम के बगीचे मे उसे घुमा लाओ और वहाँ कोई आता जाता भी नही है बस वही अपनी बहन को तबीयत से छोड़ लेना,
राज- हाँ यह ठीक रहेगा चलो चलते है उसके बाद मे हरिया के साथ वापस उसके खेत मे आ गया, संगीता मुझे देख कर मुस्कुरा कर खड़ी हो गई लेकिन उसका चेहरा काफ़ी लाल नज़र आ रहा था,
राज- क्या हुआ गुड़िया रानी बोर हो गई क्या
संगीता- नही भैया ऐसी बात नही है यह चंदा बड़ी अच्छी बाते करती है
राज- अच्छा चल हम लोग थोड़ा बहुत और घूमते है फिर घर चलते है उसके बाद मैं संगीता का हाथ पकड़ कर गाँव की पगडंडी पर चलने लगा, संगीता बिल्कुल शांत थी और मैं उसे गाँव के बारे मे बताता हुआ उसके गले मे हाथ डाले चला जा रहा था, बीच बीच मे मैं संगीता के भारी चूतादो को उसकी जीन्स के उपर से सहला देता था तब संगीता मुझसे और भी सॅट जाती थी,
जब हम बगीचे मे पहुचे तब संगीता की चल कुच्छ कम हो गई
राज- क्या हुआ कुच्छ परेशानी है क्या तू कुच्छ बोल भी नही रही है,
संगीता- शर्मा कर अपना सर नीचे करते हुए कहने लगी भैया मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगी है
राज- अच्छा जा वहाँ सामने जाकर कर ले तब तक मैं तेरे लिए पके हुए आम तोड़ता हू, संगीता धीरे से आगे बढ़ गई और एक पेड़ के पिछे खड़ी होकर जीन्स खोलने लगी, मैं चोर नज़रो से उसे देख रहा था और वह भी मुझे चुपके से देखने की कोशिश कर रही थी, वह बड़े आराम से अपनी जीन्स को नीचे सरका कर कुच्छ देर खड़ी रही,
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