RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
हरिया खूब तबीयत से सुधिया की गंद मार रहा था और सुधिया खूब ज़ोर ज़ोर से सीसीया रही थी और उसके मूह से खूब सिसीकिया छूट रही थी, हरिया उसकी गुदाज गंद को खूब ज़ोर ज़ोर से ठोक रहा था और उसकी बुर की फांको को खूब सहला रहा था, उनकी चुदाई देख कर मैं समझ गया कि आज हरिया पूरा दिन खेत मे मस्ती मारने वाला है और उसे देख कर लग रहा था कि वह आज सुधिया को दिन भर चोदेगा,
मैने टाइम देखा और फिर मैने सोचा क्यो कबाब मे हड्डी बनू और मैं वापस तालाब के इधर आ गया और साइट पर मजदूरो को इन्स्ट्रक्षन देने लगा,
उस दिन हरिया से मुलाकात भी नही हुई और शाम को मैं घर चला गया,
जब घर पहुचा तो मुझे याद आया कल शनिवार है और मैने मम्मी को कह दिया कि हम लोग गाड़ी करके शिर्डी चलते है,
मम्मी और संगीता खुस हो गई और अगले दिन मैं यह कह कर साइट पर चला गया कि मैं शाम को 5 बजे तक आ जाउन्गा और फिर हम लोग 7 बजे तक यहाँ से चल देंगे तो सुबह सुबह वहाँ पहुच जाएगे,
मैं साइट पर पहुच गया और काम लगाना शुरू कर दिया तभी मुझे सामने से हरिया आता हुआ नज़र आया
राज- आओ हरिया क्या बात है एक दो दिन से नज़र नही आ रहे हो
हरिया- बाबूजी हम तो दिन रात आपको याद करते है और आपके एहसान तले दबे जा रहे है, बाबू जी अगर आप हमारी जिंदगी मे ना आते तो शायद हम सुधिया भौजी को कभी चोद ही नही पाते और ऐसे ही मर जाते
राज- अरे मरे तुम्हारे दुश्मन यह कोई एहसान नही था आख़िर तुम मेरे दोस्त हो और दोस्ती के लिए यह सब तो करना ही पड़ता है,
हरिया- बाबूजी कभी हमारी कही ज़रूरत हो तो बताओ हम भी अपनी दोस्ती निभायगे,
राज- मुस्कुराते हुए अरे हरिया जिस दिन तुम्हारी ज़रूरत हुई तुम्हे याद करूँगा और मुझे लगता है जल्दी ही तुम्हारी ज़रूरत पड़ेगी,
हरिया- क्या कुच्छ नई प्लानिंग है बाबू जी
राज- हाँ प्लॅनिंग तो है पर पहले घी सीधी उंगली से निकालेंगे और अगर नही निकला तो टेडी करेगे,
हरिया- साफ साफ बताइए बाबू जी क्या बात है
राज- हरिया अब तुमसे क्या छुपाऊ पर कल से मेरा मन अपनी बहन संगीता और मम्मी रति को चोदने का बहुत कर रहा है
हरिया- तो बाबू जी आपने क्या सोचा है
राज- हरिया अभी मैं एक दो दिन के लिए बाहर जा रहा हू उसके बाद मैं संगीता को लेकर यहा खेतो मे घुमाने लाउन्गा और मैं चाहता हू कि मैं संगीता को यही छ्चोड़ कर घूमने का बहाना करके चला जाउ और तुम संगीता के सामने जिसे भी चोद सको सुधिया को या चंदा को,
बस इतना करना है कि संगीता तुम्हे चोद्ते हुए देख ले उसके बाद मैं संगीता को यही गन्नो के बीच पूरी नंगी करके चोदना चाहता हू,
हरिया- बाबू जी आप बस इशारा कर देना बाकी मैं सब संभाल लूँगा,
राज- ठीक है और सूनाओ कल क्या किया तुमने दिन भर
हरिया- कल तो बाबूजी हमने जी भर कर सुधिया की चूत और गंद चोदि है कल तो रंडी को पूरी मस्त करके अपने साथ ही घर ले गये थे और तो और जब जाते वक़्त उसने हमसे कहा कि उसे फिर से पेशाब लगी है तो आप मनोगे नही बाबूजी हम रास्ते पर ही लेट गये और सुधिया को अपने मूह पर बैठा कर उससे खूब अपने मूह मे मुतवाया है खूब चूस चूस कर उसका मूत पिया है हमने बड़ा मज़ा आया बाबूजी,
राज- क्या बात है मतलब तुमने सुधिया को दिनभर चोद चोद कर उसका मूत पिया है
हरिया- अरे बाबूजी उसकी गंद भी हमने इस कदर चोदि है कि रंडी रात भर मेरे लंड के झटके अपनी गंद और चूत मे महसूस करती रही होगी इसलिए आज ना वह आई और ना ही रामू आया, दरअसल रामू की तबीयत खराब है पर कल शायद वह भी खेतो मे आए,
मैं हरिया से विदा लेकर घर चला गया और फिर एक स्कार्पीओ किराए से लेकर हम लोग शिर्डी की और रवाना हो गये, ड्राइवर गाड़ी चला रहा था और मैं और संगीता और मम्मी तीनो पिछे की सीट पर बैठे थे, संगीता मेरे और मम्मी के बीच बैठी थी और गाड़ी अपनी रफ़्तार से चली जा रही थी,
रत को 11 बजने को आ चुके थे और मम्मी सामने रोड पर देख रही थी और संगीता को मैं गौर से देख रहा था जो शायद नींद की वजह से झपकीया लेने लगी थी,
गाड़ी मे मधुर संगीत बज रहा था और मैने हमारी सीट के उपर की लाइट ऑफ कर दी और मम्मी ने भी अपने सर को सीट से टीका कर आँखे बंद कर ली, अब गाड़ी मे अंधेरा लगने लगा था और संगीता अपने सर को मेरे कंधे से टिकाए हुए सोने लगी थी,
|