RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
राज- मम्मी जहाँ मेरी ड्यूटी है वहाँ खूब मोटे मोटे गन्ने के खेत है,
रति- बेटे किसी दिन अच्छे मोटे मोटे गन्ने ले कर आ जा हम दोनो मा बेटियाँ यही बैठ कर चूस लेगी
राज- नही मम्मी ऐसे मज़ा नही आता है जब ताजे ताजे गन्ने वही तोड़ तोड़ कर चूसो तब ज़्यादा मज़ा आता है,
संगीता तू कहे तो कल तुझे गाँव घुमा देता हू
रति- पर बेटा वहाँ तू काम करेगा कि संगीता को लिए लिए फ़िरेगा
राज- नही मम्मी गाँव वाले मेरी खूब इज़्ज़त करते है और वहाँ तो गाँव के खेतो मे खूब मज़ा आता है देखना
संगीता एक बार वह गई तो बार बार जाने को कहेगी,
संगीता- खुशी से उछलते हुए प्लीस भैया मुझे ले चलो ना मैने कभी भी गन्ने के खेत भी नही देखे
है,
प्लीज़ मम्मी भैया से कहो ना कल मुझे भी घुमा लाए,
रति- ठीक है राज कल संगीता को चुस्वा देना गन्ने मैं फिर कभी चलूंगी,
राज- ठीक है मम्मी और फिर मम्मी वहाँ से चली जाती है और संगीता मेरी गोद मे
बैठी रहती है मैने देखा
कि अब संगीता जानबूझ कर मेरे लंड पर इधर उधर मचल रही थी,
संगीता- भैया क्या खूब मीठे मीठे गन्ने है वहाँ,
राज- मैने धीरे से संगीता के गुदाज पेट और उसकी कमर को सहलाते हुए कहा, हाँ मेरी रानी बहना एक बार तू
चुसेगी ना तो बार बार मुझसे कहेगी कि भैया एक बार मुझे और चूसा दो
संगीता- फिर तो भैया मैं खूब चुसुन्गि,
राज- लेकिन मेरा मन गन्ने चूसने का नही करता है
संगीता- मेरी ओर देख कर पुच्छने लगी, तो फिर भैया आपका क्या चूसने का मन करता है
राज- मैने संगीता के मोटे-मोटे दूध को देखते हुए कहा मेरी बहना मेरा मन तो मोटे-मोटे आम को
चूसने का करता है, मेरी नज़रो को संगीता समझ गई और अपनी नज़रे नीचे झुका कर इधर उधर देखने लगी
मैने धीरे से संगीता के दोनो मोटे मोटे दूध को उसकी टीशर्ट के उपर से हल्के से पकड़ लिए तो संगीता की
साँसे तेज चलने लगी, वह मेरी गोद से उठने की कोशिश करने लगी उसका चेहरा पूरी तरह तमतमाया हुआ था और
उसके रसीले होंठ कांप रहे थे,
मैं चाह रहा था कि संगीता के दूध को खूब कस कर मसल दू लेकिन हिम्मत इसके आगे हो नही रही थी,
राज- मैने धीरे से संगीता के कानो मे कहा, संगीता अपने भैया की गोद मे . बहुत अच्छा लगता है ना
संगीता अपना सर झुकाए बैठी थी और मेरी बात सुन कर मेरे लंड के उपर से उठने लगी, मैने उसका हाथ पकड़
लिया तब उसने पलट कर मुझे अपनी कातिल निगाहो से देखा और मेरी और मुस्कुरा कर कहने लगी भैया मैं अभी
आती हू,
मैने उसे प्यार से देखते हुए छ्चोड़ दिया और वह अपने रूम मे चली गई, मैं . बैठे अपने लंड को सहला
रहा था और मुझे ना जाने क्यो ऐसा लग रहा था जैसे संगीता मुझसे जल्दी ही अपनी चूत मरवा लेगी, उसके हाव
भाव और उसका बार बार मेरे पास आना, यह सब देख कर मुझे लग रहा था कि संगीता जितनी नज़र आ रही है उतनी
है नही,
मेरे ख्याल मे वह मेरा लंड अपनी चूत मे लेने के लिए मचल रही थी, उपर से मम्मी भी किचन
मे कई बार अपनी चूत खूब सहलाते और खुजलाते हुए ऐसी लग रही थी जैसे खूब चुदासी हो और खूब तगड़ा लंड
अपनी चूत मे लेना चाहती हो,
कुच्छ देर बाद मैं अपने रूम मे आ गया और सोचने लगा चलो थोड़ी देर आराम
करते है,
शाम को 6 बजे मैं घूमने निकल गया और फिर अगले दिन वापस साइट पर पहुच गया, आज पानी जैसा थोड़ा
मौसम हो रहा था और बड़ी मस्त ठंडी हवाए चल रही थी, मैने सोचा चलो थोड़ी देर हरिया के पास टाइम
पास किया जाए और मैं उसके खेतो की ओर चल दिया जब मैं गन्नो के पिछे पहुचा तब मुझे किसी के बात करने
की आवाज़ आने लगी मैने गन्नो के पिछे से छुप कर देखा तो सामने हरिया खड़ा अपनी धोती मे से अपने
मोटे लंड को बाहर निकाले हुए सामने खड़ी सुधिया से बाते कर रहा था,
हरिया- देख भौजी कैसा डंडे की तरह तेरी मस्तानी चूत मे घुसने के लिए मरा जा रहा है,
सुधिया- बेशरम कही के अपनी भाभी को अपना मूसल दिखा रहा है चल जा यहाँ से और मुझे काम करने दे
आज वैसे भी सारा दिन मुझे अकेले ही काम करना है वहाँ रामू अलग बीमार पड़ गया है,
हरिया- भौजी मैं तेरा सारा काम कर दूँगा बस एक बार मुझे अपनी रसीली चूत चटा दे,
सुधिया- का चेहरा एक दम लाल हो रहा था और वह अपने घाघरे को समेट कर चारा काटने मे लग गई, हरिया
अपना लंड खोले उसके सामने बैठा हुआ था और उसके घाघरे मे से उसकी चूत को देखने की नाकाम कोशिश कर
रहा था,
क्रमशः........
|