RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
सुधिया- क्या आप सच कह रहे है बाबा जी
राज- तूने देखा ना हमने अपनी शक्ति से हरिया को यहा बुलाया और उसके दिमाग़ को कैसे घुमा दिया है कि उसने
एक बार भी तुझसे कोई सवाल किया या और किसी को बताने के बारे मे सोचा है,
सुधिया- आप सच कहते है बाबाजी नही तो हरिया जैसा कमीना मुझे नंगी देख कर ना जाने क्या क्या कहता आज
आपने मुझे धन्य कर दिया बाबाजी और फिर सुधिया मेरे पेरो मे गिर गई,
मैने उसकी गोरी बाँहो को पकड़ कर उसे उठाया और उसके भरे हुए गालो को सहलाते हुए कहा बेटी अब तुम यहाँ
से जाओ हम भी यहाँ से अब निकलते है,
सुधिया- बाबाजी जब भी आप आओ मेरे घर ज़रूर आना,
सुधिया की चुदाई तो बड़े मस्त तरीके से हमने की लेकिन वह अब भी यही समझ रही थी कि मैं बहुत पहुचा
हुआ आदमी हू और वह मुझसे बहुत प्रभावित थी, उसके जाने के बाद मैं हरिया के पास पहुचा जहाँ मुझे
हरिया ने पानी पिलाया उसके बाद मैने हरिया के साथ एक चिलम और लगाई,
हरिया- वाह बाबू जी मान गये आपको, लेकिन अभी भी हमारा मन सुधिया को और चोदने का कर रहा है बाबूजी
राज- हरिया - हमने उसके सर पर ऐसा हाथ फेरा है कि अब जब भी तुम्हे मोका मिले तुम सुधिया को चोद लेना
वह खुद तुमसे आगे रह कर चुदवायेगि,
हरिया- सच बाबूजी, यह आपने हम पर बड़ा उपकर किया है, अब देखना बाबूजी मैं कैसे दिन रात सुधिया को
खेतो मे नंगी करके चोद्ता हू,
राज- लेकिन रामू का क्या करोगे,
हरिया- कुच्छ नही बाबूजी रामू को चंदा के साथ अपने घर भेज दिया करूँगा वह भी चंदा और रुक्मणी के
साथ मस्ती मार लेगा आख़िर मेरा परिवार का खून ही तो है,
राज- मुस्कुराते हुए वाकई हरिया भाई तुम बहुत बदमाश आदमी हो
हरिया- हस्ते हुए लेकिन बाबूजी आपसे ज़रा सा कम,
मैने हरिया की बात सुन कर उसकी पीठ ठोकते हुए कहा ठीक है हरिया अब मैं ज़रा अपनी साइट पर जा रहा हू और
शाम को घर निकलूंगा, वहाँ मम्मी और संगीता परेशान होगी,
हरिया- बाबूजी काम के चक्कर मे इधर आना मत भूलिएगा और कैसा भी काम हो बस एक बार कहिएगा हरिया
आपके लिए जान भी लगा देगा,
राज- अरे हरिया तुमने इतना कह दिया यही बहुत है, फिर भी कभी ज़रूरत पड़ी तो तुमसे ही कहूँगा, अच्छा अब
मैं चलता हू और फिर मैं तालाब के पास आ गया, मजदूर आ चुके थे और मैने उन्हे काम पर लगा दिया,
दोपहर को जैसे तैसे समय गुजरा और शाम के 4 बजते ही मैं घर की ओर भाग गया,
जब मैं घर पहुचा और मैने दरवाजा अंदर ढकाया तो वह खुल गया और मैं सीधे अंदर चला गया, मैं
वैसे तो जाते ही संगीता को आवाज़ देने लगता था लेकिन आज मैं चुपचाप जब अंदर पहुचा तो मुझे हॉल मे कोई
नही दिखा और जब मैं मम्मी के रूम की ओर बढ़ा और मैने जैसे ही मम्मी के रूम के पर्दे को थोड़ा सा
हटा कर अंदर देखा तो........
अंदर मम्मी मिरर के सामने केवल एक पिंक कलर की ब्रा और पॅंटी पहने अपने गुदाज चिकने बदन को देख रही
थी,
मैं तो मम्मी को ब्रा पॅंटी मे देख कर एक दम से पागल हो गया, मेरा लंड पूरी तरह तन कर खड़ा हो
गया और मेरी मम्मी अपने सुडोल भारी भरकम चूतादो को कभी इधर कभी उधर करके मटका रही थी,
सुधिया को नंगी देख कर मुझे भारी भरकम शरीर वाली औरते अच्छी लगने लगी थी लेकिन मम्मी का शरीर तो
सुधिया से भी जबरदस्त था, मम्मी की मोटी-मोटी गोरी जाँघो ने मुझे पागल कर दिया उनका उठा हुआ पेट और
मोटे-मोटे दूध बहुत सुडोल और गोरे लग रहे थे, कुच्छ देर तक अपने जिस्म को शीशे मे निहारने के बाद
मम्मी ने पास मे पड़े पेटिकोट को उठा कर पहन लिया और फिर ब्लौज और उसके बाद अपनी साडी लपेटने लगी तभी
मैने आवाज़ लगा दी,
राज- मम्मी क्या कर रही हो
रति- अरे राज आ गया तू, क्या बेटा बिना बताए गोल हो जाता है हम मा बेटी को कितनी फिकर हो रही थी,
मैं मम्मी के पीछे से उन्हे अपनी बाँहो मे भर कर उनके गालो को चूमते हुए सॉरी कहने लगा,
मम्मी ने
अपनी साडी बाँधते हुए मेरे गालो को जब चूमा तो उसके रसीले होंठो और उसके बदन से उठने वाली मादक
गंध ने मेरे लंड को पूरी तरह कड़ा कर दिया था, मुझे बार बार मम्मी केवल पॅंटी मे अपनी मोटी गंद
मतकते हुए नज़र आ रही थी, दिल तो ऐसा कर रहा था कि मम्मी की फूली हुई चूत को पॅंटी के उपर से पकड़ कर
मसल दू लेकिन मैं कंट्रोल किए हुए मम्मी से पुच्छने लगा, मम्मी संगीता कहाँ है,
रति- बेटे वह अपनी सहेली के यहाँ गई है तू हाथ मूह धो ले मैं चाइ बना कर लाती हू, मैने मम्मी को गौर से
देखा,
बड़ा मस्त माल लग रही थी, उसके भरे हुए मदमस्त जिस्म के आयेज सुधिया की गदराई जवानी भी फैल थी
और सबसे ज़्यादा जानलेवा तो मम्मी के मोटे मोटे चूतड़ थे जिन्हे अभी भी वह इधर उधर घूमते हुए मटका
कर चल रही थी,
क्रमशः........
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