RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
हरिया- बाबू जी आज तो आपने जब से हमे कहा है कि कल तुम्हे सुधिया चोदने को मिल जाएगी तब से क्या बताए बहुत लंड खड़ा हो रहा है, सच बाबू जी बड़ा ही मस्त माल है, काश रामू की जगह मैं सुधिया का बेटा होता तो दिन रात उसे नंगी ही अपने साथ रखता,
राज- हरिया एक बात तो है जिन औरतो की जंघे खूब मोटी होती है पेट खूब उभरा हुआ रहता है और गंद काफ़ी फैली और मोटी होती है वह औरते चोदने मे बड़ा मज़ा देती है,
हरिया- बाबू जी जब आप अपने से बड़ी उमर की औरत को चोदोगे तब और भी मज़ा आएगा, आज बाबूजी हम आपके लिए मस्त चिलम बना रहे है खूब मस्त नशा देती है,
हरिया के साथ मैने उसकी चिलम का कश इसलिए ले लिया कि आज हरिया की चिलम पीकर उसी की बीबी को चोदने का मोका मिल रहा था और रुक्मणी का बदन भी काफ़ी भरा हुआ था और गोरी भी बहुत थी मेरा लंड उसकी मोटी गंद देख कर खड़ा हो चुका था, हम लोगो ने चिलम ख़तम की अब कुच्छ अंधेरा होने चला था और हरिया ने रुक्मणी को बुलाया और कहा कि बाबा जी का पूरा ख्याल रखना और उनके लिए बढ़िया खाने की व्यवस्था करना मैं चंदा को लेकर आज खेतो मे ही सोउँगा,
उसके बाद हरिया चंदा के साथ खेतो की ओर चल देता है और मैं नशे मे मस्त होकर घर के काम मे लगी रुक्मणी को देख कर अपना लंड मसल रहा था, मुझे रुक्मणी चाल चलन से बहुत ही चालू और बिंदास नज़र आ रही थी जबकि मैं जब सुधिया से मिला था तो वह काफ़ी शर्मा रही थी,
रुक्मणी ने जब अपना काम समाप्त कर लिया तब वह मेरे पेरो के पास ज़मीन पर हाथ जोड़ कर बैठ गई और कहने लगी बाबा जी आप कहे तो आपके लिए खाना निकालु
राज- बेटी हम भोजन 10 बजे के बाद ही करेगे
रुक्मणी- बाबा जी अब हमारे घर मे सुख शांति रहेगी ना
राज- मैने रुक्मणी के गोरे-गोरे भरे हुए गालो को सहलाते हुए कहा बेटी तू चिंता मत कर चल अब घर के अंदर चल और मैं तुझे सभी विधि बता देता हू फिर उस हिसाब से तुझे पवित्र करके तेरी सभी समस्याओ से निजात दिलाता हू,
रुक्मणी अंदर आ गई और मैं भी अंदर आ गया रुक्मणी ने दरवाजा लगा लिया और मुझे बैठने को कहा और फिर मेरे सामने खड़ी होकर कहने लगी हाँ बाबा जी अब बताइए क्या करना है मुझे,
राज- बेटी सबसे पहले तुम्हे पूरी नंगी होकर स्नान करना होगा लेकिन ध्यान रहे स्नान करने के बाद बदन पोच्छना नही सीधे नंगी ही मेरे सामने आना होगा फिर मैं तुम्हारे बदन को अपने शुद्ध वस्त्रा से पोंच्छूंगा, रुक्मणी का चेहरा मेरी बाते सुन कर लाल हो चुका था और वह एक टक मुझे गौर से देखने लगी,
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