RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
शाम को 5 बजे ही मैं शहर की ओर चल दिया और अपने एक दोस्त राजन जो कि नाटक मंडली मे काम करता था के पास गया,
राजन- अरे राज आज इधर का रास्ता कैसे भूल गया, सब खेरियत तो है
राज- यार राजन मुझे एक दो दिन के लिए तेरे कुच्छ नाटक वाली ड्रेस और दाढ़ी मुच्छे चाहिए
राजन- क्या भाई तुम्हे इन सब की क्या ज़रूरत पड़ गई कही कुच्छ जालसाजी करने का इरादा तो नही है,
राज- अरे नही यार बस थोड़ा फन और मस्ती के लिए मुझे एक दो दिन के लिए ज़रूरत थी
राजन- अच्छा बोल क्या-क्या दू
राज- आबे जो-जो पहन कर तू साधु बाबओ की आक्टिंग करता है बस वही कपड़े दे दे
राजन ने मुझे कपड़े दिए और मैं उन्हे लेकर सीधे घर आ गया रात को मैने सब समान एक बॅग मे रख कर सुबह 10 बजे रामू के खेत मे पहुच गया वहाँ जाकर मैने अपना बॅग खोला और रामू की झोपड़ी मे अपना समान रख कर मैने रामू से कहा मैं हरिया के पास जा रहा हू और वहाँ से हरिया के घर जाउन्गा और तुम्हारा काम जमा देता हू, तुम यही खेत मे रहना मोका मिलने पर हरिया खुद तुम्हे अपने घर भेजेगा और तुम सबसे बचते हुए सीधे हरिया के घर आ जाना लेकिन ध्यान रहे साथ मे चंदा को लेकर भी आना और रमिया को भी, ताकि तुम अपना काम जब तक करोगे तब तक मैं रमिया को चोद लूँगा,
रामू- मुस्कुराते हुए क्या बात है साहेब सचमुच आप इस मेकप मे पहचान मे नही आ रहे है,
राज- पर एक बात और मैं तुमसे कहना भूल गया मैं दिखावे के लिए हरिया के साथ गाँव मे जाउन्गा और तुम्हारे घर होते हुए हरिया के यहाँ जाउन्गा ताकि बाद मे जब तुम्हारी मा को पता चलेगा कि गाँव मे बाबा आया था तो सवाल खड़े हो सकते है इसलिए यह सभी को पता होना चाहिए कि कोई पहुचा हुआ साधु यहाँ आया है,
रामू मेरी बात सुन कर वाह साहब क्या पलनिंग की है आपने अब आप आराम से हरिया काका के पास जाओ मैं यही इंतजार करता हू उसके बाद मे वहाँ से हरिया के खेत की ओर चल दिया,
मुझे भी थोड़ी घबराहट हो रही थी लेकिन हरिया और रामू मेरे राजदार थे इसलिए पॉल खुलने का भी मुझे कोई खास डर नही था, तभी मैं हरिया के सामने गया और एक कड़क आवाज़ मे बोला, अलख निरंजन
मेरी आवाज़ सुनते ही हरिया ने पलट कर देखा और एक दम से झुक कर मेरी ओर हाथ जोड़ लिए और कहने लगा
हरिया- अरे महराज आप कौन है और कहाँ से आपका पधरणा हुआ है,
राज- बच्चा हम बहुत दूर से आए है और प्यासे है और अपनी प्यास बुझाना चाहते है क्या तुम इस बाबा की प्यास बुझाने मे मदद करोगे,
हरिया- हाथ जोड़ कर क्यो नही महराज आप इस खटिया पर विराजिए मैं अभी जल का बंदोबस्त करता हू और हरिया जैसे ही पिछे जाने को मुड़ा मैने कहा बच्चा ज़रा चिलम का बंदोबस्त भी कर लेना,
मेरे मूह से यह बात सुनते ही हरिया का माथा ठनका और उसे एक दम से होश आया और वह मुझे बड़े ध्यान से घूर कर देखता हुआ ज़ोर से चिल्लाकर हस्ता हुआ
हरिया- अरे मेरे मालिक गई भैंस पानी मे मा कसम साहेब हम तो अभी तक यही समझ रहे थे कि सचमुच कोई सन्यासी हमारी कुटिया मे भिक्षा माँगने आया है पर मान गये साहेब आपको आपने तो हमे ही चूतिया बना दिया दूसरे लोग क्या खाक पहचानेंगे आपको वा साहेब बैठिए हम अभी चिलम बनाते है और फिर हरिया ने मुझे मस्त चिलम बना कर पिलाई और मैं मस्ती मे मस्त हो गया,
तभी झोपड़ी के अंदर से चंदा निकल कर बाहर आ गई और मैं हरिया की 16 साल की चिकनी लोंड़िया को देख कर एक दम से मस्त हो गया उसके बदन को देख कर लग रहा था जैसे हरिया उसे रोज चोद्ता हो,
दोपहर के 12 बजने को आ चुके थे और मैने हरिया को कहा हरिया अब हमे यहा से सीधे रामू के घर चलना है और फिर मैं हरिया के साथ रामू के घर पहुच गया दोपहर का वक़्त था गाँव के लोग आधे से ज़्यादा खेतो मे होते थे और बचे-कुचे तालाबो और यहाँ वहाँ काम पर लगे होते थे इसलिए गाँव भी सुनसान पड़ा हुआ था, रामू के घर के सामने पहुचने के बाद मैने हरिया से कहा
राज- हरिया तुम अब 10-15 मिनिट बाद मेरा उस सामने वाले पेड़ के नीचे इंतजार करना मैं तब तक रामू की मा से मिलकर आता हू, तुम अगर साथ रहोगे तो उसे शक भी हो सकता है, हरिया मेरी बात सुनते ही मुझे बता गया कि वह 10 मिनिट के लिए इधर उधर घूम कर आता है और फिर वह वहाँ से चला गया,
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