RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
अगले दिन मैं फिर से साइट पर पहुच गया और काम शुरू कर दिया, उस दिन शाम को 4 बज गये लेकिन हरिया या रामू कोई भी मुझे नज़र नही आया, मैने सोचा चलो मैं ही रामू के गन्ने के खेतो की ओर चलता हू और फिर मैं जैसे ही रामू के गन्ने के खेत के पास पहुचा तब मैने देखा रामू आराम से खाट पर लेटा था और रमिया उसके पास बैठी उसका लंड सहला रही थी,
अचानक रमिया की नज़र मुझ पर पड़ी और वह रामू के लंड पर लूँगी डाल कर एक दम से खड़ी हो गई उसे खड़ी होते देख रामू का ध्यान मेरी ओर गया और वह भी एक दम से उठ कर बैठ गया,
रामू- अरे बाबू जी आप आओ, आओ बाबू जी यहाँ इस खाट पर बैठो
राज- और रामू कैसे हो, आज तुम दिन भर से नज़र नही आए तो मैने सोचा मैं ही रामू से मिल आता हू
रामू- बहुत अच्छा किया साहेब जी, अरे रमिया जा बाबू जी के लिए पानी लेकर आ
रामू की बात सुन कर मेरे आश्चर्या का ठिकाना नही रहा, और मैने रामू से पुछा
राज- रामू क्या यही तुम्हारी बहन रमिया है
रामू- हाँ बाबू जी
राज- पर रामू यह तो बहुत छ्होटी है, मेरा अनुमान अपनी संगीता के हिसाब से रामू की बहन के बारे मे था लेकिन मेरी बहन तो एक दम पटाखा थी अगर उसे साडी ब्लौज पहनकर मम्मी के साथ खड़ी कर दो तो मम्मी की छ्होटी बहन नज़र आती,
मैने जब रामू से कहा रामू यह तो बहुत छ्होटी है यह तुम्हारा लंड कैसे लेती होगी
रामू- मुस्कुराते हुए बाबू जी कोई छ्होटी नही है उसका बस नही चले नही तो वह आपको भी पूरा अपनी चूत मे घुसेड ले, बड़े मस्त तरीके से अपनी चूत मरवाती है और आपका लंड तो खड़े-खड़े अपनी चूत मे भर लेगी,
तभी रमिया पानी लेकर आ गई मैने उसे फिर एक बार उपर से नीचे तक घूर कर देखा वह बड़ी मस्त नज़र आ रही थी मुझे लगा इसे तो अपने लंड पर बैठा कर खड़े-खड़े चोदने मे मज़ा आ जाता होगा, रमिया के जाने के बाद मैने अपनी जेब से एक बोतल शराब निकाल कर रामू को देते हुए लो रामू आज रात को तुम्हारी पार्टी का इंतज़ाम मैने कर दिया है,
रामू- बोतल देख कर खुस होते हुए वाह साहेब आज तो रात को मज़ा आ जाएगा.
राज- रामू आज मेरा मूड चिलम पीने का हो रहा है पिलाओगे नही
रामू- क्यो नही साहेब आप यही बैठिए मैं हरिया काका से ले कर आता हू तब तक आप हमारी बहन रमिया से बाते कीजिए,
राज- तुम्हारी बहन मुझसे बाते करने मे घबराएगी तो नही
रामू- साहेब गाँव की लोंड़िया है देख लो कोशिश करके नही तो फिर मैं आ ही रहा हू थोड़ी देर मे
मैने इशारे से रमिया को अपने पास बुलाया तो उसने मुस्कुराते हुए मुझे अपनी जीभ निकाल कर मूह चिढ़ाया और हरिया के खेत की ओर भाग गई मैं बस उसे पुकारता ही रहा कि अरे रमिया सुन तो ज़रा लेकिन तब तक वह खेत पार कर चुकी थी, मैं मन ही मन मुस्कुरा दिया और वही चारपाई पर लेट गया, कुछ देर बाद मुझे रामू और
हरिया दोनो आते हुए नज़र आए और मैं उठ कर बैठ गया,
हरिया- का हाल है बाबूजी आज इधर का रास्ता कैसे भूल गये
राज- अरे हरिया तुम्हारी चिलम की याद मुझे यहा तक खेंच लाई है,
हरिया- अरे रामू हम माचिस तो खाट पर ही भूल आए जाओ ज़रा दौड़ कर लेते आओ
रामू वापस हरिया के खेत की ओर चल दिया और हरिया वही ज़मीन पर बैठ कर मुझसे बाते करने लगा,
राज- अरे हरिया रामू तो कहता है उसने रमिया को खूब ठोंका है पर रमिया तो बहुत छ्होटी है
हरिया- मैं समझ गया साहेब आपको बड़े-बड़े चूतादो और बोबे वाली भारी माल पसंद आते है, अगर माल ही देखना है साहेब तो सबसे तगड़ा माल तो इस गाँव मे एक ही है,
राज- वह कौन
हरिया- अरे साहेब और कौन अपने रामू की मा सुधिया ही तो है जो हमेशा मेरे लंड को तरसती रहती है,
राज- क्या बात कर रहे हो हरिया रामू ने तो कभी बताया नही
हरिया- अरे साहेब वह क्यो बताने लगा उसकी तो मौज है दिन भर यहाँ छ्होटी बहन रमिया को चोद्ता है और रात को अपनी मा सुधिया पर चढ़ कर उसे चोद्ता है,
हरिया की बात सुन कर मेरे तो होश उड़ गये,
क्रमशः........
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