RE: Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास
गन्ने की मिठास--6
गतान्क से आगे......................
जैसे-जैसे तेल लगा -लगा कर हरिया काका चंदा के दूध मसलता जाता है निम्मो की चूत से पानी बहने लगता है
निम्मो मज़े से वह नज़ारा देख रही थी और रामू का दिल कर रहा था कि अभी अपनी बहन का घाघरा उठा कर अपना मोटा लंड उसकी गुलाबी फूली हुई चूत मे पेल दे, वह अपनी बहन की मस्त गान्ड को थामे धीरे-धीरे इस तरह से हिलने लगा जैसे वह अपनी बहन की गान्ड मार रहा हो, निम्मो थोड़ा सा झुक गई थी और रामू के अपने लंड को रगड़ने से उसका लंड थोड़ा नीचे सरक कर एक दम से निम्मो की चूत के छेद मे घुसने लगता है, बस रामू की पतली सी धोती और निम्मो का पतला सा घाघरा भीच मे फसा था नही तो रामू का मोटा लंड अपनी बहन की कुँवारी गुलाबी चूत को फाड़ कर अब तक अंदर घुस चुका होता निम्मो की चूत के लपलपाते रस छ्चोड़ते छेद पर जैसे ही रामू का लंड फस्ता है निम्मो की चूत से
पानी की धार बह निकलती है और उसकी चूत का पानी धीरे-धीरे रिस-रिस कर उसकी मोटी जाँघ से होता हुआ उसकी गोरी पिंदलियो तक पहुचने लगता है,
रामू- दीदी अब चले
निम्मो- रुक जा रामू इतनी हाय क्यो मचा रहा है, देख कितना मज़ा आ रहा है,
रामू- अपनी बहन की गान्ड मे अपना लंड दबाते हुए, उसके कान के पीछे से उसकी सुरहिदार गर्दन को चूम कर ओह दीदी
यह तुम क्या देख रही हो अब चलो यहाँ से क्योकि हरिया काका अभी ना जाने कब तक अपनी बेटी के दूध इसी तरह दबाता रहेगा,
निम्मो- रस से पूरी गीली हो चुकी थी और रामू अच्छा यह बता चंदा के दूध ज़्यादा बड़े है या मेरे
रामू- अब दीदी मेने कहाँ आपके दूध देखे है कि मे बता दू
निम्मो- मुस्कुराकर, तो क्या तेरा अपनी बहन के दूध देखने का मन कर रहा है,
रामू- नही दीदी वो ऐसी बात नही है
निम्मो- अच्छा मुझे यह बता हरिया काका और क्या करता है चंदा के साथ
रामू- जब अपने लंड को अपनी दीदी के पीछे से हटा कर देखता है तो निम्मो का लहगा जहाँ रामू लंड दबाए था वहाँ से
पूरा गीला हो चुका था, रामू उसी गीली जगह पर अपने लंड को रख कर कस कर अपनी बहन की चूत से अपने मोटे लंड को भिड़ा देता है,
निम्मो- आह रामू क्या कर रहा है मे गिर जाउन्गि थोड़ा कस कर मेरे चुतड़ों को थाम ले भैया, और फिर निम्मो वापस
सामने की ओर देखने लगती है और रामू उसकी मोटी-मोटी जाँघो और गान्ड पर अपना हाथ फेर-फेर कर अपनी बहन की गदराई जवानी का मज़ा लेने लगता है, तभी हरिया काका चंदा को अपनी गोद मे उठा कर उसे झोपड़ी के अंदर ले कर चला जाता है,
निम्मो- रामू यह अंदर क्यो चंदा को उठा कर ले गया
रामू- दीदी अब वह चंदा को अंदर ले जाकर पूरी नंगी करेगा, अब तुम चलो यहाँ से कोई हमे देख लेगा तो ना जाने क्या
सोचेगा,
निम्मो- मुस्कुराकर उसे देखती हुई क्या सोचेगा रामू, यही ना कि रामू अपनी दीदी से चिपक कर खड़ा हुआ था,
रामू- अरे दीदी तुम नही समझती हो लोग यह नही कहेगे, लोग कुछ और ही कहेगे और रामू उसका हाथ पकड़ कर अपने
खेतो की ओर चल देता है,
निम्मो की पूरी चूत भीग चुकी थी और वह बहुत चुदासी हो चुकी थी, वह चलते-चलते रामू के उपर झूमती हुई, बता
ना रामू लोग हमे देख कर क्या कहेगे,
रामू- ऑफ हो दीदी अब मे तुमसे कैसे कहु
निम्मो- मुस्कुराकर उसका गाल चूमते हुए क्यो मुझसे तुझे शरम आती है क्या, तू जानता है तुझे तो अभी कुछ सालो
पहले तक मेने अपनी गोद मे नंगा ही घुमाया है और तू अब थोड़ा बड़ा क्या हो गया मुझसे शर्मा रहा है, चल बता
ना लोग क्या कहेगे,
रामू- उसकी ओर देख कर दीदी लोग समझेगे कि मे तुम्हे......
निम्मो-मुस्कुराते हुए क्या मे तुम्हे .. आगे बोल
रामू- यही कि मे तुम्हे चोद रहा हू जैसे हरिया काका अभी चंदा को झोपड़ी के अंदर पूरी नंगी करके चोद रहे
होंगे,
निम्मो- रामू को मुस्कुराकर देखते हुए रामू तू कितना बेशरम है अपनी बहन के साथ ये सब करना चाहता है
रामू- एक दम से सकपका कर मेने ऐसा कब कहा दीदी मे तो यह बता रहा था कि गाँव के लोगो को बात का बतंगड़
बनाते देर नही लगती है,
निम्मो खाट मे टांग फैला कर बैठी थी और अपनी चोली के उपर के दो बटनो खोल कर हे रामू कितनी गर्मी होने लगी है
मन कर रहा है ठंडे पानी से नहा लू, रामू अपनी बहन के मोटे-मोटे तने हुए पपितो की तरह चुचियो को देख कर
अपनी धोती के उपर से अपने लंड को मसल्ने लगता है, निम्मो रामू से कहती है कि उसे बहुत गर्मी हो रही है थोड़ा पानी
बाल्टी मे भर कर ले आ मे ज़रा हाथ पेर ही धो लू बड़े जल रहे है, रामू एक बाल्टी मे पानी भर कर एक बड़े से पत्थर
के पास लाकर रख देता है और निम्मो फिर अपने भारी चुतड़ों को मतकाती हुई उस पत्थर पर जाकर बैठ जाती है और फिर धीरे-धीरे अपने घाघरे को उचा करती हुई उसे जाँघो तक चढ़ा लेती है,
रामू का लंड यह देख कर और भी तन जाता है की उसकी बड़ी बहन की गोरी पिंदलिया और मोटी जंघे बिल्कुल उसकी मा के पेरो की तरह नज़र आ रही थी रामू समझ गया था कि अगर निम्मो दीदी को छोड़ने को मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा वह पूरी भरी पूरी औरत बन चुकी है और उसकी चूत भी कितनी फूली हुई है,
निम्मो अपने पेर रगड़ते हुए, ये रामू वहाँ क्या बैठा है ज़रा मेरे पास आ
रामू- अपनी जवान रसीली बहन की गदराई जवानी का रस अपनी आँखो से पीता हुआ उसकी ओर चल देता है और उसके पास पहुच कर हाँ दीदी क्या है,
निम्मो- भैया मेने पेर धो लिए है और फिर निम्मो ने अपनी एक टांग वही पत्थर पर बैठे-बैठे उठा कर रामू को
दिखाती हुई, ज़रा देख ना अब क्या कही काँटा नज़र आ रहा है,
रामू- अपनी बहन के सामने उकड़ू बैठ जाता है और निम्मो एक उँचे पत्थर पर चढ़ा कर अपनी टांग उठा कर अपने भाई
के हाथ मे थमा देती है, रामू जैसे ही उसकी गोरी टांग को पकड़ कर देखता है उसकी नज़र सीधे निम्मो दीदी की गुलाबी
फूली हुई रसीली चूत पर पहुच जाती है और वह अपनी दीदी की मस्त चूत को इतने करीब से देख कर पागल हो जाता है,
निम्मो- मंद-मंद अपने भाई को देख कर मुस्कुराते हुए भैया मिला क्या काँटा
रामू- एक नज़र अपनी बहन के गदराए जिस्म को देख कर नही दीदी अभी नही मिला देखता हू और फिर रामू फिर से अपनी बहन की गुलाबी चूत को देखने लगता है,
निम्मो- क्या हुआ भैया जल्दी कर ना
रामू- अरे दीदी चुपचाप बैठी रहो अब काँटा ढूँढने मे कैसी जल्दी
निम्मो- रामू तू समझता नही है थोड़ा जल्दी ढूँढ ले
रामू- अच्छा देख रहा हू और रामू उसकी गोरी टाँगो को उठा कर और अच्छे से जब फैला कर देखता है तो अपनी बहन की
चूत का गुलाबी छेद जो चूत रस से पूरा गीला हो गया था उसे साफ नज़र आने लगता है और यहाँ तक की उसे अपनी दीदी की मोटी गान्ड का छेद भी नज़र आ जाता है और रामू ऐसी मोटी-मोटी फांको को देख कर पागल हुआ जा रहा था,
निम्मो- एक दम से उससे टांग छुड़ा कर, रामू कब से कह रही हू जल्दी ढूँढ मुझे बहुत जोरो की पेशाब लगी है और
फिर निम्मो उसको देख कर चल अब थोड़ा पीछे सरक कि तेरे उपर ही मूत दू
उसकी बात सुन कर रामू वही बैठा-बैठा थोड़ा पीछे सरक जाता है और तभी वह होता है जिसकी उसने कल्पना भी नही की थी निम्मो वही पत्थर पर उकड़ू बैठ कर अपने घाघरे को थोड़ा उपर करके एक ज़ोर दार धार सीधे रामू की ओर मारने लगती है और रामू अपनी बहन की खुली चूत से निकलती मोटी धार को देख कर जैसे पागल हो जाता है,
उँचे पत्थर पर उकड़ू बैठने की वजह से निम्मो की चूत की फूली हुई फांके बिल्कुल खुल कर चौड़ी हो जाती है और उसके चूत के गुलाबी छेद के थोड़ा उपर से एक मोटी मूत की धार गिरने लगती है, रामू अपनी बहन की ऐसी चुदासी हरकत और इतनी गुदाज और रसीली चूत देख कर एक दम से सन्न रह जाता है और उसका ध्यान उस समय भंग होता है जब निम्मो की चूत से पेशाब रुक-रुक कर निकलते हुए बूँदो मे तब्दील हो जाता है वह अपने मुँह को उठा कर निम्मो की ओर देखता है जो उसको देख कर, कहती है
निम्मो-देख लिया रामू अगर तू ज़रा भी देर करता तो मे सीधे तेरे मुँह मे मूत चुकी होती और फिर निम्मो ने रामू के
सामने ही अपनी जंघे फैलाए हुए अपनी चूत मे पानी के छीते मार कर उसे एक बार अच्छे से सहलाती है और फिर अपने
घाघरे से चूत मे लगे पानी को अच्छे से पोछ लेती है, अपनी बहन की इस हरकत से रामू तड़प उठता है और निम्मो उस
पत्थर से उठ कर अपने भारी-भरकम चुतड़ों को मतकाते हुए खाट पर जाकर बैठ जाती है और मंद-मंद मुस्कुराते
हुए अब वही बैठा रहेगा या यहाँ भी आएगा,
ला अब एक अच्छा मोटा सा गन्ना मुझे दे दे मेरा मन गन्ना चूसने का बहुत कर रहा है.
सुधिया- रमिया पर बिगड़ते हुए, घोड़ी एक घंटे से बैठी-बैठी आइडिया रगड़ रही है और घर का सारा काम जैसा का
तैसा पड़ा है और एक वह घोड़ी है जो हिन्हिनाति हुई वहाँ खेत घूमने गई है, ये नही कि घर के काम निपटाए,
रमिया- मा तुम भी क्या सुबह-सुबह शुरू हो जाती हो ठीक से नहाने भी नही देती,
सुधिया- खूब घिस-घिस कर नहा ले कामिनी तेरा यार खड़ा है तुझे ले जाने के लिए, सूरज सर पर चढ़ गया है और यह
कहती है अभी तो सवेरा है, जल्दी से कपड़े पहन और जा जाकर रामू को खाना दे कर आ, दिन दोगुनी रात चौगुनी बढ़
रही है लगता है तेरा ब्याह निम्मो से भी पहले करना पड़ेगा,
रमिया इधर खाना लेकर जब हरिया के खेत के पास से गुजरती है तो उसे चंदा और उसकी मा कामिनी नज़र आ जाती है,
कामिनी- क्यो रे रमिया, क्या लेकर चली जा रही है
रमिया- अरे कुछ नही चाची, रामू भैया के लिए खाना लेकर जा रही हू,
कामिनी- और तेरी मा कैसी है, आज कल तो घर मे ही घुसी रहती है, कई दिनो से खेतो की तरफ नही आई,
रमिया- अरे चाची उसे जब घर के कामो से फ़ुर्सत मिले तब ही तो इधर आएगी,
कामिनी- अच्छा आज तो निम्मो आई है ना
रमिया- हाँ वह तो सुबह ही भैया के साथ आ गई थी
कामिनी- अच्छा ज़रा निम्मो को भेज देना कहना चाची को कुछ काम है
रमिया वहाँ से जब जाने लगती है तो कामिनी उसकी बदली हुई चाल देख कर कुछ सोचने लगती है और फिर मुस्कुराते हुए
चंदा देखा तूने रमिया को आज कल तो इसकी चाल ही बदल गई है देख कैसे अपनी मस्तानी गान्ड हिला-हिला कर चल रही है
चंदा- भोली बनते हुए, पर मा रमिया ऐसे क्यो चल रही है क्या उसे पेर मे चोट आई है,
कामिनी-उसके गालो को मुस्कुराकर मसल्ते हुए, बेटी ऐसा लगता है चोट उसके पेरो मे नही उसकी जाँघ की जड़ो मे आई है
चंदा- अपनी मा की बात अपने बाबा का लंड लेने के बाद भली भाँति समझ रही थी और बनते हुए, पर मा उसको जाँघो की
जड़ो मे चोट कैसे लगी होगी:?
कामिनी- अरे गन्ना चूसने के चक्कर मे किसी मोटे गन्ने पर चढ़ गई होगी
चंदा- मा मुझे भी गन्ना चूसने का मन कर रहा है
कामिनी- उसको घूर कर गुस्से से देखती हुई, अरे रंडी अभी 16 की हुई नही कि तुझे भी गन्ना चाहिए, एक दो साल तो और कम से कम निकाल ले फिर तुझे खूब मोटे-मोटे गन्ने वैसे ही मिलने लगेगे,
तभी वहाँ पर निम्मो आ जाती है,
निम्मो-कहो चाची कैसे याद किया तुमने
कामिनी-मुस्कुराते हुए, अरे घोड़ी अब तो अपनी मा को कह के अपना ब्याह करवा ले, अगर समय से तेरा ब्याह हुआ होता तो अब तक तो 4 बच्चो की अम्मा हो चुकी होती,
निम्मो- मुस्कुराकर अपना लह्न्गा अपनी जाँघो तक समेटे हुए बैठ कर, अरे चाची मे तो कब से मरी जा रही हू पर
मेरी मा है कि उसके मारे सारा गाँव मेरी और नज़र उठा कर भी नही देखता,
कामिनी- चंदा की ओर देख कर तू जा यहाँ से कुछ काम धाम कर यहाँ बैठी-बैठी हमारी बाते सुन रही है
निम्मो- अरे चाची सुनने दो बेचारी को अब तो तुम्हारी बेटी भी जवान होने लगी है,
कामिनी- अच्छा जा निम्मो दीदी के लिए पानी लेकर आ और फिर चंदा वहाँ से चली जाती है,
कामिनी- अरे तेरी मा भी कोई कमजोर नही है, गाँव का कोई भी मर्द तेरी मा को नंगी देख ले तो उसे अपने खड़े लंड से
चोदे बिना ना रह पाए,
निम्मो- मुस्कुराते हुए, क्या बात है चाची लगता है चाचा ने दो चार दिन से तुम्हे चोदा नही है तभी लंड ही लंड
याद आ रहा है
कामिनी- हाँ रे यह तू सच कह रही है 4 दिन हो गये आज पता नही यह जब रात को आते है तो चुपचाप सो जाते है लगता है उनकी तबीयत इस समय ठीक नही रहती है,
निम्मो- अरे नही चाची मुझे तो लगता है हरिया काका कही और डुबकी लगा रहे है ज़रा ध्यान रखा करो इन मर्दो की
नीयत का कोई भरोसा नही रहता है, जहाँ इन्हे चूत मारने को नज़र आती है बिना चोदे रह नही पाते है,
कामिनी- तू कहती तो सही है पर अब मे अपने आदमी के पीछे-पीछे तो नही घूम सकती ना, ना जाने कहा मुँह काला करता होगा,
क्रमशः.............
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