Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
08-05-2019, 12:48 PM,
RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
मैंने झड़ते हुए अपनी चूत के साथ अपनी गाण्ड को भी सिकोड़ लिया। मेरी गाण्ड के सिकोड़ते ही प्रवीण भी हाँफते हुए मेरी गाण्ड में अपना वीर्य भरने लगा। प्रवीण के लण्ड से ना जाने कितनी देर तक वीर्य निकलकर मेरी गाण्ड को भरता रहा। प्रवीण का लण्ड मेरी गाण्ड में अपना वीर्य भरने से सिकुड़कर मेरी गाण्ड से निकल गया। जब मैंने अपनी आँखें खोली तो राधा की गाण्ड में से मोहित के लण्ड का वीर्य और थोड़ा सा खून साथ में निकल रहा था। मोहित राधा की गाण्ड से अपना लण्ड निकालकर बर्थ पर लेट गया था।


मैं भी उठते हुए राधा के पास चली गई और नजदीक से उसकी गाण्ड से निकलते हुए वीर्य को देखने लगी। राधा की गाण्ड सच में बहुत भरी हुई और खूबसूरत थी। मैंने अपना हाथ बढ़ाकर राधा को सीधा कर दिया और उसकी टाँगों को फैलाते हुए अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया। मैंने राधा की चूत को सहलाते हुए अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। राधा मुझे घूरकर देख रही थी।

मैंने अपनी उंगली को कुछ देर उसकी चूत में अंदर रखने के बाद अपनी उंगली को निकालते हुए अपने मुँह के पास ले आई और राधा की चूत के रस को सँघने लगी। मुझे अपनी उंगली से भीनी-भीनी सी खुश्बू आने लगी। यह खुश्बू राधा और मोहित के मिले जुले पानी की थी। मुझे वो गंध बहुत अच्छी लगी। मैं अपनी उंगली को अपने मुँह में डालकर चाटने लगी।

राधा मुझे बहुत गौर से देख रही थी। मेरी आँखें अपनी उंगली को चाटते हुए बंद हो गई। मैं कुछ देर तक अपनी उंगली को चाटने के बाद अपनी आँखें खोलते हुए नीचे झुकी और अपना मुँह राधा की चूत के पास लेजाकर उसकी चूत की गंध सँघने लगी। मेरी साँसे अपनी चूत के इतना करीब महसूस करके राधा की साँसें भी उखड़ने लगी और वो फिर से गरम होने लगी।

मैं कुछ देर तक उसकी चूत की महक सँघने के बाद अपनी जीभ निकालकर उसकी झांटों को अपने हाथों से दूर करते हुए उसकी चूत की फांकों पर फिराने लगी। मेरी जीभ अपनी फांकों पर महसूस करते ही राधा के मुँह से । आह्ह्ह... की एक बड़ी सिसकी निकल गई। मैं अपनी जीभ से उसकी फांकों को चाटते हुए अपनी जीभ को थोड़ा सा कड़ा करते हुए उसकी चूत में डाल दिया।

राधा- “आह्ह्ह... इस्स्स...” करते हुए राधा ने मेरे सिर में अपना हाथ डाल दिया और अपनी चूत पर दबाने लगी।

मैं अपनी जीभ से ही राधा की चूत को चोदने लगी। मैंने अपनी जीभ को अंदर-बाहर करते हुए उसकी चूत की फांकों को अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से उन्हें चूसने लगी। राधा अपनी फांकों को पूरा मेरे मुँह में महसूस करके बहुत जोर से काँपने लगी, उसका सारा शरीर अकड़ने लगा और उसका बदन झटके खाने लगा।

...” करते हुए वो अपने चूतड़ मेरे मुँह पर उछालने मजे से उसकी आँखें बंद हो गई- “ऊहह... आह्ह्ह ... इस्स्स्स लगी और उसकी चूत से पानी की नदियां बहने लगी।

मैं राधा की चूत से निकलता हुआ पानी जितना हो सकता था अपनी जीभ से चाटने लगी। कुछ देर तक उसका पानी चाटने के बाद मैंने अपना मुँह राधा की चूत से हटाया। राधा की आँखें अभी तक बंद थी और उसकी चूत सूजकर लाल हो गई थी। मैं जैसे ही वहाँ से उठी, प्रवीण और मोहित के लण्ड खड़े हो चुके थे और वो दोनों अपने हाथों से अपने लण्डों को सहला रहे थे।

मुझे उठता हुआ देखकर मोहित ने मुझे दबोच लिया और मेरे होंठों को चूसते हुए बर्थ पर मुझे उल्टा कुतिया की तरह लेटा दिया। मोहित ने जल्दी से अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रखा और एक धक्के में पूरा अंदर डालकर बहुत जोर-जोर से मेरी गाण्ड मारने लगा। मोहित इतनी जोर से मेरी गाण्ड मार रहा था की उसके हर धक्के के साथ मेरे मुँह से चीखें निकल रही थी। प्रवीण यह सब देखकर बहुत गर्म हो गया और मेरे करीब आते हुए मेरी गोरी चूचियों को सहलाने लगा।

मोहित ने अचानक मेरी कमर में हाथ डालते हुए अपने साथ बर्थ पर लेटा दिया। मोहित का लण्ड मेरी गाण्ड में ही था, उसके लेटने से मैं उसके ऊपर हो गई मगर मेरी पीठ मोहित के सीने पर थी और मेरी टाँगें खुली होने की वजह से मेरी चूत ऊपर उठकर प्रवीण के सामने आ गई।

मोहित ने प्रवीण को कहा- “उठाओ साली की टाँगें और घुसाओ अपना लण्ड उसकी चूत में...”

मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था की एक साथ मेरे दोनों छेदों में लण्ड होंगे। मैं मोहित की बात सुनकर बहुत उत्तेजित हो गई थी। प्रवीण कभी मुझे तो कभी मोहित को देख रहा था।

मोहित ने कहा- “आओ डर क्यों रहे हो? उठाओ इसकी टाँगें इसे कुछ नहीं होगा...”

प्रवीण डरते-डरते बर्थ पर आ गया और मेरी टाँगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ते हुए मेरे पेट पर रख दिया।

मोहित का लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा हुआ था और दूसरा लण्ड मेरी चूत में घुसने वाला था। मेरा पूरा शरीर अंजाने मजे और डर के अहसास के साथ काँप रहा था और मेरी चूत में से पानी की बूंदें निकल रही थी। प्रवीण अपने लण्ड को अपने हाथ से पकड़ते हुए मेरी चूत पर रगड़ने लगा।

प्रवीण के लण्ड की रगड़ से मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन दौड़ने लगी, और मेरे मुँह से- “आअह्ह्ह... घुसाओ ना क्यों तड़पा रहे हो..” निकल गया।
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