RE: Desi Sex Kahani निदा के कारनामे
बाबाजी का हुकुम सुनकर एक खिदमतगार नीचे लेट गया और फिर उसने मुझे अपने ऊपर लिटाया और अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया फिर दूसरा खिदमतगार मेरे ऊपर लेट गया और उसने अपना लण्ड मेरी चूत में घुसाकर मेरी दोनों चूचियां को भी पकड़ लिया। बाबाजी के इन दोनों खिदमतगारों के लण्ड भी कम नहीं थे, फिर दोनों ने एक साथ झटके मारने शुरू कर दिए।
अब दोनों के लण्ड तेजी के साथ मेरे दोनों सुराखों में अंदर बाहर हो रहे थे। एक साथ दो मर्दो से चुदवाने का ये मेरा पहला मोका नहीं था, इसलिए मुझे एक साथ दो मर्दो से चुदवाने में बहुत मजा आ रहा था और मैं खूब सिसकारियां ले रही थी और मजे में पूरी तरह से डूबी हुई थी। पहले उन दोनों ने थोड़ी देर तक मुझे इसी तरह चोदा फिर वो दोनों मुझे लेकर खड़े हो गये और फिर एक ने मुझे अपनी गोद में उठाकर अपना लण्ड मेरी चूत में डाला और दूसरे ने पीछे से आकर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया और फिर दोनों मुझे तेजी के साथ चोदने लगे।
मैं उन दोनों की गोद में थी और अपनी चुदाई का मजा ले रही थी। इतनी देर में बाबाजी का लण्ड भी पहले की तरह खड़ा हो चुका था और किसी गुस्सैले नाग की तरह फनकारियां मार रहा था। दोनों खिदमतगारों ने जो अपने उस्ताद का लण्ड खड़ा देखा तो उन्होंने मेरी चुदाई रोक दी और फिर उन्होंने मुझे नीचे उतार दिया। अब बाबाजी भी हमारे करीब आ गये, फिर बाबाजी नीचे लेट गये जबकी एक खिदमतगार ने मुझे बाबाजी के ऊपर लिटाया और बाबाजी ने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। फिर एक खिदमतगार मेरे पीछे आया और अपना
लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाकर मुझपर सवार हो गया, दूसरा खिदमतगार मेरे और बाबाजी के चेहरे की तरह आकर खड़ा हो गया।
मैंने अपने दोनों हाथ जमीन पर टिकाये और थोड़ा ऊपर उठ गई, फिर दूसरे खिदमतगार ने अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसा दिया। अब मेरी चूत, मेरी गाण्ड और मेरे मुँह में तीनों के लण्ड थे। फिर उन तीनों ने एक साथ झटके मारने शुरू कर दिए और मैं चुदाई के एक और नये मजे से आशना हो गई। अब एक साथ तीन मर्द मुझे चोद रहे थे और मेरी लज़्ज़त भरी गग्ग्घूऊऊ गग्ग्घूऊऊऊ पूरे स्थान में गूंज रही थी।
वो स्थान जो लोगों की नजरों में निहायत ही काबिल-ए-एहतेराम था, मेरे लिए रंडी खाना बन चुका था और उस स्थान में स्थान का पीर अपने दोनों खिदमतगारों के साथ मिलकर मुझे रंडी बनाकर कुत्तों की तरह चोद रहा था।
बाबाजी ने अम्मी को अपने अमल के लिए 4 घंटे का वक्त दिया था और अब 4 घंटे गुजरने वाले थे इसलिए वो तीनों तेजी के साथ मुझे चोद रहे थे और फिर एक के बाद एक वो तीनों झड़ गये। बाबाजी ने मुझे अपना हुलिया ठीक करने को बोला। क्योंकी अब अम्मी के आने का वक़्त हो चुका था। बाबाजी के दोनों खिदमतगार जल्दी से अपने-अपने कपड़े पहनकर बाबाजी के हुजरे से निकल गये। बाबाजी ने मेरी ब्रा और पैंटी अपने पास रख ली थी और अपनी अंडरवेर मुझे दे दी थी। मैंने अपनी पैंटी की जगह बाबाजी की अंडरवेर पहन ली और बिना ब्रा के ही कमीज पहन ली।
मेरा दुपट्टा काफी बड़ा नहीं था फिर भी मैंने अपने दुपट्टे से अपना सीना चुपा लिया वरना मेरी टाइट कमीज से मेरे चूचियां और उनके निपल्स साफ नजर आ रहे थे। फिर जब दिए गये वक़्त पर अम्मी बाबाजी के कमरे में बड़ी अकीदत से दाखिल हुईं, तो मैं दुपट्टे को अच्छी तरह से लपेटे हुये बड़े एहतेराम में बाबाजी के सामने डोजानों होकर बैठी हुई थी। और बाबाजी आँखें बंद किए पता नहीं क्या पढ़ने लगे थे। वहां अगरबत्तियां भी जला दी गई थी, जिसकी वजह से कोई देखकर ये नहीं कह सकता था की अभी कुछ देर पहले ये जाली पीर मेरे साथ अपने दोनों खिदमतगारों के साथ मिलकर किस तरह का अमल कर रहा था। अम्मी बड़े अकीदत और एहतेराम के साथ एक तरफ बैठ गई।
थोड़ी देर बाद बाबाजी ने अपनी पढ़ाई बंद कर दी और आँखें खोलकर अम्मी की तरफ देखा तो अम्मी ने एहतेरामन अपनी नजरें झुका ली। ये देखकर मेरे होंठों पर मुश्कुराहट आ गई।
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