Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:28 PM,
#56
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-53

उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर आने वाले लम्हे के बारे मे सोचने लगा शाम हो चुकी थी पूरी हवेली किसी नयी-नवेली दुल्हन की तरह रोशनी से जग-मगा रही थी ख़ान के भी आने का वक़्त हो गया था. अभी मैं अपनी सोचो मे गुम था कि पिछे से अचानक मुझे नाज़ी ने पकड़ लिया ऑर मेरी पीठ पर अपना सिर रख लिया ओर वैसे ही मुझसे चिपक कर खड़ी हो गई.

नाज़ी : मैने सब सुन लिया है... जो कुछ तुम अपने दोस्त को कह रहे थे

मैं : (पलट ते हुए) क्या सुन लिया है...

नाज़ी : मैं तुमको एक बात बहुत अच्छे से बता देती हूँ मेरा इस दुनिया मे तुम्हारे ऑर नीर के सिवाए कोई नही है अगर तुमने मुझे अकेले कही भेजने का सोचा भी तो मैं खुद अपनी जान ले लूँगी.

मैं : बकवास मत करो.... मैने जो भी किया वो सिर्फ़ तुम्हारी हीना की ऑर नीर की सेफ्टी के लिए किया तुम जानती हो बाहर ख़ान के कितने लोग आ गये होंगे. बाहर कुछ भी हो सकता है यार.

नाज़ी : मुझे नही पता जाएँगे तो सब साथ जाएँगे नही तो मैं भी नही जाउन्गी.

मैं : यार नीचे जब गोलियाँ चलना शुरू होंगी तो मैं तुम तीनो को संभालूँगा या उनका मुक़ाबला करूँगा.

नाज़ी : (मुँह फेरते हुए) मुझे कुछ नही पता...

मैं : अच्छा बाबा ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी... अब तो खुश....

नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाके मुस्कुराते हुए मुझे गले से लगा कर) हमम्म...

तभी पटाखो की ऑर ढोल के नगाडो की आवाज़ सुनाई देने लगी ऑर लोगो का शोर-शराबा भी सुनाई देने लगा.

मैं : लगता है वो लोग आ गये हैं... चलो अब तुम जल्दी से तेयार हो जाओ तब तक मैं गाड़ी मे से असला ऑर गोलियाँ ले आता हूँ ठीक है.

नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) अच्छा...

मैं : कुछ भी हो जाए तुम हवेली की उस तरफ नही आओगी समझ गई तुम नीर को लेके गाड़ी मे बैठो मैं हीना को लेके आता हूँ तुम गाड़ी के पास ही हमारा इंतज़ार करना....

नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है.... अपना ख़याल रखना.

मैने बिना कुछ बोले एक नज़र नाज़ी को मुस्कुरा कर देखा फिर पलटकर जहाँ नीर सोया हुआ था वहाँ गया उसके माथे को चूमा ऑर वापिस दरवाज़ा खोलकर तेज़ कदमो के साथ बाहर की तरफ निकल गया. छोटे गेट से बाहर जाने से पहले मैने एक बार फिर पलट कर देखा नाज़ी अब भी मुझे ही देख रही थी उसके चेहरे से मेरे लिए फिकर सॉफ दिखाई दे रहा था. उसके बाद मैं बाहर आया ऑर अपनी गाड़ी की डिग्जी मे से हथियार निकालने लगा. मैने जल्दी से अपना बॅग खोला उसमे से जल्दी से एक पेन ऑर एक काग़ज़ का टुकड़ा निकाला जिस पर मैने अपने गाव तक जाने का पता ऑर रास्ता लिखा ऑर उससे अपनी जेब मे डाल लिया. मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि इसकी ज़रूरत ना पड़े. अब मेरा एक ही टारगेट था ख़ान ऑर उसके आदमी इसलिए अब मेरी कही हुई बात पूरी करने का वक़्त आ गया था.... या तो मरना था या मार देना था. मैने अपने बॅग मे से अपने कपड़े एक साइड पर किए ऑर जल्दी से 2 पिस्टल उठाई ऑर उसकी मग्जिन चेक करके मैने दोनो पिस्टल को अपने जूतो की ज़ुराबो मे डाल लिया एक रिवॉल्वार मे मैने गोलियाँ भरी ऑर उसके अपनी पेंट मे बेल्ट के पास फिट कर लिया. अब मेरे पास बॅग मे सिर्फ़ 3 पिस्टल ही बची जिनमे से एक को मैने कार के आगे वाले हिस्से मे स्टारिंग व्हील के पास रख दिया ऑर बाकी 2 पिस्टल को मैने अपनी पेंट के पिछे वाले हिस्से मे टाँग लिया ऑर अपनी शर्ट बाहर निकाल ली जिससे किसी को मेरी पिस्टल नज़र ना आए. उसके बाद मैने गाड़ी की डिग्जी को बंद किया फिर मैने जल्दी से लाला को फोन किया कुछ ही पल मे उसने फोन उठा लिया.

मैं : कहाँ है लाला...
लाला Sadखुश होते हुए) भाई ख़ान का काम करने जा रहा हूँ... सुल्तानपूरा गाव मे.

मैं : ख़ान को मारने के लिए...

लाला : हाँ भाई... क्यो मानते हो ना अपने भाई के दिमाग़ को... तुम उसको कहाँ-कहाँ ढूँढ रहे थे ऑर मैने उसको एक झटके मे ढूँढ लिया.

मैं : मैं सुल्तानपूरा मे ही हूँ तुम जल्दी से जल्दी यहाँ पहुँचो शाम होने वाली है ऑर मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा हूँ.

लाला : भाई इसका मतलब तुम पहले से वही मोजूद हो.

मैं : लाले जिस स्कूल मे तू मुझे पढ़ा रहा है वहाँ का प्रिन्सिपल आज तक मुझसे ट्यूशन लेता है जो तुम लोग सोचते हो उससे पहले वो बात मैं सोच चुका होता हूँ.

लाला : (हँसते हुए) बस भाई अब तो गाव के पास ही हैं हम कुछ ही देर मे पहुँच जाएँगे आप बस हमारा इंतज़ार करो हम कुछ ही देर मे आ रहे हैं.

मैं : ठीक है तुम अंदर ही आ जाना मैं अंदर जा रहा हूँ.

लाला : पागल जैसी बात मत कर यार भाई तू अकेला है अंदर ख़ान के बहुत लोग होंगे.

मैं : अब तो कितने भी लोग हो... बाबा की दुआ से आज मैं सब पर अकेला भी भारी हूँ.

लाला : भाई बात तो सुनो...

उसके बाद मैने बिना उसकी कोई बात सुने फोन रख दिया ऑर भागता हुआ हवेली की आगे की तरफ चला गया जहाँ गेट पहले से खुला हुआ था ऑर काफ़ी लोग दरवाज़े के सामने खड़े थे. मैं इन लोगो के होते हुए अंदर नही जा सकता था क्योंकि लोग मेरी उम्मीद से भी ज़्यादा थे. मैं जल्दी से एक पेड़ के पिछे छिप गया ऑर सही मोक़े का इंतज़ार करने लगा. थोड़ी देर बाद एक पोलीस वाला मुझे पेड़ की जानिब आता हुआ दिखाई दिया इसलिए मैं जल्दी से पेड़ का तना पकड़कर उपर चढ़ गया. वो आदमी झून्मता हुआ आ रहा था शायद वो नशे मे था उसने चारो तरफ देखा ऑर फिर अपनी पेंट की ज़िप्प खोलकर उसी पेड़ के सामने पेशाब करने लगा जिसके उपर मैं बैठा था. मुझे एक तरक़ीब सूझी मैने जल्दी से अपनी टांगे पेड़ की शाख मे फसाई ऑर उल्टा होके उस आदमी को गर्दन से पकड़ लिया ऑर उपर को खींचकर उसकी गर्दन को झटके से मरोड़ दिया वो आदमी बिना कोई आवाज़ किए वही मर गया उसके बाद मैने उस आदमी को भी पेड़ के उपर खींच लिया. फिर उसके सारे कपड़े उतारे ऑर उसके कपड़े खुद पहन लिए वो आदमी वर्दी मे था इसलिए अगर उसकी वर्दी मैं पहन लेता तो मुझ पर कोई भी शक़ नही कर सकता था. लेकिन समस्या अब पिस्टल को रखने का था क्योंकि शर्ट अंदर करने की वजह से पिस्टल बाहर से दिखाई दे सकती थी इसलिए मैने 2 पिस्टल को वापिस अपने जूतो मे डाल लिया ऑर 2 पिस्टल को शर्ट के अंदर वैसे ही रख लिया ऑर 1 पिस्टल को मैने अपनी टोपी के नीचे रख लिया. अब 3 पिस्टल बची थी 2 मेरी खुद की ऑर एक उस पोलिसेवाले की सर्विस रिवॉल्वार जो शायद अंदर मेरे काम आ सकती थी. मैं जल्दी से पेड़ से नीचे उतरा ऑर 2 रिवॉल्वार को वही पास ही एक झाड़ियो मे रख दिया ऑर 1 उस पोलिसेवाले की रिवॉल्वार जो उसकी वर्दी मे ही फिट थी उसको वैसे ही रहने दिया. अब मैं बिना कोई आवाज़ किए सामने खड़ी भीड़ मे शामिल हो गया ऑर उन लोगो के साथ मैं भी अंदर घुस गया अब मैं चारो तरफ देख रहा था लेकिन मेरी नज़रें सिर्फ़ ख़ान को ही ढूँढ रही थी. तभी एक पोलीसवाला मेरे पास आया ऑर मेरे कंधे पर हाथ रख दिया.

आदमी: भाई माचिस है क्या सिग्रेट जलानी है.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) नही... (मैं नही चाहता था कि वो पोलिसेवला मेरा चेहरा देखे इसलिए उसकी तरफ पीठ करके ही खड़ा रहा)

आदमी : कौन्से डिपार्टमेंट से हो जनाब....

मैं : नारकॉटैक्स डिपार्टमेंट

आदमी : नारकॉटैक्स से तो मैं भी हूँ क्या नाम है भाई (मुझे पलट ते हुए)

मैं : (उसकी तरफ पलट ते हुए) शेराअ....

आदमी : (अपनी पिस्टल निकाल कर मेरे सिर पर तानते हुए) कौन है ओये तू...

मैं : (उसके मुँह पर हाथ रख कर उसके सिर मे ज़ोर से कोहनी मारते हुए) तेरा बाप...

वो आदमी बेहोश होके वही गिर गया वहाँ काफ़ी लोग थे इसलिए मैने उसको कंधे का सहारा देके अपने साथ खड़ा कर लिया ऑर उसको कही गिराने की जगह देखने लगा. पास ही मुझे एक बड़ा सा फूल दान नज़र आया मैने उसको उसके पीछे गिरा दिया ऑर अंदर चला गया जहाँ जशन का महॉल था सब लोग हाथ मे जाम लिए खड़े थे. मेरी नज़रें चारो तरफ ख़ान को ढूँढ रही थी लेकिन ख़ान मुझे कही भी नज़र नही आ रहा था. मैं वक़्त ज़ाया नही करना चाहता था इसलिए हॉल के चारो तरफ घूमने लगा ऑर वहाँ खड़े लोगो के हथियारो का जायेज़ा लेने लगा जिससे मुझे ये पता चल सके कि मुझ पर कितने लोग गोलियाँ चला सकते हैं. वहाँ ज़्यादातर लोग तो सादे कपड़े मे ही नज़र आ रहे थे सिर्फ़ गिनती के कुछ ही लोग थे जो मेरी तरह वर्दी मे मोजूद थे. मैं नही चाहता था कि जब मैं ख़ान पर गोली चलाऊ तो मुझ पर भी गोलियो की बारिस शुरू हो जाए इसलिए मैने एक-एक करके सबको खामोशी से ख़तम करने का सोचा. मैं जल्दी से जाके एक पर्दे के पिछे छिप गया जहाँ 2 पोलिसेवाले खड़े थे. मैं उनके पिछे से गया उनके मुँह पर हाथ रखा ऑर ज़ोर से उनका सिरों को खंबे मे मारा जिससे वो दोनो बेहोश हो गये उसके बाद मैने दोनो को पर्दे के पिछे ही खींच लिया ऑर वही गिरा दिया उसके बाद मैं पर्दे के पिछे से होता हुआ आगे बढ़ा तो मुझे एक ऑर आदमी वर्दी मे नज़र आया. मैने जल्दी से जाके उसको भी पिछे से पकड़ लिया ऑर अपनी दोनो बाजू मे उसकी गर्दन को पकड़ कर झटके से तोड़ दिया ओर उसको भी पर्दे के पिछे कर दिया.

अब मैं आगे नही जा सकता था क्योंकि आगे परदा नही था ऑर लोगो की काफ़ी भीड़ भी थी इसलिए मैने चारो तरफ नज़र दौड़ाई ऑर सामने मुझे कुछ लोग बैठे हुए नज़र आए मैं चुप-चाप जाके उन लोगो मे ही बैठ गया ऑर किसी को शक़ ना हो इसलिए एक जाम अपने हाथ मे लोगो को दिखाने के लिए पकड़ लिया. कुछ देर वहाँ बैठे रहने के बाद मुझे सीढ़ियो से नीचे उतरता हुआ ख़ान नज़र आया वो सामने जाके स्टेज पर बैठ गया उसके पास ही चौधरी (हीना का बाप) भी खड़ा था. मेरे पास अच्छा मोक़ा था उससे मारने का लेकिन मैं चाहता था कि उसको पहले पता चले कि उसको क्यो मारा गया इसलिए मैने अपना हाथ पिस्टल से हटा लिया ऑर मुँह नीचे करके बैठ गया ताकि वो मुझे देख ना सके. अभी मुझे वहाँ बैठे कुछ ही देर हुई थी कि एक हाथ मेरे कंधे पर पड़ा ऑर पिछे से आवाज़ आई...

आदमी : ओये खाबीज़ तुझे यहाँ बड़े लोगो मे बैठने को किसने बोला है चल बाहर दफ्फा हो ऑर सेक्यूरिटी का ख़याल रख साले को दारू पीने की पड़ी है.

मैं : (बिन कुछ बोले अपनी कुर्सी से खड़ा होते हुए) जी जनाब.

मैं उठकर बाहर जाने लगा तो उस आदमी ने पिछे से एक पिस्टल मेरी पीठ पर रख दी.

आदमी : अपने आप को बहुत होशियार समझता है शेरा... तुझे क्या लगता है तू यहाँ आके हमारे लोगो को मारेगा ऑर हम को पता भी नही चलेगा अब बिना कोई आवाज़ किए चुप-चाप मेरे साथ चल नही तो यही गोली मार दूँगा.

मैं बिना कुछ बोले उसके आगे चलने लगा. वो मुझे सीढ़ियो से उपर की तरफ ले गया मैं नही जानता था कि वो आदमी कौन है ऑर मुझे कैसे जानता है. मेरे सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उसने मेरी कमर पर लटकी पिस्टल भी उतार ली ऑर मेरी कमर पर हाथ रख कर चेक करते हुए मेरी कमीज़ मे मोजूद 2 पिस्टल भी निकाल ली अब मेरे पास सिर्फ़ 3 पिस्टल थी 1 जो मेरी टोपी मे मोजूद थी ऑर बाकी 2 मेरे जुत्तो मे थी. मैं चुप चाप धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ रहा था ऑर उस आदमी से नीज़ात पाने का रास्ता सोच रहा था.

आदमी : ख़ान भाई सही थे तू साला यहाँ ज़रूर आएगा ऑर देखो आ भी गया यहाँ मरने के लिए.

मैं : मदारचोड़ ठोकना है तो गोली चला दिमाग़ मत चाट मेरा.

आदमी : तू चल तो सही बेटा इतनी भी क्या जल्दी है मरने की... एक बार ख़ान भाई का निकाह हो लेने दे तुझे तो फ़ुर्सत से मारेंगे साले गद्दार.

मैं : गद्दार मैं नही तेरा हरामखोर ख़ान है जिसने हर कदम पर मेरे साथ फरेब किया है.

हम लोग बातें करते हुए उपर आ गये वो आदमी मुझे एक कमरे मे ले गया जहाँ पहले से कुछ लोग मोजूद थे. उन्होने मुझे एक कुर्सी पर बिठाया ओर बाँध दिया साथ ही मेरे सिर से टोपी उतार दी जिसमे मैने एक पिस्टल भी रखी हुई थी.

आदमी : ओये नवाब ये ले ख़ान भाईजान का तोहफा संभाल कर रख मैं उनको बताके आता हूँ कि आशिक़ कुत्ते की मौत मरने को खुद ही आ गया है.

मैं : मरने नही भेन्चोद तुम्हारी मारने आया हूँ अगर एक बाप का है तो खोल मेरे हाथ फिर तुझे बताता हूँ कि मैं यहाँ मारने आया हूँ या तुम सब की क़बर बनाने आया हूँ.

आदमी : मेरे मुँह पर मुक्का मारते हुए.... सस्स्सस्स ज़ोर से तो नही लगी शेरा.

मैं : अगर मेरे हाथ आज़ाद हो गये तो तुझे फ़ुर्सत से मारूँगा भेन्चोद शेर को बाँध कर मर्दानगी दिखाता है साले ना-मर्द.

नवाब: (मुझे लात मारते हुए) साले मे गर्मी बहुत है यार इसका तो इलाज मैं करता हूँ तू जा फ़ारूख़ यहाँ से ऑर ख़ान भाई को लेके आ.

उसके बाद वो फ़ारूख़ नाम का आदमी कमरे से बाहर चला गया अब मेरे आस-पास कुछ लोग मोजूद थे जिन्होने मुझ पर लातों ऑर मुक्को की बरसात शुरू करदी. मैं बँधा हुआ था इसलिए जवाब भी नही दे सकता था लिहाजा पड़ा रहा ऑर उनकी मार ख़ाता रहा. कुछ देर मुझे मारने के बाद वो लोग वापिस बेड पर जाके बैठ गये ऑर शराब पीने लगे. मैने ज़मीन पर कुर्सी से बँधा हुआ गिरा पड़ा था ऑर वो लोग मुझसे एक दम बे-फिकर थे मैने अच्छा मोक़ा जान कर अपने बँधे हुए हाथो पर पूरा ज़ोर लगा दिया जिससे मेरे हाथो पर बँधी रस्सी टूट गई ऑर मेरा एक हाथ आज़ाद हो गया मैने जल्दी से अपने दूसरे हाथ की रस्सी भी खोली ऑर वैसे ही पड़ा रहा. अब मैं सही मोक़े के इंतज़ार मे था कि कब उनकी मुझसे नज़र हटे ताकि मैं अपने पैरो की रस्सी खोल सकूँ. लेकिन कुछ ही देर मे फ़ारूख़ वहाँ वापिस आ गया इसलिए मैं वापिस बँधी हुई हालत मे ही रस्सी को अपने दोनो हाथो से पकड़े हुए लेटा रहा.

फ़ारूख़ : ओये कमीनो अपने बाप को उठा तो देते सालो इतना मारने को किसने बोला था.

आदमी : यार हम क्या करते साला बहुत कड़वा बोलता है हमारा भेजा घुमा रहा था अब देख कैसे खामोश होके पड़ा है.

फ़ारूख़ : ख़ान भाई ने बोला है कि निकाह के बाद वो इसका भी काम कर देंगे तब तक इसको बाँध कर रखो.

आदमी : ठीक है...

उसके बाद अचानक फ़ारूख़ के पिछे-पिछे वहाँ ख़ान भी आ गया...

ख़ान : अर्रे वाह आप भी शरीक है जनाब इस मुबारक मोक़े पर... बताने की ज़हमत उठाएँगे कि किस खुशी मे यहाँ आना हुआ.

मैं : तेरी मारने आया हूँ मादरचोद.

ख़ान : (हँसते हुए) साले तेरी गर्मी कभी नही जाएगी ना... (मेरा मुँह पकड़ते हुए) तू चीज़ क्या है यार साला तुझे 5-5 गोली मारो तब भी तू बच जाता है. कोई भी लड़की हो साला तुझे देखते ही कपड़े उतार कर खड़ी हो जाती है वो साली डॉक्टर्नी.... क्या नाम था उसका.... हाँ याद आया रिज़वाना.... वो भी साले तेरे चक्कर मे फस गई ऑर मुझसे बग़ावत कर गई ऑर राणा को भेज दिया तेरे पास मेरी सच्चाई बताने को... ये तो अच्छा हुआ कि वक़्त पर मुझे पता चल गया ऑर मैने राणा ऑर रिज़वाना को वक़्त पर ख़तम करवा दिया वरना मेरा काम तो बहुत खराब हो जाना था.


मैं : क्या रिज़वाना ऑर राणा को तूने मरवाया था ऑर मुझे गोली तुमने मारी थी? (मतलब रिज़वाना का प्यार झूठ नही सच था ऑर मैं उस बिचारी को कितना ग़लत समझ रहा था जिसने मेरे लिए अपनी जान दे दी)

ख़ान : हाँ... छोटे के साथ पार्ट्नरशिप जो करनी थी. चल आज लगे हाथ तेरी याददाश्त को भी थोड़ा सा ताज़ा कर देता हूँ.

मैं : लेकिन मेरे साथ तूने धोखा क्यो किया मैं तो तेरा साथ देने तक को राज़ी था ऑर मुझे कुछ याद भी नही था.

ख़ान : देख यार बुरा मत मान लेकिन बिज़्नेस का असूल है अगर खुद उपर जाना है तो किसी ना किसी को तो नीचे गिराना ही पड़ेगा मेरे पास माल था लेकिन कोई तगड़ी कीमत देने वाला बाइयर नही था इसलिए मैने छोटे से हाथ मिला लिया. लेकिन तेरा शीक बाबा इस बात की इजाज़त कभी नही देता क्योंकि ड्रग्स का सारा धंधा तू संभालता था ऑर जब तक तू था तेरे बाबा शीक को भी हम रास्ते से नही हटा सकते थे क्योंकि उनकी ढाल तू था. इसलिए हमने सोचा कि पहले तुझे ही रास्ते से हटा देते हैं फिर बूढ़ा तो तेरे गम मे ही मर जाएगा ऑर छोटे भी बाबा शीक की कुर्सी पर बैठ जाएगा लेकिन अफ़सोस वो साला भी बच गया.

मैं : (ख़ान की बात सुन कर मुझे सब याद आने लगा कि कैसे मैं उस दिन डील करने के लिए जा रहा था जब पोलीस की एक जीप मेरे पिछे पड़ गई ऑर मुझ पर अँधा-धुन्ध गोलियाँ चलाने लगी जिससे एक गोली मेरी गाड़ी के टाइयर पर लगी ऑर गाड़ी का बॅलेन्स बिगड़ गया गाड़ी एक चट्टान के साथ जाके टकराई ऑर मेरा स्टारिंग व्हील से सिर टकरा गया ऑर वो ख़ान ही था जिसने मुझे गाड़ी से निकाल कर मुझ पर गोलियाँ चलाई थी ऑर फिर मुझे मरा हुआ समझ कर गाड़ी समेत खाई से नीचे धक्का दे दिया. मुझे सब कुछ याद आ गया था कि यही वो हरामखोर था जिसने मुझ पर गोली चलाई थी)

मादरचोद आज तक वो गोली नही बनी जो शेरा को मार सके ऑर हीना से निकाह के सपने देखना छोड़ दे उससे पहले ही मैं तुझे जहन्न्नुम पहुँचा दूँगा ऑर याद रखना मेरी एक गोली भी तेरी गान्ड फाड़ने के लिए काफ़ी है... क्योंकि शेरा की मार ऑर शेरा का वार कभी खाली नही जाता ऑर जिस पर पड़ता है वो आदमी सारी जिंदगी उठ नही सकता.


ख़ान : (हँसते हुए) सपना अच्छा है... साले तू तो खुद मेरे रहम-ओ-करम पर है तू मुझे मारेगा... मैं चाहूं तो तुझे अभी मसल सकता हूँ लेकिन पहले निकाह हो जाए फिर आके तेरी खबर लेता हूँ. वैसे भी वो हीना साली बहुत तारीफ करती है तेरी... तू देखना तेरे सामने हीना को नंगी करके सुहागरात मनाउन्गा ऑर फिर उसकी आँखो के सामने तुझे गोली मारूँगा. ओये नवाब इसका ख़याल रखना बहुत हरामी है देखना ये खुलने ना पाए.

नॉवब : जी ख़ान साहब.

उसके बाद ख़ान कमरे से बाहर चला गया ऑर फ़ारूख़ को मेरे सामने बिठा कर चला गया.

मैं : ओये चूतिए... मुझे पानी पिला भोसड़ी के...

फ़ारूख़ : (गुस्से से मेरा कॉलर पकड़ते हुए) साले चूतिया किसको बोला....

मैं : तेरे को बोला गंदी नाली के कीड़े...

फ़ारूख़ : (गुस्से ) आआववव.... क्यो मरना चाहता है साले ख़ान भाई का हुकुम नही होता तो अभी तुझे गोली मार देता.

मैं : साले हर काम ख़ान की गान्ड मे घुस कर ही करता है या खुद मे भी दम है.

फ़ारूख़ : (मेरे पेट मे मुक्का मारते हुए) साले दम देखना है तुझे मेरा दिखाता हूँ तुझे दम ... (ये बोलने के साथ ही उसने 2 मुक्के ऑर मेरे पेट मारे) हवा निकली साले...

मैं : क्यो भोसड़ी के थक गया या गान्ड फॅट गई....

फ़ारूख़ : ये मरेगा आज मेरे हाथ से... (ये बोलते ही उसने मेरे मुँह पर मुक्का मारा)

मैने तेज़ी से अपना हाथ आगे कर लिया ऑर उसका मुक्का हवा मे ही पकड़ लिया. जिसे देखकर उसकी आँखें बाहर आने को हो गई.

मैं : मादरचोद बोला था तुझे कि मुझे ठोक दे तू नही माना.... अब देख मैं तुम सबकी यहाँ कैसे क़बर बनाता हूँ.


मैं कुर्सी से बँधा हुआ ही खड़ा हो गया ऑर फ़ारूख़ को बालो से पकड़ कर उसका सिर कुर्सी पर ज़ोर से मारा जिससे कुर्सी बैठने वाली जगह से टूट गई ऑर फ़ारूख़ ज़मीन पर अपना सिर पकड़ कर गिर गया. अब सिर्फ़ कुर्सी की आगे वाली टांगे ही मेरी टाँगो से बँधी हुई थी. इतने मे वहाँ बैठे सब लोग खड़े हो गये ऑर मुझे पकड़ने के लिए मेरी तरफ लपके जिनमे से एक को मैने गर्दन से पकड़ कर दूसरे के सिर मे पकड़े हुए आदमी का सिर मारा वो दोनो वही गिर गये. तभी एक आदमी छलाँग लगाके मेरे उपर गिर गया जिससे मैं खुद को संभाल नही सका ऑर मैं भी ज़मीन पर उसके साथ ही गिर गया. मैने जल्दी से उसका एक बाजू पकड़ा ऑर अपनी टाँग के नीचे से निकाल कर टाँग को मोड़ दिया जिससे उसकी गर्दन मेरे घुटने पर आ गई मेरे पैर के साथ कुर्सी की टाँग बँधे होने की वजह से मैं टाँग को मोड़ नही सकता था इसलिए मैने उसकी गर्दन को अपनी सीधी हुई टाँग पर ही दबा दिया ऑर गर्दन के पिछे की तरफ अपने हाथ का ज़ोर से वार किया जिससे उसकी गर्दन टूट गई ऑर उसके मुँह से खून निकलने लगा इतनी देर मे बाकी बचे 2 लोगो ने मेरे सिर मे शराब की बोतल फोड़नी शुरू करदी जिससे मेरे सिर मे से भी खून आने लगा.

उनमे से एक आदमी का मैने हाथ पकड़ा ऑर नीचे की तरफ खींच लिया जिससे वो आदमी मेरे उपर ही गिर गया मैने शराब की टूटी हुई बोतल उसके हाथ से छीन ली ऑर उसके गले मे टूटे हुए हिस्से से वार किया जिससे उसकी गर्दन मे काँच धँसते चले गये ऑर उसमे से पानी की तरह खून निकलने लगा जबकि दूसरा आदमी दरवाज़े की तरफ भागा मैने हाथ मे पकड़ी बोतल हवा मे उछाल कर उसके सिर मे मारी जिससे बोतल फुट गई ऑर वो दरवाज़े मे जाके लगा मैने बेड का सहारा लेके खुद को खड़ा किया ऑर जल्दी से अपनी टाँग से बँधी कुर्सी की टाँग की रस्सी को खोल दिया अब मैने वही कुर्सी की टाँग उठाई ऑर उसके सिर मे मारी जिससे कुर्सी की टाँग टूट गई ऑर उसके सिर से भी खून निकलने लगा. वो आदमी ज़मीन पर गिर गया ऑर मुझसे रहम की भीख माँगने लगा मैने टूटी हुई कुर्सी का टुकड़ा उठाया ऑर उसके मुँह मे डाल कर ज़ोर से पैर को कुर्सी के बाहर निकले हिस्से पर दबा दिया जिससे कुर्सी का नीचे वाला हिस्सा जो उसके मुँह मे घुसा हुआ हलक तक को चीर गया ऑर वो वही तड़प-तड़प के मर गया. अब मैने जल्दी से दूसरी टाँग पर बँधी कुर्सी भी खोली ऑर कमरे मे बने बाथरूम मे चला गया खुद के चेहरे पर लगे ज़ख़्म को देखने लगा फिर मैने अपने सिर को पानी से धोया ऑर चेहरे पर लगा खून सॉफ किया. उसके बाद मैं जल्दी से बाहर आया ऑर पोलीस वाली वर्दी उतार कर उन मरे हुए लोगो का कोट-पेंट पहन लिया क्योंकि लड़ाई के दोरान उन लोगो का काफ़ी खून वर्दी पर लग गया था. मैं हवेली के इस वक़्त आखरी हिस्से मे खड़ा था जहाँ से हीना का कमरा काफ़ी दूर था इसलिए मैं बाल्कनी के रास्ते से पाइप पर लटक कर हीना के कमरे की तरफ चला गया. जहाँ पहले से काफ़ी लड़कियाँ मोजूद थी ऑर हीना को तेयार कर रही थी.
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
RE: Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 01:28 PM

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