Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:28 PM,
#55
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-52

उसके बाद मैं ओर नाज़ी वापिस हवेली के पिछे वेल गेट पर चले गये वहाँ मैने अपनी गाड़ी खड़ी की ऑर नाज़ी के पीछे-पीछे उसके कमरे तक आ गया. हवेली का पिच्छला हिस्सा एक दम खाली रहता था इसलिए वहाँ किसी के आने का भी डर नही था. इसलिए हम बे-ख़ौफ्फ होके नाज़ी के कमरे मे चले गये. नाज़ी का कमरा कुछ ख़ास नही था बहुत छ्होटा सा कमरा था ऑर एक चारपाई के अलावा गिनती का समान था ऑर एक पुराना सा संदूक था जिसमे शायद नाज़ी ऑर बच्चे के कपड़े थे. मैं जाके सामने पड़ी चारपाई पर बैठ गया ऑर नाज़ी बच्चे को बोतल से दूध पिलाने लगी. दूध पी कर कुछ ही देर मे वो सो गया. इसलिए नाज़ी ने बच्चे को चारपाई पर मेरे साथ ही लिटा दिया.

मैं : नाज़ी मुझे भी भूख लगी है कुछ खाने को मिल सकता है.

नाज़ी : (यहाँ वहाँ देखते हुए) तुम रूको मैं अभी तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाती हूँ.

उसके बाद मैं वहाँ आराम से बैठ गया अपने बच्चे को देखने लगा ऑर नाज़ी के आने का इंतज़ार करने लगा. कुछ ही देर मे नाज़ी एक प्लेट के साथ कमरे मे वापिस आ गई.

नाज़ी : (मुस्कुराते हुए कमरे मे घुसते हुए)ये लो जी खाना आ गया.

मैं : (बिना कुछ बोले मुस्कुरा कर नाज़ी से प्लेट लेते हुए) बहुत भूख लगी है यार कल रात से कुछ नही खाया मैने.

नाज़ी : (मुझसे प्लेट लेते हुए) हटो... मैं खिलाती हूँ.

नाज़ी ने मुझसे प्लेट लेली ऑर खुद मुझे अपने हाथो से खाना खिलाने लगी. मैने भी प्लेट से एक रोटी उठाई ऑर सालान के साथ रोटी लगाकर नाज़ी को खिलाने लगा. हम दोनो मुस्कुरा रहे थे ऑर एक दूसरे को खाना खिला रहे थे. खाना खाने के बाद नाज़ी ने बर्तन चारपाई के नीचे रख दिए ऑर हम हाथ मुँह धो कर वापिस चारपाई के पास आ गये ऑर बच्चा सोया हुआ था इस वजह से मैं ज़मीन पर ही लेट गया.

नाज़ी : अर्रे ज़मीन पर क्यो लेट रहे हो.
मैं : बच्चा जाग जाएगा इसलिए...
नाज़ी : रूको मैं नीचे चद्दर बिच्छा देती हूँ फिर तुम आराम से लेट जाओ.

उसके बाद नाज़ी ने ज़मीन पर मेरे लिए पुरानी सी चद्दर बिछा दी ऑर मैं उस पर लेट गया कुछ देर बाद नाज़ी भी मेरे साथ आके लेट गई ऑर मुझे गले से लगा लिया. मैने बिना कुछ बोले उसको एक नज़र देखा ऑर उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसको अपने उपर लिटा लिया वो बिना कुछ बोले मेरे उपर आ गई ऑर मेरे चेहरे को देखने लगी.

नाज़ी : नीर तुम इतना वक़्त कहाँ थे.

मैं : (मैने अपनी सारी असलियत नाज़ी को बता दी)

नाज़ी : हमम्म तभी मैं सोचु इतनी आसानी से गोली कैसे चला दी तुमने.

मैं : क्या तुम मुझसे नाराज़ हो.

नाज़ी : क्यो नाराज़ क्यो होना है.

मैं : मैने क़ासिम को मार दिया इसलिए...

नाज़ी : मेरे बस मे होता तो मैं उसको कब की मार चुकी होती ऑर तुमने कोई ग़लत काम नही किया उसके जैसे घटिया इंसान को जीने का कोई हक़ नही था. लेकिन नीर एक परेशानी हो सकती है.

मैं : क्या....

नाज़ी : आज हीना की शादी है तो यहाँ बहुत से पोलीस वाले आएँगे ना अगर किसी को पता चल गया कि तुमने क़ासिम को मारा है तो वो लोग तुमको पकड़ लेंगे ना...

मैं : (मुस्कुराते हुए) आज कोई भी आ जाए मुझे पकड़ नही पाएगा ऑर तुम देखना शाम को तुम्हारे सामने कितने पोलीस वालों को मार कर जाउन्गा मैं यहाँ से.

नाज़ी : अपना भी ख़याल रखा करो तुमको कुछ हो गया तो तुम्हारे बाद मेरा इस दुनिया मे कौन है बताओ...

मैं : (मुस्कुराते हुए) क्यो ये छोटा नीर है ना...

नाज़ी : मज़ाक मत करो ना तुम्हारी जगह वो थोड़ी ले सकता है. अच्छा हाँ याद आया तुम तो मुझसे नाराज़ थे ना.

मैं : किस बात पर नाराज़ था मुझे तो याद नही.

नाज़ी : भूल गये....

मैं : (सवालिया नज़रों से नाज़ी को देखते हुए) नही... मुझे नही याद...

नाज़ी : तुमको मैने थप्पड़ मारा था अब याद आया.

मैं : (कुछ याद करते हुए) हाँ यार मैं तो भूल ही गया मैं अब भी तुमसे नाराज़ हूँ.

नाज़ी : अच्छा जी तो मनाने के लिए क्या करना पड़ेगा.(मेरे सिर मे अपनी उंगालिया घूमाते हुए)

मैं : जो पहले करती थी. (मुस्कुरा कर)

नाज़ी : तुम कभी नही सुधर सकते ना...

मैं : अब क्या करे फ़ितरत ही कुछ एसी है.

नाज़ी : अच्छा ठीक है लेकिन सिर्फ़ एक मिलेगा.

मैं : ठीक है तुम एक ही दे दो बाकी मैं खुद ले लूँगा.

नाज़ी : पहले अपनी आँखें बंद करो मुझे शरम आती है.

मैं : (आँखें बंद करते हुए) ठीक है....

उसके बाद नाज़ी ने बिना कुछ कहे अपने रसीले होंठ मेरे होंठ पर रख दिए धीरे-धीरे मैने अपने होंठ थोड़े से खोले ऑर उसके होंठों को अपने मुँह मे आने का रास्ता दे दिया ऑर धीरे-धीरे उसके होंठ को चूसने लगा. साथ ही अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख दिए. हम काफ़ी देर एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे. नाज़ी की ऑर मेरी दोनो की साँसे काफ़ी तेज़ हो गई थी इसलिए हमारे चूमने मे भी शिद्दत सी आ गई थी हम दोनो एक दूसरे मे समा जाने को तेयार थे लेकिन वो जगह ऐसी नही थी कि मैं उसके साथ कुछ कर सकता इसलिए ना चाहते हुए भी मैने खुद को काबू किया ऑर उसका चेहरा पकड़ कर खुद से अलग किया लेकिन नाज़ी की आँखें बंद थी ऑर वो बहुत ज़्यादा गरम हो गई थी इसलिए बार-बार मेरे हाथ अपने चेहरे से हटा कर मेरे होंठ चूस रही थी. इसलिए मुझे भी खुद को काबू करना मुश्किल हो रहा था नीचे से मेरा लंड भी पेंट फाड़ने को तेयार था . मैने नाज़ी को कमर से पकड़ कर नीचे लिटा दिया ऑर खुद उसके उपर आ गया. अब मैने उसको शिद्दत से चूम रहा था. वो मुझे चूम रही थी ऑर बॅड-बड़ा रही थी.

नाज़ी : मैने बहुत इंतज़ार किया है तुम्हारा अब मुझसे कभी दूर मत जाना.

मैं : (नाज़ी के होंठ चूमते हुए) नही जाउन्गा.

उसके बाद मैने नाज़ी का चेहरा चूमना शुरू कर दिया ऑर चेहरे से होते हुए मैं उसके गले को चूमने ऑर चूसने लगा. उसने एक नज़र मुझे देखा ऑर खुद ही मेरा एक हाथ अपने मम्मे पर रख दिया ऑर फिर से आँखें बंद कर ली. उसके बाद मैं उसके गले को चूस्ते हुए उसके मम्मे दबाने लगा नाज़ी की सांस अब काफ़ी तेज़ हो गई थी ऑर वो अपने दोनो हाथो से मेरे चेहरे को अपने मम्मों पर दबा रही थी. मैने एक हाथ से कंधे के एक साइड से उसकी कमीज़ को नीचे कर दिया ऑर उसके कंधे को चूमने ऑर चूसने लगा साथ ही अपने एक हाथ उसकी कमीज़ के अंदर डाल कर उसके पेट पर अपना हाथ फेरने लगा. कुछ ही देर मे मेरा हाथ बढ़ते हुए उसके मम्मों के उपर आ चुका था अब मैं उसकी ब्रा के उपर से ही उसके मम्मों को दबा रहा था. नाज़ी नीचे से अपनी गान्ड उठा कर मेरे लंड पर अपनी चूत को रगड़ रही थी जिससे मेरा लंड भी खड़ा होने की वजह से दुखने लगा था. मैने अपना दूसरा हाथ भी उसकी कमीज़ मे डाल दिया ऑर उसकी ब्रा को एक झटके से कमीज़ के अंदर से उपर कर दिया जिससे उसके आधे मम्मे बाहर आ गये. उसके निपल किसी तलवार की तरह एक दम सख़्त हो चुके थे मैने अपनी एक उंगली से उसके एक निपल को हल्का सा हिलाया ऑर फिर अपनी उंगली ऑर अंगूठे की मदद से उसके निपल को पकड़ लिया ऑर मरोड़ने लगा. इससे शायद नाज़ी को बहुत मज़ा आया था इसलिए उसके मुँह से एक तेज़ आआहह निकल गई. उसने जल्दी से दोनो हाथ मेरी पीठ पर रखे ऑर पिछे से मेरी कमीज़ को पेंट मे से बाहर खींचने लगे थोड़े से खिचाव से मेरी कमीज़ पेंट से बाहर आ गई. अब उसने अपने दोनो हाथ मेरी कमीज़ के अंदर डाल कर मेरी पीठ पर अपने दोनो हाथ फेरने ऑर नाख़ून मारने शुरू कर दिए. मैने जल्दी से उसकी कमीज़ सामने से उपर करदी जिसमे नाज़ी ने अपनी गान्ड उठा कर मेरी मदद की .


कमीज़ उपर होते ही उसके गोल-गोल मम्मे बाहर आ गये जिस पर किसी भूखे बच्चे की तरफ मैं टूट पड़ा ऑर उन्हे चूसना शुरू कर दिया. नाज़ी आअहह ओह्ह्ह सस्स्सिईइ करती हुई मेरा सिर अपने मम्मों पर दबा रही थी. मैं उसकी निपल को चूस ऑर काट रहा था. मुझे उसके निपल चूसने मे परेशानी हो रही थी इसलिए मैने अपने हाथ दोनो पिछे ले जाकर उसकी ब्रा के स्टाप को खोल दिया ऑर फिर से उसके निपल चूसने मे लग गया. मैं जाने कितनी देर तक उसके मम्मों को चूस्ता रहा तभी उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखा ऑर मुझे रुकने का इशारा किया. मैने अपने चहरा उपर करके उसको देखा ऑर रुक गया ओर उसके उपर से उठ गया मेरे साथ ही वो भी उठ गई ऑर मेरे चेहरे को पकड़ कर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी ऑर साथ ही मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी उसका एक हाथ मेरी शर्ट के बटन खोल रहा था ऑर दूसरा हाथ मेरी छाती पर घूम रहा था शर्ट खुलते ही उसने झटके से मेरी शर्ट उतार दी ऑर मेरी छाती पर चूमने लगी.

मैने भी उसकी कमीज़ के दोनो सिरों को पकड़ा ऑर उपर की तरफ खींचा जिस पर उसने अपनी दोनो बाज़ू हवा मे उपर उठा दी पिछे से ब्रा खुली होने की वजह से उसकी कमीज़ के साथ उसकी ब्रा भी उतर गई. उसने एक नज़र मुझे देखा ऑर नज़रे नीची करके अपने दोनो हाथ अपनी छाती पर रख लिए ओर फिर से नीचे लेट गई ऑर अपनी आँखें बंद कर ली. मैं वापिस उसके उपर लेट गया ऑर उसके दोनो हाथ उसकी छाती से हटा कर अपनी पीठ पर रख लिए अब उसके दोनो मम्मे मेरी छाती के नीचे दबे हुए थे ऑर उसके तीखे निपल मुझे अपनी छाती पर चुभ रहे थे. मैं उसका चेहरा चूम रहा था. कुछ देर बाद मैं फिर से नीचे की तरफ बढ़ने लगा ऑर उसके कंधो को चूमने ऑर चूसने लगा. उसका अब एक हाथ मेरी पीठ पर था ऑर दूसरा हाथ पिछे से मेरे सिर को सहला रहा था. उसके निपल इस वक़्त एक दम सख़्त हुए पड़े थे ऑर बाहर को निकले हुए थे. मैने अपना एक हाथ उसके एक मम्मे पर रखा ऑर उसके मम्मों को अपने हाथ से पकड़ लिया. अब मैने पकड़े हुए मम्मे पर अपना चेहरा रखा ऑर उसे शिद्दत से चूसने लगा मैं उसके निपल को मुँह से पकड़ कर चूस रहा था ऑर अपने मुँह मे अंदर की तरफ खींच रहा था जिसकी वजह से उसको इंतेहा मज़ा आ रहा था ऑर उसके मुँह से सस्सस्स सस्स्सस्स निकल रहा था. नीचे से उसने अपनी दोनो टांगे मेरी कमर पर रख ली थी ऑर अपनी टाँगो की मदद से मेरी कमर को जकड लिया था अब पेंट के उपर से मेरे लंड का निशाना उसकी चूत के उपर था जिसको कि वो अपनी गीली हुई चूत से बुरी तरह से रगड़ रही थी. इधर मेरा लंड भी अब बाहर निकलने का रास्ता तलाश कर रहा था इसलिए मैने अपनी कमर को थोड़ा सा उपर उठा कर अपनी बेल्ट ऑर पेंट के बटन को एक साथ खोल दिया जिसको नाज़ी ने अपनी टाँगो की मदद से मेरे घुटने तक नीचे कर दिया. मेरे लंड ने आज़ाद होते ही अंडरवेर मे एक टेंट सा बना लिया था जो सीधा नाज़ी की सलवार के उपर से उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था. नाज़ी को शायद इस ठोकर से बे-इंतेहा मज़ा मिल रहा था इसलिए उसने अपने दोनो हाथ मेरी गान्ड पर रखे ऑर मेरी गान्ड को अपनी चूत पर दबाने लगी. मैने धीरे से नाज़ी के कान मे कहा....

मैं : सलवार भी उतार दूं....

नाज़ी : (बिना कुछ बोले हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म

उसके बाद मैने जल्दी से अपना अंडरवेर ऑर पेंट दोनो को अपनी टाँगो से आज़ाद किया ऑर उसकी सलवार को नीचे खींचने लगा नाज़ी ने भी अपनी गान्ड उठा कर सलवार उतारने मे मदद की. अब मैं ऑर नाज़ी दोनो एक दम जनम-जात वाली हालत मे थे. नाज़ी के उपर दुबारा लेट ते ही मुझे ऐसा लगा जैसे लंड को पानी मे डुबो दिया हो क्योंकि नाज़ी की चूत बुरी तरह पानी छोड़ रही थी ऑर पूरी गीली हुई पड़ी थी जिसमे मेरे लंड के उपर वाले हिस्सो को भी अपनी पानी से नहला दिया था मैने थोड़ी सी अपनी गान्ड उपर की ऑर अपने लंड को चूत की छेद पर सेट किया ऑर नाज़ी की तरफ देखने लगा.

नाज़ी : दर्द नही होगा मैने सुना है पहली बार बहुत दर्द होता है?

मैं : हमम्म पहली बार दर्द होता है उसके बाद सब ठीक हो जाता फिर भी तुमको दर्द हो तो बता देना मैं रुक जाउन्गा ठीक है.
नाज़ी : अच्छा....

उसके बाद मैने वापिस अपने लंड को चूत के निशाने पर रखा ऑर चूत की छेद पर लंड से दबाव बनाने लगा. चूत सच मे बहुत टाइट थी मेरे लंड की टोपी भी अंदर नही जा रही थी लंड बार-बार फिसल कर उपर को चला जाता था. इसलिए मैने नाज़ी की दोनो टाँगो को फैला दिया ऑर लंड पर ढेर सारा थूक लगा कर चूत पर थोड़ा सा जोरदार निशाना लगाया जिससे लंड की टोपी अंदर चली गई ऑर नाज़ी के मुँह से एक तेज़ सस्स्स्सस्स की आवाज़ निकली. मैं कुछ देर रुक गया ऑर नाज़ी का दर्द कम होने का इंतज़ार करने लगा साथ ही नाज़ी का चेहरा चूमने लगा. कुछ ही देर मे उसका दर्द गायब हो गया ऑर वो फिर से मेरे होंठों पर टूट पड़ी ऑर बुरी तरह चूसने लगी. जब मैने उसे बेहतर हालत मे महसूस किया तो मैने थोड़ा जोरदार एक ऑर झटका मारा जिससे 1/4 लंड अंदर दाखिल हो गया उसने फिर से दर्द के मारे अपनी आँखें बंद कर ली ऑर मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे रुकने का इशारा किया. मैं फिर से कुछ देर रुक गया ऑर उसके निपल्स को चूसने लगा कुछ ही देर मे वो थोड़ी बेहतर लगने लगी ऑर नीचे से गान्ड हिलाने लगी जिससे मुझे अंदाज़ा हो गया कि अब उसको पहले से बहुत कम दर्द हो रहा है. अब मैं आगे को ज़ोर दे रहा था लेकिन लंड आगे नही जा पा रहा था इसलिए मैने अपना लंड बाहर निकाल लिया ऑर फिर से ढेर सारा थूक लंड पर लगाया ऑर लंड को चूत मे दाखिल कर दिया लंड के अंदर जाते ही उसके मुँह से फिर से एक दर्द भरी सस्स्सस्स आयईयीई की आवाज़ निकली लेकिन अब पहले जितना दर्द नही था अब मैं अगले झटके के लिए कुछ देर रुक गया ऑर उसके नॉर्मल होने का इंतज़ार करने लगा


जब उसका दर्द पहले से काफ़ी कम हो गया तो मैने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए ऑर उसके होंठ चूसने लगा क्योंकि मैं नही चाहता था कि अगले झटके से वो चीख पड़े ऑर उसकी आवाज़ बाहर कोई सुन ले इसलिए मैने उसको होंठों को अपने होंठों से जकड लिया ऑर नीचे लंड का एक जोरदार झटका मारा जिससे लंड उसकी चूत की सील को तोड़ता हुआ अंदर दाखिल हो गया अब करीब आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत के अंदर था ऑर चूत की दीवारों ने उसे बुरी तरह जकड रखा था. मेरा अंदाज़ा सही था लंड के अंदर जाते ही उसने चीखना चाहा था लेकिन मेरे होंठ उसके होंठ के उपर होने की वजह से उसकी आवाज़ मेरी मुँह मे ही दब गई. वो मेरे कंधे पर ज़ोर-ज़ोर से मारने लगी ऑर साथ मे रोने लगी.

मैं : बस...बस... हो गया पूरा चला गया.

नाज़ी : ससस्स आईइ... बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा

मैं : बस 5 मिंट वेट कर लो लंड अंदर जगह बना लेगा तो दर्द भी ख़तम हो जाएगा.

नाज़ी : ससस्स थोड़ी देर के लिए बाहर निकाल लो मेरी दर्द से जान जा रही है.

मैं : (नाज़ी के आँसू सॉफ करते हुए) बस हो गया ना अभी ठीक हो जाएगा मैने बोला था ना पहली बार दर्द होता है उसके बाद मज़ा आएगा.

उसका ध्यान दर्द से हटाने के लिए मैं वापिस उसके होंठ ऑर चेहरे को चूमने लगा उसको शायद काफ़ी दर्द हो रहा था इसलिए अब वो मेरा साथ नही दे रही थी मैं बिना हिले उसके उपर लेटा रहा ऑर एक बार फिर से उसके निपल्स को चूसने लगा क्योंकि मैं जानता था उसके मम्मे ही उसका सबसे वीक पार्ट है जहाँ उसको सबसे ज़्यादा मज़ा आता है. कुछ ही देर मे उसका दर्द अब पहले से कम हो गया ऑर उसने भी नीचे से अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया.

नाज़ी : अब ऑर अंदर मत करना आगे ही बहुत दर्द हो रहा है बस इतने से ही कर लो.

मैं : अच्छा ठीक है ऑर अंदर नही करूँगा.

अब मेरा लंड जितना अंदर था मैने उसी को थोड़ा सा बाहर निकलता ऑर फिर से पहले जितना ही अंदर कर देता कुछ देर उसको झटको से दर्द होता रहा लेकिन फिर उसकी चूत ने मेरे लंड के लिए रास्ता खोल दिया ऑर उसकी चूत की दीवारो की पकड़ भी पहले से ढीली हो गई थी. कुछ ही देर मे उसको भी मज़ा आने लगा अब वो भी मेरा थोड़ा-थोड़ा साथ देने लगी थी लेकिन ज़ोर से झटका नही मारने दे रही थी शायद उसको दर्द हो रहा था. मैं अब अपने लंड को उसकी चूत मे जहाँ तक जा सकता था बिना दर्द के डाला ऑर अपनी गान्ड को गोल-गोल घुमाने लगा जिससे उसको बेहद मज़ा आने लगा. अब उसने भी अपनी दोनो टांगे उठा ली थी ऑर वापिस मेरी कमर पर अपनी दोनो टाँगो को लपेट लिया था.

नाज़ी : हाँ ऐसे ही करो मज़ा आ रहा है झटका मत मारना दर्द होता है.

मैं : हमम्म्मम

कुछ ही देर मे उसको बेहद मज़ा आने लगा ऑर वो फारिग होने के करीब पहुँच गई.

नाज़ी : तेज़ करो मुझे मज़ा आ रहा है.
मैं : हमम्म्म

उसके बाद मैने धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू कर दिए कुछ देर झटके लगने के बाद अब उसको भी मज़ा आने लगा था इसलिए अब मैं थोड़ा तेज़-तेज़ झटके मारने लगा ऑर लंड को भी जितना हो सकता था अंदर से अंदर तक डालने लगा. कुछ ही देर मे वो फारिग हो गई उसकी गान्ड हवा मे अकड़ गई ऑर फिर धडाम से ज़मीन पर गिर गई शायद वो फारिग हो चुकी थी इसलिए अब उसकी टांगे भी काँप रही थी. मैं कुछ देर उसकी कमर पर हाथ फेरता रहा ऑर उसके निपल को चूस कर फिर से उससे गरम करने लगा साथ-साथ नीचे से झटके भी मारता रहा. अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे जा रहा था लेकिन उसको दर्द नही हो रहा था बल्कि मज़ा आ रहा था इसलिए मैने उसकी कमर के नीचे हाथ डाला ऑर चूत मे लंड डाले ही पलट गया अब वो मेरे उपर थी ऑर मैं उसके नीचे था उसको कुछ समझ नही आया कि क्या करना है इसलिए वो मुझे सवालिया नज़रों से देखने लगी.

मैं : मेरे लंड पर उपर नीचे करो अपनी चूत को

वो काफ़ी देर कोशिश करती रही लेकिन उससे हुआ नही सही से इसलिए मैने उसको अपने उपर लिटा लिया ऑर उसकी गान्ड पर हाथ रख कर उसकी गान्ड को थोड़ा सा उपर को उठा दिया जिससे मैं नीचे से झटके लगा सकूँ मेरे ऐसा करने से शायद उसको ऑर भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था इसलिए वो मेरे उपर लेटी मेरी छाती को चूम रही थी. कुछ ही देर मे वो फिर से अपनी मंज़िल के करीब आ गई ऑर झटके खाते हुए मेरे उपर ही फारिग होके मेरी छाती पर ढेर हो गई ऑर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी. मैं भी अपनी मज़िल के करीब ही था इसलिए मैं रुकना नही चाहता था इसलिए तेज़-तेज़ झटके मारने जारी रखे लेकिन शायद अब उसको दर्द हो रहा था.

नाज़ी : झटके मत दो अब दर्द हो रहा है वैसे ही पहले जैसे गोल-गोल करो उसमे मज़ा आता है.
मैं : ठीक है

उसके बाद मैं अपनी गान्ड को गोल-गोल घुमाने लगा जिससे लंड अंदर चूत की दीवारो टकरा रहा था.

नाज़ी : अंदर जलन हो रही है इसको फिर से गीला कर लो ना.
मैं : हमम्म

मैं लंड को चूत से बाहर निकाला ऑर अपने हाथ पर ढेर सारा थूक इकट्ठा करके अपने लंड पर लगा लिया अब मैने लंड को फिर से चूत के निशाने पर रखा ऑर धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा जिससे नाज़ी को फिर से दर्द होने लगा इसलिए उसने सस्सस्स के साथ अपनी फिर से आँखें बंद कर ली.

लंड डालने के बाद मैं कुछ देर वैसे ही चूत मे लंड डाले पड़ा रहा जब नाज़ी का दर्द कम हो गया तो मैने फिर से झटके लगाने शुरू कर दिए इस बार नाज़ी भी अपनी गान्ड को नीचे की तरफ दबा रही थी ऑर साथ मे मेरे होंठ चूस रही थी हम दोनो ही अब मज़िल के करीब थे कुछ तेज़ ऑर ज़ोरदार झटको के साथ मैं ऑर नाज़ी दोनो एक साथ अपनी मज़िल के करीब पहुँच गये मेरा लंड एक के बाद एक झटके से पिचकारियाँ मारने लगा ऑर मेरा सारा माल नाज़ी की चूत की गहराइयो मे उतरने लगा मेरे लंड की हर पिचकारी के साथ वो मज़े से सस्सस्स अहह सस्स्सस्स ऊओह कर रही थी हम दोनो बुरी तरह हाँफ रहे थे ऑर पसीने से भीगे पड़े थे वो मेरी छाती पर सिर रख कर अपनी साँस को दुरुस्त करने लगी कुछ देर मे ही हम दोनो एक दम नॉर्मल हो गये थे ऑर मेरा लंड भी अपनी खुंराक मिलने के बाद शांत होके बैठ चुका था. साँस के दुरुस्त होने के बाद नाज़ी मेरे उपर से उठी ऑर मेरा लंड पुउउक्ककक की आवाज़ से उसकी चूत से बाहर निकल आया साथ ही मेरा ऑर उसका माल भी उसकी चूत से बहता हुआ मेरी रान पर गिरने लगा. साथ ही मेरे कानो मे नाज़ी की आवाज़ टकराई....

नाज़ी : हाए ये खून कहाँ से आ गया.

मैं : तुम्हारा निकला है... जब पहली बार करते हैं तो निकलता है.

नाज़ी : इतना सारा खून.

मैं : कुछ नही होता पहली बार आता है.

उसके बाद वो बिना कुछ कहे खड़ी हुई ऑर इधर उधर देखने लगी ऑर फिर संदूक खोलकर एक कपड़ा उठा लाई जिससे पहले उसने मेरी रान सॉफ की ऑर फिर उसी कपड़े से अपनी चूत को अच्छे से सॉफ किया मैं लेटा उसको देख रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था. वो भी मुझे देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी.

नाज़ी : ये क्या किया है.... गंदे कही के.... (मुँह बना कर)

मैं बिना कुछ बोले उसको देख कर मुस्कुरा रहा था. फिर उसने जल्दी से अपने कपड़े उठाए ऑर कमरे मे ही एक कौने पर जाके अपनी चूत को पानी से धो कर सॉफ करने लगी. मैं भी खड़ा हुआ ऑर उसके पिछे चला गया उसने पानी डाल कर मेरे लंड को भी अच्छे से सॉफ किया जो कि उसके खून ऑर हम दोनो के माल से भरा पड़ा था. उसके बाद हमने कपड़े पहने ऑर वापिस उसी चद्दर की एक तरफ जहाँ सॉफ थी वहाँ जाके लेट गये नाज़ी इस बार भी मेरे उपर ही लेटी थी ऑर मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी. अब मैं आँखें बंद किए लेटा था ऑर ख़ान के आने का इंतज़ार कर रहा था कि कब ख़ान आए ऑर उसको मार कर मैं अपने बिज़्नेस का लॉस ऑर मेरे परिवार के साथ हुई ज़्यादती का बदला ले सकूँ.

मैं नाज़ी के साथ सेक्स करके काफ़ी थक गया था इसलिए कुछ ही देर मे मुझे नींद ने अपनी आगोश मे ले लिया. अभी मुझे सोए हुए कुछ ही देर हुई थी कि मेरी जेब मे पड़ा मेरा फोन बजने लगा जिससे अचानक मेरी आँख खुल गई. मैने अपने उपर लेटी नाज़ी को जल्दी से साइड पर किया ऑर खुद बैठ कर जेब मे हाथ डाल कर फोन देखने लगा. मैने फोन देखा तो डिसप्ले पर रसूल लिखा था. मैने जल्दी से फोन कान को लगाया ऑर नाज़ी के पास बैठकर ही रसूल से बात करने लगा.

मैं : हां रसूल भाई क्या हाल है.

रसूल: मैं खेरियत से हूँ भाई तुम कैसे हो.

मैं : मैं भी ठीक हूँ. बताओ कैसे फोन किया था.

रसूल : भाई मुझे अभी खबर मिली है कि तुम्हारे शिकार ख़ान की आज शादी है ऑर वो एक गाव मे जा रहा है.

मैं : (हँसते हुए) यार तुम्हारी गर्दन बड़ी लंबी है वहाँ बैठे हुए भी सब जगह मुँह मारते रहते हो.

रसूल: (हँसते हुए) भाई मैं तो तुम्हारा काम ही आसान कर रहा हूँ जल्दी से सुल्तानपूरा के लिए निकल जाओ वहाँ आज ख़ान ज़रूर आएगा शादी करने के लिए.

मैं : तुम्हारे खबरी ने तुमको ये नही बताया कि मैं कहाँ हूँ.

रसूल : कहाँ हो भाई...?

मैं : मैं इस वक़्त ख़ान के कभी ना होने वाले ससुराल मे बैठा उसका इंतज़ार कर रहा हूँ.

रसूल : वाह... क्या बात है च्छा गये यार शेरा भाई.... लेकिन यार तुमको पता कैसे चला कि ख़ान आज सुल्तानपूरा आएगा.

मैं : किस्मत भी कोई चीज़ होती है यार मैं तो यहाँ कुछ ऑर काम से आया था लेकिन साला पंगा कुछ ऑर ही हो गया फिर मुझे ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया.

रसूल : भाई तुमको वहाँ किस आदमी से काम पड़ गया ऑर वहाँ तुम्हारा कौन है.

मैं : यार ये वही गाव है जहाँ मुझे नयी ज़िंदगी मिली थी मैं तो यहाँ उन फरिश्तो से मिलने आया था लेकिन यहाँ जब ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया.

रसूल : अच्छा... तो ये बात है.... भाई आपको कुछ बताना था.

मैं : वो छोड़ पहले मेरी बात सुन... तुझसे एक काम था यार

रसूल : हुकुम करो भाई जान हाज़िर है.

मैं : असल मे यार एक पंगा हो गया है.

रसूल : क्या हुआ भाई सब ख़ैरियत तो है.

मैं : (खड़ा होके कमरे से बाहर जाते हुए) यार एक मिंट होल्ड कर...

(नाज़ी को देखते हुए) नाज़ी तुम रूको मैं ज़रा बात करके आया

नाज़ी : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म

मैं : यार रसूल दरअसल पंगा ये हुआ है कि जिस लड़की से ख़ान की शादी होने वाली है वो लड़की मुझसे प्यार करती है ऑर वो मुझसे शादी करना चाहती है ऑर जिन्होने मेरी जान बचाई थी वो भी अब इस दुनिया मे नही रहे बिचारी उनकी लड़की एक दम अकेली हो गई है.

रसूल : भाई तो इसमे सोचना कैसा आप उनको भी यही ले आओ ना ख़ान को मारने के बाद.

मैं : वही तो बता रहा हूँ ना यार....

रसूल : जी भाई बोलो...

मैं : ख़ान यहाँ अकेला नही आएगा उसके साथ काफ़ी लोग होंगे अगर मुझे कुछ हो जाए तो इन दोनो को मैं वहाँ गाव मे तुम्हारे पास भेज दूँगा तुम इनका ख़याल रखना.

रसूल : भाई कैसी बात कर रहे हो तुमको कुछ नही होगा तुम इनको खुद लेके आओगे ऑर मुझे तुम्हारे निशाने पर पूरा ऐतबार है ऑर फिर मुझे लगा शायद तुमको पता नही होगा इसलिए मैने उस गाव मे अपने कुछ आदमी भी भेजे हैं जो आपकी मदद कर सके.

मैं : (हैरान होते हुए) क्या.... कौन्से आदमी कौन लोग आ रहे हैं यहाँ...

रसूल : भाई मुझे लगा आपको शायद पता नही होगा इसलिए हम ही ख़ान का गेम बजा देंगे इसलिए मैने वहाँ अपने लोग भेज दिए हैं.

मैं : अच्छा किया अब मुक़ाबला बराबरी का होगा वो लोग कब तक यहाँ पहुँच जाएँगे.

रसूल : भाई आप लाला को फोन करके पूछ लो ना अपने तमाम लोगो के साथ वही आ रहा है अब तो शायद पहुँचने वाले भी होंगे.

मैं : अच्छा... चलो ठीक है अब तुम फोन मत करना.... हम जल्द ही मिलेंगे.
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
RE: Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 01:28 PM

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