Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:26 PM,
#53
RE: Kamukta Kahani अहसान
उसके बाद हम कुछ देर बाते करते रहे फिर वहाँ से पेट्रोल भरवा कर उसको कुछ पैसे दिए पेट्रोल पंप की मरम्मत के लिए ऑर कुछ पैसे उसके खुद के इलाज के लिए. फिर मैं अपने सफ़र के लिए वापिस निकल पड़ा. मैं करीब 9 घंटे से लगातार गाड़ी चला रहा था इसलिए बुरी तरह थक गया था ऑर मुझे भूख भी बहुत लग रही थी लेकिन आस-पास कही भी कोई होटेल या ढाबा नही खुला था जहाँ मैं खाना खा सकूँ इसलिए मैने गाड़ी चलाते रहना ही मुनासिब समझा मैं सुबह तक लगातार गाड़ी चलाता रहा. सुबह मैं उस शहर मे आ गया था जहाँ हीना अक्सर मुझे इलाज के लिए लाया करती थी. इसलिए गाड़ी को मैने उसी शॉपिंग माल के सामने रोक दिया जहाँ से रिज़वाना ने मुझे कपड़े दिलवाए थे मैने जल्दी से गाड़ी को पार्क किया ऑर उस माल मे चला गया सुबह का वक़्त था इसलिए पूरा माल खाली नज़र आ रहा था वहाँ कोई भी नही था बस दुकान वाले ही आए हुए थे जो अपना-अपना माल सेट कर रहे थे मैने एक दुकान मे जाके नाज़ी, फ़िज़ा, हीना ऑर बाबा के लिए नये कपड़े लिए ऑर कुछ ऑर समान लेके वापिस गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर फिर से अपना सफ़र शुरू कर दिया. उस शहर से मेरा गाँव पास ही था इसलिए जल्दी ही मैं अपने गाव की सरहद मे घुस चुका था जहाँ से मेरा गाव शुरू होता था.

कुछ ही देर मे मैं मेरे गाव के काफ़ी करीब तक पहुँच गया था. लह-लहाते खेत ऑर ताज़ी हवा ने मेरी सारी थकान को एक दम गायब कर दिया गाव की ताज़ी हवा मे साँस लेते ही जैसे मेरा रोम-रोम खिल उठा. मैने गाड़ी साइड पर रोक दी ऑर कुछ देर बाहर आके गाव की ताज़ा हवा ऑर खेतो की हरियाली का मज़ा लेने लगा वही पास ही एक सॉफ पानी का ट्यूब-वेल था जहाँ मैने पानी पीया ऑर चेहरे को धो कर वापिस अपने सफ़र के लिए निकल पड़ा. अब कुछ ही दूरी रह गई थी ऑर अब मैं किसी भी वक़्त मैं मेरे गाव तक पहुँच सकता था इसलिए अब मैने अपनी गाड़ी की रफ़्तार भी बढ़ा दी . मुझे गाव मे घुसते ही एक अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी एस लग रहा था जैसे मैं अपने घर वापिस आ गया हूँ. कुछ ही दूरी पर मुझे मेरा खेत नज़र आया जहाँ मैं काम किया करता था. मैने फॉरन गाड़ी रोकी ऑर सबसे पहले अपने खेत मे चला गया वहाँ गन्ने की फसल एक दम तैयार खड़ी थी. मैं कुछ देर अपने खेत मे रुका ऑर फसल का जायेज़ा लेने लगा ऑर सोचने लगा की ज़रूर ये फसल नाज़ी ऑर फ़िज़ा ने उगाई होगी फिर वापिस आके अपनी गाड़ी मे बैठ गया ऑर अपनी गाड़ी को अपने घर की तरह दौड़ा दिया आज मैं बेहद खुश था इसलिए बार-बार अपने घरवालो के लिए खरीदे हुए समान को बार-बार देख रहा था ऑर चूम रहा था.

कुछ ही देर मे मैने मेरी गाड़ी मेरे घर के सामने रोक दी. मैं जल्दी से गाड़ी से उतरा ऑर अपना बॅग ऑर घरवालो के लिए खरीदा हुआ समान निकाला ऑर तेज़ कदमो के साथ अपना घर के दरवाज़े के बाहर खड़ा हो गया. मैं बेहद खुश भी था ऑर डर भी रहा था कि जाने इतने वक़्त के बाद सब लोग मुझे देख कर कैसा बर्ताव करेंगे. फ़िज़ा तो ज़रूर मुझसे नाराज़ होगी ऑर नाज़ी तो ज़रूर मेरे साथ झगड़ा तक कर लेगी लेकिन हाँ बाबा ज़रूर मेरा साथ देंगे ऑर उन दोनो को चुप करवा देंगे ऐसे ही काई अन-गिनत ख़याल ऑर अपने ज़ोर-ज़ोर से धड़कते दिल के साथ मैने दरवाज़ा खट-खाटाया. कुछ देर बाद एक औरत ने दरवाज़ा खोला ऑर मेरे सामने आके खड़ी हो गई.

औरत : हाँ क्या काम है.
मैं : जी मैं नीर हुन्न...
औरत : (बेरूख़ी से) कौन नीर ... किससे मिलना है तुमको.
मैं : आप कौन हो ओर यहाँ क्या कर रही हो.
औरत : अरे अजीब आदमी हो मेरे घर मे मुझ से ही पूछ रहे हो कि यहाँ क्या कर रही हूँ... तुम हो कौन ऑर किससे मिलना है.

मैं : जी आप बाबा नाज़ी या फ़िज़ा मे से किसी को भी बुला दीजिए वो मुझे जानते हैं.

औरत : यहाँ इस नाम का कोई नही है दफ़ा हो जाओ यहाँ से.

इतना कह कर उसने मेरे मुँह पर दरवाज़ा बंद कर दिया. मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि ये क्या हुआ सब लोग कहाँ गये ऑर ये कौन औरत थी जो इतनी बेरूख़ी से मुझसे बात कर रही थी. बाबा कहाँ है, फ़िज़ा कहाँ है, नाज़ी कहाँ है ऐसे ही कई सवाल एक साथ मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे जिनका मुझे जवाब ढूँढना था. मैं वापिस उदास ऑर परेशान हालत मे वापिस अपनी गाड़ी के पास आ गया ऑर सारा समान वापिस गाड़ी मे रख दिया. कुछ देर गाड़ी मे बैठने के बाद मैं सोचने लगा कि अब मैं कहा जाउ ऑर किससे पुछु इन्न सब लोगो के बारे मे तभी अचानक मुझे याद आया कि हीना मुझे इन सबके बारे मे बता सकती है. मैने फॉरन गाड़ी स्टार्ट की ऑर गाड़ी को हीना की हवेली की तरफ घुमा दिया. मैं उस वक़्त काफ़ी परेशान था इसलिए बहुत तेज़ रफ़्तार से गाड़ी चला रहा था. कुछ ही मिनिट मे मैने गाड़ी को चौधरी की हवेली के सामने रोक दिया. सामने मुझे 2 दरबान बैठे नज़र आए. मैं फॉरन गाड़ी से उतरा ऑर उन दोनो के पास जाके खड़ा हो गया. इन दोनो दरबानो को मैं जानता था इसलिए उनको देखते ही मैने फॉरन पहचान लिया.

दरबान : कौन हो भाई क्या काम है.

मैं : अर्रे भाई मुझे भूल गये क्या मैं नीर हूँ याद आया.

दरबान : (सवालिया नज़रों से मुझे देखते हुए) कौन नीर ... क्या काम है.

मैं : यार भूल गये मैं तुम्हारी छोटी मालकिन को गाड़ी चलानी सिखाता था याद है.

दरबान : (कुछ याद करते हुए) हाँ... हाँ... याद आ गया तुम हैदर बाबा के छोटे बेटे हो ना.

मैं : हाँ मैं उन्ही का बेटा हूँ... मुझे तुम्हारी मेम्साब से मिलना है

दरबान : (हँसते हुए) पागल हो क्या खुद भी मार खाओगे हम को भी मार खिलवाओगे उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है.

मैं : लेकिन समस्या क्या है यार पहले भी तो मैं उनसे मिलता ही था ना.

दरबान : आज छोटी मालकिन की शादी है इसलिए आज उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है.

मैं : क्या... आज हीना की शादी है.

दरबान : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हाँ

मैं : देखो यार मेरा उससे मिलना बहुत ज़रूरी है मेरी मजबूरी को समझो.

दरबान : (आपस मे बात करते हुए) ठीक है लेकिन इसमे हमारा क्या फ़ायदा.

मैं : (अपनी जेब से कुछ पैसे निकाल कर दरबान को देते हुए) अब तो मिल सकता हूँ ना.

दरबान : (खुश हो कर नोट गिनते हुए) कितना वक़्त लगेगा.

मैं : बस 10-15 मिनिट ज़्यादा से ज़्यादा नही.

दरबान : ठीक है लेकिन ज़्यादा वक़्त मत लगाना ये मेरा साथी तुमको पिछे के रास्ते से हवेली मे ले जाएगा लेकिन अगर किसी ने तुमको पकड़ लिया तो हम तुमको नही जानते तुम हम को नही जानते बोलो मंज़ूर है.

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) मंज़ूर है अब चलो जल्दी.

उसके बाद एक दरबान मुझे हवेली के पिछे की तरफ ले गया जहाँ से एक छोटा सा दरवाज़ा था जिस पर ताला लगा हुआ था उसने मेरे सामने जल्दी से ताला खोला ऑर फिर हम दोनो अंदर चले गये वो चारो तरफ देखता हुआ ऑर लोगो की नज़रों से बचा कर उपर तक ले आया ऑर उंगली से हीना के कमरे की तरफ इशारा कर दिया.

दरबान : (उंगली से इशारा करते हुए) ये वाला कमरा है छोटी मालकिन का अब जल्दी जाओ ओर ज़्यादा वक़्त मत लगाना कही कोई आ ना जाए नही तो दोनो मरेंगे.

मैं : शुक्रिया... मैं जल्दी आ जाउन्गा.

मैं दबे पाँव हीना के कमरे मे चला गया ऑर कमरे को अंदर से कुण्डी लगा ली ताकि कोई भी बाहर का अंदर ना आ सके. मैं जैसे ही कमरे मे घुसा मुझे सामने बेड पर हीना लेटी हुई नज़र आई जिसकी हालत देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि या तो वो बीमार है या फिर वो सो रही है. उसके पास ही मेरा कुर्ता पाजामा पड़ा था जो उसको मैने पहनने के लिए दिया था जिसे मैने फॉरन पहचान लिया. मैं जल्दी से उसके पास गया ऑर उसको कंधे से हिला कर उठाया.

मैं : (दबी हुई आवाज़ मे)उठो हीना.... हीना.... हीनाअ

हीना : (बिना मेरी तरफ देखे) दफ़ा हो जाओ यहाँ से मैने कहा ना मैं ये शादी नही करूँगी.

ये बात सुनकर मुझे भी झटका लगा कि ये हीना क्या कह रही है. लेकिन मैं जानना चाहता था कि असल माजरा क्या है हीना क्यो शादी से मना कर रही है.

मैं : (हीना को पकड़कर उठाते हुए) हीना मैं हूँ देखो मुझे एक बार...

हीना : (थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ उठाते हुए) नीर तूमम्म... तुम वापिस आ गये.

मैं : (मुस्कुराते हुए) हाँ मैं वापिस आ गया हूँ क्या हुआ है... तुमने ये क्या हालत बना रखी है अपनी. (अपने हाथ से हीना के बिखरे हुए बाल संवारते हुए)

हीना : (रोते हुए मुझे गले लगाकर) मुझे ले चलो यहाँ से नीर मैं यहाँ एक पल भी अब रहना नही चाहती.

मैं कुछ समझ नही पा रहा था कि हुआ क्या है. इसलिए बिना उससे कोई ऑर सवाल किए मैं उसको चुप करवाने लगा. कुछ देर रोने के बाद वो चुप हो गई फिर मैने पास पड़े ग्लास से उसको पानी पिलाया.

मैं : अब ठीक हो.

हीना : (पानी पीते हुए हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म.....

मैं : अब मुझे बताओ क्या हुआ है यहाँ.

हीना : तुम्हारे जाने के बाद तुम नही जानते यहाँ बहुत कुछ हो गया है मेरे साथ भी ऑर तुम्हारे घरवालो के साथ भी.

मैं : क्या हुआ है बताओ तो सही...

हीना : तुम्हारे वालिद ऑर फ़िज़ा अब इस दुनिया मे नही हैं.

मैं : (हैरानी से) क्या... कब हुआ ये सब कैसे हुआ.

हीना : तुम्हारे जाने के बाद बाबा की तबीयत बहुत खराब रहने लगी थी इसलिए मैने ऑर नाज़ी ने मिलकर उनको हॉस्पिटल अड्मिट करवा दिया बिचारी नाज़ी ने बहुत उनकी खिदमत की आखरी वक़्त मे लेकिन उपर वाले की मर्ज़ी के आगे किया भी क्या जा सकता है वो नाज़ी ऑर फ़िज़ा को रोता हुआ छोड़ कर चले गये.

मैं : (अपनी आँख से आँसू सॉफ करते हुए) ऑर फ़िज़ाअ...

हीना : बाबा के जाने के कुछ दिन बाद ही क़ासिम जैल से रिहा होके वापिस आ गया ऑर आते ही उसने दोनो लड़कियो पर ज़ुल्म करने शुरू कर दिए. वो पैसे के लिए रोज़ फ़िज़ा को मारता था उस बेगैरत को इतना भी तरस नही आया कि फ़िज़ा माँ बनने वाली है उसने तो यहाँ तक इनकार कर दिया था कि वो बच्चा उसका नही है ऑर वो फ़िज़ा पर गंदे-गंदे इल्ज़ाम लगा के रोज़ उसको मारता था. ऐसे ही एक बार उसने फ़िज़ा के पेट मे लात मार दी जिससे उसकी तबीयत बहुत ज़्यादा खराब हो गई बिचारी नाज़ी भागी-भागी मेरे पास आई हम दोनो मिलकर उसको शहर लेके गये लेकिन डॉक्टर ने कहा कि फ़िज़ा को बचना बहुत मुश्किल है ऑर बच्चे की जान को भी ख़तरा है इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा लेकिन ऑपरेशन के बाद बच्चा तो बच गया लेकिन फ़िज़ा को डॉक्टर बचा नही सके. लेकिन उसकी निशानी आज भी नाज़ी के पास है. फ़िज़ा के कफ़न दफ़न के बाद क़ासिम ने मकान ऑर खेत पर क़ब्ज़ा कर लिया उसके बाद उसने एक तवायफ़ से शादी कर ली

बिचारी नाज़ी उस बच्चे को भी संभालती थी ऑर दिन भर घर का काम भी करती थी बदले मे उसको 2 वक़्त का खाना भी पूरा नही दिया जाता था क़ासिम की नयी बीवी रोज़ नाज़ी को बहुत मारती थी. फिर एक दिन उस बद-ज़ात औरत ने नाज़ी को भी घर निकाल दिया. क़ासिम के पास जब पैसे ख़तम हो गये तो उसने तुम्हारे खेत मेरे अब्बू को बेच दिए.

मैं : (रोते हुए) नाज़ी ऑर फ़िज़ा का बच्चा कहाँ है.

हीना : (अपने आँसू पोंछते हुए) यही हैं मेरे पास नाज़ी अब हवेली मे ही काम करती है.

मैं : क्या मैं मिल सकता हूँ उन दोनो से.

हीना : हाँ ज़रूर मिल सकते हो लेकिन मुझे नीचे जाने की इजाज़त नही है तुम रूको मैं किसी को भेज कर नाज़ी को बुल्वाती हूँ.

उसके बाद हीना ने मुझे पर्दे के पिछे छुपने को कहा ऑर खुद बाहर खड़े दरबान से नाज़ी को बुला कर लाने का कहा ऑर वापिस आके गेट बंद कर लिया ऑर फिर से आके मेरे पास बेड पर बैठ गई.

मैं : हीना मुझे समझ नही आ रहा मैं ये तुम्हारा अहसान कैसे उतारूँगा तुम नही जानती तुमने मेरे लिए क्या किया है.

हीना : पागल हो क्या मैने कुछ नही किया... ये तो मेरा फ़र्ज़ था तुम्हारे बाद उनका ख़याल मुझे ही तो रखना था ना.

मैं : (हीना के दोनो हाथ चूमते हुए) शुक्रिया... तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया अगर मैं कभी तुम्हारे किसी काम आ सकूँ तो खुद को बहुत खुश नसीब समझूंगा.

हीना : नीर जानना नही चाहोगे मेरी शादी किससे हो रही है.

मैं : (सवालिया नज़रों से हीना को देखते हुए) किस के साथ..?
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
RE: Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 01:26 PM

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