Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:25 PM,
#50
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-48

उसके बाद मैने जल्दी से लॉकर खोला ऑर अपने दुश्मनो की फाइल खोल कर देखने लगा उसमे हर आदमी की फोटो के साथ तमाम डीटेल भी साथ दर्ज थी जिनमे तक़रीबन लोगो को मेरे लोग ख़तम कर चुके थे. उसके बाद मैने दूसरी फाइल उठाई जिसमे हमारे दूसरे मुल्क़ो मे कहाँ-कहाँ कॉंटॅक्ट्स है उन सब के बारे मे था. लेकिन तीसरी फाइल वो थी जिसमे हमारे पोलीस मे कितने लोग काम करते थे उनके बारे मे लिखा था. मैने जल्दी से वो फाइल भी निकाली ऑर 1-1 पेज पलटकर देखने लगा लेकिन एक पेज के आते ही मेरे होश उड़ गये क्योंकि मैं कभी सोच भी नही सकता कि ये इंसान भी धोखेबाज़ निकलेगा मतलब इसी ने राणा की ओर मेरी खबर छोटे तक पहुँचाई थी.

मैं हैरान परेशान उस फाइल मे लगी तस्वीर को देख रहा था. मेरा सारा बदन ठंडा पड़ गया था ऑर मैं समझ नही पा रहा था कि मेरे साथ ये क्या हो गया है. क्योंकि वो तस्वीर किसी ऑर की नही बल्कि इनस्पेक्टर ख़ान ऑर रिज़वाना की थी. इन दोनो पर ही मैने ऐतबार किया था ऑर आज मुझे दोनो तरफ से एक साथ धोखे का झटका लगा था. क्योंकि ख़ान वो इंसान था जिसने मुझे यहाँ भेजा था इस गांग को ख़तम करने के लिए ऑर रिज़वाना वो थी जो मेरे लिए सब कुछ छोड़ने का दावा करती थी मुझसे अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करने का दावा करती थी. अब मुझे सारी कहानी समझ मे आ रही थी कि क्यो रिज़वाना मेरे इतने करीब आई क्यो ख़ान ने मुझे रिज़वाना के पास ही रहने को कहा ऑर क्यो मुझे तेयार करके यहाँ भेजा गया. राणा की मौत, क़ानून की वफ़ादारी, ज़ुर्म का ख़ात्मा सब नाटक था ख़ान का. उन दोनो की तस्वीर देख कर मैं गुस्से से पागल हुआ जा रहा था लेकिन ये बात मैं बड़े शीक साहब (बाबा) को ज़ाहिर नही कर सकता था कि मैं उन दोनो को जानता हूँ ऑर मुझे यहाँ एक इनफॉर्मर बनाके उन्होने ही भेजा है. मेरा दिमाग़ सुन्न हो गया था कुछ समझ नही आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ कहाँ जाउ क्योंकि मैं उनके बनाए हुए जाल मे फस गया था ये एक ऐसा दल-दल था जहाँ रह कर ही मैं ज़िंदा रह सकता था क्योंकि अगर अब मैं इस गॅंग को छोड़ता तो मेरे लोग ही मुझे ख़तम कर देते इनसे बच भी जाता तो अब मैं भी क़ानून का मुजरिम था क़ानून मुझे कभी माफ़ नही करता ऑर ज़ाहिर सी बात है अब मुझे क़ानून से माफी मिलने का भी कोई रास्ता नही था. इसलिए जिन लोगो ने मुझे इस मुसीबत मे फसाया था उनको ख़तम करने के बारे मे सोचने लगा. अब मैं ये काम कर भी सकता था क्योंकि अब मैं इस गॅंग का लीडर था. लेकिन इनको अब मैं इनके ही हथियार से मारना चाहता था जैसा धोखा इन्होने मेरे साथ किया था वैसा ही धोखा इनको देना चाहता था. मैं अपने ही ख़यालो मे खोया हुआ था कि अचानक बाबा की आवाज़ मेरे कानो से टकराई...

बाबा : क्या हुआ बेटा कहाँ खो गये...

मैं Sadचोन्क्ते हुए) जी... जी कुछ नही बाबा.

बाबा : क्या सोचने लगे....

मैं : कुछ नही बाबा मैं बस तस्वीरे देख रहा था. क्या ये पोलीस मे सब कम करने वाले लोग हमारे हैं.

बाबा : बेटा किसी ज़माने मे ये सब लोग हमारे ही थे लेकिन जब से छोटा अलग हुआ है गॅंग से तो उसके लोग उसके लिए काम करते हैं ऑर हमारे लोग हमारे लिए.

मैं : क्या बाबा उस डिपार्टमेंट मे हमारे लोग भी है.

बाबा : हाँ बेटा अब भी हमारे लोग वहाँ मोजूद है.

मैने ये बात सुनते ही जल्दी से लॉकर बंद किया ऑर वो फाइल उठा के ले आया जिसमे तमाम इनफॉर्मर्स की इन्फर्मेशन थी....

मैं : बताओ बाबा इसमे हमारे लोग कौन है.

बाबा : लेकिन तुम्हे आज पोलीस मे हमारे इनफॉर्मर की क्या ज़रूरत पड़ गई अचानक.

मैं : बाबा मैं हर जगह से गॅंग को मजबूत करना चाहता हूँ कही कोई कमज़ोरी बाकी नही रहने देना चाहता इसलिए जो छोटे के लिए काम करते हैं उनको ख़तम करवा दूँगा जिससे छोटे का इन्फर्मेशन रॅकेट टूट जाएगा.

बाबा : (खुश होते हुए) ये हुई ना बात... तुमने ठीक कहा अगर उसका धंधा ख़तम कर दिया तो वो भी ख़तम हो जाएगा... लेकिन बेटा ये तुम करोगे कैसे.

मैं : बाबा आप बस देखते जाइए मैं क्या-क्या करता हूँ.

बाबा : (मुस्कुराते हुए) आज क्या बात है बहुत दिन बाद मुझे मेरे पुराना शेरा नज़र आ रहा है तुम्हारे अंदर.

मैं : बस बाबा अब तो आपको पुराने वेल शेरा से भी क़ाबिल ओर ख़तरनाक बनके दिखौँगा.

उसके बाद मैने वो फाइल को पकड़ा ऑर बाबा को उपर उनके कमरे मे ले गया ऑर बेड पर लिटा कर खुद अपने ऑफीस मे आ गया. कुछ देर फाइल को अच्छे से देखने के बाद मैं याद करने लगा कि हेड क्वॉर्टर्स मे मैने इन सब लोगो मे से किसको देखा है जो हमारे लिए काम करता है. लेकिन अफ़सोस कोई भी चेहरा मेरे देखे हुए चेहरो से नही मिलता था सब नये ही चेहरे थे. इसका मतलब ख़ान ने सिर्फ़ अपने लोगो से ही मुझे मिलवाया था जो उसके लिए काम करते थे. मैं अब आगे क्या करना है उसके बारे मे ही सोच रहा था. आज के इस हादसे ने कई राज़ खोल दिए थे. अब मुझे इतना तो पता चल ही गया था कि कौन मेरा अपना है ओर कौन अपना होने का दिखावा कर रहा है एक तरफ ख़ान ऑर रिज़वाना थे जो मुझसे शीक साहब की दौलत का पता निकलवाने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे ऑर मेरे सामने मेरे हम दर्द बन रहे थे.

दूसरी तरफ बाबा थे फ़िज़ा थी नाज़ी थी हीना थी जिन्होने बिना किसी लालच के मेरी देख भाल की मुझे इतना प्यार दिया ऑर मैं ताक़त के नशे मे चूर सब अहसान भूल गया मेरे बिना जाने वो कैसे होंगे ऑर मुझे कितना याद करते होंगे. मैं तो उन लोगो की ज़िम्मेवारी भी ख़ान को दे आया था जाने उन लोगो का मेरे बिना क्या हाल होगा. यहाँ आने के बाद मैने एक बार भी उनके बारे मे जानना ज़रूरी नही समझा ना ही ख़ान ने मुझे उनके बारे मे कुछ बताया. अब मुझे खुद की खुद-गर्जी पर गुस्सा आ रहा था कि मैं उनका प्यार भूल गया उनके किए हुए मुझ पर अहसान भूल गया. फिर मुझे मेरी उनके साथ गुज़री हुई ज़िंदगी का एक-एक लम्हा याद आने लगा.

कैसे बाबा फ़िज़ा ऑर नाज़ी ने मेरी जान बचाई मेरी इतने वक़्त तक देख-भाल की कैसे बाबा ने मुझे अपना बेटा बना लिया ऑर मुझ पर अपने बेटे से भी ज़्यादा ऐतबार किया. कैसे जब मैं बीमार हुआ था तो हीना मेरे लिए शहर से डॉक्टर लेके आई थी ऑर मेरे बीमार होने पर अपने अब्बू से झगड़ा करके अपने मुलाज़िम मेरे खेतो मे लगा दिए थे. वो सब कुछ किसी फिल्म की तरह मेरे आँखो के सामने चलने लगा. अब मैं अकेला बैठा रो भी रहा था ऑर उन सब को याद भी कर रहा था. वो दिन मेरा उदासी के साथ ही गुज़रा मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो रहा था कि जाने-अंजाने मैने उनको भी मुसीबत मे डाल दिया है. रात काफ़ी हो गई थी इसलिए मैने घर जाने का सोचा ऑर अपनी सोचो के साथ मैं गाड़ी मे बैठ गया. ड्राइवर ने मुझे मेरे घर के सामने उतार दिया. मैने बुझे हुए दिल के साथ दरवाज़ा खट-खाटाया तो रूबी ने जल्दी से दरवाज़ा खोला ऑर एक दिल-क़श मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया.

रूबी : आज बहुत देर कर दी तुमने कहाँ थे इतनी देर.

मैं : कही नही बस ऐसे ही बैठा था ऑफीस मे.

रूबी : (मेरा हाथ पकड़कर मुझे घर के अंदर ले जाते हुए) क्या बात है आज मेरा शेर उदास लग रहा है कुछ हुआ क्या.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) बस ऐसे ही आज दिल उदास है

रूबी : (मुझे बेड पर बिठा कर गले से लगते हुए) अगर तुमको बुरा ना लगे तो तुम मुझे अपनी परेशानी की वजह बता सकते हो इससे मन हल्का हो जाएगा तुम्हारा.

मैं : नही कुछ नही हुआ बस वैसे ही सिर मे ज़रा दर्द है. (मैं रूबी को अपना बीता हुआ कल नही बताना चाहता था इसलिए बात को घुमा दिया)

रूबी : अच्छा ऐसा करो खाना खा लो फिर मैं तुम्हारा मूड ऑर सिर दर्द दोनो ठीक कर दूँगी.

मैं : मुझे भूख नही है तुम खा लो.

रूबी : अर्रे... ऐसे कैसे भूख नही है. भूखे रहने से भी सिर मे दर्द होता है जानते हो... तुम यही बैठो मैं खाना लेके आती हूँ तुम्हारे लिए आज मैं मेरी जान को अपने हाथो से खिलाउन्गी (मुस्कुराते हुए वो रसोई मे चली गई)

मैं कुछ देर उसको जाते हुए देखता रहा फिर मैं वापिस अपनी सोचो मे गुम्म हो गया. कुछ ही देर मे रूबी खाना ले आई ऑर मेरे साथ आके बैठ गई ऑर अपने हाथो से मुझे खाना खिलाने लगी. उसको इस तरह खाना खिलाता देख कर मुझे नाज़ी ऑर फ़िज़ा की याद आ गई क्योंकि जब मैं नाराज़ हो जाता था तो वो भी मुझे ऐसे ही खाना खिलाती थी. उसको इतने प्यार से खाना खिलाते देख कर मैं रूबी को ना नही कह पाया ऑर भूख ना होने के बावजूद मैं खाना खाने लगा साथ ही मैने भी रोटी उठाई ओर अपने हाथ से रूबी को खिलाने लगा. ये पहली बार था जब मैं रूबी को इतने प्यार से देख रहा था वो मुझे इस तरह खाना खिलाते देख कर बहुत हेरान थी ऑर बिना कुछ बोले वो भी खाना खाने लगी अब हम दोनो एक दूसरे को खाना खिला रहे थे.

खाने के बाद मैं बिस्तर पर लेट गया ऑर रूबी हमेशा की तरह अपना नाइट गाउन पहनकर आ गई ऑर मेरे साथ आके लेट गई. वो आज भी मुझे वैसे ही प्यार से देख रही थी जैसे पहले दिन मिली थी तब देख रही थी.

मैं : क्या देख रही हो.

रूबी : देख रही हूँ तुम कितने बदल गये हो

मैं : क्या बदल गया.

रूबी : पहले तुमने कभी मुझसे ये भी नही पूछा था कि मैने खाया या नही ऑर आज तुमने खुद मुझे खाना खिलाया.

मैं : आज इसलिए खिलाया क्योंकि मेरा मन था तुमको खाना खिलाने का मैं जानता हूँ तुम मेरे बाद ही खाना खाती हो.

रूबी : (बिना कुछ बोले मुझे गले से लगते हुए) मुझे ये वाला शेरा बहुत पसंद है ऑर इसको मैं पहले से भी ज़्यादा प्यार करने लगी हूँ. मुझे तुम्हारी सबसे अच्छी बात जानते हो क्या लगी.

मैं : क्या....

रूबी : तुम अब दूसरो का बहुत सोचते हो पहले ऐसे नही थे.

मैं : रूबी तुमको एक सवाल पुच्छू अगर बुरा ना मानो तो...

रूबी : तुम्हारी कभी कोई बात बुरी नही लगती मेरी जान पुछो क्या पुच्छना है.

मैं : तुम मुझे इतना प्यार करती हो फिर भी कभी अपना हक़ नही जमाती मुझ पर ना ही तुमने कभी मेरे काम के बारे मे पूछा ना कभी ये पूछा कि मैं कहाँ था किसके साथ था ऐसा क्यो.

रूबी : (मुस्कुराते हुए) क्योंकि एक बार तुमने ही कहा थे कि अपनी औकात मे रहा करो मैं कहाँ जाता हूँ क्या करता हूँ इससे तुमको कोई मतलब नही है ऑर हर बात तुमको बतानी मैं ज़रूरी नही समझता इसलिए तब से मैं हमेशा अपनी औकात मे ही रहती हूँ.

मैं : पहले जो भी बोला था उसको भूल जाओ ऑर मुझे माफ़ कर दो... अब जो कह रहा हूँ वो याद रखना तुम जब हक़ जमाती हो तो अच्छा लगता है ऐसा लगता है मेरा भी कोई अपना है.

रूबी : (खुश होके मुझे ज़ोर से गले लगाते हुए) हाए मैं मर जाउ.... आज तुम मेरी जान लेके रहोगे.... ऐसी बाते ना करो कही मैं पागल ही ना हो जाउ खुशी से.

मैं : (रूबी का चेहरा अपने दोनो हाथो से पकड़ते हुए) तुम जब हँसती हो तो बहुत अच्छी लगती हो इसलिए हँसती रहा करो.

रूबी : (खामोश होके हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म

मैं : तुमको पता है तुम बहुत अच्छी हो... (रूबी का माथा चूमते हुए)

रूबी : (बिना कुछ बोले मेरे ऑर पास सरकते हुए ऑर अपनी आँखें बंद करते हुए) हमम्म

मैने अपना चेहरा उसके चेहरे के एक दम सामने कर दिया ऑर हल्के से उसके गाल को चूम लिया उसने अपनी आँखें खोली ऑर मुझे मुस्कुरा कर देखने लगी. मैने एक बार फिर से उसकी गाल को चूम लिया. इस बार उसने भी मेरा चेहरा अपने दोनो हाथो मे थाम लिया ऑर बड़े प्यार से मेरे माथे पर ऑर गालो को चूम लिया. अब मैने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए जिससे मैं एक दम मदहोश सा हो गया हम दोनो की आँखें अपने आप बंद हो गई. कुछ देर हम दोनो एक दूसरे के होंठों के साथ अपने होंठ जोड़कर लेटे रहे फिर उसने धीरे-धीरे अपने होंठों को हरकत दी ओर हल्के से अपने होंठ खोलकर मेरे नीचे वाले होंठों को अपने होंठों मे समा लिया ऑर धीरे-धीरे चूसने लगी. मैने भी धीरे-धीरे उसके उपर वाले होंठ को चूसना शुरू कर दिया कुछ ही देर मे हमारे चूमने मे कशिश आने लगी हम दोनो एक दूसरे के शिद्दत से होंठ चूसने लगे. अब हम दोनो की साँसे भी तेज़ होने लगी थी.


हम दोनो ने एक दूसरे को इतनी कसकर गले से लगा रखा था जैसे एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते हो. उसके होंठ चूस्ते हुए मैने उसकी पीठ पर अपने हाथ फेरने शुरू कर दिए इस पर वो भी अपना एक हाथ मेरे गले मे डाले लेटी रही ऑर दूसरा हाथ मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी. साथ ही उसने अपनी दोनो टाँगो मे मेरी टाँगो को जाकड़ लिया. कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो मेरे उपर आके लेट गई ऑर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी. मैं मज़े से मदहोश हो गया था इसलिए अपने पूरा जिस्म ढीला छोड़ दिया. अब रूबी मुझे प्यार कर रही थी वो कभी मेरे पूरे चेहरे को चूमती कभी होंठों को. उसने मेरे उपर बैठे-बैठे ही अपना गाउन उतार दिया अब वो सिर्फ़ ब्रा ऑर अंडरवेर मे थी. कुछ देर मुझे चूमने के बाद उसने मेरे सिर के नीचे अपना हाथ रखा ऑर मुझे थोड़ा सा उपर की तरफ उठा दिया. उसका इशारा समझते हुए मैं जल्दी से उठ गया उसने मेरे होंठ चूस्ते हुए ही मेरी शर्ट के बटन खोले ऑर फिर दुबारा मेरी छाती पर हाथ रख कर नीचे को दबा दिया जिससे मैं वापिस बेड पर लेट गया. अब वो दुबारा मेरे चेहरे को चूम रही थी ऑर नीचे के तरफ आ रही थी. मेरे चेहरे को चूमते हुए पहले वो गर्दन तक आई ओर फिर मेरी छाती पर आके चूमने ऑर चूसने लगी. मैं मज़े से मधहोश हुआ पड़ा था मुझे उसके छाती पर चूमने ऑर चूसने से बे-इंतेहा मज़ा आ रहा था अब वो ओर नीचे की तरफ बढ़ रही थी. अब उसके हाथ मेरी पेंट बेल्ट पर थे लेकिन उसके होंठ मेरे पेट पर अपना कमाल दिखा रहे थे. उसने जल्दी से मेरी पेंट की बेल्ट का बक्कल खोला ओर फिर एक ही झटके मे बेल्ट को खींच का पेंट से जुदा कर दिया ऑर उसको बेड से नीचे फेंक दिया.

अब उसने जल्दी से मेरी पेंट के हुक्क खोले ऑर झटके से पेंट को घुटने तक नीचे कर दिया. अब वो अंडरवेर के उपर से ही मेरे लंड को चूम रही थी ऑर उस पर हाथ फेर रही थी. मैं मज़े की दुनिया मे सैर कर रहा था तभी उसने मेरे पेट पर चूमते-चूमते जीभ फेरना शुरू कर दिया ऑर धीरे-धीरे नीचे को आने लगी. अब उसने अपने दोनो हाथो की उंगालियाँ मेरे अंडरवेर मे फसा ली ऑर उसको धीरे-धीरे नीचे की तरफ खींचने लगी. कुछ ही देर मे मेरा अंडरवेर भी घुटने तक आ गया था. मेरा लंड लोहे की तरह सख़्त हुआ पड़ा था. वो मेरे लंड के चारो तरफ चूम रही थी ऑर अपनी जीभ फेर रही थी जिससे मुझे बेहद मज़ा आ रहा था. उसके बाद उसने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा ऑर लंड की टोपी पर हल्के-हल्के चूमने लगी. मैने मज़े से अपना हाथ उसके सिर पा रख दिया ताकि वो मेरे पूरे लंड को मुँह मे ले सके लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर वापिस बेड पर रख दिया वो ऐसे ही कुछ देर तक मेरे लंड को चूमती रही अब उसने अपना थोड़ा सा मुँह खोला ऑर टोपी के चारो तरफ ज़ुबान को गोल-गोल घुमाने लगी. कुछ देर ऐसे ही करने के बाद उसने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा ऑर एक दम से अपना मुँह खोल के मेरा आधा लंड अपने मुँह मे डाल लिया जो उसके हलक तक जा रहा था कुछ देर वैसे ही रहने के बाद उसके लंड को थोड़ा मुँह से बाहर निकाला ऑर मुँह के अंदर भी वो लंड पर अपनी ज़ुबान को गोल-गोल घुमाने लगी. साथ ही अपने मुँह को भी अब उसने हिलाना शुरू कर दिया था. कुछ देर ऐसे करने के बाद वो तेज़-तेज़ मेरे लंड को चूस रही थी ऑर अपने दोनो हाथ मेरी छाती पर फेर रही थी. मैं मज़े की वादियो मे खो चुका था इसलिए मुझे नही पता कब उसने अपनी ब्रा ऑर अंडरवेर उतार दी थी.

कुछ देर मेरा लंड चूसने के बाद रूबी वापिस मेरे उपर आके लेट गई ऑर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी साथ ही अपनी चूत को मेरे लंड के उपर रगड़ने लगी. मैने जल्दी से अपने हाथ नीचे किया ऑर लंड को पकड़ कर चूत की छेद पर अड्जस्ट किया लेकिन रूबी ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर होंठ चुस्ते हुए ही ना मे सिर हिला दिया. उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी जिससे मेरा लंड भी पूरा गीला हो गया था. अब शायद उससे भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था इसलिए उसने खुद अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मेरे लंड को पकड़ा ऑर उसको अपनी चूत के छेद पर सेट कर दिया ऑर वापिस मेरे गाल को चूमने लगी साथ ही उसके होंठ मेरे कान के एक दम पास आ गया. इतने वक़्त मे ये पहला अल्फ़ाज़ था जो उसके मुँह से निकला था.

रूबी : आराम से डालना धीरे-धीरे झटका मत मारना.

मैं : हमम्म्म

रूबी : जब मैं रुकने को कहूँ तो रुक जाना ठीक है

मैं : हमम्म

उसके बाद उसने मेरे लंड पर अपनी चूत का दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया ऑर खुद साथ-साथ उपर नीचे भी होने लगी लेकिन उसकी रफ़्तार बहुत धीरे थी. कुछ ही देर मे मेरा आधा लंड उसकी चूत मे उतर चुका था. वो आधे लंड को ही धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रही थी. अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था इसलिए उसके मना करने के बावजूद मैने अपने दोनो हाथ उसकी गान्ड पर रख दिए ऑर एक जोरदार नीचे से झटका मारा जिससे मेरा लंड जड़ तक पूरा उसकी चूत मे उतर गया. साथ ही एक तेज़ सस्सस्स आअहह आयययययीीईई रूबी के मुँह से निकल गई.

रूबी : कहा था ना झटका मत मारना... जंगली कही के....

मैं : (मुस्कुराते हुए) सॉरी.... मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था.

वो बिन कुछ बोले वापिस मेरे होंठ चूसने लगी ऑर अब वैसे ही मेरे लंड पर बैठी थी अब वो सिर्फ़ मेरे होंठ चूस रही थी नीचे से अपनी गान्ड नही हिला रही थी. मेरा पूरा लंड उसके अंदर ही था जिसको उसकी चूत की दीवारो ने सख्ती से जकड़ा हुआ था. थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद अब उसने धीरे-धीरे हिलना शुरू कर दिया जिससे मेरा लंड भी उसकी चूत मे अंदर बाहर होने लगा. अब वो मेरी छाती को बार-बार चूम रही थी ऑर साथ मे अपनी गान्ड भी हिला रही थी. अब उसने मेरे दोनो हाथो को अपने हाथो से पकड़ा ऑर मेरे हाथ अपने मम्मों पर रख दिए जिन्हे मैने थाम लिया ऑर दबाने लगा अब उसका उछल्ना भी तेज़ हो गया था शायद वो फारिग होने के करीब थी इसलिए उसने तेज़-तेज़ अपनी गान्ड को हिलाना शुरू कर दिया उसके मुँह से निकलने वाली सस्सस्स सस्सस्स भी अब काफ़ी तेज़ आवाज़ मे निकल रही थी. मैने भी उसके मम्मों को छोड़कर सिर्फ़ उसके निपल्स को पकड़ लिया ऑर अपनी उंगलियो से दबाने ऑर मरोड़ने लगा. कुछ देर ऐसे ही उपर नीचे होने के बाद रूबी का पूरा बदन झटके खाने लगा ऑर उसका मुँह खुल गया कुछ देर के लिए वो फिर से मेरे उपर बैठ गई ऑर हिलना बंद कर दिया थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद वो मेरे उपर लेट गई ऑर तेज़-तेज़ सांस लेने लगी साथ ही मेरी छाती पर अपना हाथ फेरने लगी. मुझे अपने लंड पर पहले से ज़्यादा गीलापन महसूस हो रहा था. अब उसने मेरे दोनो हाथ जो उसके मम्मों पर थे वहाँ से उठा कर अपनी कमर पर रख दिए ऑर खुद घूम कर बेड पर आ गई ऑर मुझे उपर आने का इशारा किया. मैं बिना चूत से लंड को बाहर निकाले वैसे ही घूम कर उसके उपर आ गया अब उसने फिर से मेरे होंठों पर हमला कर दिया ऑर बुरी तरह से मेरे होंठ चूसने लगी.
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
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