Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:25 PM,
#47
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-45

मैं चुप-चाप वहाँ बैठा रहा साथ ही पानी पीने लगा ऑर चारो तरफ नज़र दौड़ा कर उस घर को देखने लगा घर कुछ खास नही बना हुआ था एक दम मेरे गाव के घर जैसा था. तभी एक छोटा सा बच्चा मेरे पास आया.

बच्चा : आप शेरा चाचा हो ना.

मैं : (उस बच्चे को उठा कर अपनी गोद मे बिठाते हुए) हंजी बेटा मैं शेरा हूँ लेकिन आप मुझे कैसे जानते हो.

बच्चा : (उंगली से एक कमरे मे इशारा करते हुए) अम्मी ने बताया मुझे कि आप मेरे शेरा चाचा हो.

मैं : अच्छा.... ये तो बहुत अच्छी बात है ऑर आपका नाम क्या है.

बच्चा : मेरा नाम अली है आपका नाम क्या है शेरा चाचा.

मैं : (हँसते हुए) अच्छा जी.... तुम तो बहुत प्यारी बाते करते हो.

अभी मैं उस बच्चे से बात ही कर रहा था कि बाहर मुझे लोगो का शोर सुनाई दिया इसलिए मैने उस बच्चे को अपनी गोद मे उठाया ऑर बाहर जाके देखने लगा. बाहर बहुत से लोग जमा हो गये थे जो मुझे बड़ी हैरानी से देख रहे थे. तभी उस भीड़ मे से एक बूढ़ी सी औरत मेरे सामने आके खड़ी हो गई ऑर मुझे बड़े गौर से देखने लगी. फिर बड़े प्यार से मुझे गले से लगा लिया ऑर मेरा माथा चूम लिया साथ ही मुझे दुआ देने लगी.

अम्मा : (रोते हुए) कहाँ चला गया था बेटा अपनी अम्मा को छोड़ कर ऑर इतना वक़्त तू था कहाँ जानता है हमने तुझे कितना याद किया ऑर तेरी सलामती के लिए कितनी दुआएँ की थी.

मैं : मेरा आक्सिडेंट हो गया था जिससे मेरी याददाश्त चली गई थी. आप लोग कौन है ऑर मुझे कैसे जानते हैं.

अम्मा : मुझे पहचाना नही शेरा मैं अम्मा हूँ.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) मुझे यहाँ जापानी ने भेजा है.

अम्मा : जापानी.... है कहाँ वो ना-मुराद तू वापिस आ गया है ऑर उसने हमे बताना भी ज़रूरी नही समझा.

उसके बाद मैने अपनी सारी कहानी अम्मा को ऑर वहाँ खड़े तमाम लोगो को सुना दी ऑर साथ ही ये भी बता दिया कि जापानी के साथ क्या हुआ ये सुनकर सब लोग बेहद दुखी हो गये.

अम्मा : क्या तक़दीर मिली है हमे एक बेटा वापिस मिला तो दूसरा बेटा दूर चल गया.

मैं : अम्मा मैने उससे बहुत कहा था साथ चलने के लिए लेकिन वो माना ही नही ऑर खुद उन लोगो से मेरे लिया लड़ता रहा. मेरे लिए अपनी जान क़ुरबान कर दी.

अम्मा : ऐसा ही था वो तुझ पर तो जान देता था ऑर तुम दोनो की दोस्ती को कौन नही जानता.

मैं : (रोते हुए) अम्मा मुझे बहुत अफ़सोस है कि मैं जापानी के लिए कुछ कर नही पाया.

उसके बाद काफ़ी देर वहाँ सब लोग खड़े रहे ऑर सब लोग मुझसे तरह-तरह के सवाल पुछ्ते रहे रात काफ़ी हो गई थी इसलिए अम्मा ने सबको जाने का कह दिया ऑर मुझे वापिस रसूल के साथ एक घर मे भेज दिया जो मुझे बताया गया कि ये मेरा ही घर है. उसके बाद मैं उस घर के अंदर चला गया ऑर पूरे घर को बड़े गौर से देखने लगा. घर काफ़ी शानदार था ऑर वहाँ रखी हर चीज़ काफ़ी कीमती लग रही थी. उस घर की एक-एक चीज़ मुझसे जुड़ी थी लेकिन जाने क्यो मुझे कुछ भी याद नही था. मैं उस घर की एक-एक चीज़ को बड़े गौर से देख रहा था ऑर पहचाने की कोशिश कर रहा था. कुछ देर यहाँ-वहाँ घूमने के बाद मैं अपने बिस्तर पर आके लेट गया ऑर दिन भर हुए तमाम हादसो के बारे मे सोचने लगा. कुछ ही देर मे मुझे नींद आ गई ऑर मैं सुकून की नींद सो गया.

सुबह अपनी आदत के मुताबिक़ मैं जल्दी उठ गया ऑर नहा-धो कर तेयार हो गया उसके बाद रसूल का बेटा अली मुझे उसके घर बुलाने के लिए आ गया वहाँ मैने रसूल ने ऑर अली ने साथ मिल कर नाश्ता किया. फिर रसूल मुझे वही बैठने का कह कर खुद कहीं चला गया. मैं भी अब एक दम फारिग था इसलिए अली के साथ खेलने मे लग गया. कुछ देर बाद रसूल वापिस आ गया.

रसूल : चलो शेरा चलें.

मैं : कहाँ चलना है.

रसूल : तुम चलो तो सही बहुत से लोग हैं जो तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं.

मैं : अच्छा चलो....

रसूल : सुनो पहले ये कपड़े बदल लो ऑर ये जूते ऑर लॉकेट भी उतार दो.

मैं : लेकिन क्यो
रसूल : सबर करो तुमको तुम्हारे सब सवालो का जवाब मिल जाएगा.

उसके बाद मैं कपड़े बदलकर ऑर रसूल के दिए कपड़े पहनकर रसूल के साथ घर से बाहर निकल गया जहाँ बाहर एक कार हमारा इंतज़ार कर रही थी हम दोनो चुप-चाप उस कार मे जाके बैठ गये. कुछ देर बाद कार ने हम को एक खंडहर के बाहर उतार दिया.

मैं : रसूल ये कौनसी जगह है.

रसूल : (खुश होते हुए) तुम चलो तो सही

मैं सवालिया नज़रों से रसूल को देखता हुआ उसके पीछे-पीछे चलने लगा. खंडहर के अंदर घुसते ही बाहर मुझे बाहर कुछ लोग खड़े नज़र आए जिनके हाथ मे बंदूकें थी. उनको देखते ही मैं अलर्ट हो गया ऑर अपना हाथ पीछे अपनी गन के उपर रख लिया ताकि ज़रूरत पड़ने पर मैं जल्दी से गन निकाल सकूँ. लेकिन वहाँ तो सब उल्टा हो गया था वो लोग मुझे देखते ही खुश हो गये ऑर बारी-बारी मुझसे गले मिलने लगे. वो सब लोग मुझे देख कर बहुत खुश थे. उसके बाद एक आदमी जल्दी से एक क़बर के सामने जाके खड़ा हो गया उसने एक नज़र मुझे मुस्कुरा कर देखा ऑर फिर क़बर पर लगे एक पत्थर को घुमा दिया जिससे क़बर किसी दरवाज़े की तरह खुल गई फिर वो आदमी मुझे पिछे आने का इशारा करके नीचे उतर गया. मैं भी बाकी लोगो के साथ उस क़बर के अंदर उतर गया जो कि बाहर से क़बर जैसी लगती थी लेकिन अंदर से एक ख़ुफ़िया रास्ता थी लेकिन मुझे ये नही पता था कि ये रास्ता जाता कहाँ है मैं बस उनके पीछे-पीछे चल रहा था.

कुछ ही देर मे हम एक आलीशान जगह पर खड़े थे वहाँ नीचे बहुत से लोग पहले से मोजूद थे सब ने बारी-बारी आके मुझे गले से लगाया ऑर जापानी का अफ़सोस किया मेरे साथ. उसके बाद वो लोग मुझे एक कमरे मे ले गये जहाँ एक बुजुर्ग बेड पर लेटे हुए थे जिनके एक तरफ खून की बोतल लगी थी शायद वो बहुत ज़्यादा घायल थे ऑर उनके बाजू मे सूमा, गानी ऑर लाला भी बैठे थे. उनको वहाँ देख कर मैं बेहद हैरान था कि ये लोग यहाँ कैसे हैं.

मैं : तुम दोनो यहाँ कैसे.

लाला : सब बताते हैं पहले बाबा से तो मिल ले यार.

मैं : (चोन्क्ते हुए) क्या ये बड़े शीक साहब है?

सूमा : हाँ भाई

बाबा : (हाथ उठाकर मुझे पास आने का इशारा करते हुए) यहाँ आओ बेटा.

मैं : (बाबा का हाथ चूमते हुए) लेकिन छोटा तो बोल रहा था ये दुबई मे हैं.

बाबा : (मेरा हाथ पकड़ते हुए) यहाँ बैठो बेटा मैं जानता हूँ तुम्हारे दिमाग़ मे बहुत से सवाल है ऑर आज मैं तुमको तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूँगा. उसने तुम्हारे साथ ही नही बल्कि हम सब के साथ भी धोखा किया है. लेकिन पहले ये बताओ तुम इतना वक़्त तक थे कहाँ पर ऑर वो कौन फरिश्ते थे जिन्होने तुमको बचाया.

मैने बाबा को अपनी गुज़री हुई तमाम जिंदगी के बारे मे सच-सच बता दिया. उसके बाद मैं अपने सवालो के जवाब चाहता था इसलिए मैने बारी-बारी बाबा से सवाल पुच्छने शुरू कर दिए.

बाबा : अब पुछो बेटा क्या पुच्छना चाहते हो

मैं : बाबा आप तो छोटे के वालिद हैं फिर आपके साथ उसने धोखा किसलिए किया....

बाबा : वो इंसान किसी का वफ़ादार नही उसका पैसा ही मज़हब है ऑर मक्कारी ही ईमान है.

मैं : लेकिन बाबा आपकी ऐसी हालत कैसे हुई.

बाबा : बेटा मैं बहुत पहले जान गया था कि वो मेरी जगह लेने के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है इसलिए मैने अपनी कुर्सी का वारिस उसे नही बल्कि तुम्हे बनाना चाहता था. लेकिन उस को ये बात पता चल गई ऑर उसने दुनिया को ये बताया कि मैं दुबई मे हूँ जबकि मुझे अपने ही क़िले मे क़ैद कर दिया कुछ दिन बाद उसने मेरी तमाम दोलत के बारे मे मुझसे पूछा जब मैने नही बताया तो उसने मुझे भी गोली मार दी अब मेरे बाद मेरे वारिस तुम थे इसलिए उसने तुम पर भी धोखे से हमला करवा दिया तुमको अपने रास्ते से हटाने के लिए. जिसमे तुम तो बच गये लेकिन तुम्हारी याददाश्त ख़तम हो गई उपर वाले के करम से मैं भी बच गया फिर मेरे ये बच्चे तुमको बहुत दिन तक तलाश करते रहे लेकिन तुम्हारी कोई खबर नही मिली... छोटे को शक़ ना हो इसलिए सूमा, लाला, गानी ऑर जापानी उसकी गॅंग मे काम करते रहे सिर्फ़ इसलिए कि उसकी सारी खबर मुझ तक पहुँचती रहे. फिर एक दिन अचानक से तुम भी वापिस आ गये लेकिन तुमको किसी की कोई खबर नही थी तुम्हारे वापिस आ जाने से छोटे की कुर्सी को सबसे बड़ा ख़तरा हो गया इसलिए उसने हर तरीके से तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश की... रिंग मे भी तुम्हारे खिलाफ जो फाइटर खड़ा हुआ था उसको तुम्हे मारने के लिए कहा गया था लेकिन तुमने उसे ही मार दिया फिर तुम्हारी कार मे उसने बॉम लगवाया लेकिन तुम उस दिन घर से बाहर ही नही निकले ऑर तुम फिर बच गये जब जापानी को ये बात पता चली तो उसने तुमको कभी अकेला नही छोड़ा बहाने से हमेशा लाला या जापानी तुम्हारे साथ रहे. उसके बाद जापानी ने तुम्हे अपने साथ रख लिया ऑर हर क़दम पर बिना तुम्हे पता चले तुम्हारी हिफ़ाज़त करता रहा.


मैं : लेकिन बाबा इन्होने तो मुझे भी कभी कुछ नही बताया.

बाबा : बेटा जैसे तुम वापिस आए थे तुमको ये सब बताना ख़तरे से खाली नही था क्योंकि तुम पर नज़र रखी जा रही थी इसलिए मैने ही इनको तुम्हे कुछ बताने से मना किया था.

मैं : एक बात समझ नही आई आपको मेरा पता कैसे चला.

बाबा : (मुस्कुराते हुए) बेटा तुम लोगो को मैने पैदा नही किया तो क्या हुआ लेकिन तुमको मैने पाला है ऑर तुम सब की मैं रग-रग जानता हूँ.

मैं : बाबा अब मेरे लिए क्या हुकुम है.

बाबा : (अपने तकिये के नीचे हाथ डाल कर गन निकालते हुए) एक म्यान मे 2 तलवारे नही रह सकती शेरा तुमको उसे ख़तम करना होगा ऑर मेरी कुर्सी संभालनी होगी.

मैं : बाबा वो आपका बेटा है

बाबा : मेरे बेटे इस वक़्त मेरे साथ मोजूद हैं. जिसको मैं तुम्हे ख़तम करने के लिए बोल रहा हूँ वो मेरा तो क्या किसी का भी बेटा नही है. मुझे अफ़सोस होता है ऐसी औलाद पर, एक तुम लोग हो जो सिर्फ़ मेरी परवरिश के लिए अपनी जान तक दाँव पर लगाने को तेयार रहते हो मेरे लिए एक वो है जो कुर्सी के लिए अपने ही बाप को मारना चाहता है.

मैं : जी बाबा जैसा आप चाहेंगे वैसा ही होगा.

बाबा : (मुस्कुराते हुए) मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटा.

उसके बाद बाबा को हमने आराम करने दिया ऑर हम सब बाहर आके बैठ गये आज मैं बहुत खुश था क्योंकि एक मुद्दत के बाद मुझे सुकून मिला था मैं अब अपने बारे मे सब कुछ जान चुका था.

मैं : यार लाला तुम लोगो से मैं अक्सर इतने सवाल पुछ्ता था कभी तो मुझे बता देते

लाला : यार हम क्या करते बाबा का हुकुम था जब तक तू ठीक नही हो जाता तुझे कुछ ना बताया जाए जानता है अगर छोटे को तेरे बारे मे पता ना चलता तो अब भी तुझे हम लोगो ने कुछ नही बताना था लेकिन अफ़सोस उस कमीने को तेरे बारे मे सब पता चल गया ऑर इसी चक्कर मे जापानी को अपनी जान गँवानी पड़ी.

मैं : यार मैं सच कहता हूँ अगर मुझ पर नशे का असर नही होता तो मैं जापानी को खरॉच भी नही आने देता.

सूमा : हम जानते हैं यार तू हम सब के लिए अपनी जान भी दाव पर लगा सकता है लेकिन क्या करते दोस्त तू एक क़ोरा काग़ज़ बनके वापिस आया था तुझे ये सब कुछ बताते भी तो कैसे.

मैं : कोई बात नही यार तुम लोगो ने ठीक किया

उसके बाद बाकी का दिन ऐसे ही गुज़रा लेकिन आज मैं बहुत खुश था ऑर दिल को एक तसल्ली थी कि मेरा भी कोई है. ऑर सबसे बड़ी बात मुझे मेरा सुकून मिल गया था क्योंकि जो सवाल हमेशा मेरे दिमाग़ मे घूमते रहते थे ऑर मुझे परेशान करते थे उनसे आज मुझे निजात मिल गई थी मेरा दिल चाह रहा था कि मैं अपनी ये खुशी बाबा, नाज़ी, फ़िज़ा, हीना ऑर रिज़वाना के साथ भी बांटु लेकिन अफ़सोस मैं उन लोगो से बहुत दूर था. मेरा दिल चाह रहा था कि काश वो भी आज मेरे साथ होते तो ये देख कर कितना खुश होते कि मेरा भी एक परिवार है जिसमे उन सब लोगो की तरह ये लोग भी बे-इंतेहा प्यार करते हैं. ऐसी सोचो के साथ मेरा पूरा दिन गुज़र गया शाम को रसूल हम सब के लिए खाना ले आया जो हम सब ने मिलकर खाया. उसके बाद मैं रसूल के साथ वापिस अपनी बस्ती मे आ गया ऑर अपने घर मे जाके सुकून से सो गया.

रात को मैं सुकून से सोया पड़ा था कि अचानक किसी ने मेरा दरवाज़ा खट-खाटाया जिससे एक दम से मेरी नींद खुल गई. मैं अपनी आँखें मलता हुआ दरवाज़े के पास पहुँचा ऑर दरवाज़ा खोल दिया सामने एक लड़की खड़ी थी जो मुझे आँखें फाडे घूर-घूर कर देख रही थी. उसके पिछे रसूल ऑर बाकी कुछ ऑर लोग खड़े थे. वो लड़की शायद कही बाहर से आई थी क्योंकि उसके हाथ मे एक छोटा सा बॅग था ऑर बाकी के कुछ बड़े बॅग्स रसूल ने उठा रखे थे.

मैं : रसूल तुम इतनी रात को यहाँ... ऑर ये कौन है...

रसूल : ये... वो... (नीचे देख कर मुस्कुराते हुए)

इससे पहले कि रसूल अपनी बात पूरी करता वो लड़की ने बिना कुछ बोले मुझे अपने गले से लगा लिया ऑर रोना शुरू कर दिया. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि ये लड़की कौन है ऑर मुझे इस तरह गले लगाकर क्यो रो रही है.

रसूल : (अपनी आँखों पर हाथ रखते हुए) अहम्...अहम्... अच्छा शेरा भाई सुबह मिलेंगे.

लड़की : (मुझे गले लगाए हुए ही) चलो अंदर....

मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि इतनी रात को ये कौन लड़की है जो इस तरह मेरे घर मे घुस आई है ऑर मुझे पर इतना हक़ जता रही है. वो लड़की मेरे देखते-देखते घर के अंदर चली गई ऑर मैं उसके बाकी बॅग्स उठा कर घर के अंदर ले आया. इससे पहले कि मैं उस लड़की से कुछ पुछ्ता वो फिर से आके मुझसे चिपक गई ऑर उसने एक साथ मुझसे कई सवाल पूछ लिए.

लड़की : (मेरा चेहरा पकड़कर चूमते हुए) कहाँ चले गये थे मुझे छोड़कर, मेरी याद नही आई तुमको, जानते हो तुमने मुझे कितना रुलाया है, क्या हुआ ऐसा क्यो देख रहे हो मुझे जैसे पहली बार देखा हो.

मैं : (उसको खुद से दूर करते हुए) ये क्या बेहूदगी है कौन हो तुम....

लड़की : अच्छा... तो अब मैं कौन हो गई हूँ.... शाबाश... क्या बात है कोई नयी ढूँढ ली है क्या जो अब मुझे पहचानना भी बंद कर दिया है.

मैं : देखिए मुझे कुछ भी याद नही है आक्सिडेंट के बाद से मेरी याददाश्त जा चुकी है.

लड़की : (बेड से उठकर मेरे पास आते हुए) हाए.... ये कैसे हो गया.

उसके बाद मैने उसको सारी बात फिर से बता दी जिसको वो बड़े गौर से सुन रही थी.

लड़की : शेरा तुमको मैं भी नही याद.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) नही... मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही है.

लड़की : (परेशान होते हुए) ऊओ..... माफ़ करना मुझे पता नही था... मुझे सिर्फ़ इतना ही बताया गया कि मेरा शेरा वापिस आ गया है तो मैं खुशी से पागल हो गई थी ऑर मुझसे सुबह तक भी इंतज़ार नही हुआ इसलिए मैं फॉरन चली आई.

मैं : आपका नाम क्या है.

लड़की : मेरा नाम रुबीना है लेकिन सिर्फ़ तुम मुझे प्यार से रूबी बुलाते थे.

मैं : अच्छा... तुम करती क्या हो

रूबी : मैं यतीम बच्चों की देखभाल करती हूँ ऑर उनको पढ़ाती हूँ.... तुम्हारे जाने के बाद यही मेरी जिंदगी थी.

मैं : क्या तुम मेरी बीवी हो.

रूबी : (मुस्कुराते हुए) कह तो तुम बहुत साल से रहे हो कि शादी करेंगे लेकिन अभी तक वो दिन आया नही है.

मैं : तुमने खाना खा लिया...

रूबी : तुमको देखते ही सारी भूख मिट गई.... अब तो सुबह ही खाएँगे दोनो साथ मे... खैर जाने दो ये सब... अब काफ़ी रात हो गई है बाकी बातें सुबह करेंगे... मैं कपड़े बदलने जा रही हूँ उसके बाद सो जाते हैं ठीक है.

मैं : ठीक है
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
RE: Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 01:25 PM

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