Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:24 PM,
#46
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-44

छोटा : (मुझे गन देते हुए) ले भाई शेरा अपना तोहफा क़बूल कर ऑर थोक दे साले को.

मैं : (गन पकड़ते हुए) शीक साहब क्या मैं इस हरंखोर का चेहरा देख सकता हूँ एक बार अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो.

छोटा : ज़रूर यार क्यो नही..... (अपने आदमी को इशारा करते हुए) नक़ाब हटाओ इसका.

मैं : (चोन्क्ते हुए) ये तो राणा है शीक साब.

छोटा : ठीक पहचाना ये राणा ही है साला पोलीस का खबरी है मुझे पता चला है कि इसी ने तुम्हारी इन्फर्मेशन पोलीस तक पहुँचाई थी.

मैं : (गन नीचे करते हुए) लेकिन शीक साहब यही तो मुझे यहाँ तक लेके आया था ये कैसे पोलीस का खबरी हो सकता है अगर ये पोलीस का खबरी होता तो मुझे पोलीस तक लेके जाता यहाँ क्यों लाता.... आपको किसी ने ग़लत इन्फर्मेशन दी है.

लाला : हाँ शीक साहब शेरा सही कह रहा है

छोटा : (अपनी गन निकालते हुए) मैने जो बोला वो करो... तुम लोग अपना भेजा मत चलाओ समझे.

मैं : ख़ान साहब आपको इतना यक़ीन कैसे हैं.

छोटा : (गुस्से से अपनी पिस्टल मेरे सिर पर रखते हुए) तुझे सुना नही मैने क्या बोला तू इसको ठोक नही तो मैं तुझे ठोक दूँगा. 3 गिनने तक का वक़्त देता हूँ तुझे... अगर तेरी गोली नही चली तो मेरी चलेगी.

मैं : शीक साहब मेरी बात सुनिए एक बार....
छोटा : 1........
जापानी : यार तू पागल हो गया है ठोक देना साले को इसके लिए क्यो अपनी जान से खेल रहा है.

मैं गहरी सोच मे डूबा हुआ था ऑर फ़ैसला नही कर पा रहा था कि राणा को बचाऊ या खुद को अगर मैं राणा पर गोली नही चलाता तो शीक मुझे मार देता लेकिन अब मैं कोई अपराधी नही था इसलिए चाह कर भी उस पर गोली नही चला सकता था. अभी मैं अपनी ही सोचो मे गुम था कि शीक की आवाज़ मेरे कानो से टकराई.

छोटा : 2........
मैं : (अपनी गन नीचे करते हुए)

शीक : तुझसे गोली नही चलेगी नीर.... (मेरे हाथ से गन लेते हुए ऑर राणा को अपनी पिस्टल से गोली मारते हुए)

शीक ने मेरे सामने राणा को मार दिया. लेकिन ये बात मेरे लिए किसी झटके से कम नही थी कि शीक को मेरी असलियत पता थी क्योंकि उसने मुझे शेरा नही नीर कहकर पुकारा था. इसका मतलब ख़ान के दफ़्तर मे कोई था जो शीक का आदमी था ऑर उसको मेरे बारे मे सब कुछ बता रहा था.

जापानी : शीक साहब ये नीर नही शेरा है.

शीक : खा गये ना धोखा तुम सब भी.... जिसको तुम शेरा समझ रहे हो वो शेरा नही नीर है इसको हमारा काम तमाम करने के लिए ही पोलीस ने यहाँ भेजा है....

जापानी : (चोन्क्ते हुए) क्याआ.... नही... नही... शीक साहब आपको किसी ने ग़लत इन्फर्मेशन दी है ये शेरा ही है मैं अपने दोस्त को पहचानने मे धोखा नही खा सकता....

शीक : जो गया था वो शेरा था लेकिन अब जो वापिस आया है ये शेरा नही नीर है समझा...

लाला : लेकिन ये कैसे हो सकता है शेरा मर जाएगा लेकिन पोलीस का साथ कभी नही देगा आप से ज़्यादा हम शेरा को जानते हैं.

शीक : ठीक है अगर ये शेरा है तो पुछो इसको बाबा का सेफ कहाँ है ऑर उन्होने सारा सोना कहाँ रखा हुआ है... अब ये बात तो सिर्फ़ शेरा ही जानता है ना... अगर ये शेरा है तो इसको साबित करनी होगी ये बात.

मैं : मेरा यक़ीन करो शीक साहब मैं शेरा ही हूँ लेकिन मुझे पिच्छला कुछ भी याद नही है मैं सच कह रहा हूँ.

शीक : ठीक है फिर याद कर लो आराम से जब तक तुमको याद नही आ जाता तब तक तुम इस घर से बाहर नही जा सकते ( अपने आदमियो को इशारा करते हुए) डाल दो इसको राणा की जगह पर ऑर इसको तब तक मारो जब तक ये सब कुछ बता नही देता.

उसके बाद शीक के आदमियो ने मुझे पकड़ लिया ऑर उपर एक कमरे मे ले गये जहाँ मुझे एक कमरे मे बंद कर दिया गया जिसका दरवाज़ा लोहे का बना था. मैं अंदर से चिल्लाता रहा ऑर दरवाज़ा खोलने की नाकाम कोशिश करता रहा. लेकिन दरवाज़ा बंद होने के बाद किसी ने मेरी बात नही सुनी. अभी मुझे कमरे मे दाखिल हुए कुछ ही देर हुई थी कि दरवाज़े के नीचे से धुआँ आने लगा जिससे मुझे अज़ीब सी घुटन होने लगी ऑर लगातार खाँसी आने लगी. वो अज़ीब किस्म की गॅस थी जिससे कुछ ही देर मे मेरी आँखो के सामने अंधेरा छा गया ऑर मैं बेहोश हो गया. मुझे नही पता मैं कितनी देर वहाँ ज़मीन पर बेहोश पड़ा रहा लेकिन जब मुझे होश आया तो मैं कुर्सी से बँधा पड़ा था. मेरे चारो तरफ बहुत सारे लोग खड़े थे ऑर एक अँग्रेज़ आदमी मेरी बाजू को रूई (कॉटन) से सॉफ कर रहा था.

मैं : कौन हो तुम ऑर मुझे बाँधा क्यो है खोलो मुझे...

अँग्रेज़ : रिलॅक्स !!! अभी सब ठीक हो जाएगा. (दूसरे आदमी से एक इंजेक्षन लेते हुए)

मैं : हरामखोर खोल मुझे... (अपने आप को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए)

अँग्रेज़ : कम डाउन !!! अभी सब ठीक हो जाएगा.

शीक : आखरी बार पूछ रहा हूँ बाबा का सेफ कहाँ है ऑर उसको कैसे खोलते हैं बता नही तो कुछ देर बाद तू सब कुछ खुद ही बता देगा.

मैं : मैने बोला ना मुझे कुछ याद नही एक बार बात समझ मे नही आती.

शीक : डॉक्टर यू कॅन कंटिन्यू ये ऐसे नही बताएगा साला बहुत पुराना पापी है.

उसके बाद वो अँग्रेज़ डॉक्टर ने मुझे वो इंजेक्षन लगा दिया जिससे मुझे एक अजीब सा नशा छाने लगा मेरे चारो तरफ की चीज़े मुझे गोल-गोल घूमती हुई नज़र आने लगी मैं बोलना चाह रहा था लेकिन मुझसे बोला नही जा रहा था ऑर बहुत तेज़ नींद आ रही थी.

अँग्रेज़ : (मेरे गाल थप-थपाते हुए) क्या नाम है तुम्हारा.

मैं : (अँग्रेज़ को गौर से देखते हुए) हमम्म्म...

अँग्रेज़ : क्या नाम है तुम्हारा.

मैं : कभी शेरा कभी नीर मैं दोनो हूँ हाहहहहहहाहा

अँग्रेज़ : तुमको यहाँ किसने भेजा है

मैं : (ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए)

अँग्रेज़ : तुमको यहाँ किसने भेजा है

मैं : तेरी माँ ने.... हाहहहहहहाहा

शीक : (मुझे थप्पड़ मारते हुए) डोज बढ़ाओ डॉक्टर...

अँग्रेज़ : (एक ऑर इंजेक्षन मुझे लगाते हुए) तुमको यहाँ किसने भेजा है

मैं : बाबा ने (यहाँ मे गाव वाले बाबा का ज़िक्र कर रहा हूँ) हाहहहहहाहा

शीक : (चोन्क्ते हुए) तुमको बाबा ने किस लिए यहाँ भेजा है

मैं : तेरी मारने के लिए भोसड़ी के.... हाहहहहहहाहा

उसके बाद मुझे कुछ याद नही क्योंकि मेरी आँखो के आगे अंधेरा छा गया ऑर मैं फिर से बेहोश हो गया. जब आँख खुली तो मैं वापिस उसी कमरे मे था जहाँ मुझे पहले रखा गया था ऑर मेरे सामने जापानी बैठा था ऑर मेरे मुँह पर पानी मार रहा था.

जापानी : उठ जा मेरे बाप साला कब्से सोया पड़ा है.

मैं : (अपनी आँखें सॉफ करते हुए) जापानी तू यहाँ...

जापानी : हाँ मैं... अब बात सुन मेरी ये सब साले पागल हो गये हैं लेकिन मैं जानता हूँ तू मेरा भाई है मेरा शेरा.


मैं : तू यहाँ कैसे आया.

जापानी : वो सब छोड़ ये ले मेरी गन ऑर ये कुछ पैसे रख ले तेरे काम आएँगे ऑर ये ले मेरी गाड़ी की चाबी... अब तू यहाँ से निकल जा तेरा यहाँ रहना ठीक नही वरना छोटा शीक ऑर उसके आदमी तुझे ठोक देंगे.

मैं : लेकिन तू....

जापानी : मेरी फिकर मत कर यार तेरे वैसे ही मुझ पर बहुत अहसान है आज बहुत मुद्दत के बाद मोक़ा मिला है यारी का हक़ अदा करने का अब तू यहाँ से जा ऑर यहाँ से चले जाना यहाँ तू एक दम सेफ रहेगा ऑर तुझे तेरे हर सवाल का जवाब भी मिल जाएगा जो तू अक्सर सबसे पुछ्ता रहता है ऑर इस जगह के बारे मे किसी को कुछ भी मत बताना ( एक पर्ची मेरे हाथ मे देते हुए)

उसके बाद मुझे कमरे के बाहर फाइयर की आवाज़ सुनाई देने लगी. मैं पूरी तरह होश मे तो नही था फिर भी चलने के क़ाबिल था मुझे जापानी ने पकड़कर जल्दी से खड़ा किया ऑर अपनी कोट की जेब से एक ऑर गन निकाल ली ऑर मेरे आगे आके खड़ा हो गया. ऑर कमरे के बाहर मेरा हाथ पकड़कर ले गया बाहर नीचे बहुत से लोग थे जो फाइयर कर रहे थे. वही बाल्कनी मे कुछ जापानी के लोग भी थे जो जवाब मे फाइयर कर रहे थे लेकिन नीचे खड़े लोगो की तादाद बहुत ज़्यादा थी ऑर उपर खड़े लोग गिनती मे बस 5-6 ही थे. तभी एक गोली आके जापानी के पेट मे लगी. जिससे वो वही गिर गया मैने उसको जल्दी से संभाला ऑर जापानी की दी हुई पिस्टल से मैने भी नीचे खड़े लोगो पर फाइयर करना शुरू कर दिया.

जापानी : तू रहने दे शेरा तू जा यहाँ से हम लोग संभाल लेंगे.

मैं : पागल हो गया तुझे गोली लगी तू चल मेरे साथ जो होगा देखा जाएगा.

जापानी : नही यार अपना साथ यही तक था अब तू जा मैं इनको ज़्यादा देर नही रोक पाउन्गा ऑर याद रखना छोटा शीक तुझ पर मेरा उधार है जब हाथ लगे तो साले के भेजे मे गोली मारना मेरी तरफ से. यहाँ किसी पर भी भरोसा मत करना सब साले कुत्ते हैं मेरी बात याद रखना.

मैं : (रोते हुए) यार तू कैसी बात कर रहा है तुझे कुछ नही होगा तू चल मेरे साथ इन सब को मैं अकेला ही देख लूँगा ऑर शीक को तू खुद मारेगा.

जापानी : (हँसते हुए) शेर की आँख मे आँसू अच्छे नही लगते तू जा यहाँ से.

तभी एक गोली मेरी गर्दन को छू कर निकल गई जिससे मेरी गर्दन से खून निकलने लगा ऑर दर्द की एक तेज़ लहर मेरे पूरे बदन मे दौड़ गई. ये देखकर जाने जापानी को क्या हुआ उसने मुझे पिछे धक्का दे दिया जिससे मैं ज़मीन पर गिर गया ऑर खुद खड़ा होके अँधा-धुन्ध नीचे खड़े लोगो पर गोलियाँ बरसाने लगा. नशे के इंजेक्षन की वजह से मैं चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा था इससे पहले कि मैं खड़ा होता जापानी सीढ़ियो से नीचे उतरने लग गया ऑर उन लोगो पर अपनी दूसरी पिस्टल से भी गोलियाँ चलाने लगा. जब तक मैं वापिस अपने पैरो पर खड़ा हुआ नीचे सब लोग मर चुके थे. ऑर जापानी सीढ़ियो मे पड़ा तड़प रहा था उसके पूरे बदन से पानी की तरह खून निकल रहा था. मैं दवाई के नशे मे लड़-खडाता हुआ सीढ़ियो से नीचे की तरफ आया ऑर जाके जापानी को देखा तो वो भी मुझे छोड़ कर जा चुका था. मैने आज अपनी जिंदगी का सबसे कीमती दोस्त खो दिया था जिसने जिंदगी के हर मोड़ पर मेरा साथ दिया था. मेरी आँखो मे आँसू ऑर दिल मे छोटे शीक के लिए बे-इंतेहा नफ़रत थी. मैने अपने आँसू सॉफ किए ऑर अपने दोस्त जापानी का स्काफ जो वो हमेशा अपने हाथ पर बांधता था उसे उतार कर अपने हाथ पर बाँध लिया ऑर वहाँ से सीधा घर के बाहर निकल गया ऑर जल्दी से जापानी की कार मे बैठ गया.

मैने कार स्टार्ट की ऑर अपनी जेब मे हाथ डाल कर जापानी की दी हुई पर्ची को देखने लगा. उसमे लिखा पता देखा ऑर अपनी कार को तेज़ रफ़्तार से दौड़ा दिया मैं नही जानता था कि जापानी ने मुझे कहाँ भेजा है. मैं काफ़ी देर से गाड़ी चला रहा था ऑर अब मैं उस इलाक़े से काफ़ी दूर भी निकल आया था अचानक मुझे याद आया कि आज के हुए इस हादसे के बारे मे ख़ान को बता दूं ऑर अब आगे क्या करना है ये भी पूछ सकूँ. लेकिन फिर मुझे राणा की याद आई ऑर इतना तो मैं समझ गया कि ज़रूर ख़ान के ऑफीस मे ही कोई खबरी है जो मेरी पल-पल की खबर छोटे शीक तक पहुँचा रहा है इसलिए मैने ख़ान को भी उस ठिकाने के बारे मे बताना ठीक नही समझा क्योंकि ये मुमकिन था कि कोई ख़ान का फोन भी टॅप कर रहा हो. यही सब सोचता हुआ मैं लगातार गाड़ी को दौड़ाता रहा कुछ घंटे की ड्राइव के बाद मुझे हाइवे पर एक पेट्रोल पंप नज़र आया वहाँ मैने रुक कर अपनी गाड़ी मे फ़्यूल भरवाया.

मैं : सुनिए यहाँ कोई टेलिफोन है मुझे एक फोन करना है.

लड़का : जी साहब अंदर है कर लीजिए फोन.

मैं : (गाड़ी से बाहर निकलते हुए) शुक्रिया.

लड़का : साहब आपको तो बहुत चोट लगी है ऑर आपकी गर्दन से खून भी निकल रहा है.

मैं : कोई बात नही ये ठीक हो जाएगा मेरा छोटा सा एक्सीडेंट हुआ था.

लड़का : बुरा ना मानो साहब तो मेरा घर पास ही है अगर आप चाहे तो मैं आपकी पट्टी करवा सकता हूँ.
मैं : नही कोई बात नही शुक्रिया.

उसके बाद वहाँ पड़े एक पानी के घड़े से पहले मैने अपना मुँह धोया ऑर अपनी गर्दन पर लगा खून सॉफ किया. क्योंकि इस बात को आब काफ़ी वक़्त हो गया था इसलिए जखम से खून निकलना बंद हो गया था ऑर मेरी गर्दन पर लगा खून भी सूख गया था. उसके बाद मैं पेट्रोल पंप के अंदर चला गया ऑर ख़ान का नंबर डायल किया.

ख़ान : हल्लो....

मैं : हल्लो ख़ान साहब मैं नीर बोल रहा हूँ.

ख़ान : नीर तुम... ये किसका नंबर है

मैं : ख़ान साहब ये एक पेट्रोल पंप का नंबर है ऑर यहाँ बहुत गड़बड़ हो गई है

ख़ान : क्या हुआ....

उसके बाद मैने सारी बात तफ़सील से ख़ान को बता दी...

ख़ान : हमम्म यार ये तो बहुत गड़बड़ हो गई है ऑर तुम्हारी बात एक दम सही है मुझे भी लगता है कोई ना कोई मेरे दफ़्तर मे ही है जो छोटा शीक से मिला हुआ है. उस कमीने खबरी की वजह से ही मेरे सबसे खास इनफॉर्मर राणा की जान गई है. खैर कोई बात नही वो सब मैं संभाल लूँगा. अब तुम ये बताओ कि अब तुम कहाँ हो.

मैं : पता नही ख़ान साहब अभी तो मैं उसी शहर मे हूँ ( मैने झूठ बोला क्योंकि जापानी ने मुझे उस जगह के बारे मे किसी को भी बताने से मना किया था)

ख़ान : तुम कुछ दिन के लिए अंडर-ग्राउंड हो जाओ कुछ दिन बाद मुझसे कॉंटॅक्ट करना ऑर मेरे मोबाइल पर फोन करके बताना कि तुम कहाँ हो फिर मैं तुमको तुम्हारा अगला कदम बताउन्गा तब तक छोटे शीक को भूल जाओ.

मैं : जी ठीक है...

उसके बाद मैने फोन बंद किया ऑर बाहर आ गया जहाँ वो लड़का खड़ा मेरा ही इंतज़ार कर रहा था. मैने उसको फ़्यूल के पैसे दिए ऑर वापिस अपनी कार मे आके बैठ गया. ऑर वापिस अपनी कार को तेज़ रफ़्तार से दौड़ा दिया. मुझे मेरी मज़िल पर पहुँचते-पहुँचते रात हो गई थी. जापानी ने जहाँ का मुझे पता दिया था मैं नही जानता था कि उसने मुझे कहाँ भेजा है इसलिए मेरे दिमाग़ मे अब भी कई सवाल घूम रहे थे. कुछ ही देर मे मैं अपनी मंज़िल पर पहुँच गया जो एक बस्ती सी लग रही थी. वहाँ काफ़ी घरो मे रोशनी नज़र आ रही थी लेकिन मुझे जितना पता दिया गया था वो सिर्फ़ उस बस्ती तक का ही था आगे मुझे पता नही था कि कौन्से घर मे जाना है क्योंकि वहाँ मुझे बहुत से घर नज़र आ रहे थे. मैं कार से उतरा ऑर एक घर का दरवाज़ा खट-खाटाया. कुछ ही देर मे दरवाज़ा खुल गया. उस घर मे से एक आदमी बाहर आया.

मैं : जी इतनी रात को आपको तक़लीफ़ देने के लिए माफी चाहता हूँ दर-असल मुझे रसूल से मिलना था.

अभी मैने अपनी बात भी मुक़ाम्मल नही की थी कि मेरे सामने खड़ा आदमी मुझे देख कर खुश हो गया ऑर मेरे गले से लग गया.

आदमी : शेरा भाई तुम ज़िंदा हो.

मेरे कुछ समझ नही आ रहा था कि ये आदमी मुझे कैसे जनता है.

मैं : क्या आप मुझे जानते हैं.

आदमी : कैसी बातें कर रहे हो भाई तुमको यहाँ कौन नही जानता तुम तो हमारे अपने हो. बाहर क्यो खड़े हो अंदर आओ.

मैं : जी शुक्रिया.

मेरी कुछ भी समझ नही आ रहा था कि ये मेरे साथ क्या हो रहा है ये आदमी मुझे कैसे जानता है. तभी एक औरत मेरी तरफ आई ऑर अदब से मुझे सलाम किया ऑर मेरे सामने पानी का एक ग्लास रख दिया ऑर वापिस अंदर चली गई. उस ख़ातून ने नक़ाब किया हुआ था इसलिए मैं उसका चेहरा नही देख पाया. तभी वो आदमी मेरे पास आया.

आदमी : तुम यही बैठो मैं सारी बस्ती को बताके आता हूँ कि हमारा शेरा वापिस आ गया है ऑर हमारी दुआ रंग ले आई है.
मैं : अच्छा लेकिन तुम्हारा नाम क्या है

आदमी : कमाल है 4 दिन हम से दूर क्या हुए अब तुम मेरा नाम भी भूल गये हो. मैं रसूल हूँ तुम्हारे बचपन का साथी. तुम बैठो मैं अभी आया.
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
RE: Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 01:24 PM

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