Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:23 PM,
#42
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-40

उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना ख़ान के कॅबिन तक आ गये ऑर ख़ान के कॅबिन तक मुझे छोड़कर रिज़वाना हाथ हिलाकर मुझे अलविदा कहती हुई वापिस अपने कॅबिन की तरफ चली गई. मेन गेट खोल कर ख़ान के कॅबिन मे चला गया.

ख़ान : तुम्हारा मिलना-मिलना हो गया.

मैं (हँसते हुए) जी हो गया जनाब.

ख़ान : शूकर है...(हाथ जोड़ते हुए) चल भाई राणा खड़ा हो जा ऑर लग जा कम पर इसको मैने सब समझा दिया है ऑर तू भी कोई लफडा मत करना.

राणा : जनाब आगे कभी गड़-बड हुई है जो अब होगी.

ख़ान : पहले तू अकेला होता था इस बार ये भी तेरे साथ है.

राणा : फिकर ना करे जनाब मैं साथ हूँ ना सब संभाल लूँगा.

ख़ान : इसको वहाँ पहुँचने के बाद मुझे फोन कर देना ऑर मुझे इसके पल-पल की खबर चाहिए समझा.

राणा : (अपना दायां हाथ सिर पर रखते हुए) ओके बॉस.... चलो भाई शेरा आपको आपकी मंज़िल तक पहुंचाता हूँ.

उसके बाद मैं ऑर राणा एक कार मे बैठे ऑर अपने नये सफ़र के लिए रवाना हो गये मैं नही जानता था कि मुझे कहा भेजा जा रहा है ऑर वो लोग कौन है ऑर कैसे होंगे क्या वो मुझे अपने साथ लेके जाएँगे या नही. मुझे ये भी नही पता था कि जिस सफ़र पर मुझे भेजा गया है वहाँ से मैं ज़िंदा लौटुन्गा भी या नही. ऐसे ही कई सवाल मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे. लेकिन इस वक़्त मेरे पास किसी सवाल का जवाब नही था लेकिन तेज़ी से गुज़रने वाले वक़्त के पास मेरे हर सवाल का जवाब था. अब मैं चुप-चाप बैठा अपनी आने वाली मज़िल का इंतज़ार कर रहा था जहाँ मुझे जाना था.

राणा गाड़ी को तेज़ रफ़्तार से भगा रहा था ऑर मैं खिड़की से अपना चेहरा बाहर निकाले ठंडी हवा का मज़ा ले रहा था. मुझे नही पता कब मेरी आँख लग गई ऑर मैं सो गया. जाने मैं कितनी देर सोता रहा लेकिन राणा के हिलाने से मेरी आँख खुल गई...

राणा : शेरा भाई एरपोर्ट आ गया है उतरो...

मैं : (दोनो हाथो से आँखें मलते हुए) क्या....

राणा : भाई एरपोर्ट आ गया फ्लाइट पकड़नी है ना गाड़ी से उतरो....

मैं : (अपने दोनो हाथ अपने मुँह पर फेरते हुए) हाँ चलो...

उसके बाद मैं ऑर राणा गाड़ी से उतर गये राणा ने जल्दी से गाड़ी की पिच्छली सीट से उसका ऑर मेरा सूट केस निकाला ऑर मेरी तरफ बढ़ने लगा. मैने अपना सूट केस पकड़ लिया ऑर उसने अपना. फिर हमने गाड़ी को वही छोड़ दिया ऑर हम दोनो एरपोर्ट के अंदर आ गये. ये जगह मेरे लिए एक दम नयी थी मैं ठीक होने के बाद पहले कभी ऐसी जगह पर नही आया था. राणा ने मुझे एक जगह की तरफ इशारा करके बैठने को कहा ऑर खुद किसी से मिलने चला गया. मैं एरपोर्ट पर एक खाली जगह पर बैठ गया ऑर चारो तरफ देख रहा था वहाँ के लोग जो घूम रहे थे ओर सेक्यूरिटी गार्ड जो लोगो को चेक कर रहे थे. एक जगह पर सबके समान को एक मशीन (स्केनर) मे डाल कर चेक किया जा रहा था इसलिए मुझे अपने समान की फिकर होने लगी क्योंकि इतना तो मुझे देख कर ही समझ आ गया था कि मेरा समान भी ज़रूर चेक होगा ऑर मेरे पास पिस्टल भी थी ऑर ख़ान के दिए हुए ट्रांसमेटेर्स भी जिससे ख़ान मुझ तक पहुँच सके. अभी मैं सोच ही रहा था कि राणा 2 गार्ड जिनके पास हथियार थे उनके साथ मेरी तरफ आ रहे थे मुझे लगा शायद उन लोगो ने राणा को पकड़ लिया. इसलिए मैने जल्दी से अपना एक हाथ जॅकेट मे डाल लिया जिस तरफ पिस्टल थी ऑर अपना हाथ पिस्टल पर रख लिया.

राणा : चलो भाई काम हो गया 10 मिंट बाद फ्लाइट है अपनी...

मैं : (चैन की साँस लेकर अपना हाथ जॅकेट से बाहर निकालते हुए ) अच्छा... लेकिन ये लोग कौन है.

राणा : भाई ये ख़ान साहब के ही लोग हैं हम को यहाँ कोई परेशानी ना हो इसलिए...

मैं : अच्छा... मैं तो समझा तुमको इन्होने पकड़ लिया.

राणा : (मुस्कुरा कर) नही भाई सब ठीक है आप बे-फिकर हो जाए.

मैं : (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म यार राणा वैसे हम क्या शहर से बाहर जा रहे हैं.

राणा : (हँसते हुए) भाई आपको ख़ान साहब ने कुछ नही बताया.

मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए)

राणा : कोई बात नही.... चलो चलें देर हो रही है.

उसके बाद कोई खास बात नही हुई जल्दी ही हम रनवे पर आ गये जहाँ हमारा छोटा सा प्लेन ऑलरेडी तेयार खड़ा था. हम दोनो को वो दोनो लोग बिना सेक्यूरिटी चेक के एक छोटे से प्लेन तक छोड़ गये जहाँ सिर्फ़ मैं ऑर राणा ही बैठे थे बाकी तमाम प्लेन खाली पड़ा था. मैं हर चीज़ को बड़ी हैरानी से देख रहा था क्योंकि ये सब कुछ मेरे लिए एक दम नया था. खैर कुछ ही घंटे के बाद हम हमारी मंज़िल तक पहुँच गये. फ्लाइट से उतरने के बाद मैं राणा के पिछे-पिछे ही चल पड़ा क्योंकि मैं नही जानता था कि उसके बाद कहाँ जाना है. फ्लाइट से उतरने के बाद एरपोर्ट पर एक कार पहले से मोजूद थी जिसमे मैं ऑर राणा बैठ गये. बाहर रात हो गई थी लेकिन इतनी ज़्यादा रोशनी ऑर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स थी जो मैने पहले कभी नही देखी थी मैने जल्दी से कार का ग्लास नीचे किया ऑर बाहर देखने लगा.

राणा : भाई क्या कर रहे हो शीशा बंद करो कोई देख सकता है.

मैं : यहाँ हम को कौन जानता है यार देखने दो ना अच्छा लग रहा है.

राणा : भाई आपके लिए ये शहर अजनबी है लेकिन आप इस शहर के लिए अजनबी नही हो आपके इस शहर मे सिर्फ़ दोस्त ही नही दुश्मन भी बहुत है. मैं आपके लिए ही कह रहा हूँ.

मैं : (बिना कुछ बोले शीशा उपर करते हुए) ठीक है.... वैसे क्या तुम मेरे बारे मे सब कुछ जानते हो.

राणा : भाई इस शहर मे शायद ही कोई ऐसा हो जिसने शेरा भाई का नाम नही सुना हो.

मैं : वैसे अब हम जा कहाँ रहे हैं.

राणा : होटेल मे जहाँ हमने रुकना है फिर कल शाम को डील है तो वहाँ जाना है.

मैं : अच्छा...

उसके बाद हम दोनो कार मे खामोश बैठे रहे ऑर कुछ देर बाद कार ने हम को एक बहुत ऊँची बिल्डिंग के सामने उतार दिया ये एक बेहद शानदार होटेल था. अंदर राणा के साथ मैं होटेल के अंदर चला गया वहाँ हम दोनो के लिए पहले से रूम बुक थे. राणा मुझे शाम को तेयार रहने का बोलकर अपने कमरे मे चला गया. मैं भी सफ़र से थक गया था इसलिए रूम मे आते ही सो गया. सुबह मैं देर से उठा ऑर नाश्ता मंगवाने के बाद मेरे पास अब करने को कोई काम नही था इसलिए अपना वक़्त टीवी देखकर गुज़ारने की कोशिश करने लगा. लेकिन आज मुझसे वक़्त काटे नही काट रहा था. मैं अकेला बहुत ज़्यादा बोर हो रहा था इसलिए वक़्त से पहले ही नहा कर तेयार हो गया ऑर शाम को राणा का इंतज़ार करने लगा. खैर शाम को राणा ने मेरा दरवाज़ा खत-खाटाया ऑर इस बार उसके साथ कुछ ऑर लोग भी थे. वो सब लोग मुझे बड़ी हैरानी से देख रहे थे लेकिन मुझे किसी का भी चेहरा याद नही था शायद राणा सही था यहाँ के काफ़ी लोग मुझे जानते थे. हम सब तेज़ कदमो के साथ लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगे. लिफ्ट मे राणा के साथ खड़े लोग मुझे बड़ी हैरानी से देख रहे थे. कुछ देर बाद हम होटेल से निकले ऑर कार मे बैठ गये. कार मे बैठने के बाद आगे जाने क्या होने वाला है ये सोच कर मेरी दिल की धड़कन काफ़ी तेज़ हो गई थी ऑर मुझे घबराहट सी हो रही थी इसलिए मैं पानी की बोटल से बार-बार पानी पी रहा था.

कुछ ही देर बाद गाड़ी एक अज़ीब सी जगह आके रुक गई. ये जगह बाहर से किसी खंडहर जैसी लग रही थी ऑर काफ़ी पुरानी सी इमारत थी जो लगता था कि बहुत वक़्त से बंद पड़ी हो आस-पास काफ़ी कचरा जमा हुआ पड़ा था. मैं उस जगह को गौर से देखने लग गया. उसके बाद सब लोग गाड़ी से उतर गये लेकिन जब मैं भी गाड़ी से उतरने लगा तो राणा ने मुझे रोक दिया.

राणा : भाई आप कार मे ही बैठो.. अगर हम लोग 5 मिंट मे वापिस नही आए तो आप अंदर आ जाना ऑर जो भी मिले मिले ठोक देना साले को ऑर याद रखना आपको पैसे ऑर ड्रूग्स दोनो उठाने हैं.

मैं : ठीक है याद रखूँगा.

फिर वो लोग चले गये ऑर मैं गाड़ी मे बैठा हुआ अपनी घड़ी मे वक़्त देखने लगा. अब मुझे 15 मिंट गुज़रने का इंतज़ार था. मैने जल्दी से एक बार फिर अपनी कोट की जेब मे हाथ डाला ऑर पिस्टल को निकाल कर अपने हाथ मे पकड़ लिया ऑर उसमे से मेग्ज़ीन निकाल कर गोलियाँ चेक की ऑर फिर से मॅग्ज़िन को पिस्टल मे डाल दिया ऑर अपनी पिस्टल को लोड कर लिया साथ ही दूसरी जेब से साइलेनसर निकाल कर पिस्टल की नली पर लगा दिया ताकि गोली चलने की आवाज़ कम से कम हो. मैं अंदर से घबरा भी रहा था ऑर उन लोगो से सामना करने के लिए बे-क़रार भी था. मैं कभी घड़ी की तरफ देख रहा था कभी उस टूटी सी इमारत की तरफ. अब मुझसे इंतज़ार करना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैने जल्द बाज़ी मे गाड़ी का गेट खोला ऑर 10 मिंट होने पर ही अपनी पिस्टल हाथ मे लिए उस इमारत मे घुस गया लेकिन अंदर घुसते ही मुझे समझ नही आ रहा था कि किस तरफ जाना है क्योंकि वहाँ से 3 रास्ते निकल रहे थे ऑर अंधेरा भी काफ़ी था क्योंकि रात होने लगी थी. थोड़ा आगे जाने पर मुझे सामने वाले रास्ते पर कुछ रोशनी नज़र आई इसलिए मैं दीवार का सहारा लेके सामने वाले रास्ते की तरफ बढ़ने लगा.

वहाँ मुझे सामने 2 लोग नज़र आए जो मेरी तरफ पीठ करके खड़े थे. मैने अपनी बंदूक का पहला निशाना बाएँ तरफ खड़े आदमी की खोपड़ी पर लगाया ऑर पिस्टल का ट्रिग्गर दबा दिया एक झटके के साथ पिस्टल से गोली निकली ऑर उस आदमी के भेजे से आर-पार हो गई वो आदमी वही ज़मीन पर गिर गया. इतने मे दूसरा आदमी जो उसकी दूसरी तरफ खड़ा था उसको गिरता देख कर उसकी तरफ बढ़ा तो मैने अपना दूसरा निशाना उसके सिर मे लगाया लेकिन वो झुक कर थोड़ा उपर को देखने लगा ऑर अपनी गर्दन चारो तरफ घुमाने लगा. इसलिए गोली उसके सिर की जगह उसके गले मे लगी जिससे वो ज़मीन पर गिर गया ऑर तड़पने लगा. मैं जल्दी से उसके पास गया ऑर एक गोली ऑर उसके सिर मे मार दी. उस आदमी के पास जाना ही मेरी सबसे बड़ी ग़लती थी. वहाँ जाते ही मेरी तरफ गोलियाँ चलने लगी. मैं जल्दी से खुद को बचाने के लिए दीवार के पिछे हो गया. कुछ देर गोलियाँ चलाने के बाद वो लोग रुक गये मैने धीरे से अपनी गर्दन बाहर निकाली ओ उन्न लोगो की पोज़ीशन चेक करने लगा. उनमे से 3 लोग जिस बँच पर ड्रूग्स ऑर पैसे पड़े थे उसके पिछे छुपे हुए थे ऑर 2 लोग एक खंबे के पिछे थे जहाँ मैं खड़ा था वहाँ से उन पर निशाना लगाना बहुत मुश्किल था. बाकी राणा ऑर जो लोग मेरे साथ कार मे यहाँ आए थे उनका कोई नाम-ओ-निशान नही था.

मेरी नज़रें राणा ऑर उसके साथ आए लोगो को तलाश कर रही थी लेकिन वहाँ कोई भी मुझे नज़र नही आ रहा था. तभी उन लोगो ने फिर से गोलियाँ चलानी शुरू करदी इसलिए मुझे फिर से दीवार के पिछे जाना पड़ा. अब मैं उस जगह पर अकेला था ऑर वो 5 लोग थे मैं सोच रहा था कि इनको कैसे ख़तम करूँ इसलिए अपनी नज़र चारो तरफ दौड़ा रहा था कि लेकिन वहाँ मुझे कुछ भी ऐसा नज़र नही आ रहा था जिससे मैं उनको बाहर निकाल सकूँ. तभी मुझे ख्याल आया मैने ज़मीन से एक पत्थर उठाया ऑर उपर बंद पड़े लटकते हुए पंखे पर निशाना लगा के ज़ोर से पत्थर मारा. पत्थर की टॅन्न्न्न्न की आवाज़ से सबकी नज़र उपर चली गई जिससे मुझे मेरी पोज़ीशन बदलने का मोक़ा मिल गया. मैने जल्दी से छलाँग लगाकर एक खंबे के पीछे चला गया. यहाँ से मैं सिर्फ़ 2 लोगो पर सही निशाना लगा सकता था मैने जल्दी से टेबल के नीचे बैठे आदमी पर निशाना लगाया ऑर गोली चला दी गोली सीधा उसके पेट मे लगी ऑर वो गिर गया ऑर तड़पने लगा. उसके पास जो दूसरा आदमी वो अपने साथ वाले को गोली लगने से शायद डर गया इसलिए खड़ा होके अपने दूसरे साथी की तरफ भागने लगा मैने जल्दी से अपना निशाना लगाया ऑर उसको दूसरी तरफ पहुँचने से पहले ही ढेर कर दिया. अब मुझे बाकी 3 को भी मारना था. लेकिन जहाँ मैं खड़ा था वहाँ से मैं उन तक नही पहुँच सकता था इसलिए मैने गोलियाँ ज़ाया करना मुनासिब नही समझा ऑर वही खड़े होकर उनकी अगली चाल का इंतज़ार करने लगा. तभी उनमे से एक की आवाज़ आई...

आदमी : ओये कौन है तू साले....क्यो गोली चला रहा है...पोलीसवाला है क्या...साले हर बार हड्डी पहुँचती तो हैं इस बार तुझे तेरा हिस्सा नही मिला जो यहाँ मुँह मारने आ गया है. साले हम शेख साहब के लोग है ऑर ये माल भी उनका है हम को जाने दे वरना तेरी लाश का भी पता नही चलेगा.

मैं खामोश रहा ऑर चुप चाप उनके बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. वो लोग कुछ देर ऐसे ही चिल्लाते रहे. काफ़ी देर बाद जब मेरी तरफ से कोई आवाज़ नही आई तो उन लोगो ने फिर से गोलियाँ चलानी शुरू करदी अब की बार मैने जवाब मे कोई गोली नही चलाई ऑर उनके बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद उनमे से एक आदमी खंबे के पिछे से बाहर आया ऑर मेज़ के पास आके रुक गया ऑर इधर-उधर देखने लगा. अब की बार मैने उसे पूरा मोक़ा दिया कि वो बॅग को बंद कर सके. फिर उसने अपने दूसरे साथी को भी हाथ से इशारा किया ऑर वो भागता हुआ बंदूक ताने मेरी तरफ बढ़ने लगा. मैं यही चाहता था मैं जल्दी से खंबे के पिछे से बाहर निकला ऑर सबसे पहले जो मेरी तरफ आ रहा था उसके पैर मे गोली मारी वो वही गिर गया ऑर तड़पने लगा इतना मे जो दूसरा आदमी मेज़ के पास खड़ा उसने दोनो बॅग उठाए ऑर खंबे की तरफ भागने लगा मैने उसकी पीठ मे 2 गोली मारी वो भी वही गिर गया अब मैने अपना निशाना उस लेटे हुए आदमी पर लगाया जिसके पैर मे गोली लगी थी इस बार मैने सीधा उसके माथे पर गोली मारी. दोनो आदमी ख़तम हो चुके थे ऑर अब सिर्फ़ एक आदमी बचा था ऑर मेज़ के पास ही पैसे वाला ऑर ड्रूग्स वाला बॅग गिरे पड़े थे. इस बार मैने आवाज़ लगाई...

मैं : मुझे पता है तू अकेला ही बचा है अगर यहाँ से निकलना चाहता है तो निकल जा माल को भूलजा वो मेरा हुआ.

वो आदमी : लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि तुम गोली नही चलाओगे.

मैं : साले मैं तुझे टीवी बेच रहा हूँ जो गारंटी चाहिए..... निकलना है तो निकल जा नही तो तुझे मार कर तो मैं ये माल हासिल कर ही लूँगा.

वो आदमी : ठीक है माल तुम रख लो लेकिन गोली मत चलना.

मैं : मंज़ूर है अपनी पिस्टल फैंक कर बाहर आजा.

उसके बाद उस आदमी ने मेज़ की तरफ अपनी पिस्टल फेंक दी ऑर सिर पर हाथ रख कर बाहर आ गया. मैने जल्दी से थोड़ा सा बाहर निकलकर अपनी पिस्टल का निशाना उसके दिल पर लगाया ऑर गोली चला दी वो आदमी भी वही ख़तम हो गया. उसके बाद मैं धीरे से बाहर आया ऑर झुक कर धीरे-धीरे आगे मेज़ की तरफ बढ़ने लगा जिसके पास दोनो बॅग गिरे पड़े थे मैने चारो तरफ देखा वहाँ मुझे कोई भी नज़र नही आ रहा था इसलिए मैने जल्दी से दोनो बॅग उठाए ऑर राणा ऑर उसके लोगो को ढूँढने लगा लेकिन मुझे वो कही नज़र नही आए इसलिए मैं उस खंडहर से बाहर निकल आया. अब मैने चारो तरफ देखा लेकिन बाहर भी सिवाए गाड़ी के कोई नही था. मैने दोनो बॅग गाड़ी मे रखे ओर कार स्टार्ट की ताकि वापिस होटेल जा साकु. तभी कार के केबिनेट मे किसी फोन की घंटी की आवाज़ सुनाई दी जो शायद काफ़ी देर से बज रहा था. मैने जल्दी से केबिनेट खोला ऑर फोन बाहर निकाला ऑर फोन उठा कर अपने कान से लगाया दूसरी तरफ से जो आवाज़ सुनाई दी वो जानी-पहचानी सी लगी. ये तो ख़ान था.....

मैं : हेल्लो....

ख़ान : हां भाई शेरा क्या खबर है.

मैं : ख़ान साहब मुझे राणा एक डील पर लेके गया था जहाँ एक समस्या हो गयी है
ख़ान : वो सब मुझे पता है ये बताओ दोनो बॅग कहाँ है.
मैं : मेरे पास...
ख़ान : उनमे से कोई ज़िंदा तो नही बचा.
मैं : नही मैने सबको ख़तम कर दिया...
ख़ान : अच्छा किया.... अब तुम यहाँ से अपने होटेल चले जाओ जहाँ तुम रुके हुए हो.
मैं : लेकिन राणा ऑर उसके लोग जाने कहाँ चले गया हैं मैने उनको सब जगह ढूँढ लिया है कोई भी नही मिला मुझे.
ख़ान : कोई बात नही उनको मैने ही बोला था कि निकल जाने को वहाँ से.
मैं : ठीक है फिर अब मेरे लिए क्या हुकुम है.
ख़ान : तुम बस अपने होटेल जाओ ऑर कल रात तक इंतज़ार करो राणा खुद ही तुम्हारे पास आ जाएगा... वैसे तुम्हारा निशाना बहुत अच्छा है.

मैं : शुक्रिया... वैसे आपको कैसे पता कि मेरा निशाना अच्छा है.

ख़ान : मैं तुमसे दूर ज़रूर हूँ लेकिन तुम्हारी पल-पल की खबर मेरे पास पहुचती है ऑर वैसे भी ये तो पूरे अंडरवर्ल्ड मे मशहूर है कि शेरा का निशाना कभी नही चुकता... नही तो पहली बार हथियार उठाने वाला आदमी ढंग से गोली भी नही चला सकता ऑर तुमने सबको 8 गोली मे ही ख़तम कर दिया. ये जान कर अच्छा लगा कि तुम्हारा निशाना अब भी जबरदस्त है.

मैं : शुक्रिया.... जनाब ये पैसे ऑर ड्रग्स का क्या करना है.
ख़ान : अभी तुम इसको अपने पास ही रखो होटेल मे जब कल रात को राणा आएगा तो उसको दे देना ऑर तुम अब मेरी इजाज़त के बिना होटेल से बाहर मत जाना ये फोन भी मुझसे बात करने के बाद तोड़ देना समझ गये.
मैं : ठीक है.
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
RE: Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 01:23 PM

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