Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:21 PM,
#38
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-36

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था इसलिए मैने धीरे-धीरे उसकी गाल को चूमना शुरू कर दिया. अब मेरे हाथ नीचे उसकी कमर पर अपना कमाल दिखा रहे थे ऑर होंठ उसकी गाल पर. उसकी तरफ से कोई विरोध ना होने पर मैने आगे बढ़ने का सोचा ऑर उसकी गाल से होता हुआ साइड से उसके होंठों को भी चूमने लगा पहले तो उसने अपने होंठ सख्ती से बंद कर लिए लेकिन बार-बार मेरे वहाँ चूमने पर उसने भी अपने होंठों को थोड़ा सा खोल दिया. कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैने अपना एक हाथ आगे की तरफ किया ऑर उसके पेट को सहलाने लगा उसका नर्म-ओ-नाज़ुक पेट मुझे ऑर भी मज़ा दे रहा था. मेरा ऐसा करना शायद उसके सबर के बाँध को तोड़ने के लिए काफ़ी था उसने अपनी एक बाजू मेरी गर्दन से निकाली ऑर मेरी कमर मे डालकर मुझे ऑर ज़ोर से अपने से चिपका लिया. ऑर अपनी गर्दन को दूसरी तरफ करके मेरे दूसरे कंधे पर रख लिया. शायद अब वो चाहती थी कि मैं उसकी दूसरी गाल को भी वैसे ही चुमू इसलिए मैने वही अमल उसके दूसरे गाल के साथ भी शुरू कर दिया लेकिन इस बार वो खुद अपनी गाल को मेरे होंठों से जोड़ रही थी ऑर कोशिश कर रही थी कि जल्दी से जल्दी मैं उसके होंठों तक आउ लेकिन मैं इस बार उसके गाल को ही चूम रहा था. नीचे मेरा लंड पूरी तरह जाग गया था ऑर जीन्स मे झटपटा रहा था बाहर निकलने के लिए. अब एक नयी चीज़ हुई उसने जो हाथ मेरी कमर पर रखा था पिछे से उसको मेरी टी-शर्ट मे डाल दिया ऑर मेरी पीठ को सहलाने लगी दूसरा हाथ उसका अब भी मेरी गर्दन पर ही लिपटा हुआ था मैने मोक़े की नज़ाकत को समझते हुए अपना हाथ जो उसकी पीठ सहला रहा था उसको थोड़ा उपर की तरफ करने की कोशिश की लेकिन उसकी कमीज़ पेट से बेहद तंग होने की वजह से मेरा हाथ उपर की तरफ नही जा रहा था क्योंकि उसने टाइट फीतिंग का सूट पहना हुआ था. इसलिए मैने उसकी कमीज़ उतारने की कोशिश की लेकिन इस बार उसने मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर गर्दन को नही मे हिलाया. लेकिन अब मुझसे सबर करना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैने अपने एक हाथ से उसका चेहरा उपर किया ऑर अपने चेहरे के सामने ले आया अब हम दोनो की साँसे एक दूसरे के चेहरे से टकरा रही थी मैने अपनी नाक उसकी नाक से हल्की सी टकराई ऑर फिर पिछे को हो गया उसने जल्दी से मेरा चेहरा अपने दोनो हाथो से पकड़ लिया ऑर मेरे होंठों को पहले हल्के से चूम लिया ऑर फिर बुरी तरह चूसने लगी. अब मैने अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख लिया ऑर उसने फिर से अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे हार की तरफ डाल लिए ऑर लगातार मेरे होंठों को चूसने लगी उसके चूमने मे इतनी क़शिष थी कि मुझे साँस लेने मे भी तक़लीफ़ होने लगी थी इसलिए मैने अपना चेहरा पिछे कर लिया लेकिन उसने फिर से मेरा चेहरा पकड़ लिया ऑर मेरे होंठों पर टूट पड़ी अब उसने अपने दोनो हाथ मेरी टी-शर्ट के गोल गले पर रख लिया जैसे अपने दोनो हाथो को मेरी टी-शर्ट के गले से लटका दिया हो.

मैं समझ चुका था कि अब वो मुकम्मल गरम हो चुकी है इसलिए मैने एक बार फिर उसकी कमीज़ को उपर उठाने की कोशिश की इस बार उसने मेरा हाथ नही पकड़ा लेकिन मेरे होंठों को चूस्ते हुए ही गर्दन को नही मे हिलाने लगी. मैने अपना मुँह पिछे कर लिया उसने फिर से मेरे होंठ चूसने चाहे तो मैने गर्दन मोड़ ली इस बार उसने ज़बरदस्ती मेरी गर्दन को अपने दोनो हाथो से पकड़ा ऑर मेरे फिर से होंठ चूसने लगी साथ ही मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने दाएँ मम्मे पर रख दिया. उसके मम्मी को छुते ही मुझे ऑर उसको भी जैसे करेंट सा लगा क्योंकि उसका मम्मे हीना के मम्मों से भी बड़े थे उनको दबाने से ही मम्मो की सख्ती का अंदाज़ा लगाया जा सकता था. मैं अब दोनो हाथो से उसकी कमीज़ के उपर से उसके मम्मे दबा रहा था ऑर वो मेरे होंठ चूस रही थी. तभी अचानक लाइट आ गई. (यक़ीन करो दोस्तो उस वक़्त मुझे इतना गुस्सा आ रहा था बीजली वालो पर कि कोई बीजली बोर्ड का मुलाज़िम सामने होता तो साले का लंड काट कर फैंक देता. कमीनो ने हर बार ग़लत टाइमिंग पर ही एंट्री मारी.कुछ गुस्सा मुझे अपनी किस्मत पर भी आ रहा था कि साला हर बार मेरे साथ ही ऐसा क्यो होता है.) लाइट आने का नतीज़ा ये हुआ कि जो रिज़वाना पूरी-क़शिष से मेरे होंठ चूस रही थी ऑर मुझसे मम्मे मसलवा रही थी वो एक दम रोशनी हो जाने से घबरा गई ऑर मुझसे दूर हो गई ऑर बेड पर बैठकर अपने सिर पर हाथ रख लिया. मैं समझ नही पा रहा था कि रिज़वाना को अचानक क्या हो गया अभी तो ये एक दम ठीक थी.

मैं : क्या हुआ रिज़वाना

रिज़वाना : (परेशान होते हुए)तुम जाओ यहाँ से.

मैं : लेकिन हुआ क्या

रिज़वाना : (चिल्लाते हुए) मैने कहा ना तुम जाओ यहाँ से एक बार मे बात समझ नही आती.

उसका इस तरह मुझ पर चिल्लाना मुझे अच्छा नही लगा इसलिए मैं बिना कोई जवाब दिया उसके कमरे का गेट ज़ोर से दीवार पर मारता हुआ बाहर निकल गया ऑर अपने कमरे मे जाके लेट गया. मेरा दिल बीजली वालो को हज़ार गालियाँ दे रहा था ऑर खुद पर अफ़सोस भी हो रहा था कि मेरे पास 2 इतने हसीन मोक़े आए जो मैने ऐसे ही ज़ाया कर दिए. साथ ही मुझे रिज़वाना का बर्ताव भी परेशान कर रहा था क्योंकि मैने उसको जब भी देखा था मुस्कराते हुए देखा था लेकिन आज अचानक उसको गुस्सा किस बात पर आया आख़िर क्यो उसने मेरे साथ ऐसा बर्ताव किया. मुझे लगा शायद मैने जल्दी कर दी इसलिए वो नाराज़ थी ऑर मेरी सबसे बड़ी ग़लती ये थी कि मैं हर लड़की को फ़िज़ा ऑर हीना जैसा ही समझ रहा था मुमकिन था वो मुझे पसंद नही करती. ऑर आख़िर पसंद करती भी क्यो उसकी नज़र मे मैं एक अपराधी हूँ अनपढ़-गवार हूँ जिसको कपड़े पहनने तक की अक़ल नही ऑर वो खुद इतनी बड़ी डॉक्टर है इतनी खूबसूरत है... भला वो मुझे पसंद क्यो करेगी इसलिए मैने वहाँ रहना मुनासिब ना समझा ऑर अपना बॅग पॅक करने लगा साथ ही जल्दी से अपने गाँव वाले थैले मे से इनस्प्टेक्टर ख़ान का कार्ड निकाला ऑर बेड के पास पड़े फोन से ख़ान का नंबर डायल कर दिया.

ख़ान : हेलो...हाँ रिज़वाना बोलो इस वक़्त कैसे फोन किया.

मैं : जी मैं नीर बोल रहा हूँ.

ख़ान : हाँ नीर बोलो क्या हुआ कुछ चाहिए क्या.

मैं : जी आप मेरे रहने का इंतज़ाम कहीं ओर कर देंगे तो बेहतर होगा.

ख़ान : अर्रे क्या हुआ रिज़वाना ने कुछ कह दिया क्या.

मैं : जी नही उन्होने कुछ नही कहा बस मेरा यहाँ दिल नही लग रहा आप ऐसा करे मुझे मेरे गाँव ही भिजवा दे तो बेहतर होगा यहाँ बड़े लोगो मे मुझे अजीब सा लगता है मैं ठहरा ज़ाहील-गवार भला मेरा यहाँ क्या काम.

ख़ान : कैसी बच्चों जैसी बात कर रहे हो मैने वहाँ तुमको इसलिए रखा है कि कल से तुम्हारी ट्रैनिंग करवा सकूँ ना की तुमको वहाँ छुट्टियाँ बिताने के लिए समझे.

मैं : जी मुझे आपकी हर बात मंज़ूर है लेकिन अब यहाँ नही रहना चाहता आप चाहे तो मैं आपके दफ़्तर मे सोफे पर सो जाउन्गा लेकिन यहाँ मुझे नही रहना.

ख़ान : तुम रिज़वाना से बात कर्वाओ मेरी.

मैं : जी वो अपने कमरे मे सो रही है.

ख़ान : ठीक है फिर सुबह होते ही उसको बोलना मुझसे बात करे. ऑर नीर यार आज की रात तुम कैसे भी वहाँ गुज़ार लो कल मैं तुम्हारा कही ऑर इंतज़ाम कर दूँगा ठीक है.

मैं : जी शुक्रिया.

उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर वही सोफे पर बैठा गर्दन नीचे किए आँखें बंद करके अपनी ग़लती पर पछटाने लगा कि मैं यहाँ आया ही क्यो था. तभी मुझे कुछ गीलापन अपने पैर पर महसूस हुआ मैने आँखें खोलकर देखा तो रिज़वाना मेरे पैरो के पास मुँह नीचे करके बैठी थी ऑर शायद रो रही थी इसलिए उसके आँसू मेरे पैरो पर गिर रहे थे.

मैं : अर्रे रिज़वाना जी आप...आप रो रही है....देखिए मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ आगे से ऐसी ग़लती नही होगी.

रिज़वाना : (रोते हुए) हाँ ग़लती होगी भी कैसे मुझे छोड़कर जो जा रहे हो.

मैं : जीिीइ...क्या

रिज़वाना : मैने सब सुन लिया है जो तुम ख़ान को बोल रहे थे.

मैं : जी मेरी ग़लती थी इसलिए मेरा यहाँ रहना सही नही है. मुनासिब होगा मैं यहाँ से चला जाउ. आप रोइए मत अगर आप कहेंगी तो मैं अभी चला जाउन्गा लेकिन आप रोइए मत.

रिज़वाना : जाके भी दिखाओ.....(मेरे दोनो हाथ मज़बूती से पकड़ते हुए) मुझे माफ़ नही कर सकते नीर (रोते हुए मेरे घुटने पर अपने चेहरा रखते हुए)

मैं : (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) जी आप क्या कह रही है मुझे कुछ समझ नही आ रहा.

रिज़वाना : मैं एक दम घबरा गई थी नीर ऑर उसी चक्कर मे तुम पर गुस्सा हो गई. तुमसे पहले कोई मेरे इतना करीब नही आया कभी इसलिए अचानक जब तुम पास आए तो मैं डर गई थी ओर सब कुछ भूलकर तुम पर गुस्सा हो गई.

मैं : कोई बात नही वैसे भी ग़लती मेरी थी (मुस्कुराते हुए) आप नीचे क्यो बैठी है पहले आप उपर आके बैठो ऑर रोना बंद करो

रिज़वाना : (मेरे साथ बैठते हुए ऑर बिना कुछ बोले मुझे गले लगाते हुए) आम सॉरी नीर मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ मुझे तुम पर इस तरह चिल्लाना नही चाहिए था.

मैं : कोई बात नही... वैसे मैं आपसे नाराज़ नही हूँ रिज़वाना जी.

रिज़वाना : फिर मुझे छोड़कर क्यो जाना चाहते हो.

मैं : (रिज़वाना की बाजू अपने गले से निकालते हुए)ताकि वो ग़लती दुबारा ना हो.

रिज़वाना : अगर कोई अब तुम्हारे बिना ना रह सकता हो तो....ऑर अब तुम कुछ भी कर लो मैं मना नही करूँगी मैं डर गई थी सॉरी....

मैं : कोई किसी के बिना नही मरता रिज़वाना जी.....ऑर आपने ठीक किया. मेरे जैसा अनपढ़-गवार आपके किसी काम का नही.

रिज़वाना : (फिर से मुझे गले लगाते हुए) मुझे नही पता तुम मे ऐसा क्या है लेकिन अब मैं तुमसे दूर नही रह सकती. 1 दिन मे जाने तुमने मुझ पर क्या जादू कर दिया है. मुझे छोड़कर मत जाओ प्लीज़....

मैं : लेकिन अब तो मैने ख़ान को बोल दिया है

रिज़वाना : उसकी फिकर तुम मत करो मैं हूँ ना ख़ान को मैं देख लूँगी बस कल तुम नही जाओगे समझे. यही रहोगे मेरे पास....

मैं : जैसी आपकी मर्ज़ी....लेकिन आज के बाद मैं आपके कमरे मे नही आउन्गा.

रिज़वाना : ठीक है मत आना अब मैं भी उस कमरे मे नही जाउन्गी वही रहूंगी जहाँ तुम रहोगे. चलो अब मेरी कसम खाओ मुझे छोड़कर नही जाओगे.

मैं : आप जब जानती है कि जो चीज़ हो नही सकती फिर उसके लिए कसम क्यो दे रही है.

रिज़वाना : तुम ख़ान का काम कर दो फिर तुम आज़ाद हो उसके बाद हम दोनो रह सकते हैं यहाँ हमेशा के लिए.

मैं : जी नही मैं यहाँ नही रह सकता काम होने के बाद मैं मेरे घर चला जाउन्गा मेरे गाँव मे मेरी ये जिंदगी अब उनकी दी हुई है. आज अगर मैं ज़िंदा हूँ तो ये उनका ''अहसान" है मुझ पर.

रिज़वाना : क्या मैं भी उस परिवार का हिस्सा नही बन सकती. मैं तुम्हारे लिए अपना सब कुछ छोड़ने को तेयार हूँ.

मैं : (हँसते हुए) कहना बहुत आसान है रिज़वाना जी लेकिन करना बहुत मुश्किल.

रिज़वाना : ठीक है फिर तुम ख़ान का काम कर दो उसके बाद मैं भी ये नौकरी छोड़ दूँगी जहाँ तुम रखोगे जिस हाल मैं रखोगे मैं रहने को तैयार हूँ. ऑर आज के बाद खुद को अनपढ़-गवार मत कहना.

मैं : लेकिन मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नही है अपना घर भी नही सब कुछ बाबा का है.

रिज़वाना : कौन कहता है तुम्हारे पास कुछ नही तुम्हारे पास इतना प्यार करने वाला दिल है ऑर एक लड़की को इससे ज़्यादा कुछ नही चाहिए होता. तुम नही जानते नीर इतने साल मैने कैसे गुज़ारे है आज मेरे पास सब कुछ होके भी कुछ नही है. बचपन मे ही माँ-बाप गुज़र गये फिर बड़ी हुई तो डॉक्टर बन गई ऑर अब सारा दिन दूसरो का ख्याल रखती हूँ लेकिन असल मे आज तक किसी ने मेरा ख्याल नही रखा मैं बचपन से अकेली ही रहती आ रही हूँ. आज तुम आए मेरी जिंदगी मे ऑर जैसे मेरा ख्याल रखा ऐसा कभी किसी ने नही किया मेरे लिए. अब मेरी किस्मत देखो एक इंसान मिला जो मेरी इतनी फिकर करता है मेरे लिए लड़ता है ऑर मैने उसको भी नाराज़ कर दिया ऑर अब तुम भी मुझे छोड़कर चले जाओगे. (फिर से रोते हुए)

मैं : नही जाउन्गा अब रोना बंद करो चलो. (रिज़वाना की गाल पर लगे आँसू सॉफ करते हुए)

रिज़वाना : मेरी कसम खाओ.

मैं : अगर लौटकर वापिस आ गया तो नही जाउन्गा अगर नही आ सका तो....

रिज़वाना : (मेरे मुँह पर हाथ रखते हुए) ऐसा मत बोलो (फिर से मुझे गले लगाते हुए)

मैं : अच्छा ठीक है रिज़वाना जी काफ़ी रात हो गई है अब आप सोने जाओ मैं भी सो जाता हूँ सुबह ख़ान ने बुलाया भी है.

रिज़वाना : ठीक है.

वो बिना कुछ बोले उठी ऑर मेरे बिस्तर पर जाके बैठ गई ऑर मैं बस उसको देख रहा था.

मैं : रिज़वाना जी आप यहाँ सोएंगी.

रिज़वाना : (बिना कुछ बोले हाँ मे सिर हिलाते हुए)

मैं : ठीक है फिर मैं यहाँ सो जाता हूँ. (सोफे पर लेट ते हुए)

रिज़वाना : चुप करके यहाँ आओ नही तो मैं फिर से रोने लग जाउन्गी.

मैं : (सोफे से उठते हुए) अब क्या हुआ

रिज़वाना : लाइट ऑफ करो ऑर यहाँ आके लेटो मेरे साथ. (मुस्कराते हुए)

मैं : लेकीन्न्न....
रिज़वाना : लेकिन-वेकीन कुछ नही चलो लाइट ऑफ करके यहाँ आओ.

मैं बिना कुछ बोले गया ऑर लाइट ऑफ करके आ गया ऑर बिना कुछ बोले रिज़वाना के साथ लेट गया रिज़वाना मेरी तरफ मुँह करके लेटी थी ऑर मुस्कुरा रही थी.

रिज़वाना : नीर अभी तक नाराज़ हो.

मैं : नही तो.....क्यो.

रिज़वाना : पास आओ ना मेरे.

मैं : (करवट बदलकर रिज़वाना के करीब जाते हुए) अब ठीक है

रिज़वाना : (मेरे होंठ चूमते हुए) रात को भी जीन्स टी-शर्ट पहनकर सोने का मूड है.

मैं : तो क्या पहनु तुमने ही तो गाँव वाले कपड़े पहन ने से मना किया था.

रिज़वाना : अर्रे आज ही तो इतने सारे कपड़े लेके आए हैं जाओ जाके शॉर्ट्स पहन लो.

मैं : (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे)शॉर्ट्स क्या...

रिज़वाना : रूको मैं लेकर आती हूँ.

रिज़वाना उठी ऑर जाके मेरे शॉपिंग बॅग्स मे झाँकने लगी 5-6 बॅग्स मे देखने के बाद उसने एक मे हाथ डाला ऑर देखकर मेरी तरफ फेंक दिया.

रिज़वाना : जाओ ये पहन आओ...रात को टाइट कपड़े पहनकर नही सोना चाहिए.

मैं : अच्छा... (उठकर बाथरूम मे जाते हुए)

जब मैं कपड़े बदलकर वापिस आया तो रिज़वाना एक चद्दर लिए लेटी हुई थी.

मैं : अर्रे इतनी गर्मी मे चद्दर क्यो ली है.

रिज़वाना : पास आओगे तो पता चलेगा ना...

मैं : (बिना कुछ बोले बेड पर लेट ते हुए) अब ठीक है.

रिज़वाना : (मेरी चेस्ट पर हाथ फेरते हुए) एम्म्म बॉडी अच्छी बनाई है.

मैं : शुक्रिया.

रिज़वाना : चलो अब तुम भी चद्दर मे ही आ जाओ.

मैं : क्यो...

रिज़वाना : आओगे तो पता चलेगा ना.
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Kamukta Kahani अहसान - by sexstories - 07-30-2019, 12:53 PM
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