Kamukta Kahani अहसान
07-30-2019, 01:07 PM,
#23
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-20
कुछ देर वो मेरे साथ ऐसे ही पड़ी रही फिर थोड़ा उपर को होते हुए मेरी गाल पर अपनी उंगलियों की मदद से मेरे चेहरे को अपनी तरफ किया ऑर कुछ देर मुझे देखती रही उसकी साँस तेज़ चल रही थी जो मुझे अपने चेहरे पर भी महसूस हो रही थी. फिर उसने धीरे से मेरे कान मे कहा

नाज़ी : जाग रहे हो क्या

मैं खामोश होके लेटा रहा जब उससे यक़ीन हो गया कि मैं सोया पड़ा हूँ तो उसने मेरी गाल पर हल्के से चूम लिया उसने मेरा चेहरा अपनी उंगलियो की मदद से अपनी तरफ किया हुआ था ऑर मुझे चूमने के बाद जैसे उसकी उंगलियो से जान ही ख़तम हो गई हो उसकी साँस भी बहुत तेज़ चल रही जो मुझे अपने चेहरे पर मेसूस हो रही थी. उसके हाथ ओर उंगालियन काँप रही थी कुछ देर वो ऐसे ही मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर मेरे साथ लेती रही ओर अपने काँपते हाथो से मेरी छाती पर अपना हाथ फेरती रही फिर वो उठी ओर हल्के से मेरे कान मे बोली....

नाज़ी : जो तुमने माँगा था मैने दे दिया है अगली बार तुमको माँगने की ज़रूरत नही है.

उसने फिर एक बार मेरी गाल पर चूम लिया ऑर इस बार उसने हल्के-हल्के से 15-16 बार मेरे गाल को लगातार चूमा. मुझसे अब ऑर सबर नही हो रहा था मेरा लंड भी खड़ा होके पाजामे मे टेंट बना चुका था इसलिए मैने करवट ले ली ऑर उसके चेहरे के सामने अपना चेहरा कर दिया साथ ही उसकी कमर मे अपने हाथ डाल लिया जैसे लेटे हुए ही उसको गले से लगा रहा हूँ. अब वो पूरी तरह मेरी बाहो मे थी ऑर मेरा लंड उसकी टाँगो के बीच फसा हुआ था मेरी इस हरकत से वो एक दम डर गई ऑर वही सुन्न हो गई जैसे जम गई हो. मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो गया था कि वो मुझे सोता हुआ समझकर ही ये सब कर रही थी ये मैने क्या किया इसलिए फिर से बिना कोई हरकत किए वैसे ही लेटा रहा ताकि उसको यही लगे कि मैने नींद मे ही करवट ली है. कुछ देर मैं वैसे ही उसको अपनी बाहो मे लिए पड़ा रहा उसका सिर मेरी नीचे वाली बाजू पर था जो मैने घुमा कर उसकी पीठ के पिछे रखा हुआ था ऑर दूसरे हाथ मैने उसकी कमर पर रखा हुआ था ऑर मेरी एक टाँग अब उसके उपर थी. कुछ देर वो ऐसे ही बिना कोई हरकत किए मेरे साथ लेटी रही जब उसे यक़ीन हो गया कि मैं सोया हुआ हूँ तो उसने फिर से एक बार मेरा नाम पुकारा ऑर वही जुमला फिर से दोहराया...

नाज़ी : नीर जाग रहे हो क्या....

जब मेरी तरफ से कोई जवाब नही आया तो उसे यक़ीन हो गया कि मैने नींद मे ही करवट ली है अब वो मुझसे ऑर चिपक गई ऑर अपनी एक बाजू मेरी कमर मे डाल कर मेरे ऑर करीब हो गई उसकी छातीया अब मुझे अपने सीने पर महसूस हो रही थी ऑर उसकी गरम साँसे मुझे अपने गले पर महसूस हो रही थी उसने हल्का सा अपना चेहरा उठाया ऑर फिर से मेरी गाल पर एक बार फिर चूम लिया अब उसने मेरा एक बाजू जो उसकी कमर पर था उसको एक हाथ से उठाया ऑर उसको अपने हाथो मे थाम लिया फिर धीरे-धीरे मेरे हाथ पर ऑर मेरे हाथ की उंगलियो पर चूमने लगी. फिर खुद ही मेरा हाथ अपनी गाल पर रखकर अपने गाल सहलाने लगी उसके गाल बहुत नाज़ुक थे जिनका अहसास मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. फिर उसने हल्के से मेरी टाँग जो मैने उसके उपर रख दी थी उसको धीरे से नीचे की ओर धकेला ताकि वो अपने उपर से मेरी टाँग हटा सके. अब सिर्फ़ मेरा नीचे वाला बाजू ही उसके सिर के नीचे था जिस पर वो सिर रखे हुए लेटी रही. काफ़ी वक़्त गुज़र गया लेकिन अब उसने कोई हरकत नही की ओर वो ऐसे ही मेरे कंधे पर अपने सिर रखकर लेती रही शायद वो मुझे देख रही थी.

थोड़ी देर लेटे रहने के बाद वो उठी ऑर धीरे से बिस्तर पर पहले बैठी ऑर फिर मेरे चेहरे पर 2-3 बार चूम लिया ऑर फिर वो खड़ी होके चली गई फिर मुझे दरवाज़ा खुलता हुआ दिखाई दिया ऑर वो बाहर को निकल गई. मैं बस उसको जाते हुए देखता रहा. मुझे अब ये समझ नही आ रहा था कि ये नया किस्सा कौनसा खुल गया ये कहाँ से आ गई मैं तो फ़िज़ा का इंतज़ार कर रहा था. काफ़ी देर मैं ऐसे ही लेटा रहा लेकिन फ़िज़ा नही आई मैने सोचा चलकर देखता हूँ कि क्या हुआ है आना तो फ़िज़ा को चाहिए था ये नाज़ी कहाँ से आ गई इसलिए मैं बिस्तर से उठा ऑर दबे कदमो के साथ फ़िज़ा के कमरे की तरफ बढ़ने लगा वहाँ जाके देखा तो फ़िज़ा ऑर नाज़ी की आवाज़ आ रही थी.


फ़िज़ा : नाज़ी कब तक बैठी रहोगी आधी रात हो गई है अब तुम भी सो जाओ

नाज़ी : भाभी आप सो जाओ मुझे अभी नींद नही आ रही जब नींद आएगी तो सो जाउन्गी

फ़िज़ा : जैसी तुम्हारी मर्ज़ी मुझे तो बहुत नींद आ रही है मैं सोने जा रही हूँ.

नाज़ी : अच्छा भाभी आप सो जाओ मैं भी थोड़ी देर मे सो जाउन्गी


मैं बाहर खड़ा उन दोनो की बाते सुन रहा था अब मुझे समझ आ गया कि फ़िज़ा क्यो नही आ सकी क्योंकि नाज़ी जाग रही थी. मैं वापिस अपने कमरे मे आके अपने बिस्तर पर लेट गया अब मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था कि इतना अच्छा मोक़ा था मैं नाज़ी को चोद सकता था लेकिन मैने उसको जाने क्यो दिया अब ना मुझे फ़िज़ा मिली ना ही नाज़ी यही सब बाते मे सोच रहा था कुछ देर मे मुझे नींद ने अपनी आगोश मे भी ले लिया. सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैं अपने रोज़ के कामो से फारिग होके तैयार हो गया सुबह नाश्ते पर मैं ओर नाज़ी साथ मे बैठे नाश्ता कर रहे थे ऑर फ़िज़ा अंदर रसोई मे थी. जैसे ही फ़िज़ा मुझे नाश्ता देने आई तो मैने गुस्से से उसकी तरफ देखा जिस पर उसने गंदा सा मुँह बना लिया ऑर नाज़ी की तरफ इशारा किया फिर मेरा ऑर नाज़ी का नाश्ता रखकर वापिस रसोई मे चली गई. नाज़ी मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी ऑर नाश्ता कर रही थी.

मैं : क्या बात है आज बड़े दाँत निकल रहे हैं तुम्हारे.

नाज़ी : लो जी अब मैं हँस भी नही सकती

मैं : तुम्हारे दाँत है जीतने चाहे दिखाओ

नाज़ी : हमम्म.... आज तुम बड़ी देर तक सोते रहे

मैं : पता नही रात को नींद बहुत अच्छी आई.

ये सुनकर नाज़ी शर्मा सी गई ऑर मुँह नीचे कर लिया ऑर मुझसे पूछा...

नाज़ी : क्यो रात को क्या खास था

मैं : पता नही लेकिन बहुत अच्छी नींद आई (ज़ोर से बोलते हुए...क्योंकि मैं फ़िज़ा को ये सब सुना रहा था)

नाज़ी : ज़ोर से क्यो बोल रहे हो मैं बहरी नही हूँ धीरे भी तो बोल सकते हो ना

मैं : अच्छा...अच्छा बाते ख़तम करो ऑर जल्दी से नाश्ता खाओ फिर खेत भी जाना है.

उसके बाद हम दोनो खामोश होके नाश्ता करते रहे ऑर फ़िज़ा बार-बार रसोई मे से चेहरा निकालकर मुझे देख रही थी ऑर अपने कानो पर हाथ लगा रही थी मैने चेहरा घुमा लिया ऑर अपना नाश्ता ख़तम करने लगा. नाश्ता करके हम उठे तो फ़िज़ा फॉरन मेरे पास आई

फ़िज़ा : कितने बजे तक वापिस आओगे

मैं : जितने बजे रोज़ आता हूँ आज क्यो पूछ रही हो

फ़िज़ा : नही कुछ नही वैसे ही बस

मैं : (नाज़ी की तरफ देखते हुए) चले नाज़ी

नाज़ी : हाँ चलो (मुस्कुराते हुए)

फ़िज़ा बार-बार नाज़ी के पीछे खड़ी अपने कानो पर हाथ लगा रही थी ऑर मुझसे रात के लिए माफी माँग रही थी लेकिन मैं उसकी तरफ ध्यान नही दे रहा था. फिर मैं ऑर नाज़ी खेत के लिए निकल गये ऑर दिन भर काम मे लगे रहे. शाम को नाज़ी सब समान समेट रही थी ऑर उनकी मुकम्मल जगह पर सारा समान रख रही थी. मैं दिन भर के काम ऑर खेतो की मिट्टी से काफ़ी गंदा हुआ पड़ा था इसलिए नाले मे अपने हाथ पैर अच्छे से धो रहा था मेरे साथ नाज़ी भी अपने हाथ पैर धोने के लिए आ गई ऑर मेरे पास ही बैठ गई. नाज़ी के हाथ-पैर धोने के बाद मैने उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा ऑर उसकी तरफ अपने साफ़ा कर दिया जिसे उसने हँस कर पकड़ लिया ऑर अपने हाथ ऑर बाजू पोंच्छने लगी. अभी उसने अपनी बाजू ही पोन्छि थी कि मैने उससे अपना साफा वापिस खींच लिया वो सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखने लगी मैं नीचे बैठा ऑर खुद उसके पैर ऑर टांगे पोंच्छने लगा ऑर उसकी तरफ एक बार नज़र उठाके देखा वो मुझे ही देखकर मुस्कुरा रही थी. हम दोनो मे कोई बात नही हो रही थी बस एक दूसरे से मुस्कुरा कर आँखो ही आँखो मे बात कर रहे थे.


उसके हाथ पैर सॉफ करने के बाद मैं अपने पैर पोंछ रहा था कि उसने मेरा साफा खींच लिया ऑर गर्दन से नही मे इशारा किया ऑर खुद मेरे पैर पोंछने लगी मुझे उसकी ये अदा बहुत अच्छी लगी ऑर मैं प्यार भरी नज़रों से उसकी तरफ देखने लगा वो बस मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी ऑर अपने काम मे लगी हुई थी मैने उसको उसकी दोनो बाजू से पकड़ा तो वो मुझे देखने लगी.

मैं : पास आओ
नाज़ी : (नज़रे झुकाकर) पास ही तो हूँ

मैं : और पास आओ

नाज़ी : (थोड़ा ऑर नज़दीक आते हुए) अब ठीक है.

मैं : और पास

नाज़ी : क्या है क्यो तंग कर रहे हो

मैं : सुना नही क्या कहा मैने

नाज़ी : (ना मे सिर हिलाते हुए)

मैने उसे कंधे से पकड़ा ऑर अपने सीने से लगा लिया.

नाज़ी : (तेज़-तेज़ साँस लेते हुए) छोड़ो ना कोई आ जाएगा

मैं : कोई नही आएगा

नाज़ी : (खामोशी से मेरे सीने से लगी रही) हमम्म

मैं : एक पप्पी दो ना

नाज़ी : थप्पड़ खाना है (हँसते हुए)

मैं : क्यो

नाज़ी : उउउहहुउऊ (ना मे सिर हिलाते हुए)

मैने अपने दोनो हाथो से उसके चेहरे को पकड़ा ऑर उसकी आँखो मे देखने लगा. वो खामोश होके कुछ देर मेरी आँखों मे देखती रही ऑर फिर अपनी आँखें बंद कर ली. शायद वो भी यही चाहती थी मैं धीरे-धीरे अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब ले गया उस वक़्त उसकी साँस बहुत तेज़ चल रही थी.

मैं : आँखें खोलो

नाज़ी : (आँखें खोलते हुए) हमम्म

मैं : नही.....(मुस्कुराते हुए)

नाज़ी : (मुस्कुराते हुए ना मे सिर हिलाते हुए)

मैं : ठीक है फिर थप्पड़ ही मार दो मैं तो करने जा रहा हूँ

नाज़ी : (फिर से आँखें बंद करते हुए)
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