RE: non veg kahani आखिर वो दिन आ ही गया
जो चीजें हमने साहिल पर से लाकर रखीं वह कुछ यूँ थीं। एक बड़ा संदूक जिसमें चंद कपड़े औरतों के लिए, दो मोटे कोट लेडीज़, बहुत से ब्लेड उस्तरे के, माचिसों के बंडल, मोमबत्तियाँ, शराब की काफी बोतलें, मट्टी का तेल (केरोसिन ओयल) खुश्क गोश्त के पर्चे, मछली पकड़ने का जुमला सामान और उनके साथ एक बड़ा जाल, चंद औजार, और एक बड़ी कुल्हाड़ी (आक्स)।
यह थीं वह चीजें जो हमें मिली। अप्रेल का महीना था साल 1938। मेरी उमर उस वक्त 9 साल, मेरी बहन राधा की उमर 15 साल, और छोटी बहन की उमर 6 साल। आप जानते हैं यह बहुत कम उमरें होतीं हैं जब की हालात कुछ यूँ थे की हम एक अंजान साहिल पर पड़े थे, हमको नहीं पता था की दुनियाँ के किस हिस्से में हैं और कब तक यहाँ रहेंगे। अभी तो पहला दिन था यहाँ और हम यह उम्मीद लगाए साहिल पर ही बैठे थे की अभी कोई जहाज आएगा और हमको यहाँ से ले जाएगा। लेकिन हम नहीं जानते थे यह बात की हमने अपनी उमर का एक बड़ा हिस्सा यहाँ गुजारना है। यही हमारी तकदीर में लिख दिया गया था और तकदीर का लिखा अमिट होता है दोस्तो। अब बस मुझको इजाज़त दें बहुत जल्द अपनी दास्तान पूरी करूँगा
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