RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
मेरी पुत्र वधू की भतीजी कम्मो मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी लेकिन कोई मौक़ा नहीं मिल रहा था तो वो निराश हो चुकी थी.
मैं कम्मो से कुछ और कहने ही वाला था कि अदिति बहूरानी मेरी ओर आती दिखाई दी साथ में उसके चाचा जी भी थे.
“भाई साब, मैं आपको एक कष्ट देना चाहता हूं, अगर आप अन्यथा न लें तो?” अदिति के चाचा जी बोले.
“अरे कैसी बात करते हैं. आप तो आदेश दें मुझे. बताएं क्या करना है?” मैंने विनम्रता से कहा.
“देखिये बारात तो तैयार ही है और निकलने ही वाली है. आपको सिर्फ एक काम करना है कि बारात निकलने के बाद सारे कमरे आपको लॉक करने हैं बस. यहां चौकीदार रहता है बाकी वो देखता रहेगा, ये लीजिये चाभियां!” अदिति के चाचाजी बोले और चाभियों का गुच्छा मुझे थमा दिया.
“आप बेफिक्र रहें. सबके निकलने के बाद मैं सारे कमरे लॉक करके बारात में शामिल हो जाऊंगा, कोई कीमती सामान तो नहीं रखा है न?” मैंने उन्हें आश्वस्त किया और चाभियां उनसे ले लीं.
“अरे ऐसा कोई कीमती सामान नहीं है, पर सब जगह ताला तो लगाना ही पड़ेगा न!” उन्होंने कहा और अदिति को साथ लिए निकल लिए.
कम्मो मेरे पास ही खड़ी थी. अचानक मेरे दिमाग की ट्यूबलाइट भक्क से जल उठी. अब पूरी धर्मशाला मेरी थी. मैंने कम्मो के सामने चाभियों का गुच्छा लहराया तो उसने प्रश्नवाचक दृष्टि से मुझे देखा.
“अरे अब जगह ही जगह है अपने पास!” मैंने हंस कर कहा. मेरी सारी दुविधा, सारी भव बाधा किसी ने हर ली थी.
“मतलब?” वो बोली.
“देख कम्मो, अब मना मत करना प्लीज. बारात के यहां से निकलते ही मुझे सारे कमरे लॉक करके चाभियां अपने पास रखनी हैं फिर सारे कमरे हमारे; हम कुछ करें, यहां पर कोई देखने टोकने वाला नहीं रहेगा” मैंने खुश होकर कहा.
“अच्छा, और शादी में नहीं जाना क्या? कोई हमें पूछेगा तो क्या होगा?” वो बात को समझते हुए बोली.
“अरे तू ध्यान से तो सुन पहले. तुझे भी सब लेडीज के साथ बारात के साथ निकल जाना है. सब लोग डी जे पर नाचते हुए जायेंगे. यहां से ताला लगा कर मैं भी बारात में शामिल हो जाऊंगा.” इतना कह कर मैंने उसके ओर देखा.
“फिर?” उसकी संदेह भरीं नज़रें उठीं.
“अरे सुन तो सही, इस तरह हम सब बारात के संग संग चलेंगे. डांस वांस करके फोटो खिंचवा के हम लोग धीरे से बारात के पीछे होते जायेंगे और फिर चुपके से निकलकर यहीं धर्मशाला में आ जायेंगे. चाभियां तो मेरे पास ही हैं अब. धर्मशाला सुनसान रहेगी, हमें कोई देखने टोकने वाला नहीं होगा और हम मजे से दो घंटे तक तूतक तूतक तूतिया … आई लव यू करेंगे.” मैंने प्रसन्न होकर कहा.
“अच्छा, और कोई पूछेगा कि कम्मो कहां गयी तो, किसी ने आपको ही पूछ लिया तो फिर क्या होगा?”
“तू पगली है, अरे बारात में किसी को क्या होश रहता है कि कौन कहां है. आधे से ज्यादा लोग दारु पी कर टुन्न हैं वे तो डांस करेंगे और नोट उड़ायेंगे, लेडीज को भी नाचने और फोटो खिंचाने से ही फुर्सत नहीं होगी. ऐसे में किसी को क्या होश रहता है कि कौन कहां हैं. तू अपना फोन स्विच ऑफ करके रखना मेरा फोन ऑन रहेगा. हम लोग धर्मशाला में आराम से एक डेढ़ घंटे रुकेंगे, इतनी देर में मैं तुझे अच्छे से अपनी बना लूंगा; हम लोग निपट कर फिर वापिस बारात में शामिल हो जायेंगे; अरे किसी को कुछ पता नहीं चलने वाला कि कौन आया कौन गया.” मैंने उसे प्यार से समझाया.
“फिर भी. अंकल जी, मेरी हिम्मत नहीं है इतना करने की. रहने दो आप तो. आपको आना हो तो मेरे गांव ही आ जाना बस और वहीं पर आराम से बिना किसी डर के करना जो करना हो!” उसने अपना फैसला सुनाया.
“अरे तू ठीक से समझ तो सही. लड़की वालों के यहां तक बारात पहुँचते पहुँचते कम से कम दो घंटे तो लगेंगे ही. इतने में हम मिल लेंगे; एक दूसरे में समा जायेंगे और अपनी इच्छा पूरी करके वापिस लौट कर शादी में शामिल हो जायेंगे. अरे किसी को किसी की खबर नहीं रहती ऐसे माहौल में. बस तू थोड़ी सी हिम्मत तो कर!” मैंने उसका डर दूर करने का प्रयास किया.
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