RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
बहू की चूत से फचाफच फच्च फच्च फचाक जैसी आवाजें आने लगीं और ऐसी चुदाई से बहू पूरी तरह से मस्ता गयी.“आई लव यू पापा … मेरी जान … मेरे राजा … फाड़ के रख दो मेरी चूत अपने लंड से. बहुत ही ज्यादा तंग करती है मुझे ये!” बहूरानी मिसमिसा कर बोली.
“हां बेटा जी, अभी लो!” मैंने कहा और लंड को उनकी चूत से बाहर निकाल कर पास पड़े घाघरे से अच्छे से पौंछा और फिर उनकी चूत को भी बाहर भीतर से अच्छे से पौंछ दिया और फिर से उनकी दहकती बुर में धकेल दिया. चिकनाहट थोड़ी कम हो जाने से लंड अब टाइट जा रहा था चूत में.
बहूरानी ने अपने पैर सीधे कर लिए थे और अब एड़ियों पर से उचक उचक कर मेरा लंड अपने चूत में दम से लील रही थी और मेरे धक्कों के साथ ताल में ताल मिलाती हुई अपनी जवानी मुझ पर लुटा रही थी.
ऐसे कोई तीन चार मिनट तक मेरी बहू अपने ससुर से चुदाई का मज़ा लेती रही, फिर …“पापा जी, अब मैं आपके ऊपर आऊँगी. अपना मज़ा मैं अपने हिसाब से लूंगी और चुदाई का कंट्रोल मैं अपने पास रखूंगी आप तो चुपचाप लेटे रहना!” बहूरानी मुझे चूम कर बोली.“ठीक है मेरी गुड़िया बेटा … आजा अब मेरी सवारी कर तू!” मैंने कहा और बहू के ऊपर से उतर कर लेट गया और मिठाई का एक डिब्बा अपने सिर के नीचे तकिये की तरह लगा लिया.
बहूरानी मेरे ऊपर झट से सवार हो गयी और मेरे लंड को मेरे पेट पर लिटा कर अपनी चूत से दबा लिया और आगे पीछे होकर इस पर अपनी चूत घिसने लगी या यूं कह लो कि वो अपनी चूत से मेरे लंड की मालिश करने लगी; उसकी चूत से लगातार रस की नदिया बहे जा रही थी और मेरा लंड, झांटें, जांघें सब भीग रहे थे.
दो तीन मिनट ऐसे ही मजे लेने के बाद बहूरानी ने थोड़ा सा ऊपर उठ कर लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट किया और उसे भीतर लेते हुए मेरे ऊपर बैठ गयीं और उनकी चूत सट्ट से मेरा लंड निगल गयी.
फिर बहूरानी मेरे ऊपर झुक गयी; उसके खुले बाल मेरे मुंह पर आ गिरे जिसे उसने मेरे सिर के पीछे करके मेरे मुंह पर एक घरोंदा सा बना दिया और अपनी कमर चलाते हुए मुझसे आंख मिलाते हुए मुझे चोदने लगी. उसके मम्में मेरी छाती पर झूल रहे थे जिन्हें मैंने पकड़ कर झूलने से रोक दिया और उन्हें दबाते हुए बहू के धक्कों का आनन्द लेने लगा.
मेरे ऊपर चढ़ कर गजब की चुदाई की मेरी बहू ने … अपनी चूत से उसने आड़े तिरछे खड़े लम्बवत शॉट्स लगा लगा कर मेरे लंड को निहाल कर दिया.
ऐसे करते करते वे कुछ ही देर में थक गयी- पापाजी बस … अब नांय है मेरे बस का. मुझे अपने नीचे लिटा लो!वो उखड़ी सांसों से बोली.“आजा बेटा, बहुत मेहनत कर ली मेरी प्यारी बहू ने!” मैंने अदिति को चूमते हुए कहा और उसे अपने नीचे लिटा कर उस पर छा गया.
बहूरानी ने झट से अपने पैर ऊपर उठा लिये और अपनी चूत हवा में उठा दी. मैंने देखा कि उसकी चूत का छेद पांच रुपये के सिक्के के बराबर खुला हुआ दिख रहा था और उसके आगे अंधेरी गुफा की सुरंग सी दिख रही थी.मेरे ऐसे देखने से बहूरानी थोड़ा लजा गयी और उसने मेरा सिर अपने मम्मों पर दबा दिया और लंड पकड़ कर उसे ज़न्नत का रास्ता दिखा दिया.
मैंने भी लंड को धकेल दिया अन्दर की तरफ और ताबड़तोड़ शॉट्स लगाने लगा; बहूरानी भी किलकारियां निकालती हुयी चुदने लगी और जल्दी ही वो मेरी पीठ ऊपर से नीचे तक सहलाते हुए, मुझे अपने से लिपटाते हुए अपनी चूत मेरे लंड पर जोर जोर से मारने लगी; उसके इन संकेतों से मैं भलीभांति परिचित था; वो झड़ने की कगार पर आ चुकी थी.
“पापा, संभालो मुझे, कस के पकड़ लो मुझे. मैं तो आ गयी!” वो बोली और मुझसे जोंक की तरह लिपट गयी और अपने पैर मेरी कमर में लॉक कर दिए और उसकी चूत में बाढ़ जैसे हालात हो गये चूत से जैसे झरना बह निकला.इधर मैं भी चुक गया और मेरे लंड ने भी रस की पिचकारियां छोड़नी शुरू कर दीं.
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