RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
जब लाइट जली तो बहूरानी एक झीनी सी पिंक नाइटी में नजर आयीं और अपनी पहनी हुई साड़ी वगैरह तह करके रखने लगी.बहूरानी की पारदर्शी नाइटी, जो सामने से खुलने वाली थी, में से उसके गुलाबी जिस्म की आभा दमक रही थी; उसने ब्रा या पैंटी कुछ भी नहीं पहना था. उसके तने हुए ठोस मम्मों पर नाइटी ऐसी लग रही थी जैसे खूँटी पर टंगी हो और उसकी पुष्ट जांघें देख कर और उसके मध्य स्थित उसकी रसीली गद्देदार चूत की कल्पना करके ही लंड में तनाव भरना शुरू हो गया.
बहूरानी चेंज करने के बाद मेरे सामने ही बैठ गयी और किसी मैगज़ीन को पलटने लगी. इधर मैं अपनी ड्रिंक सिप करता रहा और अपने फोन से बहूरानी को शूट करता रहा. कभी उसकी नाइटी घुटनों तक सरका के उसको शूट करता रहा कभी उसका एक पैर ऊपर मोड़ के जिससे उसकी जांघ का कुछ हिस्सा मेरे कैमरे के हिस्से में भी आ जाए.
मेरे यूं उसके फोटो शूट करने से बहूरानी मुझे कभी गुस्से से देखती हुई मना करती. लेकिन उसने मुझे मेरी मनमानी करने दी. बहूरानी अपने भाई की शादी में जा रही थी तो उसके हाथ पैरों में रची मेहँदी, आलता नाखून पोलिश और ऊपर से गोरे गोरे गुलाबी पैरों में सोने की पायल… मेरा एक एक शॉट लाजवाब निकला.
कोई एक घंटे बाद मेरी ड्रिंक्स खत्म हुई तो बहूरानी ने खाना निकाल लिया और बर्थ पर अखबार बिछा कर कागज़ की डिस्पोजेबल प्लेट्स और कटोरियाँ सजा दीं. फिर अल्युमिनियम फोइल्स में लिपटे हुए परांठे, सब्जी, पिकिल्स, प्याज, नमकीन सेव और स्वीट्स परोस लिया.हम लोगों को ट्रेन का खाना पसन्द नहीं आता इसलिए कोशिश हमेशा यही रहती है कि हमेशा अपना घर का खाना पानी साथ ले के चलें; हालांकि राजधानी और शताब्दी ट्रेन्स में चाय नाश्ता खाना मिलता ही है और उसका चार्ज पहले ही टिकट के साथ ही वसूल लिया जाता है.अब जो भी हो अगली सुबह से तो हमें ट्रेन पर मिलने वाले दाना पानी पर ही निर्भर रहना था.
खाना सजाने के बाद बहूरानी ने पहला कौर मुझे अपने हाथों से खिलाया; ऐसा पहली बार था कि उसने यूं मुझे खिलाया हो फिर मैंने भी उसको एक छोटा सा निवाला उसको खिलाया. फिर मैं खाने पर टूट पड़ा क्योंकि ट्रेन के सफ़र में मुझे भूख नार्मल से कुछ ज्यादा ही लगती है.
खाना समाप्त करते करते दस बजने वाले थे. खाने के बाद मैंने एक चक्कर पूरे कोच का लगाया ताकि कुछ टहलना हो जाय.
वापिस अपने कूपे में लौटा तो बहूरानी जी शीशे के सामने अपने उलझे हुए बाल संवार रही थी. मैंने कूपे को भीतर से लॉक किया और बहू रानी की पीठ से चिपक के उसको अपने बाहुपाश में कैद कर लिया और उसके स्तन मुट्ठियों में दबोच के उसकी गर्दन के पिछले हिस्से को चूमने चाटने लगा.
बहूरानी एकदम से घूम के मेरे सामने हुई और उसने हाथ में पकड़ी कंघी फेंक कर अपनी बाहें मेरे गले में पहना दीं, मैंने भी उसको अपने सीने से लगा लिया. उसके पुष्ट स्तन मेरे सीने से दब गये और मैंने अपनी बाहों का घेरा उसके गिर्द कस दिया. हमारे प्यासे होंठ मिले जीभ से जीभ मिली इधर मेरे लंड ने अंगड़ाई ली और उधर शायद उसकी चूत भी नम हुई क्योंकि वो अपना एक हाथनीचे ले गयी और उसने नाइटी को अपनी जांघों के बीच समेट कर दबा ली.
हम दोनों यूं ही देर तक चूमा चाटी करते रहे; मैं उसके मम्में नाइटी के ऊपर से ही दबाता रहा और वो मेरी पीठ को सहलाती रही.अब मेरा लंड भी पूरे तैश में आने लगा था.
फिर मैंने बहूरानी की नाइटी उसके बदन से छीन के बर्थ पर फेंक दी; नाइटी के भीतर तो उसने कुछ पहना ही नहीं था तो उसका नग्न यौवन मेरे सामने दमक उठा. उसके पहाड़ जैसे स्तन जैसे मुझे चुनौती देने वाले अंदाज में मेरे सामने तन के खड़े हो गये.
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