RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
“उफ्फ…अब हट भी जाइये, अब और कितना रगड़ोगे मुझे. आधा घंटा से ऊपर हो गया; मेरा तो दो बार हो भी चुका. थक गयी मैं बुरी तरह से सांस फूल गयी मेरी तो” मेरी रानी ने भुनभुनाते हुए कहा और मुझे परे धकेलने की कोशिश की.
“बस मेरी जान, होने वाला है, मेरा भी बस दो तीन मिनट और!” मैंने कहा और रानी (मेरी धर्मपत्नी) की चूत में ताबड़तोड़ धक्के लगा के जल्दी झड़ने की कोशिश करने लगा.रानी मेरे नीचे अपनी जांघें पूरी चौड़ी किये हुए पड़ी थी और उसकी अथाह गहरी चूत में मैं अपना लंड पेले जा रहा था. बेडरूम रानी की चूत से निकलती फचफच फचाफच की मधुर ध्वनि से गूँज रहा था, उनकी चूत से जैसे रस की नदिया सी बह रही थी. मेरी झांटें, जांघें, बिस्तर सब के सब उसकी चूत के रस में भीग चुके थे.
“उमर हो गयी आपकी, बच्चों की शादियाँ हो गयीं लेकिन आपकी आदतें आज भी वही जवानी वाली हैं जैसे कल ही शादी हुई हो अपनी. अरे अब थोड़ा धरम करम में भी मन लगाया करो!” रानी जी ने मुझे ज्ञान दिया.“ठीक है मेरी जान, तू भी तो पचास की होने वाली है लेकिन तेरी ये मस्त चूत अभी भी वैसी ही जवान छोरी की तरह है जैसी तीस साल पहले थी” मैंने बीवी को मक्खन लगाया और उनकी चूत में फुर्ती से धक्के मारने लगा.
“सैय्याँ जी, अब रहने भी दो ये मक्खन बाजी. मैं पहचानती हूं आपको अच्छे से. बस इसी टाइम मेरी तारीफ़ करते हो आप, मतलब निकल जाय फिर पहचानते नहीं.”“मेरी जान, तू ही तो मेरी अर्धांगिनी है. अरे तेरे सहारे ही तो मैं ये भव सागर पार उतरूंगा ना!” मैं अपनी बीवी को चूमते हुए कहा.“हूंम्मम्म, अच्छा सुनो एक मिनट ध्यान से; मैं वो तो बताना भूल ही गयी; अभी दोपहर में अदिति का फोन आया था आप उससे बात कर लेना कल सवेरे!”
“अदिति बहूरानी का फोन? किसलिए बात करना है?” मैंने कहा. अदिति बहूरानी का नाम सुनते ही मेरा लंड अचानक ही फूल कर कुप्पा हो गया. मैंने रानी के दोनों बूब्स पकड़ के लंड को बाहर तक खींच के एक पावरफुल शॉट उसकी चूत में मार दिया जैसे कि मैं अदिति बहूरानी को चोदता था.“हाय राम मार डाला रे!” रानी ने मुझे कसके अपनी बाहों में समेट लिया और अपनी टाँगे मेरी कमर में कस दीं. मेरे लंड ने भी लावा उगलना शुरू कर दिया उधर रानी की चूत तीसरी बार झड़ने लगी.
हम दोनों पति-पत्नी कुछ देर यूं ही एक दूजे की बांहों में पड़े अपनी अपनी साँसें काबू करते रहे. उनकी चूत रह रह के मेरे लंड को निचोड़ रही थी और फिर वो सिकुड़ गयी और मेरे लंड को बाहर धकेल दिया.पास पड़ी नेपकिन से रानी ने मेरा लंड अच्छे से पौंछ दिया और फिर अपनी चूत में घुसा कर उसे साफ़ करने लगी.
“हां, अब बता, अदिति क्या कह रही थी?” मैंने पूछा.“अरे वो उसके चचेरे भाई की शादी है न दिल्ली में. उसमें आपको जाना है उसी की बारे में बात करनी है उसे!”“ठीक है, मैं कल बात कर लूंगा बहूरानी से” मैंने कहा और सोने की कोशिश करने लगा.
प्रिय मित्रो, कहानी आगे बढ़ाने से पहले कुछ बातें मेरी पिछली कहानी “बहूरानी की प्रेमकहानी”.इस कहानी में आपने पढ़ा था कि मेरे बेटे को दस दिन की ट्रेनिंग पर बाहर जाना था और बहूरानी को अकेली न रहना पड़े इसलिए मुझे उसके पास दस दिनों के लिए जाना पड़ा था. उन दस दिनों में हम ससुर बहू ने क्या क्या गुल खिलाये कैसी कैसी चुदाई हुई, वो सब आप पिछली कहानी में पढ़ चुके हैं. उस बात को डेढ़ साल से कुछ ऊपर ही हो चुका है.
इन डेढ़ सालों में मैंने अपनी बहूरानी को देखा नहीं है और न ही कभी फोन पर बातें कीं और न ही कोई वीडियो चैट की; वैसे बहूरानी का फोन तो लगभग रोज ही आता है लेकिन अपनी सास के पास. लेकिन मुझसे कोई बात नहीं होती; बस सास बहू आपस में ही बतियाती रहतीं हैं.
अब मेरे बेटे का ट्रान्सफर बंगलौर हो गया है, कंपनी की तरफ से फ़्लैट भी मिला है तो बेटा बहू बंगलौर में ही रहते हैं अब.
एक बात और… अभी हफ्ते भर पहले अदिति बहूरानी के चाचा जी हमारे यहां आये थे उनके इकलौते बेटे की शादी का निमंत्रण देने के लिए. वे लोग दिल्ली में रहते हैं लड़की भी वहीँ की है तो शादी में किसी न किसी को दिल्ली तो जाना ही था. इस बारे में मैंने अपने बेटे से बात की तो उसने मना कर दिया कि उसे छुट्टी नहीं मिल रही. अब ऐसी स्थिति में मुझे ही जाना था शादी में.हालांकि अब शादी ब्याह में जाना मुझे अखरने लगा है लेकिन जब कोई खुद आ के निमंत्रण दे के जाए और रिश्ता भी ख़ास हो तो फिर जाना जरूरी हो ही जाता है.
इन्ही सब बातों को सोचते सोचते नींद ने कब मुझे घेर लिया पता ही न चला.
अगले दिन कोई साढ़े ग्यारह बजे श्रीमती जी ने मुझे फिर याद दिलाया कि अदिति से बात करनी है.“ठीक है तू अपने फोन से बात करा दे मेरी!” मैंने कहा.
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