RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
“हाँ पापा जी, आज जब हम डिनर करके उठ गए तो मैं भी घर का काम समेट कर, मन को पक्का करके लेट गयी थी कि अब आपके साथ वो सम्भोग का रिश्ता फिर से बिल्कुल नहीं बनाना है. लेकिन बहुत देर तक मुझे नींद नहीं आई. जो कुछ सोच रखा था वो सब उड़ गया दिमाग से… मैं वासना की अगन में जलने लगी, मेरा रोम रोम आपको पुकारने लगा और आपका प्यार पाने को, आपके लंड से चुदने को मेरा बदन रह रह कर मचलने लगा. मेरी चूत में बार बार तेज खुजली सी मचती और वो आपके लंड की आस लगाये पानी छोड़ने लगती, थोड़ी देर मैंने अपनी उंगली भी चलाई इसमें पर अच्छा नहीं लगा. और मैं यूं ही छटपटाती रही बहुत देर तक.”
“कई बार मन ही मन चाहा भी कि आप आओ और मुझ में जबरदस्ती समा जाओ; मैं ना ना करती रहूँ लेकिन आप मुझे रगड़ रगड़ के चोद डालो अपने नीचे दबा के. लेकिन आप नहीं आये. फिर टाइम देखा तो दो बजने वाले थे, मुझे लगा कि ऐसे तो जागते जागते मैं पागल ही हो जाऊँगी. अभी दस रातें साथ रहना है कोई कहाँ तक सहन करेगा ऐसे. अब जो होना है वो होने दो यही सोच कर मैंने अपनी नाइटी उतार फेंकी. ब्रा और पैंटी तो मैंने पहनी ही नहीं थी और नंगी ही आ रही थी आपके पास. उधर से आप भी मेरे पास चले आ रहे थे बिना कपड़ों के…” बहूरानी ने अपनी बात बताई.
बहूरानी के मुंह से चूत लंड शब्द सुनकर मुझे आनन्द आ गया.
“बहूरानी जी, अब तो कोई पछतावा नहीं होगा न?” मैंने पूछा.
“नहीं पापा जी, अब कुछ नहीं सोचना इस बारे में, जो हो रहा है होने दो. आप तो जी भर के लो मेरी. जैसे चाहो वैसे चोदो मुझे, मैं पूरी तरह से आपकी हूँ. लाइफ इस फॉर लिविंग!” बहूरानी खुश होकर बोली और मुझसे लिपट गयी.
“तो लो फिर!” मैंने कहा और उसकी चूत में हल्के हल्के मध्यम रेंज के शॉट्स मारने शुरू किये.
जल्दी ही बहूरानी अपने चूतड़ उठा उठा के जवाब देने लगीं.
उस अंधेरे में स्त्री पुरुष, नर मादा का सनातन खेल चरम पर पहुंचने लगा. बहूरानी मेरे लंड से लय ताल मिलाती हुई चुदाई में दक्ष, पारंगत कामिनी की तरह अपनी चूत उठा उठा के मुझे देने लगी. बहूरानी की चूत से निकलती फच फचफच फचाफच फचा फच की आवाजें, नंगे फर्श पर गिरते उसके कूल्हों की थप थप और उसके मुंह से निकलती कामुक कराहें ड्राइंग रूम में गूंजने लगीं.
“पापा जी, जोर से चोदो… हाँ ऐसे ही. अच्छे से कुचल दो मेरी चूत… आह… आह… क्या मस्त लंड है आपका…” बहूरानी अपनी ही धुन में बहक रही थी अब.
अंधेरे कमरे में नंगे फर्श पर चूत मारने का वो मेरा पहला अनुभव था; मेरे घुटने और कोहनी फर्श पर रगड़ने से दर्द करने लगे थे लेकिन चुदाई में भरपूर मज़ा भी आ रहा था. बहूरानी कमर उठा के मेरे धक्कों का प्रत्युत्तर देती और फिर उसके नितम्ब फर्श से टकराते तो अजीब सी पट पट की उत्तेजक ध्वनि वातावरण को और भी मादक बना देती.
इसी तरह चोदते चोदते मेरे घुटने जवाब देने लगे तो मैंने बहूरानी को अपने ऊपर ले लिया. अब चुदाई की कमान बहूरानी की चूत ने संभाल ली और वो उछल उछल के लंड लीलने लगी. मैंने उसके मम्मे पकड़ लिए और उन्हें दबाने लगा.
कोई दो मिनट बाद ही बहूरानी मेरे ऊपर से उतर गई- पापा जी, मेरे बस का नहीं है ऐसे. फर्श पर मेरे घुटने छिल जायेंगे. आप मेरे ऊपर आ जाओ.
वो बोली.
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