RE: Bahu ki Chudai बहुरानी की प्रेम कहानी
‘पापा जी, भगवान् जी गवाह हैं कि इसके पहले अभिनव के सिवा किसी और ने मुझे गलत नीयत से छुआ भी नहीं था। मैंने अपना कौमार्य भी सुहागरात को अभिनव को ही समर्पित किया था। पापा जी, मैं यकीन करो, मैं ऐसी वैसी बिल्कुल नहीं हूँ, आपने तो बहुत कोशिश की थी कि गलत काम न करो मेरे साथ लेकिन मेरी ही मति मारी गई थी; मैं आपको तरह तरह से उत्तेजित कर रही थी फिर आप भी कहाँ तक खुद पर काबू रख सकते थे।’
अदिति रुआंसी होकर बोली और मेरे कदमों में सर झुका कर रोने लगी।और जल्दी ही उसका रोना थोड़ा तेज हो गया।
रोने की आवाज सुन के कोई भी आ सकता था, ‘अदिति बेटा, कोई बात नहीं, चल भूल जा उस बात को!’ मैंने उसे सांत्वना दी लेकिन उसकी रुलाई रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।फिर मैंने अदिति को पकड़ के उठाया और अपने से लगा कर उसकी पीठ सहलाते हुए उसे सांत्वना देने लगा। मेरे आत्मीय आलिंगन की अनुभूति कर अदिति का रोना और तेज हो गया जैसे कि बच्चों में होता ही है।
‘अब जल्दी से चुप हो जा, देख मेहमानों से भरा घर है, कोई भी तेरे रोने की आवाज सुन के कभी भी यहाँ आ सकता है।’ मैंने उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे सांत्वना दी।
मेरी बात सुन के अदिति ने खुद पर कंट्रोल किया और उसका सुबकना कम हो गया लेकिन वो मेरे आलिंगन में बंधी रही।मैंने प्यार से उसके आंसू अपने रुमाल से पौंछ दिए और उसे फिर से कलेजे से लगा लिया और उसकी पीठ और सर पर आहिस्ता आहिस्ता दुलारते हुए उसे शान्त करने लगा, वो भी मेरी छाती में सिर छुपाये चुप बंधी रही मुझसे!समय जैसे थम सा गया और दो जिस्म जैसे आपस में बातें करने लगे।
सांसारिक रिश्तों के बंधनों से अलग स्त्री-पुरुष, नर-मादा जिस्मों का मिलन अपनी ही रागिनी छेड़ देता है, प्रकृति के अपने स्वतंत्र नियम हैं, युवा भाई बहन, पिता पुत्री इत्यादि को इसीलिए एकान्त में एक साथ रहने, सोने को मना किया गया है। उत्तरी दक्षिणी ध्रुवों में परस्पर खिंचाव होता ही एक दूजे में समा जाने के लिए…
हमारे बीच भी वही हुआ, मेरे स्नेह प्यार का बंधन, आलिंगन बहुत जल्दी काम-पाश में बदलने लगा और अब मेरे बाहुपाश में जकड़ी हुई एक भरपूर जवान नारी देह थी जिसे मैंने कल रात पूर्ण नग्न रूप में भोगा था।
बहूरानी अदिति के जिस्म की उष्णता, उसके गुदाज भरे भरे स्तनों का वो मादक स्पर्श मुझमें वासना की आग भरने लगा जिसके प्रत्युत्तर में मेरे लंड ने फुंफकार कर बहूरानी के जिस्म में टोहका लगा कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी।जिसके जवाब में मुझे लगा कि जैसे अदिति ने अपना बदन मेरे और नजदीक ला दिया हो!आखिर अब तो वो जान ही गई थी पिछली रात वो मुझसे ही चुदी थी और उसका तन मन भी जरूर उसी सुख की लालसा फिर से करने लगा होगा।
हालांकि मेरे भीतर से आत्मा का एक क्षीण सा प्रतिवाद उठा, मेरे संस्कारों ने मुझे झिंझोड़ा, चेताया कि यह पाप मार्ग है, अब भी संभल जा लेकिन मन ने अपना ही तर्क दिया कि जब एक बार चोद लिया या चोदना पड़ा तो अब क्या आदर्शवादी बने रहना?
और मैं चाह कर भी अदिति को अपने बाहुपाश से मुक्त न कर सका और न अदिति ही मुझसे छूटने का कोई प्रयास कर रही थी जबकि मेरा खड़ा लंड उसके पेट पर दस्तक दे ही रहा था और यह भी संभव नहीं था कि वो लंड के स्पर्श से अनजान रही हो!
‘अदिति बेटा तू बहुत अच्छी है!’ मैंने कहा और उसका गाल चूम लिया।
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