Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:58 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील बहुत ही सीरीयस मूड में था और वो दोनो के पास बैठ गया.

सूमी : क्या बात है जानू इतने सीरीयस और वो भी आज.

सुनील : हां, मैं तुम दोनो से एक बात पूछना चाहता हूँ.

सूमी और सोनल अवाक सी उसे देखने लगी.

सुनील : क्या तुम दोनो सच में इस राह पे चलना चाहती हो, या ये सिर्फ़ ये वक़्ती भावनात्मक निर्णय है जिसपे तुम दोनो बाद में पछताओगी.

अब बारी थी सोनल और सूमी के सीरीयस होने की. जिस गहराई से सुनील ने सवाल किया था वो सवाल उन दोनो की अंतरात्मा को छू रहा था.

कमरे में शांति छा जाती है केवल साँसों की हरकत और दिल की धड़कने ही सुनाई दे रही थी.

सोनल ही शुरुआत करती है जवाब देने की .....

सोनल : आपको क्या लगता है, ये सब हमारे लिए आसान है, दुनिया की कोई भी औरत अपने पति का बटवारा नही कर सकती. ऐसे किसी काम को करने से पहले ना जाने वो कितनी बार मरती होगी. याद करो वो दिन जब दीदी ने मुझे अपनी सौतेन के रूप में अपनाया था. ये आसान नही था दीदी के लिए पर फिर भी अपने दिल पे पत्थर रख उन्होंने ये कदम उठाया - क्यूंकी अंदर बैठी माँ से मेरा दुख नही देखा गया था उस वक़्त एक माँ जीत गयी थी और एक औरत हार गयी थी, मेरे साथ साथ दीदी को आपकी भी चिंता रहती थी हर वक़्त एक डर के साए में रहती थी वो उनके बाद क्या होगा, इसीलिए तो आपसे वादा लिया था शादी करने से पहले.

प्यार बाँटने से बढ़ता है कम नही होता यही सिखाया था ना डॅड ने और हम उनकी ये बात ही भूल गये थे. आग लगती थी मुझे जब भी मैं सवी या किसी और को आपकी तरफ आसक्त भरी नज़रों से देखते हुए देखती थी. खून खोलने लगता था मेरा. लेकिन जब से प्रेग्नेंट हुई हूँ - एक माँ मेरे अंदर समा चुकी है - उसने तो जीने और प्यार की परिभांशा ही बदल डाली.
रूबी की सूनी आँखों में बसे दर्द को मैने पहचानना शुरू कर दिया और बहुत सोच के इस नतीजे पे पहुँची कि क्यूँ ना उसे उसका प्यार दे दिया जाए.

सूमी और सुनील दोनो ही शायद जानते थे कि सोनल के दिल में क्या है पर सुनील सब कुछ उसके मुँह से सुनना चाहता था ताकि आगे चल के कोई समस्या ना खड़ी हो.

सोनल की बदली सोच को देख सूमी बहुत खुश थी. लेकिन शायद सोनल ने अभी भी दिल से सवी को स्वीकार नही किया था और सूमी को इस बात की चिंता थी. उसे सुनील के सवाल का मक़सद समझ में आ गया और उसे सुनील पे बहुत गर्व महसूस हुआ जो बिल्कुल शांत भाव से हर पहलू का मूल्यांकन कर रहा था.

सोनल बोलती बोलती चुप हो गयी थी, और सुनील इंतेज़ार कर रहा था उसे कोई जल्दी नही थी.

सुनील जानता था कि सोनल ने दिल से सवी को स्वीकार नही किया था, यही वजह थी कि वो इस विषय को लेकर बैठ गया था. जब आत्माओं का मिलन हो जाता है तो दिल के कोने में छुपे और दबे भाव पता चल जाते हैं.

सूमी भी इस बात को समझ चुकी थी कि सोनल जो कर रही है वो सूमी की खुशी के लिए कर रही है, शायद सोनल खुद को अहसान तले दबा मानती थी, और ये मौका शायद उसे अहसान उतारने का मिला था, क्यूंकी सूमी की वजह से उसे उसका प्यार नसीब हुआ था तो सूमी की खुशी के लिए वो कुछ भी कर सकती थी.

लेकिन सुनील अलग था, वो अपनी दोनो बीवियों में से किसी एक दिल में कोई भी चुभन का अहसास महसूस होते हुए नही बर्दाश्त कर सकता था.

उसकी नज़रें अब भी सोनल पे टिकी हुई थी जो कुछ सोच रही थी कि आगे क्या बोले.

सोनल ने बोलना शुरू किया : रूबी के अंदर मैं वो दर्द देख सकती हूँ जो कभी मैने खुद महसूस किया था. पर सवी में मुझे वो दर्द और तड़प और प्यार नही दिखाई देता. ऐसा लगता है जैसे वो हर उस चीज़ और इंसान को पाना चाहती हैं जिनकी वजह से सूमी खुश है, वो इनमें ही खुशी ढूँढ रही है, शायद दिमाग़ से काम कर ही नही रही.

सुनील : तो फिर तुमने हां क्यूँ की, जानती हो ना जब तक तुम दोनो एक मत ना हो जाओ मैं कोई ऐसा काम नही करूँगा जिसमें किसी एक को ज़रा सी भी तकलीफ़ हो.

सोनल : जानती हूँ, पर मुझे दीदी की खुशी दिख रही थी तो मैने हां कर दी, दीदी की खुशी के लिए तो कुछ भी कर सकती हूँ.

सूमी : पगली ये जीवन भर का निर्णय है, बस मुझे खुश करने के लिए तूने हां कर दी, तुझे अपने दिल की बात सामने रखनी चाहिए थी, या मैं तेरी बात समझ जाती या तू मेरी. काश ये बात तूने पहले बोली होती तो शायद एक बेहन के प्यार का परदा जो मेरी आँखों पे पड़ा था वो ना पड़ा होता.

सुनील : बस मैं तुम दोनो की बात समझ गया अब मैं सवी से ज़रा खुल के बात करूँगा. फिर देखते हैं क्या करना है.

सुनील सोनल के कमरे से बाहर निकल गया इस बात से बेख़बर के रूबी बाहर खड़ी सब सुन रही थी और सुनील के निकलने से पहले गायब हो गई वहाँ से.

अपने कमरे में पहुँच रूबी सोचने लगी जिंदगी कितने रंग बदलती है जहाँ उसे इस बात की खुशी थी जहाँ उसकी अपनी भटकती जिंदगी को किनारा मिल जाएगा वहीं सवी के बारे में सोच उसका दिल दहल रहा था - सवी जो आज दुल्हन बनी बैठी इंतजार कर रही थी सुनील की बाँहों में समाने के लिए वहीं सोनल की बातों ने रूबी के दिल को चीर डाला था कहीं ऐसा ना हो जाए के सुनील सवी को अब ना अपनाए - ओह गॉड नही नही अगर ऐसा हुआ तो सवी जी नही पाएगी - सुहाग्सेज पे बैठी किसी भी औरत को ये कहना कि ये बस एक भावनात्मक निर्णय था इसका कोई वजूद नही - वो मर जाएगी - नही भगवान ऐसा मत होने देना. रूबी की आँखों से आँसू टपकने लगे और वो कमरे में इधर से उधर भटकने लगी आने वाली घड़ियाँ क्या खबर ले कर आती हैं इस पल के इंतेज़ार में.

सुनील सवी के कमरे तक जाते जाते जाने क्या क्या सोच बैठा था. सबसे बड़ा सवाल जो उसके सामने था वो था सूमी और सोनल की खुशी - जहाँ एक तरफ सूमी खुश होती वहीं सोनल को कुछ दुख होता. और वो सब कुछ हर एक की रज़ामंदी से करना चाहता था आज फिर एक लड़ाई लड़ रहा था अपने आपसे - क्या मैं सवी को वो खुशियाँ दे पाउन्गा जिसकी वो हक़दार है - क्या मेरे दिल में सवी के लिए प्यार की वो भावनाएँ जागृत होंगी जो सूमी और सोनल के लिए हैं. क्या सिर्फ़ सूमी और सवी को खुश रखने के लिए मुझे ये कदम उठाना चाहिए? अगर आज का कोई फ़ैसला कल ग़लत साबित हुआ तो क्या होगा? क्या मैं सुहाग्सेज पे बैठी सवी को ना कहने की हिम्मत जुटा पाउन्गा? तभी उसे लगा जैसे सागर उस से कुछ कह रहा है - तू तो जन्मा ही प्यार बाँटने के लिए है - फिर प्यार बाँटने से क्यूँ कतराना. औरत के विभिन्न रूप होते हैं वो अपने हर रूप से हर समय अपने आप में लड़ती रहती है कभी कोई रूप भारी पड़ जाता है तो कभी कोई यही हाल आज सोनल का है. कल सोनल बहुत खुश थी सवी को अपनाने के लिए आज सोनल कुछ और कह रही है, कल उसका कोई दूसरा रूप कुछ और कहेगा- उसके इन सभी रूपों को तुझे अपने प्यार से शांत करना है - एक डर जो अंजाने में उसके दिमाग़ में बैठ गया है उसे दूर करना है. जा आगे बढ़ अपनी सवी को उसे वो खुशियाँ दे जिनसे वो आज तक दूर रही है.

सुनील के धीमे धीमे उठते कदमो में एक मजबूती आ गयी और वो सवी के दरवाजे पे जा खड़ा हुआ.

सवी के कमरे के पास पहुँच सुनील रुक गया. एक बार फिर वो सोचने लग गया कि सवी से वो क्या बात करेगा. एक निर्णय लेने के बाद उसने दरवाजे को धकेल के खोल लिया.

सुनील कमरे में घुसा तो देखा सवी दुल्हन के लिबास में बेहद खूबसूरत लग रही थी आख़िर सूमी की बहन जो थी.

सवी सुनील को देख शरमा गयी और नज़रें नीचे झुका ली, उसका दिल धड़कने लगा, होंठ काँपने लगे.

सुनील : सवी क्या तुम दिल से ये रिश्ता चाहती हो?

ये सवाल सुनते ही सवी के तनबदन में आग लग गयी.

सवी :ये क्या बेहूदा सवाल है?

सुनील : बेहूदा नही ज़रूरी सवाल है. तुम जानती हो मेरी जिंदगी में जो जगह सूमी और सोनल की है वो शायद ही मैं किसी और को दे सकूँ. तो क्या ऐसी हालत में तुम मेरे साथ खुश रह पाओगि, पता नही तुम्हें मैं वो खुशियाँ दे पाउ या नही जिसकी तुम हक़दार हो, फिर कहीं तुम्हें बाद में ये ना लगे कि तुमने ग़लती कर दी.

सवी : प्यासे को कुएँ तक ला कर अब ये पूछ रहे हो पानी पीना है या नही. मत करो ऐसा मेरे साथ मर जाउन्गि मैं. मैं वादा करती हूँ मेरी वजह से दीदी और सोनल को कभी कोई तकलीफ़ नही होगी.
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