Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:40 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
राजेश कवि के होंठों पे अपने होंठ रख देता है...और कवि उसकी बाँहों में पिघलने लगती है...

कवि के जिस्म में कामउर्जा का संचार होने लगा ....रति अपने रूप में आने लगी ....कवि ने राजेश की पीठ को सहलाना शुरू कर दिया......

दोनो की ज़ुबान एक दूसरे से मिलने लगी और एक दूसरे का पीछा करते हुए एक दूसरे के मुँह में घुस्स जाती और और ज़ुबान की चुसाई शुरू हो जाती ....

कवि बेल की तरहा राजेश से लिपटने लगी......और राजेश उसे उठा अंदर बेड रूम में ले गया...दोनो के होंठ चिपके ही रहे ....

उधर सोनल और रूबी घर पहुँच चुके थे.....दोनो फ्रेश हुई और कपड़े बदले....रूबी ने कॉफी तयार की और सोनल अपने प्रॉजेक्ट पे लग गयी...रूबी उसके पास ही बैठी रही...करीब घंटे बाद सोनल फ्री हुई ...तो उसने रूबी की और नज़र डाली ...जो सर झुकाए उदास बैठी थी....

सोनल...आज खाना बाहर से ही मंगवा लेते हैं...

रूबी..जैसी आपकी मर्ज़ी..

सोनल..क्या खाएगी...

रूबी ...कुछ भी मंगवालो..

सोनल..मुझ से नाराज़ है क्या...

रूबी ...नही तो ..मैं क्यूँ नाराज़ होने लगी.....

सोनल...फिर तू इतना उदास क्यूँ है ...क्या बात है...

रूबी...जाने दो...आप नही समझोगी.....

सोनल ने रूबी को अपनी तरफ खींच लिया और उसकी गर्दन में अपनी बाँहें डाल बोली...बता क्या बात है .....

रूबी......भाभी बनने के बाद आप बदल गयी हो...मेरी वो दीदी कहीं खो गयी है...जो मेरी खुशी का बहुत ख़याल रखती थी....

सोनल ने रूबी को खुद से चिपका लिया ...नही पगली मैं तेरी वही सोनल हूँ...जो पहले भी तुझ से प्यार करती थी और आज भी करती है...

रूबी...तो फिर आप मेरे दिल की बात क्यूँ नही समझती.....क्यूँ मुझे मेरे प्यार से नही मिल्वाती........मत करो मेरे साथ ऐसा...मैं मर जाउन्गि......

रूबी सोनल से लिपटी रोने लगी...

सोनल रूबी के सर को सहलाते हुए.....मत रो गुड़िया....क्यूँ ऐसे ख्वाब देख रही है जो पूरे नही हो सकते...तू एक बीवी से बोल रही है..मेरे साथ अपने पति को शेयर कर लो....कोई नही कर पाएगी...

रूबी...क्यूँ नही कर पाएगी...बड़ी भाभी ने अपने पति को आपके साथ शेयर किया या नही...तू फिर आप दोनो मेरे साथ क्यूँ नही कर सकती..सागर पापा कहते थे..प्यार बाँटने से बढ़ता है...अप तो प्यार को अपने लॉकर में बंद कर के रखना चाहती हो...

सोनल....की आँखों के सामने सागर की तस्वीर आ गयी ..जो मुस्कुरा रही थी....जैसे कह रही हो..ये भी तो मेरी बेटी है...क्या इसकी खुशी पूरी नही होगी...क्या मेरी ये बेटी यूँ ही तड़पति रहेगी...

रूबी....अगर सागर पापा होते...तो हक़ से उनसे कुछ भी माँग लेती ..पर अब वो ही नही रहे..कोई नही रहा मेरा..बस सहानुभूति दिखाई जाती है...बहुत कोशिश करी....अपने दिल से सुनील को निकाल दूं...विमल से शादी भी इसीलिए कर रही थी कि सुनील से दूर चली जाउ...जिंदगी भर कोई मेरे बदन को नोचता रहता ...ये सज़ा भी भुगत लेती...पर इस दिल का क्या करूँ...सुनील के नाम से ही धड़कता है..क्या करूँ...

रूबी भाग के अपने कमरे में चली गयी और बिस्तर पे गिर रोने लगी.....सोनल वहीं खड़ी एक अंतर्द्वंद में फस गयी....

सोनल को यूँ लग रहा था जैसे रूबी ने बारूद में आग लगा दी हो.....चारों तरफ अब बॉम्ब ही बॉम्ब फटेंगे और उनकी चपेट में तीन लोग आएँगे ..वो खुद..सुमन और खांस कर सुनील....

नही...सुनील को कोई दर्द मैं नही दे सकती....नही दे सकती...मैं बहुत प्यार करती हूँ उस से ..कैसे उसे दर्द दे पाउन्गि...ओह गॉड किस तरहा रूबी को समझाऊ ....सुनील कोई आम लड़का नही है...ऐसा लड़का पूरी कायनात में शायद एक बार ही जनम लेता है.......बहुत तड़प चुका है ..बहुत दर्द झेला है उसने ..जब पहले सुमन को अपनाया एर एक बार दर्द के सागर में डुबकियाँ लगाई ..जब उसने मुझे अपनाया...

क्यूँ सब सुनील के पीछे पड़े हैं...दुनिया में और लड़कों की कमी है क्या...रूबी को अच्छे से अच्छा लड़का मिल जाएगा...

दिल से एक आवाज़ ..आई ..तुझे भी तो अच्छे से अच्छा लड़का मिल सकता था...लाइन लगी हुई थी तेरे लिए...फिर क्यूँ तड़पति थी सुनील के लिए...किस तरहा आग लग गयी थी तुझे जब पहली बार सुमन और सुनील के बदले रिश्ते के बारे में पता चला....सोच रूबी पे क्या गुजर रही होगी...वो सब तो तू झेल चुकी है...क्या तुझे उसके दर्द का अहसास नही होता.....क्या तुझे उसके अंदर एक सोनल तड़पति हुई नही दिखती...

सोनल....नही नही ये नही हो सकता...मैं अपने सुनील को किसी के साथ नही बाँट सकती...वो मेरा है बस मेरा.......

दिमाग़.....अच्छा वो बस तेरा है...तेरा तो वो कभी था ही नही...अगर सुमन उसे मजबूर ना करती.....

सोनल......वो वो तो पापा ने मजबूर किया उसे तभी सुमन उसकी जिंदगी में पहले आई...

दिमाग़...तो फिर ये क्यूँ भूल रही है...उसी सुमन ने मजबूर किया सुनील को तुझे अपनाने के लिए

सोनल...तो इसमे मेरी क्या ग़लती....अगर पापा उसे मजबूर ना करते ..तो आज वो सिर्फ़ मेरा होता..

दिमाग़....कॉन से ख्वाबों की दुनिया में जीती है तू......वो मर जाता पर कभी तेरा नही होता...

सोनल..एक दिन वो मेरे प्यार को ज़रूर समझता...एक दिन वो मुझे ज़रूर अपनाता

दिमाग़...हां सारी उम्र निकल जाती ...फिर क्या फ़ायदा होता...तड़पति रहती तू सारी जिंदगी

सोनल...बंद करो ये बकवास..

दिमाग़...अच्छा अब ये बकवास लगने लगी तुझे..ख़ुदग़र्ज़ ...देख उसे ...वो तेरी ही बहन है...तेरे सागर पापा की लाडली बेटी ...ऐसे ही तड़पने देगी तू उसे...क्या सोच रहा होगा सागर...क्या हाल कर के रख दिया उसकी बेटी का..

सोनल ...अपने कानो पे दोनो हाथ रख चिल्लाती है...चुप करो.....कुछ नही होगा रूबी को..उसे बहुत अच्छा लड़का मिलेगा...सारी जिंदगी ऐश करेगी वो..

दिमाग़....यूँ कान बंद करने से मेरी आवाज़ को नही रोक सकती हो...मैं तो तुम्हारे अंदर ही हूँ...मैं ही तो हूँ तुम्हारी असली आवाज़ ...हाहाहा

सोनल...नही नही..मैं अपने सुनील पे दर्द का साया भी नही पड़ने दूँगी

दिमाग़......और अपनी बहन को तड़प तड़प के मरने देगी...निकली ना ख़ुदग़र्ज़...

सोनल....अगर अपने प्यार को दर्द के साए से दूर रखना ख़ुदग़रजी है तो हूँ मैं ख़ुदग़र्ज़.......

दिमाग़...दर्द का साया...कहाँ से आया ये दर्द का साया...कॉन कहता है तेरे प्यार पे दर्द का साया आएगा...रूबी तो तेरी तरहा अपनी जान से ज़्यादा सुनील से प्यार करती है...फिर वो जिंदगी में और प्यार बिखेरेगी..या उसे दर्द देगी...तू तो अभी प्यार का ही मतलब नही जानती...बात करती है दर्द के साए की....

सोनल...तुम क्या जानो..मेरा सुनील कितनी मर्यादा वाला शक्स है...दो बीवियाँ हैं उसकी ..तीसरी कभी नही करेगा...और ये तो भूल ही जाओ कि अपनी दूसरी बहन को बीवी बनाएगा...ये बात तो वो सपने में भी नही सोच सकता...अगर उसे इस बात की भनक भी पड़ी तो उसे कितना दर्द होगा मैं जानती हूँ....

दिमाग़...पहले उसके सामने रूबी के दिल को बयान तो करो फिर देखना क्या होता है......

सोनल...नही नही मैं ऐसा नही कर सकती...

दिमाग़ ...तो फिर भूल जाओ रूबी नाम की तुम्हारी कोई बहन है...भूल जाओ सागर की उस बेटी को जिसपे वो जान छिड़कता था ...भूल जाओ उस बेटी को...जिसकी सुरक्षा ना कर पाने के सदमे से उसकी जान चली गयी...वो तो चला गया..अब जाने दो रूबी को भी सागर के पास..

सोनल...ओह गॉड...पापा..बताओ ना क्या करूँ..क्या करूँ पापा ...दोनो मुझे प्यारे हैं...कोई तो रास्ता दिखाओ पापा..

दिल...क्या हुआ ...यहीं तो हूँ मैं तेरे दिल में........मैं तुझे छोड़ के कभी जा सकता हूँ क्या...

सोनल...वो रूबी....

दिल...सुनील को बस इतना कहना...मैने क्या कहा था सेव रूबी......वो समझ जाएगा...तू मत परेशान हो..तुझे तो अभी बहुत बड़ा काम करना है...

सोनल...क्या क्या करना है मुझे.....

दिल.... परेशान मत हो..जब वक़्त आएगा...तुझे पता चल जाएगा..तुझे क्या करना है......तुझे एक इतिहास की रचना करनी है...और उसके लिए तुझे अच्छी सेहत चाहिए..खुश रहा कर..अच्छा खाया पिया कर .....

सोनल..बताओ तो सही ऐसा क्या करना है मुझे...

दिल...वो वक़्त आने दे...तुझे पता चल जाएगा...कहा ना परेशान मत हो..

सोनल दिल और दिमाग़ में उलझ गयी ...पता ही ना चला कितना वक़्त गुजर गया...और डोर बेल बज उठी...जिसने सोनल का ध्यान तोड़ा..
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सवी....सुनेल तू यहीं बैठ ...एक घंटे तक झाँकना भी नही कि अंदर क्या हो रहा है...और तू चल मेरे साथ..

सुनेल बस सवी को देखता रह गया बिल्कुल कन्फ्यूज़्ड चेहरे के साथ...मिनी के चेहरे पे मुस्कान आ गयी .....पर चेहरा झुकाए ही रखा और कनखियों से सुनेल को देखती रही...

सवी मिनी को अपने कमरे में ले गयी और एक अलमारी खोली...उसके अंदर उसने रूबी के लिए बहुत समान खरीद के रखा हुआ था जो उसकी शादी पे काम आना था...

कमरे से समर की सारी याद मिटा दी गयी थी...और बेड के पास बिस्तर पे सुनील की फोटो रखी हुई थी...

मिनी ...माँ ये ...

सवी ...चुप रह ये तेरे मतलब की बात नही......ना कुरेद मेरे दर्द को..

मिनी चुप रह गयी...लेकिन वो ये समझ गयी थी कि सवी के दिल में सुनील बसा हुआ है......माफ़ करना सुनील..मैने तुम्हें क्या क्या नही कहा..कैसे कैसे तुम्हारे सामने आई ..और ये बिल्कुल भी ना समझ पाई की तुम सुनेल के जुड़वा हो..काश हर लड़की को सुनील जैसा ही पति मिले...आए..मेरा सुनेल भी कुछ कम नही...
...अपने मन में खुद से ही बात कर रही थी.

सवी ने मिनी को एक डाइमंड का हार निकाल के दिया और कुछ साड़ी निकाल के दी..एक दो बहुत अच्छी लिंगेरिएस और एक चोली लेनहगा चुनरी के साथ मोतियों से जड़ा हुआ ...जो दुल्हन के लिए काम आता है.

उसे देख मिनी का तो बुरा हाल हो गया...उई माँ ..सासू जी तो आज मेरी सुहागरात की प्लॅनिंग कर रही हैं..

मिनी अपने ख़याल से बाहर निकली ही नही थी कि सवी ने फोन कर एक ब्यूटीशियन और एक फ्लोरिस्ट को बुला लिया.

कुछ ही देर में ब्यूटीशियन और फ्लोरिस्ट आ जाते हैं और अपने काम में लग जाते हैं...करीब डेढ़ घंटे बाद दोनो चले जाते हैं.

सुनेल का कमरा सज गया था ...बिस्तर सुहाग्सेज बना हुआ था...और सवी के कमरे में मिनी ने दुल्हन का रूप ले लिया था.
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