Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:28 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
राज एक दम उस से अलग हो गया..क्यूंकी वो कुछ ही पलों में झड जाती और फिर से उसे गरम करने में वक़्त लगता...
जो अब राज महसूस कर रहा था कि उसके पास नही है...
वो अपने लंड में होते हुए तनाव को अब से नही पा रहा था......

राज जब कवि से अलग हुआ तो कवि को तेज झटका लगा...वो जल बिन मछली की तरहा तड़प के रह गयी...
उसकी आँखों में याचना थी..प्लीज़ कुछ देर और ...में झड़ने वाली हूँ......

राज फटाफट बिस्तर से उठा और ड्रेसिंग टेबल पे जा एक क्रीम की डब्बी उठा लाया और उसे कवि की चूत पे लगाने लगा .....
कवि की आँखें बंद हो गयी ...एक डर उसके दिल में समा गया...
इतना लंबा मोटा लंड कैसे जाएगा उसकी चूत में...उफ़फ्फ़ कितना दर्द होगा ....
एक तरफ उसका जिस्म चाहता था कि बस अब और देर नही........और दूसरी तरफ उसका दिमाग़ उसे डरा रहा था...
पसीना पसीना हो गयी वो...हलक सूखने लगा........

राज ने जब अपने लंड पे क्रीम लगा उसकी चूत से रगड़ा .....अहह डरते हुए भी सिसक पड़ी वो...
बिस्तर को कस के मुठियों में भींच लिया.......

राज ने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को खोला और अपने लंड को सेट कर उसकी कमर को कस्के पकड़ा और उसपे झुक गया ......

'कवि....पहले थोड़ा दर्द होगा....से लोगि ना....'

कवि चुप रही बस सर हिल्ला के हां कर दी....दिल तेज़ी से धड़कने लगा ....साँसों की रफ़्तार और भी तेज हो गयी.....

राज ने ज़ोर का एक धक्का लगाया और कवि की कमसिन चूत को खोलता हुआ उसके लंड का सुपाडा अंदर घुस्स गया....


आआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ना चाहते हुए भी ज़ोर से चीखी
कवि और उसका बदन ऐसा तडपा जैसे किसी ने चाकू उसकी चूत में घुसा दिया हो.....

राज....बस मेरी जान...बस थोड़ी देर और...से लो....(और कवि के होंठ चूसने लग गया)

कवि के दर्द के अहसास को कम करने के लिए ....राज उसके निपल चूसने लग गया.....
थोड़ी देर में ही कवि की सिसकियाँ निकलने लगी और
राज ने फिर एक्टेज झटका मार कर अपना आधा लंड उसकी चूत में घुसा डाला ....
....कवि की सील टूट गयी और राज को अपने लंड पे गरम गरम बोछार का अहसास हुआ.......

म्म्म्मईमममम्मूऊऊुुुुुुउउम्म्म्ममममममय्ययययययययययययययययययी
कवि ज़ोर से चीखी और रोने लगी.........

'बस जानू बस....तुम तो डॉक्टर बनने वाली हो...पहली बार कुछ तो दर्द होता ही है...'

'बस ...प्लीज़...बहुत दर्द हो रहा है..........'

'अब नही होगा...होगया जो होना था......'
राज उसके आँसू चाहते हुए उसके होंठों को पीने लगा और उसके निपल मसल्ने लगा........

धीरे धीरे कवि नॉर्मल होने लगी ...दर्द का अहसास अब भी था पर उतना नही ........

राज काफ़ी देर तक उसके होंठ चूस्ता रहा और निपल मसलता रहा...
कवि के जिस्म में फिर से उत्तेजना का संचार होने लगा और उसकी कमर ने हिल कर अपने आप राज को संकेत दे डाला.......

राज ने उसके होंठों को चूसना जारी रखा और धीरे धीरे अपना लंड जितना घुसा था उसे अंदर बाहर करने लगा....

आह सी उफ़ ...आह उफ़फ्फ़ उम्म्म ओह्ह्ह्ह कवि धीरे धीरे सिसक रही थी ...
और उसकी सिसकियों से पता चल रहा था कि अब भी उसे दर्द हो रहा है
पर इस दर्द में एक लज़्ज़त के अहसास का भी पुट था.....

राज ने उसके निपल को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया और उसके दूसरे मम्मे को ज़ोर से मसल्ने लगा....

चूत में लंड की हरकत और निपल पे राज के गरम होंठों का अहसास कवि को तेज़ी से चर्म की तरफ ले जाने लगा ....

कवि की कमर की थिरकन भी बढ़ती चली गयी...

राज धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ाने लगा ........कवि के हाथ राज की पीठ पे घूमने लगे ..उसे सहलाने काग़े........

अहह उफफफ्फ़ उम्म्म्मम कवि की सिसकियाँ ज़ोर पकड़ने लगी...उसके जिस्म में उठती हुई तरंगे ...
उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित करने लगी.

राज के धक्कों की स्पीड और बढ़ी....और कवि भी बहकते हुए उसका साथ देने लगी ...
जिस्मो के टकराव की ध्वनि कमरे में फैलने लगी.....

तभी राज ने ज़ोर का धक्का लगा अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुस्सा डाला...
कवि को जो मज़ा मिल रहा था वो गायब हो गया और उसकी जगह दर्द की तेज लहर उसके जिस्म में फैलती चली गयी....

आआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उसकी चीख इतने ज़ोर के निकली ...
कि शायद समुद्र की लहरें भी डर के शांत हो गयी..

कवि के नाख़ून राज की पीठ में धंसते चले गये..
उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे.......

'ऊओह माआअ माअर डाला आपने...'

'बस हो गया मेरी जान...हो गया...'

'झूठे पहले भी ये कहा था...हाई कितना दर्द देते हो...'

'ये जिंदगा का आखरी दर्द है मेरी जान ..इसके बाद बस मज़े ही मज़े हैं'

'है मेरी तो जान निकाल दी आपने...सच बहुत दर्द हो रहा है'

'इस दर्द का भी अपना मज़ा होता है'

'झूठे कहीं के ...मेरी जान पे बन गयी ...ये मज़े की बात करते हैं' अपनी मुस्कुराहट
को छुपाने के लिए कवि ने चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया....

राज ने फिर अपने जिस्म को हरकत देनी शुरू कर दी....कवि भी भी धीरे धीरे सिसकती हुई उसका साथ देने लगी ....

और कुछ ही पलों में दोनो खो चुके थे अपने जिस्मो में उठती हुई आनंद की लहरों को भोगने में...

कवि की चूत लगातार रस बहा कर राज के लंड को भिगोने लगी और राज का लंड उसकी सन्करि चूत में आराम से फिसलने लगा

अफ उम्म्म उफफफ्फ़ आहह अहह सी सी उफ़फ्फ़

कवि की सिसकियाँ अब ज़ोर से निकलने लगी......

उसकी चूत से अब फॅक फॅक की आवाज़ें आने लगी जो महॉल को और भी कामुक बना रही थी...

राज अपनी स्पीड पकड़ने लगा और कवि उसका साथ देती चली गयी.....

जब लज़्ज़त का अहसास बढ़ जाता है तब दर्द का अहसास गायब हो जाता है....
यही हुआ कवि के साथ....मज़े की दुनियाँ में खोती हुई वो खुल के राज के साथ ताल से ताल मिलाती चली गयी

राज का चर्म तो अभी दूर था..लेकिन कवि अपनी चुदाई के पहले चर्म की तरफ तेज़ी से बढ़ रही थी...उसने अपनी गान्ड ज़ोर ज़ोर से उछालनी शुरू कर दी और उसकी हालत को समझते हुए राज ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी..

अहह र्र्र्र्ररराआआआआआअजजजज्ज्जीईईईसस्स्स्स्स्स्स्स्शह

राज का पूरा नाम चिल्लाते हुए वो अपनी चूत के सारे बाँध खोल बैठी...
जिस्म कमान की तरहा उठता चला गया ..जो राज को भी साथ उठता चला गया....
उसके उपर वजन ज़्यादा ना पड़े ..इसलिए राज ने अपना वजन अपने हाथों पे ले लिया और अपनी हरकत रोक...
कवि को उसके ऑर्गॅज़म का सुख भोगने दिया.......

कवि के जिस्म का कंपन बंद हुआ और वो धम्म से बिस्तर पे गिर पड़ी........
राज ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर नही निकलने दिया...

कवि जब शांत हुई तो राज ने फिर उसकी चुदाई शुरू कर दी...
थोड़ी देर में कवि फिर गरम हो गयी और राज का साथ देने लगी..

अब राज से रुकना मुमकिन नही था..वो मशीन की तरहा कवि को चोदने लगा

आह आह आह आह उफ़फ्फ़ उफ़फ्फ़ ओह उम्म्म्म

कवि की सिसकियाँ फिर से कमरे में गूंजने लगी

जिस्मो के टकराने की स्पीड भी बढ़ती चली गयी और 10 मिनट की भयंकर चुदाई
के बाद दोनो साथ साथ झडे और हान्फते हुए एक दूसरे से चिपक गये.....
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RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - by sexstories - 07-20-2019, 09:28 PM

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