Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:27 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
कमरे की सभी खिड़कियाँ खुली हुई थी..ठंडी ठंडी हवा अंदर आ कर दोनो के जिस्म को सहला रही थी.....खिड़कियों पे लटकते पर्दे झूलते हुए इनकी तरफ बढ़ते ..जैसे दोनो को दुनिया की नज़रों से छुपाना चाहते हों......

दूर गगन से झाँकता हुआ चाँद लाल सा पड़ जाता जैसे उसे इन पर्दों पे गुस्सा चढ़ रहा हो...जो उसकी नज़र के आगे बार बार आ रहे थे ...और उसकी चाँदनी को इन तक पहुँचने में बाधा दे रहे थे......पर्दों और चाँद की ये आँख मिचोली भी खूब थी ..जिसपे लहराते हुए बादल जान चाँद के आगे आ जाते तो उसका दिल करता अभी रो पड़े......

दिन में सुनील ---सुमन और सोनल को घुमाने ले गया शाम को जब वापस पहुँचे तो सोनल बहुत चहक रही थी ...उसके मन में आनेवाले मेहमान को लेकर बहुत सी अपेक्षाएँ थी ....वो बिल्कुल सुनील जैसा दिखेगा......बिल्कुल उसकी तरहा संस्कारी बनेगा...सबका नाम रोशन करेगा ....बेचैन हो रही थी वो उसे अपनी गोद में लेने के लिए ...माँ का प्यार उसपे लुटाने के लिए..सुमन से ज़्यादा तो सोनल को ही जल्दी सी लग रही थी के सुमन जल्दी से माँ बन जाए ...क्यूंकी उसने सुमन को कयि बार उदास सा देखा था ....वैसे तो सुमन बहुत खुश थी .....उसकी उदासी का कारण सोनल अच्छी तरहा समझती थी ..पहले तो विधवा के रूप में दिन भर रहना सुमन को अंदर ही अंदर खाए जा रहा था ...उसके दिमाग़ में हमेशा एक डर बसा रहता था ...कि कहीं सुनील को कुछ हो ना जाए ...जब से उसने सुमन को सारा दिन सुहागन के रूप में रहते हुए देखा ...कितनी शांति आ गयी थी उसके चेहरे पे ...और सुमन की ज़ुबान और दिल तरसता था कि वो अपनी ममता को जीई भर के लुटाए इसीलिए वो कविता और रूबी का बहुत ख़याल रखती थी ..पर हर औरत की तमन्ना होती है अपनी कोख से जन्मे को अपना दूध पिलाने की ..उसे अपनी गोद में ले कर खेलने की ....जब से सुनील के साथ रिश्ता बदला ....सुनील ने सुमन से उसे बेटा कहने का अधिकार छीन लिया था....क्यूंकी वो नही चाहता था...रिश्तों का झमेला बने और मर्यादा बार बार फिर से अपना सर उठा तकलीफ़ देती रहे .....अब जब सुनील मान गया था कि सुमन माँ बन जाए ....सुमन के चेहरे पे फैली खुशी देखने वाली थी ...और यक़ीनन सबसे ज़्यादा खुश सोनल थी ....क्यूंकी मन ही मन सोनल अपना और सुमन की रिश्ता नही भूली थी ...और एक बेटी अपनी माँ को उदासी के आलम में नही देख सकती थी... सोनल ने कयि बार सुनील को समझाने की कोशिश करी थी पर वो नही मानता था..उसके लिए सुमन की समझ में जो इज़्ज़त थी ..उसपे वो कभी कोई आँच नही आने देना चाहता था....दिल तो उसका भी करता था कि सुमन की इच्छा पूरी हो जाए ...पर हमेशा खुद को मजबूर पता था ...अब ये सारी मजबूरियाँ ख़तम हो चुकी थी ..क्योंकि सुमन ने खुल के अपनी शादी का एलान कर दिया था.....अब अंदर ही अंदर लोग क्या बातें करते थे इस बात का उन्हें कोई फरक नही पड़ता था क्यूंकी जल्दी ही वो देल्ही छोड़ कहीं और बसनेवाले थे....सोनल ने आज की रात को दोनो के लिए एक यादगार रात बनाने का सोच लिया था.....उसने एक ब्यूटीशियन को होटेल से बुलवाया और ज़बरदस्ती सुमन को एक बार फिर से दुल्हन का रूप दिलवाया ....सुमन भी पीछे नही रही और उसने सोनल को नही छोड़ा ...अपनी ही तरहा उसे भी दुल्हन के रूप में सजवाया और एक बेडरूम को बिल्कुल सुहाग सेज की तरहा सज्वा दिया गया.....लिविंग रूम से बाहर वाइन का सीप लेता हुआ सुनील इस बात से अंजान था कि अंदर हो क्या रहा है ...क्यूंकी सोनल ने सख्ती से मना किया था कि वो 3 घंटे तक अंदर नही आएगा....

समुद्र की ठंडी ठंडी हवा सुनील के मन को बहका रही थी .....दूर दूर तक पानी बिल्कुल सॉफ था यहाँ तक की सामुद्री स्तह पे स्थित कॉरल तक नज़र आ रहे थे और कभी कभी रंग बिरंगी मछलियाँ इधर से उधर भागती हुई नज़र आ जाती थी...सुमन ने माँ बनने की जो इच्छा अब सामने रखी थी ...वो सुनील को नये नये खाब दिखा रही थी ....बाप बनने का सफ़र कितना सुहाना होता है ...और सबसे ज़यादा आनंद एक बाप को तब आता है जब उसका नन्हा मुँहा उसकी गोद में किल्कारी भरता है और अपने छोटे छोटे होंठों पे प्यारी सी मुस्कान लिए अपने करीब बुलाता है....और कैसे ज़रा सा नाराज़ होने पे रो रो कर सारे घर को सर पे उठा लेता है...जब टोतली आवाज़ में पहली बार वो सुमन को माँ बोलेगा और फिर उसे पापा ...वो मंज़र कितना सुहाना होगा....वाक़्य में जब बच्चा होता है ...तो माँ बाप को असल में अपना वो बचपन याद आता है ..जिसे वो भूल चुके होते हैं ..जिसकी याद का हल्का सा भी नामो निशान बाकी नही रहता ना चेतन में और ना ही अवचेतन में....

'तुझे सूरज कहूँ या चंदा..तुझे दीप कहूँ या तारा...मेरा नाम करेगा रोशन...जग में मेरा राज दुलारा....' ये ख़याल दिमाग़ में आते ही सुनील मुस्कुरा उठा...वक़्त धीरे धीरे सरक रहा था सुनील वाइन पीता हुआ अपने बेटे के ख़यालों में इस कदर खो गया था कि उसे याद ही ना रहा कि 3 घंटे कब गुज़रे ......होश उसे तब आया जब वेटर ....रात का खाना ले कर आ गया और अंदर लिविंग रूम में पड़ी डाइनिंग टेबल पे सज़ा के चला गया ....यही वो वक़्त था जब ब्यूटीशियन का ग्रूप भी हंसता हुआ वहाँ से विदा ले गया.....सुनील अंदर गया दोनो को बुलाने तो चोंक गया ...उसकी दोनो बीवियाँ दुल्हन के लिबास में किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी......आज तो तू गया रे काम से ...ये दोनो आज निचोड़ के रख देंगी.....जंगली बिल्ली और जंगली शेरनी ...दोनो एक साथ उसका क्या हाल करेंगी ...ये सोच के वो अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठा .....यही तो असप प्यार होता है मिया बीवी का.....

.'ये धंसु आइडिया किस का था' पूछ ही बैठा वो....

'क्यूँ अच्छा नही लगा क्या..' सोनल ने उल्टा सवाल कर दिया....

'अच्छा तुमने तो मेरे दिल-ओ-दिमाग़ में ब्लास्ट कर डाले हैं ....तुम्हारा ही काम लगता है...'

सुमन....हां ये इसका ही आइडिया था ...पर बेवकूफ़ सिर्फ़ मुझे ही सज़ा रही थी तुम्हारे लिए ...बड़ी मुश्किल से मानी तब जा के खुद भी सजने को तयार हुई ...'

सुनील...क्यूँ जानेमन ...ये ज़ुल्म क्यूँ करने लगी थी......

सोनल....आज मेरे छोटू की बुनियाद रखी जाएगी ...तो मौका भी था और दस्तूर भी आख़िर पहली अनिवेर्सरि भी तो यादगार होनी चाहिए ....

सुनील...अब दोनो दूर क्यूँ हो ..मेरे करीब आओ........

दोनो शरमाती हुई सुनील से लिपट गयी और सुनील ने दोनो को अपनेई बाँहों में कस लिया.........अहह सिसक पड़ी दोनो ....दोनो के माथे पे चुंबन कर .......सुनील उन्हें डाइनिंग टेबल पे ले गया ....फिर तीनो ने अपने हाथों से एक दूसरे को खाना खिलाया.......

खाने के बाद सोनल ही दोनो को खींच बेड रूम में ले गयी …जो फूलों से सज़ा हुआ था……मज़े की बात ये थी कि आज सुमन और सोनल दोनो ने एक ही रंग के कपड़े पहने थे ….गुलाबी रंग की चोली और लहंगा …उपर से ओडनी डाली हुई थी सर पे….माथे पे चमकती गुलाबी बिंदिया …होंठों पे लाल लिपस्टिक…सजे हुए हाथ मेहन्दी से और पैरों पे भी मेंहदी कमाल दिखा रही थी ….दिल में बिल्कुल पहली रात जैसी हलचल मची हुई थी दोनो के ….सुनील की तो नज़र कहीं रुक ही नही रही थी..कभी वो सुमन को देखता तो कभी सोनल को….

सोनल ने सुमन को बिस्तर पे बिठाया और सुनील को उसकी तरफ धकेल दिया ….और खुद बिस्तर के दूसरी तरफ जा बैठी ….पर सुनील ने उसका हाथ पकड़ पास खींच लिया ……

सोनल…अहह नही ना …पहले दीदी के साथ मैं बाद में…..
सुनील…गुस्से से उसकी तरफ देखा तो फट से सोनल ने कान पकड़ लिए……

सुनील ने एक एक कर दोनो की ओडनी उतार डाली …दिलों की धड़कन बढ़ गयी ….और पहले सुनील ने सूमी को अपनी बाँहों में खींच लिया और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए ……सूमी पिघलती चली गयी ….सुनील की बाँहों में …..दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगे ……ज़ुबान से ज़ुबान टकराने लगी …

सुनील और सूमी अपने चुंबन में इस कदर खोए कि भूल ही गये एके साथ में सोनल भी है ….जो प्यार भरी नज़रों से दोनो को देख रही थी ……वो तो चाहती भी यही थी कि आज की रात सुनील बस सूमी के अंदर खो जाए ….

सूमी की सांस जब रुकने लगी तो उसने मुश्किल से खुद को सुनील से अलग किया ….इस दोरान सुनील उसके होंठों की सारी लाली चुरा चुका था …पर कुदरत ने जो लाली सूमी के होंठों को बक्शी थी वो खुल के निखर गयी थी …

सुनील ने तब सोनल को अपने करीब खींच लिया जो अपनी कजरारी झील से गहरी आँखों में एक अन्भुज सी प्यास लिए सुनील को देख रही थी ….दोनो और भी करीब हुए और सोनल के लरजते होंठों पे जब सुनील के होंठों ने अपना अधिकार जमाया तो सोनल सिसक उठी ……’ओह्ह्ह्ह सुनील ….आइ लव यू…..’

‘ आइ लव यू टू जान’ और सुनील सोनल के निचले होंठ को चूसने लग गया मचल गयी सोनल और उसके हाथ सुनील के जिस्म को सहलाने लगे…

शाम को जब रूबी और मिनी अपने कमरे में पहुँचे थे तो इतना थक चुके थे ...के सीधा बिस्तर पे गिर पड़े और दोनो की आँख लग गयी.....वैसे तो कमरे में दो बिस्तर थे पर दोनो इतना थक चुकी थी कि एक ही बिस्तर पे लूड़क पड़ी ......सोते सोते दोनो के जिस्म ने करवट ली और उसके चेहरे एक दूसरे के बिल्कुल सामने आ गये ....दोनो की बाँह एक दूसरे की कमर पे चली गयी और जिस्म काफ़ी करीब हो गये ..शायद मिनी को सपना देख रही थी ..

उसका हाथ अपने आप रूबी की कमर को सहलाने लगा और नींद में ही रूबी की साँसे तेज होने लगी .....मिनी का हाथ सरकता हुआ रूबी की ढीली टॉप के अंदर घुस्स गया और उसकी पीठ को सहलाने लगा....नीद में ही दोनो के होंठ काफ़ी करीब आ गये और एक दूसरे से चिपक गये.....



मिनी ने नींद में ही रूबी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया …..ये चुंबन इतनी धीरे थे कि रूबी को इनका कुछ ज़्यादा पता ही ना चल रहा था…..पर धीरे धीरे मिनी के चुंबनो में तेज़ी आने लगी और उसने थोड़ी ज़ोर से रूबी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया …..
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