Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:26 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
रूबी...लीजिए अपनी अमानत संभालिए .......कल पार्टी लूँगी आप से ....और रूबी दोनो के अकेला छोड़ ...वहाँ से चली गयी ......उसकी आँखें छलक पड़ी थी..पर ये खुशी के आँसू थे....कविता को उसका प्यार आज मिल जाएगा...उसका टूटा हुआ घर फिर से जुड़ जाएगा....उसके कदम सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गये....

कविता सर झुकाए खड़ी थी.....उसके आँसू टपक रहे थे और हर आँसू राजेश के दिल पे वार कर रहा था......

राजेश.......उसके करीब गया और उसके चेहरे को उसकी ठोडी पे हाथ रख उपर उठाया ......ये तुम्हें रोना किसने अलाउ किया.......

कविता राजेश से लिपट गयी ....और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी ..........राजेश के हाथ में पड़ा जाम नीचे गिर गया और उसने उसे अपने बाँहों में समेट लिया ......

'बस जानम बस .....बिल्कुल नही रोना..........'

लेकिन कविता का रोना बंद ही नही हो रहा था .....वो आँसू जो कब से उसने रोके हुए थे आज बह निकले .....

'बस यार ....'

'मुझे माफ़....'

'ठीक है किया माफ़ ...पर एक अच्छा सा गाना सुनाना पड़ेगा....'

'क्या.....'

'क्यूँ ...पहली बार तुमसे कुछ माँगा है....पूरा एक साल तरसा हूँ...तुम्हारी मीठी आवाज़ सुनने के लिए'....राजेश उसके चेहरे से आँसू चाटते हुए बोला......

हवा भी मंद मंद चलने लगी ....लहरों ने धीमी गति अपना ली ...जैसे किसी सरगम की ताल पे चल रही हों...और कविता को बॅक ग्राउंड म्यूज़िक दे रही हो......

राजेश बस उसके चेहरे को निहार रहा था..........

'गाओ ना....प्लीज़....'

कविता का चेहरा शर्म से लाल पड़ गया...होंठ काँपने लगे .......

'क्या गाउ...'

'कुछ भी जो तुम्हारा दिल करे .....'

कविता ने धीरे से गाना शुरू कर दिया.....और राजेश उसकी मधुर आवाज़ में खोता चला गया.....

आपकी नज़रो ने समझा प्यार के काबिल मुझे
दिल की ऐ धड़कन ठहर जा, मिल गयी मंज़िल मुझे
आपकी नज़रो ने समझा.............

जी हमें मंजूर है आपका यह फ़ैसला
कह रही है हर नज़र बंदा परवर शुक्रिया
दो जहाँ की आज खुशिया हो गयी हाँसिल मुझे
आपकी नज़रो ने समझा.............

आपकी मंज़िल हूँ मैं, मेरी मंज़िल आप हैं
क्यो मैं तूफान से डरूँ मेरे साहिल आप हैं
कोई तूफ़ानो से कह दे, मिल गया साहिल मुझे
आपकी नज़रो ने समझा.............

पॅड गयी दिल पर मेरी आपकी परच्छाइया
हर तरफ बजने लगीं सैकड़ो शहनाईया
हँसके अपनी जिंदगी मे कर लिया शामिल मुझे
आपकी नज़रो ने समझा.............


राजेश.....वाह.....तुम्हारे होंठों पे तो सरस्वती वास करती है.........बहुत खूब.........कोयल से भी मधुर ......

कविता ....चलिए अब मज़ाक मत उड़ाइए मेरा.....

राजेश ने उसे अपनी बाँहों में ले लिया ....और उसके गेसुओ को सूंघने लगा ........वक़्त थम गया था....और दोनो वहीं खड़े एक दूसरे की बाँहों में खो गये थे.........

राजेश......मेरी कभी याद आई.....

कवि...हर पल हर लम्हा.....

राजेश.....फिर इतने दिन क्यूँ लगा दिए........

कवि....डरती थी....कुछ समझ नही आता था......जब भी सुनील भैया और सोनल भाभी को एक दूसरे के करीब देखती ...तुम्हारी बहुत याद आती थी .....लेकिन हिम्मत नही होती थी ....इस रिश्ते को अपनाने की .......लोग क्या कहेंगे.......

राजेश.......चलो छोड़ो पुरानी बातें...चलो मोम के पास बहुत खुश होंगी तुम्हें देख.........

राजेश कविता को ........विजय के रूम में ले गया....


कविता को देख ....आरती फूली नही समाई ......

आरती ...मेरी बहू आ गयी...........सुनो ...यहाँ कोई मंदिर होगा क्या...आज तो प्रसाद बँटवाउन्गी.....आ बेटी आ अपनी माँ के गले लग जा

कविता ....आरती के चरण छूने जा रही थी......पर आरती ने उसे रोक अपने सीने से लगा लिया .........

आरती तो कविता के वापस आने पे बौरा सी गयी थी ...पंख लग गये थे उसे ...और विजय अपने आँसू रोके आरती को खुश होता हुआ देख रहा था......

आरती ...ये तूने अपना गला क्यूँ नंगा रखा हुआ है .....और अपने गले से सोने का हार निकाल कविता को पहना देती है .....

कविता भाव विभोर हो ...मम्मी सब कुछ तो है ...फिर....

आरती ..बस बस चुप कर ....अपशकुन होता है अगर बहू जेवर ना पहने तो.......विजय खिलखिला के हंस पड़ा ....

विजय ...सब कुछ इसी का तो है...जब चाहेगी पहन लेगी ..ये क्या तुम अपने .....

आरती ...आप चुप रहो जी...माँ बेटी के बीच बोलने की ज़रूरत नही.....

विजय ...ठीक है यार नही बोलता...पर इस बाप को भी तो अपनी बेटी से मिलने दो...आवाज़ भर्रा गयी थी .......

कविता दौड़ के विजय के सीने से लग गयी ...

विजय लगभग रोते हुए...अब तो नही जाएगी ना अपने इस बाप को छोड़ कर...

कविता ...पापा...कभी नही कहीं नहीं........दोनो की आँखों से आँसू टपकने लगे ...बाप-बेटी का प्यार होता ही ऐसा है...

वक़्त अगर जख्म देता है तो उन्हें भरता भी है...यही देख रहा था राजेश...आज कितने अरसे बाद उसने अपने माँ बाप के चेहरे पे सच्ची खुशी देखी थी ....कविता की जुदाई ने उन्हें तोड़ दिया था..कहते कुछ नही थे पर उनके दर्द की चीत्कारें राजेश तक पहुँचती रहती थी और वो बेबस सा कुछ नही कर पाता था...

आरती ...सुनो जी ..चलो फटाफट....मार्केट जाना है.......

विजय....अरे सिटी सेंटर बहुत दूर है..कल चल देंगे...

आरती ...नही नही अभी चलो .....मुझे बहुए के लिए कुछ लेना है ....

अब विजय आगे कुछ नही बोल सकता था...चुप चाप फटा फट बाथरूम में जा कर कपड़े बदल के आ गया....

विजय.....राजेश सुनील को इनफॉर्म कर देना ..कविता बेटी हमारे साथ है..ऐसे ही परेशान होगा और इसे ढूंढता फिर रहा होगा....

राजेश ...मैं भी चलूं.....सुनील को तो रूबी ने बता ही दिया होगा...

आरती...नही जी तुम्हारा कोई काम नही है ....वहाँ....पापा ने जो कहा है वो करो और हमारा इंतेज़ार करो....

आरती कविता को ले कर विजय के साथ चली गयी........

और राजेश सोचने लग गया...कल कितनी उदास थी और आज कितना हँसीन है...वाह रे वक़्त तेरे खेल निराले.....

यययययययाआआआआआहूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ

उनके जाते ही राजेश ज़ोर से चिल्लाया ...पूरे होटेल में गूँज गयी होगी उसकी आवाज़.....फट से घुस गया बाथरूम में और शेव करने लगा ....कितने कितने दिन शेव नही करता था.....और एक अच्छी ड्रेस निकाल के पहनी अपने रूम में जा कर ........

फिर वो चल पड़ा रिसेप्षन की तरफ....सुनील के कमरे का पता करने........

रूबी जब सुनील के कमरे के पास पहुँची तो कुछ देर रुकी...अपनी सांसो को संयत किया ...और थोबडे पे 12 बजा लिए और ज़ोर से दरवाजा खटखटाने लगी....

सुनील हाल में ही बैठा था ...उसने दरवाजा खोला तो सामने रूबी को बदहवास हालत में देखा ......

सुनील....क्या रूबी इस तरहा......

रूबी दौड़ के सुनील से चिपक गयी...

'भैया वो कवि....वो.....बीच पे......'

सुनील घबरा गया ........क्क्क क्या हुआ कवि को?

'वो हमे छोड़ के चली गयी........'और उसके मोटे मोटे मगर्मच्छि आँसू टपकने लगे......

'कककककककककक्क्क्यययययययययययययाआआआआआअ सुनील ज़ोर से चीखा इतने में सुमन और सोनल हड़बड़ाती हुई अपने अपने बेड रूम्स से बाहर निकली.....

सुमन...क्या हुआ ....कवि को.....

रूबी ...बड़ी भाई वो.....आन न न......रोते हुए .....वो हमे छोड़ के चली गयी......

सुनील ..तुरंत बाहर भागने को हुआ.....

रूबी ....ने फट से उसे पकड़ लिया....कहाँ चले ....अब नही आएगी वो वापस ...गयी ....

सुनील...रूबी छोड़ मुझे ....कॉन सा बीच कहाँ हुआ हादसा ...ढंग से तो बता....

रूबी ....अब और क्या बताऊ...उसे जिसके साथ जाना था चली गयी....

सोनल....क्या ...नही नही कविता ऐसा नही कर सकती......वो ऐसी लड़की नही है....

रूबी....क्यूँ.....भाई मेरे जीजा जी के साथ गयी है...इसीलिए तो कह रही हूँ...अब वापस नही आएगी........हूऊऊहूऊऊऊओ वववओूऊऊऊव्ववववववववव

रूबी मस्ती में ज़ोर से चीखी...मेरी बहन का घर बस गया......और वो कमरे में डॅन्स करने लगी....

सुनील/सोनल/सुमन...मतलब....राजेश यहाँ है...और वो उसके साथ......

रूबी ..ने सोनल को खींच लिया ...पार्टी टाइम भाभी ....

सुनील....धम से सोफे पे गिर पड़ा .......मेरी तो जान निकाल दी....ऐसा करते हैं क्या.....अब कहाँ हैं दोनो..

रूबी...मैं तो दोनो को बीच पे छोड़ के आई थी...अब कहाँ होंगे ....पता नही ...आँखे नाचते हुए बोली........भाई आज तो पार्टी होनी चाहिए.....

थोड़ी देर सभी राजेश और कविता के बारे में बातें करते हैं........सबके चेहरे पे खुशी छा गयी थी...गम के जिन बादलों को सब छुपाया करते थे ताकि कविता दुखी ना हो...वो छेंट गये थे....

रूबी ने अब इन्हे अकेला छोड़ने का सोचा .......मैं चली मिनी भाभी को ये खुशख़बरी देने ......वो कमरे से चली गयी और उसके जाते ही सुनील ने सोनल को अपनी गोद में खींच लिया ......और अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए.....सोनल ने भी अपनी बाँहें उसके गले में डाल दी......


कुछ देर सोनल के होंठ अच्छी तरहा चूसने के बाद सुनील ने सुमन को अपनी तरफ खींच लिया और सुमन ने अपनी बाँहें उसके गले में डाल दी...दोनो कुछ पल एक दूसरे को देखते रहे और फिर दोनो को पागलपन का जैसे दौरा चढ़ गया ....एक दूसरे के होंठ चूस ही नही रहे थे ..खा भी रहे थे ...दोनो का बस चलता तो उखाड़ ही लेते एक दूसरे के होंठ...इस दर्द में भी एक लज़्ज़त थी जिसका मज़ा दोनो उठा रहे थे.......सुनील उठ खड़ा हुआ सुमन को गोद में उठाए हुए ...और बेडरूम की तरफ बढ़ने ही लगा था ...कि डोर बेल बज उठी......गुस्सा चढ़ गया सुनील को....सुमन उसकी गोद से नीचे उतरी....साड़ी से ही उसके होंठ सॉफ किए और हँसती हुई अंदर भाग गयी ...सोनल भी अपनी लिपस्टिक ठीक करने अंदर भाग ली और सुनील ने कोफ़्त खाते हुए दरवाजा खोला तो सामने राजेश खड़ा था.......

सुनील.....आओ देवदास आओ...मिल गयी पारो

राजेश .....सुनील की बात सुन झेंप गया ....

पीछे से सोनल.........

'आओ जीजा जी अंदर आओ ...ये तो ऐसे ही बोलते रहते हैं...'

राजेश अंदर आ गया .....

सुनील...बैठ ना यार ...क्यूँ शतुरमुर्ग की तरहा खड़ा है ....

राजेश बैठ गया ...तब तक सुमन भी आ गयी ......

राजेश ने सुमन के पैर छुए ....

सुमन ने उसे उठा गले लगा लिया .....'सदा खुश रहो'

सुनील...सोनल यार वाइन निकाल आज तो पार्टी टाइम है

सोनल...अभी लाई और अंदर चली गयी ...

सुनील ...और सुना क्या हाल हैं.....

राजेश ...वो मैं ये बताने आया था कि मम्मी और डॅड कविता को साथ ले कर सिटी गये हैं...आप लोग परेशान ना हो इसलिए....

सुनील....यार अब वो तेरी ज़िम्मेदारी है...मैं भला क्यूँ परेशान होने लगा...

सोनल नयी वाइन की बॉटल और दो ग्लास ले आई ...

सुनील...दो ग्लास ...तुम लोग...नही जाय्न करोगे ....आज तो मौका भी है दस्तूर भी ......

सोनल...नही जी ....आप दोनो ही नोश फरमाइए ...कुछ चाहिए हो तो बता देना .....

सुनील ये नही चलेगा ....आज तो पार्टी टाइम है फटा फट अपना और सूमी का ग्लास ले आओ....

राजेश जानता तो था कि सुनील की सुमन से शादी हो चुकी है ..पर यूँ अपने सामने निक नेम से बुलाना उसे कुछ अजीब लगा .......

सुनील..उसके भाव पढ़ गया .........यार अपनी बीवी को बुला रहा हूँ..किसी और को नही .......चिल कर...

सोनल और सुमन भी पास बैठ गये ...सोनल ने साकी का काम संभाल लिया और ग्लास में वाइन डाल दी....

एक साथ सबने चियर्स किया .....तो हॅपीनेस इन लाइफ ऑफ राजेश आंड कवि ...सुनील बोला ......

फिर सबने एक एक छोटा सीप लिया ....यूँ ही बातें चलती रही कभी राजेश के काम की कभी आरती और विजय की ...कभी सुनील और उसकी मॅरीड लाइफ की और आगे के प्लान की ......

राजेश ने इस मोके का फ़ायदा उठाने की सोची और विमल का ज़िकरा छेड़ बैठा..........

सुनील उसे कुछ जवाब देता कि राजेश का मोबाइल बज उठा ........विजय की कॉल थी ...उसने सब को बुलाया था......

हाथ में पकड़े जाम ख़तम कर सभी चल पड़े .......

विजय के कमरे में जब सब पहुँचे ...तो एक पल तो कविता को पहचान ही नही पाए ...बिल्कुल किसी अप्सरा की तरहा सजी सँवरी दुल्हन को भी मात दे रही थी....

सुमन ने उसकी बलाइयाँ ली और आरती से गले मिली ....सुनील और सोनल दोनो ने विजय और आरती के पैर छू उनका आशीर्वाद लिया...

विजय ...... अब ऐसा है कि राजेश और कविता के लिए मैने दूसरे होटेल में हनिमून सुइट बुक करवा दिया है ......
ये सुन कविता शरमा के सोनल के पीछे हो गयी .....

विजय आगे फिर बोला ....सुनील तुम्हारे लिए एनिवर्सरी सुइट भी एक और होटेल में बुक हो गया है.....

सुनील....जी ......

विजय ...मैं कुछ नही सुनूँगा ...जो कहा है वैसा करो ...रूबी और मिनी हमारे साथ रहेंगी इसी होटेल में..उन्हें घुमाना फिराना मेरी ज़िम्मेदारी है...

सुनील...पर वो दोनो हमारे बेगैर.......

आरती .....बड़े जो कहते हैं मान लेते हैं......

आरती को ना करने की हिम्मत किसी में नही थी ..........

विजय ने राजेश और कविता को रुखसत कर दिया और होटेल की सारी डीटेल्स राजेश को दे दी...आरती ने पूरा एक बॅग भर के शॉपिंग करी थी जिसे राजेश को लादना ही पड़ा ....

इनके जाने के बाद विजय सब को ले रूबी के कमरे में गया.....

विजय ...रूबी से ...बेटी तुम्हारा भाई इतने समय तक ...बस जिंदगी से लड़ता ही आ रहा है ..अब उसे फ्री कर दो ......कुछ तो सॅकन मिले उसे ...मैं हूँ ना तुम लोगो को घुमाने फिराने के लिए .....

रूबी...जी अंकल जैसा आप कहें....

विजय ...सुन लिया ..कितनी समझदार है मेरी बेटी ...अब तू फुट ले यहाँ से ...नज़र मत आना ....एक दिन पहले सब यहाँ इकट्ठे होंगे तब फॅमिली आउटिंग और पार्टी होगी.....

सुनील सर खुजाता निकल पड़ा और पीछे पीछे सुमन और सोनल भी आ गयी और समान पॅक होने लगा.....

राजेश और कविता करीब एक घंटे बाद मोटर बोट से अपने होटेल पहुँच गये ...रिसेप्षन पे राजेश गया रूम की के लिए तो रिसेप्षन क्लर्क ने उनका स्वागत किया और एक पोर्टर उनका सामान ले एक वॉटर बंग्लॉ में ले गया जो ...फूलों से सज़ा हुआ था और बिस्तर भी सुहाग सेज की तरहा सज़ा हुआ था. राजेश कविता को गोद में उठा कर अंदर ले गया
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