Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-20-2019, 09:22 PM,
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
राजेश........कविता के लरजते हुए होंठ उसका नाम पुकार उठे और एक शाद घुल गया राजेश के कानो में और उसने कस के कविता को अपनी बाँहों में भींच लिया

अहह हड्डियाँ तक चरमरा गयी थी कविता की ...लेकिन इस जकड़न में एक सकुन था ....अपनेपन का एक अहसास था.......

राजेश ने उसे अपनी बाँहों पे उठाया और बिस्तर की तरफ बढ़ गया.

कविता को बिस्तर पे लिटाने के बाद ........राजेश उसके चेहरे को निहारने लगा.....

कविता को बहुत शर्म आने लगी थी.....ऐसे क्यूँ देख रहे हो ........उसने अपना चेहरा दोनो हाथों से ढांप लिया....

राजेश ने प्यार से उसके दोनो हाथ हटाए.....देख रहा हूँ बनानेवाले ने कितनी फ़ुर्सत से तुम्हें बनाया ......ये झील से गहरी आँखें....ये मदमाते हुए होंठ...ये गुलाबी पन लिए तुम्हारे सुख गाल ......ये लाल बिंदिया जो तुम्हारे माथे पे सजने का गौरव ले रही है ...ये कमान की तरहा तनी हुई भवें जो हर पल मुझे पे तीर पे तीर छोड़ती जा रही हैं.......कुदरत का ये बेमिसाल तोहफा जो मुझे मिला है ....दिल करता है बस देखता ही रहूं...देखता ही रहूं........

कवि...हाई क्या क्या बोल रहे हो...शर्म आ रही है.....

राजेश.....अब कैसी शरम जाने मन अब तो हम एक है .....

राजेश कविता के चेहरे पे झुकने लगा और कविता ने भी अपने होंठ खोल उसका स्वागत किया और दोनो के होंठ एक दूसरे से चिपक गये .......अब कविता राजेश का साथ देने लगी और जब राजेश उसका निचला होंठ चूस्ता वो राजेश का उप्परवाला होंठ चूसने लगती ....दोनो की साँसे एक दूसरे में घुलने लगी.....कविता राजेश के बालों को सहलाने लगी और राजेश के हाथ उसके जिस्म पे फिरने लगे ................

राजेश ने फिर कविता के गाउन की डोरी खोल दी और उसकी नाभि पे हाथ फेरने लगा .........कविता लरज के रह गयी और दोनो के चुंबन में तीव्रता आने लगी.........ज़ुबाने एक दूसरे से मिलने लगी ....कभी एक की ज़ुबान दूसरे के मुँह में घुसती तो कभी दूसरे की ....ज़ुबानो का खेल आपस में काफ़ी देर तक चलता रहा .........और कविता के बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा ......वो अपने उप्पर अपना बस खोती चली जा रही थी .......उसके हाथ राजेश के बालों से उतर उसकी पीठ को सहलाने लगे थे.......

काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे अरे फिर जैसे ही राजेश ने उसके होंठों को छोड़ उसकी थोड़ी को चूमते हुए अपने होंठ उसकी गर्दन पे रखे ....कविता की दबी हुई सिसकियाँ बाहर निकलने लगी ....अहह उम्म्म्मम उफफफफफफ्फ़

कविता की गर्दन को चाटते हुए राजेश उसके उरोजो की उपरी सतह पे अपनी ज़ुबान फेरने लगा जो अभी तक ब्रा में क़ैद थे ......एक तरफ वो उसकी नाभि पे हाथ फेर रहा था और दूसरी तरफ अपने होंठों की गर्माहट उसके उरोजो पे पहुँचा रहा था ...ये दो तरफ़ा अहसास कविता से सहा नही जा रहा था और उसके मुँह से बदस्तूर उँची उँची आवाज़ में सिसकियाँ निकल ने लगी.....

ओह म्म्म्मँमाआआ हहाइईइ क्या कर रहे हो....अहह मुझे कुछ हो रहा है.......प्लीज़ ....मत करो.....

लेकिन राजेश रुका नही और उसका दूसरा हाथ कविता के उरोज़ पे आ गया........अहह

राजेश का दूसरा हाथ धीरे धीरे उपर सरकने लगा और हर पल के साथ कविता की धड़कन तेज होती चली गयी .....और जैसे ही दूसरा हाथ भी दूसरे उरोज़ को सहलाने लगा ......कविता मचल उठी और अपनी एडियाँ रगड़ते हुए बिस्तर को नोचने लगी अपना सर सिसकते हुए तकिये पे इधर से उधर पटाकने लगी ....

अहह सस्स्स्सिईईईईईईईई उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़

और राजेश के हाथों का दबाव उसके उरोजो पे बढ़ने लगा ...निपल इतने कड़े हो गये कि ब्रा को फाड़ बाहर निकलने की कोशिश करने लगी ............कविता का जिस्म कमान की तरहा उठ गया जब राजेश ने ब्रा समेत ही एक निपल को अपने दाँतों से पकड़ लिया ......

उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ म्म्म्मा आआआअ कविता ने ज़ोर से राजेश के सर को अपने उरोज़ पे दबा डाला और अपने पैर पटाकने लगी........

कविता के गुदाज सख़्त उरोज़ और कड़े निपल को ब्रा समेत ही पा कर राजेश पागल होने लगा और ज़ोर ज़ोर से कविता के निपल को ब्रा समेत ही चूसने लग गया .

अहह ओह कविता के मुँह से लगातार सिसकियाँ निकल रही थी ...उसके बर्दाश्त की सीमा ख़तम होती जा रही थी ...निपल से सीधा तरंगे उसकी अन्छुइ कट पे प्रहार कर रही थी .....वो अपनी जाँघो को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी ............

राजेश ने कविता को थोड़ा उपर उठाया और जब दोनो की आँखें चार हुई तो कविता ने शर्मा के आँखें बंद कर ली...चेहरे पे छाई लाल की लालिमा और काँपते होंठ बहुत कुछ कह रहे थे....

राजेश ने उसकी बाजू को सहलाते हुए उसके गाउन को कंधों से नीचे सरका दिया और अपने हाथ पीछे ले गया और ब्रा के हुक खोल दिए …..जैसे ही ब्रा ढीली पड़ी …..शरम के मारे कविता उठ के राजेश से चिपक गयी और राजेश के हाथ उसकी नंगी पीठ को सहलाने लगे …….और अपने होंठ कविता के कंधे पे रगड़ने लगा …..माआहह उम्म्म्ममम कविता उसकी इस हरकत पे सिसक पड़ी ………
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